विवाह टूटने(तलाक) की घटनाएँ इतनी अधिक क्यों होती हैं आजकल !इसी विषय में ज्योतिषसंबंधी कुछ जरूरी बातें !

   विवाह बिचारने के विषय में ज्योतिषसंबंधी घटित होने वाली विद्वान ज्योतिषियों की कुछ मजबूरियाँ !  बंधुओ !यदि किसी को ज्योतिष संबंधी आवश्यकता है तो कंजूसी मत कीजिए क्वालिटी पकड़िए !क्वालिटी से समझौता करने का मतलब है आप स्वयं अपने और अपनों के पैरों में कुल्हाड़ी मार रहे हैं !वैसे तो हर किसी की कमाई में हर किसी का अपना अपना अंश होता है !         जो लोग डॉक्टरों वकीलों को तो उनका अंश दे देते हैं किंतु ज्योतिष विद्वानों को उनका अंश न देने के चक्कर में अनपढ़ लोगों से भविष्य पूछ लेते हैं उसका परिणाम यह होता है कि खराब कर बैठते  हैं अपनी और अपने बेटा बेटी बहुओं की जिंदगी !बाद में वे हमारे पास आए भी तो हम उतनी ही मदद कर सकते हैं जितनी किसी की हार्ट सर्जरी कराने के लिए किसी की चीड़ फाड़ करके घर से ही हॉस्पिटल ले जाए और हार्ट सर्जन से कहे कि इसे बचालो बाद में हम तुम्हें कुछ श्रद्धा से दे देंगे या खुश कर देंगे वही राजा महाराओं जैसी बात !वो डाक़्टर  सोचेगा कितना पागल आदमी है पहले तो केस बिगाड़ कर लाया है दूसरा दरिद्र आदमी आज जब इसे जरूरत है तब तो कंजूसी कर रहा है कल के लिए हमें वरदान देने पर तुला हुआ है अरे जिसे देना होगा आज देगा जब जरूरत है अन्यथा मन में कोई खोट है !दूसरी बात जब केस बिगड़ा  होता है तब मरीज की जान बचाने की पहली प्राथमिकता होती है तब पैसे नहीं देखे जाते !
     ऐसे ही बिना पढ़े लिखे ज्योतिषियों से बिगड़वाकर कर किसी विद्वान के पा ले जाए गए केसों में कंजूसी नहीं चलती !रो धो कर काम निकालने वाले चतुर कंजूस लोग ये जान नहीं पाते हैं कि उनके काम में कटौती कहाँ हो गई और कटौती हो जाती है कुल मिलकर विद्वानों को बेवकूप नहीं बनाया जा सकता है !
    जिस चतुराई के कारण महोदय एक नुक्सान पहले उठा आए थे उसी चतुराई के कारण  एक बाद में उठाना  पड़ा !इसका कारण पाप की कमाई कभी अपने एवं अपनों के काम नहीं आती है उसका भोग हमेंशा दूसरे लोग ही करते हैं !  
       विवाह -
    ज्योतिष के क्षेत्र में भी अपने कंजूस स्वभाव के कारण कोई पंडित पुजारी टाइप के कम पढ़े लिखे व्यक्ति से पूछकर यदि विवाह कर लिया हो एक दो बच्चे भी हो गए हों अब उनके आपसी संबंध बिगड़ने भी लगे हों ऐसे समय वो हैरान परेशान लोग हमारे पास ज्योतिष के लिए आवें भी तो आप सोचिए हम मदद करना चाहते हुए भी शादी को रिवर्स तो नहीं कर सकते !ऐसी परिस्थिति में उन्हें वहाँ ही व्यवस्थित करने की कोशिश करनी पड़ेगी !आखिर विवाह हो चुका है बच्चे भी तो हैं !तलाक देना या दिलाने से तो ऐसी समस्याओं का समाधान नहीं होता !
     कल्पना कीजिए कि ऐसे लोगों ने ज्योतिषियों की क्वालिटी से समझौता न किया होता अपनी कमाई में से उनका हिस्सा उन्हें दिया होता  तो ये संकट टाला भी जा सकता था और बचाई भी जा सकती थीं अपने बेटा  बेटी की जिंदगी की खुशियाँ !
     पैसे कम थे तो शादी में शराबपार्टी  थोड़ी कमजोर  हो जाती !भीड़ थोड़ी कम इकट्ठी कर लेते !पार्टी में अन्य जगहों पर पैसे का प्रदर्शन कम कर लेते !ज्वेलरी थोड़ी कम  बनवा लेते !ज्योतिषी की क्वालिटी मेनटेन कर लेते !    
