नामविज्ञान से जुड़े होने के नाते मैं इतना तो विश्वास से कह सकता हूँ कि समाजवादी पार्टी में दिनोंदिन बढ़ते तनाव के लिए किसी एक व्यक्ति या नेता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है और न कोई अधिक दोषी है और न ही कम अपितु वे सारे लोग बराबर के दोषी हैं जिनके नाम का पहला अक्षर 'अ' है !
मुलायम सिंह जी के परिवार एवं पार्टी में ऐसे नाम वाले लोगों की बड़ी संख्या होने के कारण वे एक दूसरे के साथ न रह पा रहे हैं न रह पाएँगे इसी प्रकार से न अखिलेश उन्हें सह पा रहे हैं और न ही वे अखिलेश को सह पा रहे हैं किंतु उनकी चालें इतनी गुप्त हैं कि अखिलेश तो दिखाई पड़ रहे हैं वे दिखाई न पड़ने के कारण उन्हें कोई नहीं पहचानता वो अखिलेश के विरुद्ध जिन जिन की चूड़ियाँ कस रहे हैं वो वो लोग उछले घूम रहे हैं और उछल हैं इसलिए वही दिखाई दे रहे हैं जबकि ये उन्हें भी नहीं पता है कि वे उछल क्यों रहे हैं । समाज वादी पार्टी और परिवार में आए इस भूकंप के गुप्त केंद्र कई हैं जहाँ इस तनाव का बारूद तैयार किया जा रहा है किंतु उनकी प्रत्यक्ष पहचान न हो पाने के कारण उस बारूद का जहाँ विस्फोट हो रहा है दिखाई केवल वही पड़ रहे हैं तनवी बारूद का उत्पादन कैसे रोका जाए ध्यान इस बात पर दिया जाना चाहिए !
ऐसे लोग जिनके नाम का पहला अक्षर 'अ' है वे अपनी चालें चलते जा रहे हैं जिसका जहर पार्टी और परिवार में न केवल साफ दिखने लगा है अपितु बढ़ता जा रहा है और जिन्हें पकड़ पकड़ कर शांति समझौते के लिए प्रयास किए भी जा रहे हैं उनका इस विवाद से कोई विशेष लेना देना नहीं है इसीलिए उन्हें कोई असर भी नहीं दिखता हैं क्योंकि विवाद के कारण वो लोग नहीं हैं जिन्हें बैठकर समझौता कराया जा रहा है वे तो किसी की बात मानकर केवल हुल्लड़ मचा रहे हैं इसीलिए वे बदनाम हैं किंतु वो जिनके कहने पर आंदोलित हैं उनकी पहचान करने की विधि बताने हेतु सादर समर्पित है नाम विज्ञान संबंधी हमारा यह 'शोधपत्र' !
मैंने इसी विषय से बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से PhD की है इसलिए इस विवाद पर भी अपनी शास्त्रीय बात कहना हमारा धर्म है साथ ही ऐसे तनाव को घटाने के लिए मैं अपनी प्रभावी सेवाएँ देने को तैयार हूँ यदि सपा पार्टी और उसका शीर्ष नेतृत्व चाहे तो मैं अपने विषय (नाम विज्ञान ) से संबंधित अपनी सेवाएँ देने को तैयार हूँ जिससे दोबारा तनाव की ऐसी विषम परिस्थिति पैदा ही न हो सके और यदि हो भी जाए तो उसे टाला जा सके !
