ज्योतिषशास्त्र अंधविश्वास है नहीं अपितु बना दिया गया है !जानिए क्यों ?

   ज्योतिष की निंदा करने वाले या अंधविश्वास बताने वाले लोग केवल ज्योतिष की ओर ही नहीं अपनी ओर भी देखें कि क्या वे खुद इस लायक हैं कि ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिषी उनकी मदद करे !यदि न करे तो ज्योतिष झूठ !ज्योतिष के साथ ये कैसा न्याय ?कोई  डॉक्टर ऐसी हरकतें करने वालों को मुख लगा लेगा क्या ?जो विज्ञान की तरह ज्योतिष को मानते हैं वैज्ञानिकों की तरह ज्योतिष वैज्ञानिकों के साथ व्यवहार करते हैं उन्हीं को विज्ञान की तरह फल देता है ज्योतिष !
  समाज के सजीव लोग ही समझ सकेंगे इस शास्त्र विरोधी साजिश को !जिस दिन समझ लेंगे उस दिन विज्ञानमाने जाने  वाले कई क्षेत्रों की पोल खुल जाएगी ! 
     समाज की सोच में गुणवत्ता  की परख घटने के कारण उत्पन्न हुईं वर्तमान परिस्थितियों में ज्योतिषविज्ञान की ईमानदार सेवाएँ दे पाना ज्योतिष विद्वानों के बश का रहा नहीं !इसलिए ज्योतिष की सेवाएँ लेने और देने वालों में चल रहा है चतुराई चाटुकारिता पूर्वक फँसने फँसाने का खेल !उसी की सजा भोग रहा है ज्योतिष शास्त्र !
     ज्योतिष को मजाक या अंधविश्वास सिद्ध करने में किसका कितना योगदान !ज्योतिष का लाभ लेने और देने वाले दोनों ओर के झूठ कपट धोखाधड़ी आदि पाखंड ने ज्योतिष जैसे महान समय विज्ञान को अंध विश्वास बना दिया है !
      ज्योतिषशास्त्र की सच्चाई को यदि समाज कभी स्वीकार कर सकने की सामर्थ्य बना पाया और ज्योतिष शास्त्र के समर्पित साधकों ने यदि कभी हिम्मत बाँधी तो उस दिन समाज दंग रह जाएगा जिस दिन भूकंप विज्ञान की गुत्थी सुलझाएगा ज्योतिष शास्त्र !झूठे मौसम वक्ताओं को दर्पण दिखाएगा ज्योतिष विज्ञान !चिकित्साशास्त्र को समर्थ बनाएगा ज्योतिष ! मनोरोग एवं अवसाद तनाव आदि का पता लगाने के लिए मन में घुस कर चिंतन पथ की तलाशी लेगा ज्योतिषशास्त्र !समाज में बढ़ते अपराधों को घटाएगा ज्योतिष शास्त्र !टूटते विवाहों को बचाएगा ज्योतिष !बिखरते समाज को जोड़ेगा ज्योतिष !
