आदरणीय प्रधानमंत्री जी !

आदरणीय प्रधानमंत्री जी !              
विषय - भूकंप संबंधित के ज्योतिषीय शोध के विषय में -
महोदय ,
    25- 4 -2015 को दिन में 11.56 पर आए भूकंप के विषय में भारतीय प्राच्य विज्ञान का गंभीर अध्ययन एवं गहन शोध के बाद  निकाले गए निष्कर्ष के बाद कहा जा सकता है कि भूकंप का मतलब ही पृथ्वी का कंपन है इस बार नेपाल से लेकर भारत तक आए इस भूकंप से पृथ्वी काँपी अवश्य है किन्तु प्राचीन विज्ञान के अनुशार इसके कारण पृथ्वी के अंदर होने वाली हलचल या प्लेटों की असहजता की अपेक्षा इस बार के भूकंप के कारण  पृथ्वी के ऊपर हवा में ही विद्यमान थे और हवाओं की आपसी टकराहट के कारण ही आया था ये भूकम्प । 
        प्राचीन विज्ञान में जिन चार प्रकार के भूकंपों का वर्णन है वो इस प्रकार से है -
    वायु अग्नि इंद्र और वरुण इन चार को भूकम्पों  का कारण माना गया है जो समय समय पर पृथ्वी को कँपाते रहते हैं इन्हीं चारों के कारण  भूकंप आते हैं !  25- 4 -2015 को दिन में 11.56 पर आए भूकंप के लक्षणों का मिलान शास्त्र में वायु प्रकोप से आए हुए  भूकंप के साथ होता दिखता है ।  
वायु प्रकोप से आने वाले भूकंपों के शास्त्रीय लक्षण -
   " सूर्योदय से दिन बारह बजे तक आने वाला भूकंप वायु देवता के द्वारा माना जाना चाहिए इसकी सूचना वायु देवता एक सप्ताह पहले प्राणियों को दे देंगे !सूचना के संकेत इस प्रकार के होंगे -एक सप्ताह पहले से आकाश में धुआँ धुँआ सा दिखाई पड़ने लगता है ,पृथ्वी से धूल उड़ाती हुई वृक्षों को तोड़ती तहस नहस करती हुई हवा अर्थात आँधी चलती है सूर्य की किरणें मंद हो जाती हैं आनाज,जल और औषधियों का नाश होता है ,व्यापार करने वालों के शरीरों में सूजन होने लगती है,दमा होने लगता है,उन्माद रोग,ज्वर रोग तथा खाँसी से उत्पन्न पीड़ा होने लगती है । 
    ऐसे भूकंप आने के दिन से  तीसरे ,चौथे,सातवें,पंद्रहवें ,तीसवें  और पैंतालीसवें दिन यदि फिर भूकंप आ जाता है जिसकी सम्भावनाएँ अधिक होती हैं तो राजा का नाश करता है अर्थात देश के शासक के लिए बहुत हानि कर होता है जिसकी अवधि 180 दिनों की होती है ।

      यह भूकंप सबसे अधिक भूभाग को प्रभावित करता है शेष भूकंप इससे कम क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। इस भूकंप का निश्चित स्थान भी होता है ये भूकंप मगध अर्थात पटना गया नेपाल से बियतनाम तक का क्षेत्र  ,कुरुक्षेत्र,सौराष्ट्र ,दशार्ण अर्थात मध्य प्रदेश के विदिशा के आसपास का क्षेत्र और मत्स्य देश में विशेष प्रभाव डालता है । मत्स्य देश का केन्द्र आधुनिक जयपुर नगर था। इसकी राजधानी विराटनगर थी।इस प्रकार से ये संपूर्ण क्षेत्र इस भूकंप से प्रभावित होता है ।"
    महोदय !इन शास्त्रीय लक्षणों को मिलाकर यदि देखा जाए तो प्रकाशित समाचारों के आधार पर इस भूकंप में मिलते जुलते  ये लक्षण दिखते हैं जैसे शास्त्र में उपर्युक्त लक्षणों के विषय में लिखा गया है कि ये एक सप्ताह पहले से भयंकर आँधी तूफान आदि आने लगते हैं  तो यहाँ भी यह बड़ा भूकम्प आने के तीन दिन पहले अर्थात 22-04-15 को ही भयंकर तूफान आया था इस तूफान का उद्गम स्थल भी नेपाल में ही था यथा "केंद्र के निदेशक आरके गिरि का कहना है कि नेपाल में कम दबाव का क्षेत्र बना होने के कारण आंधी आई।" बाद में यह तूफान जैसे जैसे जहाँ जहाँ जितने प्रभाव से गया भूकंप भी उसी नेपाल से उठा और तूफान वाले क्षेत्रों में कंपन करता चला गया था कुलमिलाकर जैसे तूफान से नेपाल और भारत दोनों प्रभावित हुए उसी प्रकार से भूकम्प से भी नेपाल और भारत दोनों प्रभावित हुए चूँकि भूकंप का केंद्र नेपाल था इसलिए उसका अधिक प्रभावित होना स्वाभाविक ही था ।         
तूफान के विषय में अखवारों में छपे समाचार -
मंगलवार की शाम नेपाल से आया था जानलेवा तूफान
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरो
First Published: 22-04-15 11:34 PM
Last Updated: 22-04-15 11:34 PM
हर साल बिहार में बाढ़ से होने वाली तबाही का कारण बनने वाला नेपाल इस बार मानसून से पहले ही तूफानी तबाही दे गया। मंगलवार की शाम को नेपाल में कम दबाव के क्षेत्र के कारण उठे तूफान ने तीन घंटे के अंदर ही बिहार में बड़ी तबाही मचाई। इस तूफान में 40 लोग बेमौत मारे गए। बड़ी संख्या में कच्चे-पक्के मकान और झोपड़ियों के गिरने की सूचना है। फसलें भी बर्बाद हुई हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक नेपाल से चली आंधी (तूफान) शाम 7.30 बजे सीतामढ़ी के रास्ते बिहार में आई। महज दो घंटे 50 मिनट के अंदर ही इस आंधी ने आधा दर्जन से अधिक जिलों में तबाही मचा दी। केंद्र के निदेशक आरके गिरि का कहना है कि नेपाल में कम दबाव का क्षेत्र बना होने के कारण आंधी आई। हवा की रफ्तार 65 से 70 किमी. प्रति घंटे रही। यह सिस्टम बहुत ही कम समय में बना और उठ गया। 


18/04/2014यूपी में तूफान और आंधी से 18 लोगों की मौत
  

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