भ्रष्टाचारियों के पास  पैसे हैं ,पद हैं,  प्रतिष्ठा है प्रसिद्धि है और सदाचार में क्या है ?
गलत लोग न हों तो कैसे चलेगी राजनीति क्या मुट्ठी भर अच्छे लोग देश चला लेंगे !
 अच्छे लोगों का निर्माण करने के लिए खाली कौन है ?कैसे होगा भले लोगों का निर्माण !

नेताओं और किसानों में भी इतना ही अंतर है - 

       किसानों की गलती क्या है यही न कि वो मेहनत से ईमानदारी पूर्वक कमाना खाना चाहते हैं !
      नेताओं की अच्छाई यही है  कि ईमानदारी की बातें कर के भ्रष्टाचार से धन कमाते हैं सब सुख सुविधाएँ भोगते हैं  पद प्रतिष्ठा प्रसिद्धि पाते हैं नेता को परिवार के भरण पोषण के लिए व्यापार या काम काज भी करना पड़ता किंतु भ्रष्टाचार के बल पर दो दो रूपए को मोहताज रह चुके नेता आज अरबों पति हैं उनके पास न कोई व्यापर है और न ही व्यापार करने का समय !

 
     


  जब तक अच्छे लोगों की संख्या नहीं बढ़ेगी तब तक समाज और राजनीति में अच्छे लोगों की संख्या कैसे बढ़े !
और संख्या बढे बिना अच्छे लोग अच्छी बात भी बोलेंगे तो दबका कर बैठा दिए जाएँगे

लोकतंत्र में संख्या का महत्त्व होता है अच्छे लोगों की संख्या बहुत कम है दूसरा वो मुर्दों की तरह ढोए नहीं जा सकते !

       किंतु अन्ना जी !अच्छे लोगों की संख्या देश में इतनी कम है कि उनके साथ चलकर राजनीति नहीं की जा सकती ! क्योंकि  लोकतंत्र में संख्या का ही महत्त्व होता है यहाँ तो गुण नहीं अपितु शिर गिने जाते हैं शिरों की संख्या हमेंशा उनके पास होती है जो ईमानदार होने की अपेक्षा ईमानदार दिखने में सफल होते हैं वो कितने ही बड़े अपराधी क्यों न हों !राजनीती में सफल होने के लिए कई लोग विरोधियों की हत्या किया या कराया करते हैं और सौ करोड़ देश वासियों के विकास की कसमें खाया करते हैं !लोग भरोसा भी कर लेते हैं !
       गलत लोग आसानी से मिल भी जाते हैं जितने चाहो उतने मिल जाते हैं जैसे जैसे दुर्गुण संपन्न चाहिए वैसे मिल जाते हैं !गलत लोगों को जोड़ अच्छे इसके  केजरीवाल जी ही अकेले नहीं हैं हर राजनैतिक पार्टी जोड़ती गलत लोगों को ही है किंतु अच्छे लोग चूँकि कुशल होते हैं प्रतिभा संपन्न होते हैं इसलिए वे जबर्दस्ती भले घुस जाएँ अन्यथा पार्टियों का स्थापित नेतृत्व हमेंशा ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ना चाहता है जो उनसे अयोग्य उनसे मूर्ख उनसे काम अच्छा बोलने वाले उनसे कम अच्छे प्रतिभावाले लोगों की संख्या अधिक से अधिक हो ताकि वो कभी भी संख्या बल से पार्टी के बुद्धिमान कार्यकर्ताओं पर अंकुश लगा सकें कास पार्टी क्योंकि अक्ल न होने -


No comments:

Post a Comment