वैसे भी ऐसी परिस्थिति परिवारों संगठनों में अक्सर बनती देखी जाती है जिससे परिवार टूटते जा रहे हैं और समाज संगठन समुदाय आदि बिखरते जा रहे हैं तनावों को बढ़ाने वाले लोगों की पहचान हो ही नहीं पा रही है तभी तो ऐसे तनावों के लिए जिम्मेदार लोग चिन्हित नहीं हो पाते हैं उन्हें ही चिन्हित करने का काम करता है हमारा 'नामविज्ञान' ।
अब पढ़ें हमारा वह लेख जो इसी विषय में मैंने मई 2015 में इसी ब्लॉग पर लिखा था -
'अ'मरसिंह सपा में कब तक मुलायम सिंह जी से
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कहुरहीम कैसे निभिहि केरबेर को संग ! |
बंधुओ !अमरसिंह जी की पटरी अजीत सिंह जी से खानी ही नहीं थी जब अमरसिंह
जी जुड़े ही थे अजीत सिंह जी यह तो तभी निश्चित हो गया था कि इन दोनों लोगों
की आपस में पटरी नहीं खाएगी उसका कारण है कि अमरसिंह जी की 'अ' अक्षर
वालों से पटती नहीं है और ये इनका दुर्भाग्य है कि ये मित्रता 'अ' अक्षर
वालों से ही करते हैं पहले जब सपा में थे तब से अमरसिंह जी की पटरी आजम खान
से नहीं खाती रही किन्तु मुलायम सिंह जी सँभाल लेते रहे किन्तु जब पार्टी
में अखिलेश का बर्चस्व बढ़ा तो अमरसिंह जी निकाल दिए गए उधर आजम खान भी अ
अक्षर वाले ही हैं अखिलेश सरकार के लिए एक नई समस्या तैयार करते रहते हैं
ये भी अब तक कभी के निकाल दिए जाते किन्तु पार्टी के मुस्लिम चेहरा हैं अब
इनके प्रति मुस्लिम समाज में भी रोष है इसीलिए सपा अब इन्हें किनारे लगाने
की राह पर आगे बढ़ेगी उधर अमर सिंह जी का अजीत सिंह जी के साथ मन नहीं लग
रहा है इसलिए अमर सिंह जी भी सपा में आने को तैयार बैठे हैं उधर सपा का भी
नया नेतृत्व अबकी लोक सभा चुनावों में चारोचित्त गिरा है तो अब वह भी
मुलायम सिंह जी के सामने नत मस्तक है इसीलिए अब मुलायम सिंह जी अपनी सपा को
अपने पुराने मित्र अमरसिंह जी के सहयोग से पुनः प्रभावी बनाना चाहते हैं
।
यह सब तो ठीक है किन्तु अभी भी अमर सिंह की पटरी अखिलेश और आजम खान से
बिलकुल नहीं खाएगी इसलिए अमर सिंह जी को यदि साथ लेकर चलना है और हँसी नहीं
करनी है तो यह जिम्मेदारी मुलायम सिंह जी को स्वयं उठानी पड़ेगी और अमर
सिंह जी को भी मुलायम सिंह जी के प्रति ही समर्पित होकर चलना होगा, रही बात
अखिलेश और आजम खान की तो इन्हें अमर सिंह जी के प्रति कोई बात बाया मुलायम
सिंह जी के ही कहनी होगी अन्यथा मुलायम सिंह जी के इस अमर प्रेम में
उपहास के अलावा कुछ मिलेगा नहीं !
इसी विषय से जुड़ा हुआ एक विस्तारित लेख मेरे ब्लॉग पर पड़ा हुआ जिसे पढ़ने के लिए के लिए नीचे दिया गया लेख लिंक खोल सकते हैं -
सोमवार, 10 मार्च 2014
अमरसिंह फिर चले धोखा खाने की राह पर - ज्योतिषवैज्ञानिक डॉ.एस.एन.वाजपेयी
ज्योतिष विज्ञान के दर्पण में अमरसिंह जी का भविष्य -
बंधुओं ,जो लोग किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर ज्योतिष को विज्ञान नहीं
मानते हैं उन्हें मैं मानने के लिए बाध्य भी नहीं करता हूँ किन्तु वैचारिक
दृष्टि से जीवित लोग जो ज्योतिष को अपने मन बुद्धि एवं तर्कों see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/03/blog-post_2579.html
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