ज्योतिष में एस्ट्रो अंकलों और आंटियों ने मचा रखी है हुड़दंग!क्या चिकित्सा में भी ऐसा होता हैइसीलिए चिकित्सा को अंध विश्वास कहने की किसी को हिम्मत नहीं है किंतु ज्योतिष बिना पढ़े लिखे टेलीवीजनीय लोगों ने ज्योतिष को बना दिया है पाखंड ! कैसे कैसे ज्योतिषी और कैसे कैसे पाखंड !सबकुछ बिल्कुल काल्पनिक ! "हाँ मैं भविष्य बदल सकता हूँ "कहने वाला कोई कितना ईमानदार होगा स्वयं सोचिए !कैसे कैसे लोगों ने जकड़ रखा है ज्योतिष को !भविष्यबकवासी अनपढ़ लोग भी अपने को कहने लगे हैं ज्योतिषी !ये केवल ज्योतिषियों सा अभिनय करते हैं टीवी पर !
चड्ढी बनियान जूते जुराब देखकर भविष्य बताने के बड़े बड़े दावे ठोंक रहे हैं लोग , नग नगीनों से बना आर्टिफीशियल भाग्य फिट करने की ट्राँसप्लांट तकनीक तक खोज ली है लोगों ने ,जैसा चाहो वैसा भाग्य बताने एवं बनाने की गारंटी ले लेते हैं झुट्ठे ! भाड़े के झुट्ठे झुट्ठियाँ बाँध रहे होते हैं तारीफों के पुल !राशिफली बकवास करना फैशन सा बनता जा रहा है जो झूठ है।
भाग्य बताने एवं बदलने की गारंटी ले रहे हैं लोग ! ,पत्थर पहनाकर भाग्य बदलने के स्पेशलिस्ट! वारे कलियुग !!आज ज्योतिष शास्त्र पाखंडों का पुलिंदा क्यों बनता जा रहा है ? इसीलिए ज्योतिष की भविष्यवाणियाँ अक्सर झूठ होने लगी हैं ?
ज्योतिष के जो वास्तविक विद्वान हैं वो परिश्रम पूर्वक समाज का कुछ भला कर सकते हैं किंतु समाज उन्हें अपने काम एवं उनके परिश्रम के अनुरूप पैसे नहीं देना चाहता है !और ज्योतिष के नाम पर जो लोग डरवा डरवा कर नग नगीना यंत्र ताबीजों कवचों कुण्डलों आदि को पहनाने के नाम पर मोटा मोटा धन ऐंठते हैं उन्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं होता है !
जब से टेलीवीजन आए तब से ज्योतिषी बनना वास्तव में
बहुत आसान हो गया है या यूँ कह लें कि ज्योतिष उद्योग के लिए टेलीवीजन बिलकुल वरदान की तरह साबित हुआ है !
पहले ज्योतिषी बनने के लिए वास्तव में ज्योतिष शास्त्र को पढ़ना पड़ता था वह बड़ा कठिन युग था मोटी मोटी किताबें पढ़नी पड़ती थीं!अब भी
जो लोग पढ़ते हैं वो पढ़ते पढ़ते ही समाप्त हो जाते हैं कभी अपनी पढ़ाई का सुख नहीं
भोग पाते हैं उनकी जिंदगी केवल दूसरों की सुख सुविधा तलाशने में बीत जाती
है।
कभी किसी का काम नहीं चल रहा है तो कभी किसी की शादी नहीं हो रही है और कभी किसी के
बच्चे नहीं हो रहे हैं! ऐसे ज्योतिष भोगी लोगों में भी जब तक जिसके पास पैसे रहते हैं तब तक वो डाक्टरों के यहाँ
वकीलों के यहाँ ,दलालों के यहाँ या पेशेवर ज्योतिषीय तस्करों के यहाँ खूब
लुटाता है धन और जब बिलकुल किसी लायक नहीं रह जाता है तब पत्नी परिवार को आगे
करके किसी पढ़े लिखे ज्योतिषी के पास पहुँच जाता है रोने धोने ! उस विद्वान के मन में अपने
प्रति दया भावना उत्पन्न करके, भविष्य में उसे बहुत कुछ देने का आश्वासन देकर ,उसे मित्र बना करके उससे कोई नाते रिश्तेदारी निकाल
करके या कुछ नहीं तो गुरू जी गुरू जी कहते हुए दुम हिलाकर बात बेबात की बनावटी हँसी हँसकर निकाल लेता है अपना
काम !
कितने भी विद्वान ज्योतिषी जी हों बहुत परिश्रम करके भी अच्छा बुरा समय
बता ही सकते हैं उसके कुछ उपाय बता सकते हैं किन्तु भाग्य बिलकुल बदल तो नहीं ही
सकते हैं इतना पढ़ने लिखने के बाद इतने बेशर्म तो वो हो भी नहीं सकते कि शराब पीकर अचानक कहने लगें Yes I Can change .
