दो या दो से अधिक लोगों के बीच आपसी संबंध कैसे रहेंगे ये बताता है उन लोगों के नाम का पहला अक्षर !
कई आर आपने देखा होगा हम लोग जब कहीं बाहर जाते हैं तो ट्रेन पर या स्टेशन पर हमारी कई लोगों से बातचीत होती चली जाती है किंतु उनमें कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे हमारी पटरी बहुत अच्छी खाने लगती है जबकि बहुत लोग ऐसे होते हैं जिनसे हमारी पटरी बिलकुल नहीं खाती है कुछ लोग हैं उनसे हो सकता है कि आपस में इतनी अधिक घ्रृणा हो जाए कि बोलने का मन ही न हो या आपस में विवाद हो जाए !
किसी के साथ हमारे संबंध कैसे रहेंगे इसका निर्णय नाम के पहले अक्षर से ही होता है इसीलिए पुरानी परंपराओं में घर के किस सदस्य का नाम किस अक्षर से रखा जाएगा ये नाम विज्ञान के आधार पर निश्चित करवाया जाता था संभवतः यही कारण है कि विवाह के बाद कुछ क्षेत्रों में कन्या के नाम परिवर्तन की परंपरा थी ! इससे ससुराल रूप में मिले नए परिवार के सदस्यों के नाम के अनुरूप कोई नाम रख लिया जाता था !अब जिन क्षेत्रों में बधू के नाम बदलने की परंपरा है भी कोई नाम जरूरी नहीं कि वहाँ भी नामविज्ञान के अनुशार रखा गया हो बधू का नया नाम ! इस परंपरा का अभिप्राय न जानने के कारण अपने मन से ही रख लिया जाता है नाम ! अन्यथा नाम विज्ञान के आधार पर रखे गए नामों के प्रभाव से घर के सभी सदस्यों के बीच आपसी संबंध बहुत मधुर हुआ करते थे इस प्रकार से परिवारों में प्यार बना रहता था चूँकि परिवार समाज की छोटी इकाई होती है इसलिए जैसा परिवार होता है वैसा समाज बनता है सारे सामाज में भाई चारे की भावना देखते ही बनती थी बड़े छोटों से उचित व्यवहार था बहन बेटियों का सम्मान था किंतु अब तो सबकुछ धीरे धीरे बिगड़ता टूटता नष्ट होता दिखाई पड़ा रहा है भाई -भाई और पति -पत्नी जैसे संबंधों की मधुरिमा समाप्त होती जा रही है ।
आपके
घर में, व्यापार में ,साझेदारी में, राजनैतिक पार्टी में,ससुराल में किस
नाम के व्यक्ति से आपको मिलसकता है धोखा और किससे मिलेगा सहयोग !
यदि
आप अपने परिवार के किसी बच्चे का नाम रखना या बदलना चाहते हैं या जानना
चाहते हैं कि किस नाम के व्यक्ति (स्त्री - पुरुष) का उपयोग आप कैसे कर
सकते हैं अर्थात किससे गुस्सा होकर काम निकाल सकते हैं किससे चाटुकारिता
करके काम निकाल सकते हैं और किससे आपके सम्बन्ध चल ही नहीं सकते हैं इसी
प्रकार से किसी को कर्जा देने और लेने के विषय में जान सकते हैं!
घर में जो बहू या दामाद
लाने जा रहे हैं उसके गुणों का मिलान तो लड़के और लड़की का होता है बाक़ी पूरे
घर के सदस्यों के साथ उसके कैसे रहेंगे सम्बन्ध यह जानने के लिए जानिए नाम विज्ञान से !इसीप्रकार से विवाह के तुरंत बाद जिन परिवारों में बधू का नाम
बदलने की परंपरा है वो खोज सकते हैं ऐसा नाम जिससे उनके परिवार के सभी
सदस्यों के साथ उनके आपसी संबंध मधुर रह सकें ।
घर में कोई बच्चा या बच्ची हुई है उसका आप कोई नया नाम आप रखना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि किस अक्षर से नाम रखें जिससे उसके माता पिता भाई बहन दादा दादी आदि समस्त परिवार के साथ वो भविष्य में बात व्यवहार कर सके !यह सब जानने के लिए आप हमारे यहाँ से ज्योतिष का उपयोग कर सकते हैं ।
घर में कोई बच्चा या बच्ची हुई है उसका आप कोई नया नाम आप रखना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि किस अक्षर से नाम रखें जिससे उसके माता पिता भाई बहन दादा दादी आदि समस्त परिवार के साथ वो भविष्य में बात व्यवहार कर सके !यह सब जानने के लिए आप हमारे यहाँ से ज्योतिष का उपयोग कर सकते हैं ।
इसी प्रकार से जिस शहर
या मोहल्ले में आप रहना या काम करना चाहते हैं वहाँ कितने आप सफल हो पाएँगे
या नहीं इसी प्रकार से जिस नाम के मालिक या नौकरों और सहयोगियों के साथ आप
काम
करना चाहते हैं उनमें किसके साथ कैसे और कितना आप निभा पाएँगे !यह जानने
के लिए संपर्क कर सकते हैं हमारे यहाँ ।
किस नाम की पार्टी और
संगठन का अपना क्या भविष्य है उसमें आपका क्या भविष्य है उसके प्रमुखों से
आप कितना निभा पाएँगे साथ ही वो कितना आपको सहयोग दे पाएँगे यह जानने के
लिए आप हमारे यहाँ
कर सकते हैं संपर्क ।नाम के पहले अक्षर के प्रभाव से कैसे कैसे बिगड़ते हैं लोग कुछ उदाहरण देखिए आप भी ! इसी प्रकार नाम के पहले अक्षरों का विकार नौ प्रकार से किया जाता है देखिए कैसे -
आम आदमी पार्टी हो या अरविन्द केजरी वाल 'अ 'अक्षर ने कर रखा है सबका बुरा हाल !