    ऐसे प्रत्येक विषय में हमारा रिसर्च लगभग पूरा हो चुका है अब उसका प्रभावी विस्फोट करने के लिए जिस आर्थिक अंबार की आवश्यकता है वो सरकार देगी नहीं क्योंकि वो ज्योतिष को विज्ञान मानती नहीं उसके वैज्ञानिक मानें तो सरकार माने क्योंकि सरकार के अपने आँख कान होते नहीं हैं !और इन विषयों से जुड़े वैज्ञानिकों से ये आशा कैसे कर ली जाए कि वो ज्योतिष को विज्ञान मान लेंगे !ये सच है आफिस केवल लंच करने आने वाला जो वर्ग अभी तक जिन विषयों को बिल्कुल नहीं जानता फिर भी भारी भरकम सैलरी लेता है और ऊपर से वैज्ञानिक कहा जाता है ये वर्ग यदि ज्योतिष को विज्ञान मान ही लेगा तो सच्चाई सामने आ जाएगी कि इन विषयों के वैज्ञानिकों को इन विषयों में कुछ पता ही नहीं है और न ही इसकी  रिसर्च में वो कोई विशेष रूचि ले रहे हैं न ही उनके इन विषयों में कोई विशेष प्रयास ही किए जा रहे हैं !भूकंप के लिए जमीन  में गड्ढे खोदना फिर मिटटी भर के समय पास करने के आलावा इसका और कोई उद्देश्य हो ही नहीं सकता !पृथ्वी के गर्भ में घुस पाना उनके वश का है नहीं !मौसम वाले जब पानी बरसते देखते हैं तो कहते हैं कि अभी और बरसेगा जब धूप निकल आती है तो कहने लगते हैं अब नहीं बरसेगा !इसमें विज्ञान है कहाँ !ऐसे तीर तुक्के लगाने वाले वैज्ञानिक  ज्योतिष शास्त्र अंध विश्वास !RTI तक डालने पर सही जानकारी नहीं देते हैं कि इन विषयों के विकास के लिए वे आखिर कर क्या रहे हैं कहते हैं बेवसाइट देख लो !वहां इन विषयों के जवाब नहीं हैं !
     समाज को ये जानने का अधिकार है कि मौसम विभाग के पास ऐसी कौन सी पद्धति है जिसके आधार पर वो कुछ महीने पहले के मौसम को बता सकता है और वो कितने प्रतिशत सही घटित होगा ! वर्षा ऋतू में वर्षा अच्छी होगी इसकी घोषणा अप्रैल में किस आधार पर कर देता है मौसम विभाग !
   इसीलिए तो वैज्ञानिक यदि ज्योतिष को विज्ञान मान ही लेंगे तो मौसम विभाग की झूठी  भविष्य वाणियाँ और  भूकंप आने के विषय में मन गढंत बातें बताने वालों की दुकानें कितने दिन चल पाएँगी !लाखों रूपए सैलरी पाने का अपना खेल आखिर कोई अपने हाथों क्यों बिगाड़ेगा !चिकित्सक सौ रोगियों का एक जैसा इलाज करते हैं कुछ स्वस्थ हो जाते  हैं कुछ अस्वस्थ रहते हैं कुछ मर जाते हैं !ज्योतिष को अंध विश्वास बाटने वाले उनसे पूछने की हिम्मत कर पाएँगे क्या कि उन्होंने इलाज जब एक जैसा किया तो परिणाम अलग अलग क्यों ?दूसरी बात जो स्वस्थ हो गए या जो मर गए दोनों में से किसे अपने प्रयास का फल मानते हैं चिकित्सक !जो स्वस्थ हो गए उसका श्रेय खुद ले लेते हैं और जो मर गए उसके लिए कुदरत को जिम्मेदार ठहरा देते हैं आखिर उसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार क्यों नहीं ?या फिर स्वस्थ और अस्वस्थ दोनों के लिए  ही कुदरत ही जिम्मेदार है तो चिकित्सा की भूमिका क्या है ?इसका पोल खोलेगा ज्योतिष शास्त्र !बहुत जल्दी समय एकदिन  ऐसा भी आएगा जब ज्योतिष को अंध विश्वास कहने वाला वर्तमान विज्ञान ज्योतिष के पीछे खड़ा मिलेगा !समय का पूर्वानुमान ज्योतिष के अलावा लगाएगा कौन और उसका आधार क्या  होगा !     
   समाज की सोच में गुणवत्ता  की परख घटने के कारण उत्पन्न हुईं वर्तमान परिस्थितियों में ज्योतिषविज्ञान की ईमानदार सेवाएँ दे पाना ज्योतिष विद्वानों के बश का रहा नहीं !इसलिए ज्योतिष की सेवाएँ लेने और देने वालों में चल रहा है चतुराई चाटुकारिता पूर्वक फँसने फँसाने का खेल !उसी की सजा भोग रहा है ज्योतिष शास्त्र !
     ज्योतिष को मजाक या अंधविश्वास सिद्ध करने में किसका कितना योगदान !ज्योतिष का लाभ लेने और देने वाले पाखंडियों ने पाखंड बना दिया ज्योतिष विज्ञान !जानिए क्यों ?
