25-4-2015 को आए भूकंप का कारण 22-04-15 को आया भीषण आँधी तूफान ही तो नहीं था जानिए क्यों ?

चार प्रकार के भूकंपों में से नेपाल में आया भूकंप 'वायव्यभूकंप' था इसके आने का कारण ज्योतिष शास्त्र वायु देवता का प्रकोप मानता है,जानिए कैसे -
    25-4-2015 को दिन में 11.56 पर आए भूकंप का ज्योतिष की दृष्टि से मुख्यकारण 22-04-15 को नेपाल से आया भीषण आँधी तूफान ही था ! 
     बंधुओ ! वो भयंकर आँधी तूफान भी नेपाल से ही उठा था और भूकंप का केंद्र भी नेपाल में ही रहा !यथा -"केंद्र के निदेशक आरके गिरि का कहना है कि नेपाल में कम दबाव का क्षेत्र बना होने के कारण आंधी आई।" 
  'इस तूफान में 40 लोग बेमौत मारे गए। बड़ी संख्या में कच्चे-पक्के मकान और झोपड़ियों के गिरने की सूचना है।' बंधुओ !भयंकर तूफान की तरह ही भूकंप भी भयंकर था !
     बंधुओ ! वैसे भी भूकंप का मतलब धरती का हिलना ही नहीं अपितु धरती का काँपना भी होता है !जैसे शर्दी से ठिठुरता व्यक्ति बाहर की ठंडी हवा लगने से काँपने लगता है किंतु उस हवा का संबंध व्यक्ति के अंदर से न होकर अपितु शरीर में बाहर से लगने वाली ठंडी हवाओं से होता है !इसलिए इस कम्पन का कारण जैसे शरीर के अंदर नहीं अपितु बाहर माना जाता है इसीलिए ऐसे व्यक्ति की आतंरिक मेडिकल जाँच करने पर उसके काँपने का कारण पता लगा पाना जितना कठिन होता है उतना ही कठिन धरती के आतंरिक कारणों के आधार पर प्रत्येक भूकंप के कारण का पता लगाना होता है।धरती के अंदर की गैसों और प्लेटों का अध्ययन होना चाहिए किंतु बाह्य कारणों संकेतों को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए अपितु
बाह्य कारणों का भी अध्ययन किया जाना चाहिए ! क्योंकि हर भूकंप के कारण धरती के अंदर ही विद्यमान नहीं हो सकते !
     बंधुओ ! कंपन शर्दी से होता है, गर्मी से होता है, वायु से होता है, डर से हो सकता है, किसी और के धक्के से हो सकता है किंतु जैसे सर्दी के समय ठंडी हवाएँ लगने से यदि कोई काँपता है तो उसके काँपने का कारण बाहरी हवाएँ होती हैं न कि अंदर के कोई विकार ।इसलिए ऐसी परिस्थिति में उसकी चिकित्सकीय जाँच कितनी भी कैसी भी क्यों न करा ली जाए किंतु उन जाँच  रिपोर्टों से उस व्यक्ति के काँपने का कारण नहीं मालूम हो सकता है ठीक इसी प्रकार से धरती के काँपने का कारण भी केवल धरती के अंदर की प्लेटों और गैसों खोजा जाना संपूर्ण रूप से ठीक नहीं है मेरे कहने का अभिप्राय भूकंपन के कारण बाहर धरती के बाहर भी खोजे जाने चाहिए ।मित्रो ! एक ज्योतिष वैज्ञानिक होने की हैसियत से मैं कह सकता हूँ कि संपूर्ण सच्चाई इसके बिना सामने ला पाना कठिन ही नहीं असंभव भी हो सकता है ।  