आप स्वयं देखिए - आशुतोष ,अजीत झा, अलकालांबा, आशीष खेतान,अंजलीदमानियाँ ,आनंद जी, आदर्शशास्त्री,असीम अहमद इसी प्रकार से अजेश,अवतार ,अजय,अखिलेश,अनिल,अमान उल्लाह खान आदि और भी जो लोग हों 'अ'
से प्रारम्भ नाम वाले वो कब किस बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर
पार्टी के कितने बड़े भाग को प्रभावित करके कितनी बड़ी समस्या तैयार कर दें
कहना
कठिन होगा !
बंधुओ !ज्योतिष के अनुशार यदि किसी संगठन ,पार्टी ,परिवार, समाज आदि में कोई दो या दो से अधिक ऐसे नाम हों जो एक अक्षर से प्रारंभ होते हों उनके आपसी संबंध पहले तो बहुत मधुर होते हैं किंतु बाद में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विरोधी भूमिका अदा करते हुए किसी हद तक चले जाते हैं !
बंधुओ !ज्योतिष के अनुशार यदि किसी संगठन ,पार्टी ,परिवार, समाज आदि में कोई दो या दो से अधिक ऐसे नाम हों जो एक अक्षर से प्रारंभ होते हों उनके आपसी संबंध पहले तो बहुत मधुर होते हैं किंतु बाद में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विरोधी भूमिका अदा करते हुए किसी हद तक चले जाते हैं !
दिल्ली भाजपा में जब से प्रभावी रूप से विजयेंद्रजी -विजयजोलीजी -विजय शर्मा जी - विजयकुमारमल्होत्राजी - विजयगोयलजी
आदि लोगों के एक साथ एक पार्टी में एक समय पर लगभग एक जैसी भूमिका का नुक्सान दिल्ली भाजपा को लगातार उठाना पड़ता रहा है !
कलराजमिश्र-कल्याण सिंह,ओबामा-ओसामा,अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी,मायावती-मनुवाद,
नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी, लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद,परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान,मुलायम -मायावती,अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव,अमर सिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन आदि इसमें आजमखान आज सपा में अखिलेश के कारण नहीं अपितु मुलायम सिंह के कारण हैं जबकि अमर सिंह जी अभी भी अजीत सिंह की पार्टी में हैं किंतु कब तक …!
इसी प्रकार से प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन के आपसी संबंधों के विषय में सबको पता ही है !
अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी बिल भी लोक सभा में पास हुआ किंतु राज्य सभा में लटक गया क्योंकि वहाँ अभिषेक मनुसिंघवी और अरुण जेटली आमने सामने थे ऐसी किसी बहस से अन्ना को यशलाभ होना संभव ही नहीं था ।
इसी प्रकार से प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन के आपसी संबंधों के विषय में सबको पता ही है !
अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी बिल भी लोक सभा में पास हुआ किंतु राज्य सभा में लटक गया क्योंकि वहाँ अभिषेक मनुसिंघवी और अरुण जेटली आमने सामने थे ऐसी किसी बहस से अन्ना को यशलाभ होना संभव ही नहीं था ।
कई बार ऐसी किसी गतिविधि
में सम्मिलित हुए बिना भी किसी न किसी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में न चाहते हुए भी इनकी भूमिका विरोधी बन ही जाती है जैसे:-
जेडीयू के लिए जीतन राममाँझी, उत्तर प्रदेश के लिए उमाभारती ,महाराष्ट्र के लिए मनसे, हरियाणा के लिए हविपा, गुजरात के लिए गुजरात परिवर्तन पार्टी आदि आदि क्या कर सकीं ! भाजपा को भारत की सत्ता में आने के लिए राजगावतार लेना पड़ा !
इसी प्रकार से अन्ना हजारे को तो रामलीला मैदानसे सम्मान पूर्वक बार बार मनाया गया किंतु रामदेव का रामलीला मैदान में अपमान हुआ दूसरी बार ये जल्दी मैदान छोड़कर राजीवगांधी स्टेडियम के लिए निकले वो भी इनके लिए वैसा ही था किंतु अम्बेडकर स्टेडियम में रुक जाने से बचाव हो गया !
जब अन्ना आंदोलन में अग्निवेष अमित त्रिवेदी ,अरविंद और अन्ना हजारे एक साथ नहीं निभा सके तो आम आदमी पार्टी इतने अ वालों को एक साथ समेटकर कुशलता पूर्वक कैसे रख पाएगी ?
सच्चाई ये है कि न वहाँ के हीरो अन्ना थे और न यहाँ के अरविंदकेजरीवाल
हैं और यदि कोई हीरो बनना चाहेगा तो वही होगा जो राजग में नितीशकुमार और
नरेंद्र मोदी के बीच हुआ था नरेन्द्रमोदी का बर्चस्व बढ़ते ही नितीश कुमार
छोड़ गए थे 'राजग' !यही आम आदमी पार्टी के अ वाले भी करेंगे !
कुल मिलाकर नाम विज्ञान की रिसर्च के आधार आज भी कहा जा सकता है कि परिवारों एवं समाज को जोड़ने में महत्त्व पूर्ण भूमिका आज भी निभा सकता है नाम विज्ञान ।
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