  • सरकार ने BHU जैसे  विश्व विद्यालय खोल रखे हैं जहाँ अन्य सब्जेक्ट की तरह ही ज्योतिष का भी डिपार्टमेंट हैं पाठ्यक्रम है रीडर प्रोफेसर होते हैं कक्षाएँ चलती हैं परीक्षाएँ होती हैं M.A , Ph.D.आदि सब कुछ मेडिकल आदि सामान्य विषयों की तरह ही होता है !ज्योतिषियों में भी ये योग्यता देखी जानी चाहिए !
  • अपनी कंजूसी दरिद्रता लापरवाही चतुराई आदि के कारण ज्योतिष जैसे विज्ञान को समाज ने इतना ज्यादा बेइज्जत कर दिया है कि थोड़े भी संपन्न माता पिता अपने बच्चे को संस्कृत(ज्योतिष) आदि पढ़ाना ही नहीं चाहते !ऐसी परिस्थिति में पढ़े लिखे विद्वान ज्योतिषी मिलें कैसे ?आवें कहाँ से ?
  • थोड़े भी बुद्धिमान बच्चे संस्कृत(ज्योतिष)इसलिए नहीं पढ़ना चाहते कि इतना भयंकर परिश्रम करके भी मिलेगा क्या ?समाज की तुच्छ श्रद्धा !बची खुची चीजों का दान ! दरिद्रों ,कंजूसों ,चालाकों और हेराफेरी करने वालों का कपटपूर्ण व्यवहार रोना आदि सबकुछ !
  • थोड़े भी ईमानदार लोग ज्योतिष नहीं पढ़ना चाहते क्योंकि ज्योतिष के सामाजिक क्षेत्र में बेईमानों ने इतना गंध घोल रखा है कि ईमानदारी पूर्वक ज्योतिष सेवाएँ देने वाले लोगों की रोजी रोटी तक निकलना कठिन हो जाता है और और  बेईमानी धोखाधड़ी आदि करना उनके  स्वभाव में नहीं होता !
  • संपन्न स्वस्थ और सुखी लोग ज्योतिष पर भरोसा या तो करते नहीं हैं या फिर ज्योतिष के नामपर ऐसे फ्रॉड लोगों पर भरोसा कर लेते हैं जिनका ज्योतिष से कोई लेनादेना जरूर नहीं होता किन्तु जब तक खून रहता है तब तक वे चूँसा जरूर करते हैं !उनकी ज्योतिष सब्जेक्ट की क्वालीफिकेशन बिल्कुल जीरो होती हैं किंतु उनके  दिन भर ज्योतिष! ज्योतिष! भौंकने से कुछ लोग उन्हें ज्योतिषी समझने की भूल कर बैठते हैं !ऐसे लोग टीवी चैनलों अखवारों में छाए रहते हैं कुछ भी बकें सब ज्योतिष !
  • लुटेरों का अपना कोई सब्जेक्ट नहीं होता जहाँ से धन नोच पावें वही उनका सब्जेक्ट !चैनस्नैचिंग करें या ज्योतिषस्नैचिंग लुटेरों का लक्ष्य तो केवल लूट का लाभ लेना होता है बस ! उन्हें न पहचान पाने वाले फँस ही जाते हैं उनके चंगुल में !
  • धनवान लोग तब तक धनवान ज्योतिषियों को पकड़ते हैं जब तक उनके पास धन रहता है जब वो सब निचोड़ लेते हैं तब कहते घूमते हैं बड़े बड़े ज्योतिषियों को हमने देख लिया यह कहते हुए उन लुटेरों के नाम गिनाने लगते हैं जिनके पास ज्योतिष की कोई क्वालिफिकेशन ही नहीं होती !ऐसे लोगों से धोखा खाकर ज्योतिष को झूठ बताने लगते हैं बेशर्म !जब वे ज्योतिषी थे ही नहीं फिर भी ज्योतिष की निंदा!
