आम आदमी पार्टी में तनाव का कारण मुख्य कारण है 'अ' अक्षर !क्या इसे सँभाल पाएँगे केजरीवाल !-ज्योतिष
आम आदमी पार्टी हो या अरविन्द केजरी वाल 'अ 'अक्षर ने कर रखा है सबका बुरा हाल !
आप स्वयं देखिए - आशुतोष ,अजीत झा, अलकालांबा, आशीष खेतान,अंजलीदमानियाँ ,आनंद जी, आदर्शशास्त्री,असीम अहमद इसी प्रकार से अजेश,अवतार ,अजय,अखिलेश,अनिल,अमान उल्लाह खान आदि और भी जो लोग हों 'अ'
से प्रारम्भ नाम वाले वो कब किस बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर
पार्टी के कितने बड़े भाग को प्रभावित करके कितनी बड़ी समस्या तैयार कर दें
कहना
कठिन होगा !
बंधुओ !ज्योतिष के अनुशार यदि किसी संगठन ,पार्टी ,परिवार, समाज आदि में कोई दो या दो से अधिक ऐसे नाम हों जो एक अक्षर से प्रारंभ होते हों उनके आपसी संबंध पहले तो बहुत मधुर होते हैं किंतु बाद में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विरोधी भूमिका अदा करते हुए किसी हद तक चले जाते हैं !
बंधुओ !ज्योतिष के अनुशार यदि किसी संगठन ,पार्टी ,परिवार, समाज आदि में कोई दो या दो से अधिक ऐसे नाम हों जो एक अक्षर से प्रारंभ होते हों उनके आपसी संबंध पहले तो बहुत मधुर होते हैं किंतु बाद में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विरोधी भूमिका अदा करते हुए किसी हद तक चले जाते हैं !
दिल्ली भाजपा में जब से प्रभावी रूप से विजयेंद्रजी -विजयजोलीजी -विजय शर्मा जी - विजयकुमारमल्होत्राजी - विजयगोयलजी
आदि लोगों के एक साथ एक पार्टी में एक समय पर लगभग एक जैसी भूमिका का नुक्सान दिल्ली भाजपा को लगातार उठाना पड़ रहा है !
कलराजमिश्र-कल्याण सिंह,ओबामा-ओसामा,अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी,मायावती-मनुवाद,
नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी, लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद,परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान,मुलायम -मायावती,अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव,अमर सिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन आदि इसमें आजमखान आज सपा में अखिलेश के कारण नहीं अपितु मुलायम सिंह के कारण हैं जबकि अमर सिंह जी अभी भी अजीत सिंह की पार्टी में हैं किंतु कब तक …!
इसी प्रकार से प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन के आपसी संबंधों के विषय में सबको पता ही है !
अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी बिल भी लोक सभा में पास हुआ किंतु राज्य सभा में लटक गया क्योंकि वहाँ अभिषेक मनुसिंघवी और अरुण जेटली आमने सामने थे ऐसी किसी बहस से अन्ना को यशलाभ होना संभव ही नहीं था ।
इसी प्रकार से प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन के आपसी संबंधों के विषय में सबको पता ही है !
अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी बिल भी लोक सभा में पास हुआ किंतु राज्य सभा में लटक गया क्योंकि वहाँ अभिषेक मनुसिंघवी और अरुण जेटली आमने सामने थे ऐसी किसी बहस से अन्ना को यशलाभ होना संभव ही नहीं था ।
कई बार ऐसी किसी गतिविधि
में सम्मिलित हुए बिना भी किसी न किसी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में न चाहते हुए भी इनकी भूमिका विरोधी बन ही जाती है जैसे:-
जेडीयू के लिए जीतन राममाँझी, उत्तर प्रदेश के लिए उमाभारती ,महाराष्ट्र के लिए मनसे, हरियाणा के लिए हविपा, गुजरात के लिए गुजरात परिवर्तन पार्टी आदि आदि क्या कर सकीं ! भाजपा को भारत की सत्ता में आने के लिए राजगावतार लेना पड़ा !
इसी प्रकार से अन्ना हजारे को तो रामलीला मैदानसे सम्मान पूर्वक बार बार मनाया गया किंतु रामदेव का रामलीला मैदान में अपमान हुआ दूसरी बार ये जल्दी मैदान छोड़कर राजीवगांधी स्टेडियम के लिए निकले वो भी इनके लिए वैसा ही था किंतु अम्बेडकर स्टेडियम में रुक जाने से बचाव हो गया !
बंधुओ ! काशी हिंदू विश्व विद्यालय से हुई हमारी पी.एच.डी.के शोधप्रबंध से यह संबंधित विषय होने के कारण इससे जुड़े हुए रामायण के अलावा भी समाज एवं राजनीति के अनेकों उदाहरण लेख हमारे ब्लॉगों पर पड़े हुए हैं -
जब अन्ना आंदोलन में अग्निवेष अमित त्रिवेदी ,अरविंद और अन्ना हजारे एक साथ नहीं निभा सके तो आम आदमी पार्टी इतने अ वालों को एक साथ समेटकर कुशलता पूर्वक कैसे रख पाएगी ?
सच्चाई ये है कि न वहाँ के हीरो अन्ना थे और न यहाँ के अरविंदकेजरीवाल
हैं और यदि कोई हीरो बनना चाहेगा तो वही होगा जो राजग में नितीशकुमार और
नरेंद्र मोदी के बीच हुआ था नरेन्द्रमोदी का बर्चस्व बढ़ते ही नितीश कुमार
छोड़ गए थे 'राजग' !यही आम आदमी पार्टी के अ वाले भी करेंगे !
डॉ.एस.एन.वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य, एम.ए.पीएच.डी.
No comments:
Post a Comment