प्रदूषण होता क्यों है इसका कोई प्रमाणित उत्तर न दे पाने वाले लोग प्रदूषण समाप्त करने की बात कैसे कर सकते हैं !
प्रदूषण समाप्त होने में अभी 45 दिन और लगेंगे जो 7-12-2017 से क्रमशः एक एक अंश घटता स्वयं ही चला जाएगा ! यह सूर्यकृत प्राकृतिक प्रदूषण है जो सुदूर अंतरिक्ष से सूर्य की ऊर्जा के साथ पृथ्वी के वायु मंडल में व्याप्त हो गया था !इस वर्ष 10 जून से यह वायु प्रदूषण संगृहीत होने लगा था जो क्रमशः बढ़ता चला आ रहा था 6-12 -2017 को सुनियोजित तरीके से भूकंप के रूप में विस्फोट कर गया !जिसका वायु प्रदूषण स्वरूप मलबा अभी भी वातावरण में विद्यमान है जिससे पिघलने और स्वच्छ होने में 50 दिन लग जाएँगे जो 26 जनवरी 2018 तक क्रमिक रूप से समाप्त और स्वच्छ होता चला जाएगा ! एक एक अंश घटते घटते 200 दिनों में इसका असर सम्पूर्ण रूप से समाप्त हो पाएगा !
विशेष समस्या इस वर्ष एक और है कि प्रकृति में पुनः वातात्मक भूकंप का गर्भाधान होने लगा है संभव है कि 26 जनवरी या उसके कुछ आगे पीछे किसी बड़े भूकंप का प्रसव हो !जिसे टालने के लिए अभी से यदि प्रचुर मात्रा में यज्ञ यागादि किए जाएँ तो संभव है कि संभावित भावी भूकंप प्रसव होने से पहले ही डायल्यूट हो जाए !
समयविज्ञान की दृष्टि से -
प्रदूषण प्राकृतिक और समय संबंधी समस्या भी तो हो सकती है इधर ध्यान ही नहीं दिया जाता है क्यों ?क्यों जिसमें किसी का कोई बश नहीं हैं इसे भी समझा जाए !
प्रत्येक वर्ष
में देश या विश्व के हर कोने में प्रदूषण समस्या रहती ही है ये 18अक्टूबर
से प्रारंभ होकर 18नवंबर तक प्रत्येक वर्ष रहती ही है इसके बाद घटना
प्रारंभ होती है जो 18 मार्च तक क्रमशः घटती चली जाती है! इसकी हमेंशा से
ऐसी ही स्थिति चलती चली आ रही है !जिस वर्ष इस बीच कुछ पानी बरस जाता है या
हवाएँ चल जाती हैं उस वर्ष इसकी मात्रा घट जाती है और वैसे बढ़ी बनी रहती
है !
इस समय लोगों का
आत्मबल बहुत घट जाता है हार्टबीट बढ़ जाती है सिर में चक्कर आना ,आँखों में
जलन होना ,जरा जरा सी प्रतिकूल बातें सुन कर घबड़ाहट होने लगना ये सब इस समय
की देन हैं!ऐसी बातों का वायु प्रदूषण से कोई संबंध नहीं है!
रही बात धान के
पुआल के जलाने से होने वाले धुएँ की तो उसका इस प्रदूषण से कोई लेना देना
है ही नहीं क्योंकि वो धुआँ धान के पुआल का होने के कारण न आँखों के लिए
अहितकर होगा और न स्वास्थ्य को ही किसी प्रकार से कोई हानि पहुँचाएगा
क्योंकि उसमें धान और चावल का अंश होता है जो स्वास्थ्य के लिए किन्हीं भी
परिस्थितियों में हानि कारक हो ही नहीं सकते हैं !किंतु इस धुएँ में जितनी
मात्रा ये धुआँ केमिकल या बाहनों से निकलने वाले धुएँ का होता है तब तो
हानिकारक होगा ही जिसके लिए किसानों को कृषि को और पुआल जलाने को दोषी नहीं
ठहराया जा सकता है !
6 दिसंबर 2017 वुधवार को जिस दिन भूकंप आया उस दिन प्रदूषण चर्म स्तर पर था भूकंप विस्फोट से पहले प्रदूषण की स्थिति अत्यंत भयावह थी !see more... http://epaper.livehindustan.com/story.aspx?id=2399131&boxid=109692870&ed_date=2017-12-6&ed_code=1&ed_page=3
ReplyDelete7दिसंबर 2017 बृहस्पति वार को प्रदूषण का स्तर बिल्कुल घट गया जबकि सरकारी और सामाजिक स्तर पर प्रदूषण घटाने के लिए एक दिन में ऐसे कोई नए प्रयास नहीं किए गए इसी प्रकार से इस एक दिन में प्रकृति में भी भूकंप को छोड़ कर ऐसा कोई विशेष परिवर्तन नहीं दिखा न हवा का वेग बढ़ा और न ही पानी बरसा जिन्हें प्रदूषण घटाने का श्रेय दिया जा सके इसलिए प्रदूषण घटाने के लिए जब ऐसे कोईप्रयास किए ही नहीं गए तब 7 तारीख़ को प्रदूषण का स्तर अचानक घटा कैसे ?वो भी इतना कि महीने भर में सबसे कम रहा क्यों ?
ReplyDeletesee more... http://epaper.livehindustan.com/epaper/Delhi-NCR/Delhi-NCR/2017-12-8/1/Page-4.html
प्रदूशण सबसे अधिक see more...http://mepaper.livehindustan.com/pagezoomsinwindows.php?id=2425649&boxid=98853906&cid=4&mod=&pagenum=6&edcode=1&pgdates=2017-12-18
ReplyDeleteअफगानिस्तान का नमक बढ़ा रहा राजधानी में प्रदूषण: स्टडी
ReplyDeletesee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/afghanistani-salt-is-responsible-for-delhi-pollution/articleshow/62139862.cms
दिल्ली वालों के प्रयास से प्रदूषण घटा है !see more....http://mepaper.livehindustan.com/?mainedition=Delhi&edname=Delhi&pgdate1=2018-01-11&edcode=1&strmmode=1&Page=7#
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