   बंधुओ !शादी विवाह के प्रकरणों में पढ़े लिखे ज्योतिषी भी आपकी चालाकी देखकर गड़बड़ियाँ कर देते हैं !कंप्यूटर की कुंडलियों में उतनी एक्यूरेसी नहीं होती है कि उसके आधार पर भविष्य संबंधी कोई बड़ा फैसला लिया जा सके !यदि विद्वान सोचे कि कुंडली पंचांग से बना लूँ तो उसका पर्याप्त पारिश्रमिक  नहीं मिल रहा होता है ऊपर से लड़के लड़की की दोनों  कुण्डलियाँ बनानी पड़ेंगी फिर  मोटा मोटी पूरे जीवन का प्लस माइनस मिलाकर देखना होगा !इतने सारे काम के लिए भी उसकी फीस में कंजूसी तो वो भी कम्प्यूटर से ही गुण मिलाकर  दे देता है जाओ भुक्तो  !
   आखिर जब अपने बच्चों की परवाह ऐसे माता पिता को ही नहीं होती है तो कोई विद्वान अपना धर्म निबाहने केलिए किसी के लिए अपनी बलिकहाँ तक दे !
     कई लोग अपने बेटा  या बेटी के साथ विवाह   के लिए कोई दो डेट आफ बर्थ देंगे एक लड़के का और एक लड़की का किंतु फीस एक देंगे क्योंकि काम तो एक ही है बस वही शादी ही तो बिचरवाना है ऐसे दिखाएँगे जैसे बहुत छोटा सा काम हो !किंतु जानना दोनों के विषय में सब कुछ चाहेंगे संतान सुख ठीक है अब आप स्वयं सोचिए संतान क्या केवल एक को हो जाएगा देखना तो दोनों पड़ेगा और देखने के लिए बनाना भी पड़ेगा तभी तो देखेंगे !फिर पूछते हैं निर्वाह ठीक ठाक हो जाएगा !अरे शांति होगी तो दोनों ओर से और कलह होगा तो दोनों ओर से फिर एक कुंडली से कैसे बता दिया जाए निर्वाह कैसा होगा !ऐसे समय कंजूस लोगों के प्रकरण में ज्योतिष विद्वान् भी केवल खाना पूर्ति कर देते हैं और शादी के बाद जब बात बिगड़ जाती है तो कह देते हैं कि पति पत्नी का संबंध ऊपर  से बन कर आता है !
  अरे यदि ऐसा ही होता तो जो कई कई विवाह करते हैं वे क्या ऊपर से ही बनने के कारण होते हैं यदि हाँ तो कहना पड़ेगा कि फिर तो भगवान जी भी शरारती  हो गए !
     कई लोग तो अपने बेटा  बेटी से कुंडली मिलान कराने के लिए कई कई लड़के लड़कियों के डेट आफ बर्थ उठा लाते हैं ज्योतिष विद्वान् अगर सत्यता पूर्वक  ज्योतिषीधर्म का निर्वाह करना चाहे तो उसे सभी डेट आफ बर्थ की अलग अलग कुण्डलियाँ बनानी पड़ेंगी तब जा करके  मिलान किया जा सकेगा कि कौन कुंडली मिलती है कौन नहीं !कुंडली बिना बनाए तो पता लग नहीं सकता है किंतु सामने वाला सोचता है कि मैं सारी  कुण्डलियाँ बनवाकर क्यों दिखाऊँ नहीं मिली तो पैसे बेकार चले जाएँगे !वैसे भी ऐसे तो कितनी कुंडलियाँ लेकर दिखानी पड़ेंगी ऐसे हर डेट आफ बर्थ के हिसाब से फीस देंगे तो कैसे चलेगा किंतु इसके साथ साथ यह भी तो सोच लेना चाहिए कि जिसके बच्चे के जीवन से संबंधित निर्णय लिया जाना है यदि वही इतना कंजूस होगा  तो ज्योतिष विद्वान् नैतिकता के चक्कर में अपनी बलि क्यों देगा !
    ऐसी ही असावधानियों के कारण बिगड़ते हैं वैवाहिक सम्बन्ध !

ज्योतिष संबंधी विश्वासघातों से बचने के लिए आपलोग डॉक्टरों की तरह ही ज्योतिषियों को भी परखिए ! और दिखाइए उन्हें अपनी कुंडली और लीजिए ज्योतिष सम्बन्धी काम see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html-

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