ऐसी परिस्थिति में जिसका काम
नहीं बनता है वो कल ज्योतिषी जी को क्यों याद रखे ज्योतिषी जी ने उसके लिए जो भी परिश्रम किया उसके किस काम का यदि उसका भाग्य नहीं बदल सके तो और जिसका काम बन जाता है
वो ज्योतिषी जी को याद इसलिए नहीं रखना चाहता है कि मुसीबत के समय
ज्योतिषी जी उसे मिले थे अब अच्छे दिनों में उन्हें देखने से वो यादें ताजा हो जाती हैं ऐसी
परिस्थिति में ज्योतिषी जी हर हाल में नुक्सान में ही रहते हैं दूसरी ओर
यदि वो ज्योतिष न पढ़े हों तो उनमें उतनी दया भावना नहीं होगी उनके पास जो भी आएगा उससे बड़ी निर्ममता पूर्वक Yes I Can change बोलकर पहले
ही वो सब कुछ ले लेते हैं जितना जो जो कुछ वो देने लायक रहता है बाद की आवश्यकता ही नहीं रहती है ।
इसलिए आज ज्योतिष के मामले में समाज भी दया करने लायक नहीं रह गया है शादी में वो लड़के लड़की का भविष्य तो ज्योतिषी के भरोसे छोड़ने की कपट पूर्ण बातें करता है किन्तु धन घोड़ी वाले को ,बाजा वालों को यहाँ तक कि हिजड़ों को दे देता है किन्तु ज्योतिषी के सामने दुम हिलाकर काम निकाल लेना चाहता है उन्हें हिजड़ों की कीमत तो समझ में आती है किन्तु ज्योतिषी की नहीं !
जीवन को व्यवस्थित करने में आने वाली कठिनाइयों एवं उनके उपायों को
परिश्रम पूर्वकखोजने वाले ज्योतिषियों के लिए वो गरीब हो जाते हैं इसके दुष्परिणाम तलाक रूप में सामने आते जा रहे हैं । इसी प्रकार से प्रॉपर्टी के विषय
में दलाली करने वाले लोगों का कमीशन लाखों में होता है वो दे देते हैं किन्तु मकान को घर बनाने की इच्छा रखने वाले वास्तु वेत्ता ज्योतिषियों को अपनी ख़ुशी से कुछ थोड़ा बहुत कृपा पूर्वक दे देना चाहते हैं परिणामतः उस मकान को घर बनाने की तमन्ना ज्योतिषी जी की अधूरी ही रह जाती है वो घर नहीं बना पाते हैं और न ही किचेन को रस पकने वाली रसोई बना पाते हैं अंततः किच किच
होने वाली किचेन ही बनी रहती है!क्योंकि पूर्ण विधि वो कर भी नहीं पाते हैं और यदि उनकी जगह कोई विद्वान न होकर ज्योतिषीय
तस्कर होता है तो वो बड़े सारे पैसे डरा धमका कर पहले ही ले लेता है!
मुख्य दिक्कत
यहाँ ये आती है कि ज्योतिष एवं वास्तु आदि का जो विद्वान होता है उसे समाज अपने काम के हिसाब से उसका उचित पारिश्रमिक नहीं देना चाहता है जबकि समस्याओं का समाधान वही कर सकता है किन्तु
उसे काम लायक उतने पैसे नहीं दिए जाते हैं इसलिए वो नहीं कर पाता है दूसरी ओर ज्योतिष एवं वास्तु के नाम पर जो मोटी मोटी वसूली कर रहे हैं उनके पास
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र की शिक्षा और अनुभव नहीं होता है इसलिए वो बेचारे कुछ करने लायक
होते ही नहीं हैं ।
अंततः दोनों ही परिस्थितियों में ज्योतिष विज्ञान का जो लाभ
समाज को मिलना चाहिए वो नहीं मिल पाता है और सब लोग मिलजुलकर कहने लगते हैं कि कलियुग में ज्योतिष सौ में सौ प्रतिशत गलत होती है !जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है क्योंकि इस परिस्थिति में तो दो लोभी चालाक लोगों में से एक ठगने को दूसरा ठगाने को तैयार रहता है किन्तु जहाँ ऐसा नहीं होता है वहाँ परिस्थिति कुछ और ही होती है वहाँ
ज्योतिषी से काम लेने वाला और ज्योतिष विद्वान दोनों की आँखें होती हैं वो
देख सकते हैं दोनों होश में होते हैं दोनों जीवित होते हैं दोनों दोनों की
परिस्थिति समझने को तैयार होते हैं वहाँ किसी में किसी को धोखा देने की भावना नहीं होती है इसलिए वहाँ परिणाम भी अच्छे निकल कर आते हैं ।
यदि आपको ज्योतिष का सच जानना है तो पढ़िए हमारा यह लेख-
ज्योतिष और भ्रम आखिर क्या सच है क्या झूठ ? ज्योतिष शास्त्र का परिचय एवं पाखंड
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- कितना पाखंड हो रहा है ज्योतिष जैसे शास्त्रों के नाम पर !
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