माननीय प्रधानमंत्री जी भारत सरकार
आपको सादर प्रणाम !
विषय - भारत के प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से भावी भूकंपों के अध्ययन के विषय में -
आपको सादर प्रणाम !
विषय - भारत के प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से भावी भूकंपों के अध्ययन के विषय में -
महोदय ,मैंने 'रामायण और ज्योतिष' के सम्बन्ध में BHU से Ph.D. की है !'राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान' नाम से मेरी संस्था है जिसके तत्वावधान में ज्योतिष आयुर्वेद जैसी प्राचीन विद्याओं के अनुशार विभिन्न विषयों पर शोध कार्य करने में संलग्न हूँ ।
इसी क्रम में 25-4-2015 को नेपाल में आए भूकंप पर कार्य प्रारंभ किया जिसमें कुछ ऐसे सूत्र मिले हैं जिनके आधार पर 25 अप्रैल से लेकर अभी तक हमारे ब्लॉगों पर कई लेख प्रकाशित किए हैं जो गूगलप्लस पर भी हमारे नाम से समय से पर अनेकों बार शेयर किए जाते रहे हैं जो अभी भी बिना किसी एडिटिंग के वहाँ पर उपलब्ध हैं !
उसमें महत्त्व पूर्ण बात ये है कि इन लेखों में प्राचीन विज्ञान से प्राप्त प्रमाण पूर्वक शास्त्रीय संकेतों के आधार पर मैंने लिखा था कि चूँकि "21-4-2015 को बिहार में तवाही मचाने वाला तूफान भी नेपाल से
ही उठा था इस तूफान के कारण ही भूकंप आया और 25-4-2015 को आए भूकंप का केंद्र भी नेपाल ही
बना ऐसा ज्योतिष शास्त्र का मानना है !यह भूकंप वायु देवता के प्रकोप से
आने के कारण शास्त्रों में वर्णित 'वायव्य' नाम का 'भूकम्प' था ।"चूँकि 25-4-2015 को नेपाल में भूकंप आया था इसलिए 8 - 10 जून के बीच आ सकते हैं विशेष भूकम्प कुछ लेखों में तूफान आदि प्राकृतिक उपद्रवों के विषय में भी कहा गया है आदि आदि !"
आदरणीय प्रधानमंत्री जी ! 10 जून को नेपाल में तीन भूकंप के झटके आए भारी बरसात एवं भू स्खलन से पाँच गाँव नष्ट हो गए जिसमें काफी लोग मारे गए हैं ! इस हिसाब से भूकंप के विषय में प्राप्त प्राचीन विज्ञान के ये शास्त्रीय संकेत सही होते दिख रहे हैं ! मेरा अनुमान है कि यदि इस विषय में और अधिक मनोयोग से काम किया जाए तो परिणाम कुछ और अच्छे आ सकते हैं जिसमें ज्योतिष एवं प्राकृतिक परिवर्तनों एवं पशु पक्षियों की चेष्टाओं का अध्ययन करना होगा ! जिसके लिए विशेष संसाधनों की आवश्यकता है । जो मेरे पास उपलब्ध नहीं हैं ।
दूसरी ओर सरकारी भूकंप विज्ञान विभाग के पास
सारे संसाधन उपलब्ध हैं बहुत लोग इस विषय पर काम करने के लिए लगे भी हुए
हैं जिनपर वृहती धनराशि खर्च होना स्वाभाविक है उस पर भूकम्प के विषय में उनका कहना है कि निश्चित तौर पर कुछ कह पाना कठिन है कोशिश की जा रही है ।
महोदय !ऐसी परिस्थिति में भारतवर्ष के प्राचीन शास्त्रीय विज्ञान के आधार पर भूकंपों के अध्ययन में सरकार से प्रार्थना है कि वो हमारे संस्थान को अनुग्रह पूर्वक सहयोग प्रदान करे ! निवेदक:- डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान
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