     हमारा 'राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान ' ऐसे ही  विषयों के शास्त्रीय रिसर्च के प्रति संपूर्ण मनोयोग से लगातार लगा हुआ है जिसमें राजनैतिक सामाजिक पारिवारिक स्वास्थ्यसंबंधी ,वास्तु संबंधी ,मौसम संबंधी एवं भूकम्प जैसे महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित न्यूनाधिक रूप से कई गंभीर शोध पूर्ण कार्य किए गए हैं जिसके समाज हितकारी परिणाम निकट भविष्य में आने की प्रबल संभावना है उसी क्रम में किए गए शास्त्रीय शोध (रिसर्च) का यह भूकंप के विषयक रिसर्चवर्क आपके चिंतन के लिए सादर प्रस्तुत है -

    बंधुओ !मैं प्राचीन विज्ञान के द्वारा प्राप्त संकेतों के आधार पर कह सकता हूँ कि इस बार नेपाल से लेकर भारत तक आए इस भूकंप से पृथ्वी काँपी अवश्य है किन्तु  इसके कारण केवल पृथ्वी के अंदर उतने नहीं मिल सकेंगे जितने बाहर विद्यमान हैं । भारत के प्राचीन शास्त्रीय  विज्ञान से प्राप्त संकेतों के आधार पर यदि अनुमान लगाया जाए तो धरती के अंदर होने वाली हलचल या प्लेटों की असहजता की अपेक्षा इस बार  भूकंप के कारण  पृथ्वी के ऊपर के वायु संघातों में अधिक विद्यमान थे और वायु समूहों की आपसी टकराहट के कारण ही आया था ये भयावना भूकम्प । 
प्राचीन विज्ञान में जिन चार प्रकार के भूकंपों का वर्णन है वो इस प्रकार से हैं - 
      सामान्य रूप से वायु, अग्नि, इंद्र और वरुण इन चार को भूकम्पों  का कारण माना गया है जो समय समय पर पृथ्वी को कँपाते रहते हैं इन्हीं चारों के कारण  भूकंप आते हैं !  25- 4 -2015 को दिन में 11.56 पर आए भूकंप के लक्षणों का मिलान ज्योतिष शास्त्र के भूकंप लक्षणों से किए जाने पर नेपाल में आए हुए इस भूकंप को वायु प्रकोप से आया हुया भूकंप मानने के लिए पर्याप्त प्रमाण हैं जो कहीं भी आवश्यकता पड़ने पर प्रस्तुत किए जा सकते हैं ।  
वायु प्रकोप से आने वाले भूकंपों के शास्त्रीय लक्षण जानिए आप भी -
   " सूर्योदय से लेकर मध्यदिन अर्थात लगभग दिन के बारह बजे तक आने वाला भूकंप वायु देवता के प्रकोप से माना जाना चाहिए इसकी सूचना केन संकेत वायु देवता एक सप्ताह पहले सभी प्राणियों को दे देते हैं !सूचना के संकेत इस प्रकार के होते हैं -एक सप्ताह पहले से आकाश में धुआँ धुँआ सा दिखाई पड़ने लगता है ,नेपाल जैसा भयंकर भूकंप आने से एक सप्ताह पहले से भयंकर आँधी तूफान आने लगते हैं पृथ्वी से धूल उड़ाती हुई वृक्षों को तोड़ती तहस नहस करती हुई हवा अर्थात आँधी चलने लगती है सूर्य की किरणें मंद होने लग जाती हैं आनाज,जल और औषधियों का नाश होने लगता है, लोगों के शरीरों में सूजन होने लगती है,गले में सूखा  जमा हुआ सा बलगम बनने लगता है जो बहुत खाँसने पर भी निकालना कठिन होता है ,दमा होने लगता है,उन्माद रोग,ज्वर रोग तथा खाँसी से उत्पन्न पीड़ा होने लगती है । 
    ऐसे भूकंप आने के दिन से  तीसरे ,चौथे,सातवें,पंद्रहवें ,तीसवें  और पैंतालीसवें दिन भूकंप आने की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं और यदि ऐसा होता रहे तो इससे देश के राजा का विनाश होता है अर्थात देश के शासक के लिए बहुत हानि कर होता है जिसके प्रभाव की अवधि 180 दिनों की होती है अर्थात इतने दिनों तक विशेष सावधानी एवं धर्म कर्म पूर्वक पास किया जाना चाहिए ये समय !