  • रोग होने पर जिस रोग से मुक्ति के लिए लोग चिकित्सकों को लाखों रूपए लुटाने को तैयार रहते हैं वहीँ ज्योतिष वैज्ञानिकों के पास पहुँचकर उनका पारिश्रमिक न देने के बहाने नाते रिस्तेदारी पूर्व परिचय खोजने लगते हैं !आखिर ज्योतिष वैज्ञानिकों से ही ऐसी अपेक्षाएँ क्यों ?
  • जीवन में जितनी मेहनत करके एक आदमी धन कमाता है दूसरा ज्योतिष जैसी  अध्ययन करता है !उसकी कमाई हुई विद्या का लाभ लेने के लालची लोग बदले में अपना कमाया हुआ धन क्यों नहीं देना चाहते हैं वो भी अपने और अपनों का भविष्य जानने जाते हैं  ,ऐसे कंजूस लोगों की उपेक्षा ज्योतिषी भी करते हैं बेमन किया हुआ काम यदि थोड़ा भी गलत हुआ तो सारा जीवन बिगड़ जाएगा !किंतु कंजूस  लोग अपनी और अपनों की जिंदगी बर्बाद करने को तैया रहते हैं किंतु धन नहीं खर्च करना चाहते !
  • विशेष बात ये है कि ऐसी परिस्थिति में मदद करने की इच्छा रखने वाले योग्य ज्योतिषी लोग भी समाज से दूरी बनाने लग जाते हैं या परिश्रम करना छोड़ देते हैं या जैसा सब कर रहे हैं वैसा करने लग जाते हैं !क्वालिटी आवे कहाँ से ! 
     मौसम बताने वाले भूकंप भविष्यवाणियाँ करने वाले हमेंशा झूठ बोलते हैं फिर भी लोग उनके सौबजेक्ट को कभी अंध विश्वास  नहीं कहते क्योंकि वे समाज को नहीं सरकार को लूटते हैं और सरकार का पैसा समाज का होता है इसलिए सरकार को भी लुटवाने में आनंद आता है !ज्योतिष सरकार एवं समाज दोनों की उपेक्षा का शिकार है इसके बाद भी आज तक न केवल सुरक्षित है अपितु अपना गौरव बनाए हुए है ये कम है क्या ?


 वस्तुतः हमें ज्योतिषशास्त्र  के साथ  जैसा अपनेपन का वर्ताव करना चाहिए वो तो हम कर नहीं पाते हैं किंतु ज्योतिषऔर ज्योतिष विद्वानों से अपेक्षा उतनी ही रखते हैं !इसलिए अंधविश्वास लगनेलगती हैज्योतिष !
      ज्योतिष एक शास्त्र है शास्त्र एक यंत्र की तरह होता है जैसे कोई बल्व लगाते समय यदि थोड़ी भी कमी छूट जाए तो जैसे  नहीं जलता है वैसे ही किसी भी ज्योतिषी  के द्वारा किसी भी समस्या के समाधान की गणित करते समय यदि थोड़ी भी कमी छूट जाती है तो जैसे बल्व नहीं जलता है वैसे ही ज्योतिष  समाधान नहीं निकलता है |
 जैसे योग्य मैकेनिक बार बार प्रयास करके भी अपनी कमी खोज ही लेता है किंतु अयोग्य मिस्त्री असफल होने पर सबकुछ भाग्य पर छोड़कर चल देता है कि आपके भाग्य में बदा ही ऐसा है इसलिए ये बल्ब ही खराब है या आपका घर ही ठीक नहीं है आदि आदि और भी बहुत सारी बिना सिर पैर की ऊल जुलूल बातें !
     योग्य मैकेनिक को भी सोचना पड़ता है कि इस बल्व के न जलने में कारण क्या है और कारण पता लगे तो  निवारण के विषय में सोचा जाए किंतु इन दोनों प्रक्रियाओं में जो समय और परिश्रम लगने की संभावना होती है उसका पारिश्रमिक सामने वाला दे सकता है या नहीं यदि लगा कि दे सकता है तब तो वो जी जान लगा कर रिजल्ट देने की कोशिश करता है और यदि संदेह हुआ तो हाथ खड़े कर देता है व्यस्तता बता देता है आदि आदि !
