इस भूकंप का केंद्र लेह-लद्दाख रहा है। वहीं भूकंप के झटके मनाली, अनंतनाग और
श्रीनगर सहित जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के कई हिस्सों में भी महसूस किए गए।
जानिए इस भूकंप का फल -
इस समय भूकंप की सूचना के अनुशार इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों में इस समय उन्माद की मात्रा घटेगी ! प्राचीन विज्ञान के हिसाब से चंद्र किरणों के प्रभाव से यह भूकंप प्रकट हुआ है इसलिए 'चन्द्रज' भूकंप होने के कारण भूकंप प्रभावित क्षेत्र में अति वर्षा और बाढ़ बर्फवारी आदि की घटनाएँ बढ़ेंगी ! भूकंप का केंद्र चंद्र से संबंधित है इसलिए जल के संपर्क में अधिक रहने वाले लोग जल जनित बीमारियों के शिकार होंगे ! इन क्षेत्रों में तालाब आदि के संपर्क में रहने वाले लोग नहाने धोने एवं पीने के पानी का भी विशेष सतर्कता से प्रयोग करें!
कुल मिलाकर पानी के प्रदूषण से प्रदूषित वायु का स्पर्श होने से भी हो सकती हैं उल्टी दस्त एवं ज्वर जैसी अधिक दिनों तक चलने वाली कई बीमारियाँ !सरकार इनसे बचाव के लिए समय रहते यदि सचेत नहीं हो सकी तो उपर्युक्तसमय तक ये बीमारियाँ सरकार के नियंत्रण से बाहर भी जा सकती हैं !इस भूकंप से नदी के किनारे बसने वाले लोगों की क्षति होगी ।इस भूकंप का विशेष प्रभाव 7-12 -2018 तक रहेगा !किंतु जैसे जैसे समय बीतता जाएगा वैसे वैसे भूकंप का प्रभाव घटता जाएगा और भूकंप से सम्बंधित कही गई बातें भी सामान्य होती चली जाएँगी !जलजनित गैसों के प्रकोप से ये भूकम्प आया है और उन्हीं गैसों के प्रकोप से ज्वर आदि बीमारियाँ अचानक बढ़ती चली जाएँगी !जैसे जैसे समय बीतेगा वैसे वैसे स्थिति सामान्य होती जाएगी | पुनः इस भूकंप से नदी के किनारे बसने वाले लोगों की बहुत बड़ी क्षति होगी । जल जनित बीमारियों से बचने के लिए नदी तालाब आदि के जलों के संपर्क में रहने से अधिक से अधिक बचने का प्रयास करें
इस समय भूकंप की सूचना के अनुशार इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों में इस समय उन्माद की मात्रा घटेगी ! प्राचीन विज्ञान के हिसाब से चंद्र किरणों के प्रभाव से यह भूकंप प्रकट हुआ है इसलिए 'चन्द्रज' भूकंप होने के कारण भूकंप प्रभावित क्षेत्र में अति वर्षा और बाढ़ बर्फवारी आदि की घटनाएँ बढ़ेंगी ! भूकंप का केंद्र चंद्र से संबंधित है इसलिए जल के संपर्क में अधिक रहने वाले लोग जल जनित बीमारियों के शिकार होंगे ! इन क्षेत्रों में तालाब आदि के संपर्क में रहने वाले लोग नहाने धोने एवं पीने के पानी का भी विशेष सतर्कता से प्रयोग करें!
कुल मिलाकर पानी के प्रदूषण से प्रदूषित वायु का स्पर्श होने से भी हो सकती हैं उल्टी दस्त एवं ज्वर जैसी अधिक दिनों तक चलने वाली कई बीमारियाँ !सरकार इनसे बचाव के लिए समय रहते यदि सचेत नहीं हो सकी तो उपर्युक्तसमय तक ये बीमारियाँ सरकार के नियंत्रण से बाहर भी जा सकती हैं !इस भूकंप से नदी के किनारे बसने वाले लोगों की क्षति होगी ।इस भूकंप का विशेष प्रभाव 7-12 -2018 तक रहेगा !किंतु जैसे जैसे समय बीतता जाएगा वैसे वैसे भूकंप का प्रभाव घटता जाएगा और भूकंप से सम्बंधित कही गई बातें भी सामान्य होती चली जाएँगी !जलजनित गैसों के प्रकोप से ये भूकम्प आया है और उन्हीं गैसों के प्रकोप से ज्वर आदि बीमारियाँ अचानक बढ़ती चली जाएँगी !जैसे जैसे समय बीतेगा वैसे वैसे स्थिति सामान्य होती जाएगी | पुनः इस भूकंप से नदी के किनारे बसने वाले लोगों की बहुत बड़ी क्षति होगी । जल जनित बीमारियों से बचने के लिए नदी तालाब आदि के जलों के संपर्क में रहने से अधिक से अधिक बचने का प्रयास करें
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