      यह वायु जनित भूकंप होने के कारण सबसे अधिक भूभाग को प्रभावित करता है शेष भूकंप इससे कम क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। इस भूकंप के आने के कुछ निश्चित स्थान होते हैं जैसे अबकी बार आया ये भूकंप मगध अर्थात पटना, गया, नेपाल से बियतनाम तक का क्षेत्र  ,कुरुक्षेत्र,सौराष्ट्र ,दशार्ण अर्थात मध्य प्रदेश के विदिशाजिले  के आसपास का क्षेत्र और मत्स्य देश में विशेष प्रभाव डालता है । मत्स्य देश का केन्द्र आधुनिक जयपुर नगर है इसकी राजधानी विराटनगर थी।इस प्रकार से ये संपूर्ण क्षेत्र इस भूकंप से प्रभावित होता है ।ऐसा शास्त्र में वर्णन मिलता है । " 
इन शास्त्रीय लक्षणों में 25-4 -2015 के भूकंप में कितने मिलते हैं आप स्वयं देखिए और अनुभव कीजिए -
    बंधुओ !इन शास्त्रीय लक्षणों को मिलाकर यदि देखा जाए तो प्रकाशित समाचारों के आधार पर इस भूकंप में मिलते जुलते  ये लक्षण दिखाई पड़  रहे हैं जैसे शास्त्र में उपर्युक्त लक्षणों के विषय में लिखा गया है कि ये एक सप्ताह पहले से भयंकर आँधी तूफान आदि आने लगते हैं  तो यहाँ भी यह बड़ा भूकम्प आने के तीन दिन पहले अर्थात 22-04-15 को ही भयंकर तूफान आया था इस तूफान का उद्गम स्थल भी नेपाल में ही माना गया है "केंद्र के निदेशक आरके गिरि का कहना है कि नेपाल में कम दबाव का क्षेत्र बना होने के कारण आंधी आई।" बाद में यह तूफान जैसे जैसे जहाँ जहाँ जितने प्रभाव से गया भूकंप भी उसी नेपाल से उठा और तूफान वाले क्षेत्रों में कंपन करता चला गया था कुलमिलाकर जैसे तूफान से नेपाल और भारत दोनों प्रभावित हुए उसी प्रकार से भूकम्प से भी नेपाल और भारत दोनों प्रभावित हुए चूँकि भूकंप का केंद्र नेपाल था इसलिए उसका अधिक प्रभावित होना स्वाभाविक ही था ।         
तूफान के विषय में अखवारों में छपे समाचारों को पढ़िए और मिलाइए शास्त्रीय लक्षणों को -
मंगलवार की शाम नेपाल से आया था जानलेवा तूफान-
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरो
First Published: 22-04-15 11:34 PM
Last Updated: 22-04-15 11:34 PM
हर साल बिहार में बाढ़ से होने वाली तबाही का कारण बनने वाला नेपाल इस बार मानसून से पहले ही तूफानी तबाही दे गया। मंगलवार की शाम को नेपाल में कम दबाव के क्षेत्र के कारण उठे तूफान ने तीन घंटे के अंदर ही बिहार में बड़ी तबाही मचाई। इस तूफान में 40 लोग बेमौत मारे गए। बड़ी संख्या में कच्चे-पक्के मकान और झोपड़ियों के गिरने की सूचना है। फसलें भी बर्बाद हुई हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक नेपाल से चली आंधी (तूफान) शाम 7.30 बजे सीतामढ़ी के रास्ते बिहार में आई। महज दो घंटे 50 मिनट के अंदर ही इस आंधी ने आधा दर्जन से अधिक जिलों में तबाही मचा दी। केंद्र के निदेशक आरके गिरि का कहना है कि नेपाल में कम दबाव का क्षेत्र बना होने के कारण आंधी आई। हवा की रफ्तार 65 से 70 किमी. प्रति घंटे रही। यह सिस्टम बहुत ही कम समय में बना और उठ गया। 18/04/2014यूपी में तूफान और आंधी से 18 लोगों की मौत-

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