        " जैसा बल्व वैसा प्रकाश " के सिद्धांत से ज्योतिष के सुयोग्य विद्वानों को जैसी फीस वैसा काम !जीरो वॉड का बल्व लगाकर अधिक प्रकाश की अपेक्षा कैसे की जा सकती है !ऊपर से ये सोचना कि वे तो बहुत योग्य हैं इसलिए अच्छा बता ही देंगे बाद में हम कुछ भी पकड़ा देंगे किंतु  वे भी मुख्य बात मनोनुकूल फीस मिलने के बाद ही बताते हैं अन्यथा दबा जाते हैं !

    ऐसी परिस्थिति में योग्य लोगों के पास पहुँचकर भी कंजूस या परिचित लोग ज्योतिष के सुयोग्य विद्वानों की योग्यता का लाभ नहीं ले पाते हैं !बाद में कहते घूमते हैं कि वो तो बहुत योग्य हैं उनकी भी बात गलत हो गई !किंतु सोचना ये चाहिए कि जब उन्होंने आपके प्रश्न में अपनी योग्यता लगाई ही नहीं तो उसका लाभ आपको कैसे मिले !
   अथाह जल रखने वाला समुद्र भी जितना बड़ा पात्र लेकर जाओ उतना ही जल देता है तो ज्योतिषी को कम पारिश्रमिक देकर उसकी सम्पूर्ण योग्यता का लाभ कैसे लिया जा सकता है |
   सुनार के पास बहुत सोना होता है जौहरी के पास बहुत नग नगीने होते हैं हलवाइयों के पास बहुत मिठाइयाँ होती हैं ऐसी बहुत सारी सुख सुविधा की चीजें बहुत लोगों के पास होती हैं किंतु वे उसकी अपनी होती हैं 
क्या वे फ्री में दे देते हैं या आप अपनी श्रद्धा से जो कुछ दे देते हैं उसी में वे दे देते हैं क्या ?क्या उसके लिए पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती है क्या ?फिर ज्योतिष में मानक  बदल क्यों जाते हैं ? ऐसे व्यवहारों से लगता है कि ज्योतिष के प्रति जिनके मनमें इतनी उपेक्षा की भावना हो ऐसे लोगों की ज्योतिषविद्वान यदि मदद करना भी चाहें तो नहीं कर सकते !उसमें सैकड़ों गलतियों रहने की संभावनाएँ रहेंगी ही !
   जिसने जो योग्यता या व्यवसाय संघर्ष पूर्वक परिश्रम से या धन आदि से अर्जित की है वो उसकी अपनी सम्पत्ति है जो उसका सब कुछ होती है जो उसके जीवन यापन का आधार होती है जो उसके स्वप्नों को साकार करने का साधन होती है जो उसके परिवार का भरण पोषण करने की आशा होती है !उसे यदि वो फ्री बाँटने लगेगा तो उसका अपना सबकुछ बिगड़ जाएगा और जो अपना सबकुछ बिगाड़ने का साहस रखता हो ऐसे आत्मघाती ज्योतिषी से समाज को कोई उम्मींद नहीं रखनी चाहिए !जो अपने विषय में न सोच सका अपने परिवार के विषय में न सोच सका वो किसी और के विषय में क्यों सोचेगा ?
    जहाँ तक परिचितों व्यवहारियों या नाते रिश्तेदारों को फ्री सेवा देने की बात है तो क्वालिटी उसमें भी नहीं आ पाती क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या हर किसी ज्योतिषी के पास बहुत होती है फ्री सेवा लोभ से स्वार्थी लोग बड़ी दूर दूर की रिस्तेदारियाँ परिचय आदि निकाल कर चले जाते हैं ज्योतिषियों के पास ! एक पत्री या समस्या पर यदि उसे एक घंटा नियमतः समय देना चाहिए तो वो सबके साथ ऐसा कर पाना कैसे संभव है !ऐसी परिस्थिति में  जानते हुए भी कि कम्प्यूटर में पूर्ण सच्चाई नहीं है फिर भी मजबूरी में लेना पड़ता है उसका सहारा ! अपनी झूठी शौक शान बनाने के लिए हजारों लाखों खर्च कर देने वाले लोग  ज्योतिष के माध्यम से अपनी सुख सुविधाएँ जुटाने एवं दुःख दर्द घटाने के लिए यदि स्वयं नहीं सोचते तो ऐसे लोगों के विषय में ज्योतिषी ही क्यों सोचें !
   घर खरीदवाने या विवाह करवाने वालों को लाखों रूपए दलाली दे देने वाले लोग भी उस घर में सुख सुविधा पूर्वक रहने के प्रयत्न करने वाले या विवाह सुख शान्ति पूर्वक निर्वाह करने के लिए आवश्यक एवं उचित प्रयास करने वाले ज्योतिष विद्वानों को उचित पारिश्रमिक नहीं देना चाहते जिसका परिणाम है विवाह के साथ बढ़ती तलाक की घटनाएँ एवं घर बनने के साथ ही घर में कलह की बढ़ती समस्याएँ !जैसों के साथ तैसा होता चला जा रहा है !
   अब बात गरीब हैरान परेशान लोगों को  फ्री सेवाएँ देने की ऐसा कर पाना भी संभव नहीं है!वस्तुतः उनके लिए इतना परिश्रम कौन करे कैसे करे क्यों करे !क्योंकि ये वर्ग जब तक गरीब रहता है तब तक ज्योतिष विद्वानों के पैर पकड़ कर रो गिड़गिड़ाकर अपने काम करवाता रहता है किंतु जब इस वर्ग का थोड़ा विकास हो जाता है तब मित्रता दिखाते हुए  हाथ  पकड़कर यारी दोस्ती में काम करवा लेता है और जब अधिकविकास कर लेता है तब ज्योतिषी के कान पकड़ कर रईसत के रुआब में काम करवा लेना चाहता है  !ज्योतिष वैज्ञानिकों की  उपेक्षा करने लगता है उन्हें अपमानित करने लगता है ऐसी  दुर्घटनाओं से निरंतर चोट खाए हुए सुयोग्य ज्योतिष विद्वान सभी गरीबों को इसी दृष्टि से देखने लगते हैं और सबसे अरुचि करने लगते हैं धीरे धीरे उनके प्रति भी दया भावना मरने लग जाती है !
    ज्योतिष विद्वानों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि अधिक से अधिक लोगों को ईमानदार ज्योतिष सेवाएँ उपलब्ध करवाने के लिए धन हो तो कुछ सुयोग्य सहयोगी रख ले किंतु फ्री वालों के लिए ऐसा कर पाना कैसे संभव है |फ्री वालों में सबसे बड़ी बीमारी ये होती है कि उन्हें लगता है कि मेरे अलावा तो इन्हें सब कोई देता ही है मेरे अलावा इतना बड़ा व्यवहारी मित्र नाते रिस्तेदार आदि इनका और दूसरा कोई होगा ही नहीं क्या मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते किन्तु वो अपनी और कभी नहीं देखना चाहता है कि मैं इनके लिए क्या करता हूँ !ज्योतिष सेवाएँ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचें इसमें सहयोग करने की जिम्मेदारी तो उसकी भी होनी चाहिए !केवल स्वार्थ साधन के लिए सम्पर्क !ज्योतिष शास्त्र को अपमानित करवाने में इस वर्ग की बहुत बड़ी भूमिका है ऐसे लोगों के कारण ही विद्वान् लोगअपने कार्य क्षेत्र से अरुचि करने लगते हैं | 

  ईमानदार  ज्योतिष सेवाएँ अधिक से अधिक लोगों को उपलब्ध करवाने के लिए ज्योतिष विद्वानों का सहयोग लेना होगा उन्हें धन कैसे और कहाँ से दिया जाएगा इसलिए झूठ बोलना योग्य लोगों की भी मजबूरी होती है कुल मिलाकर कंजूस और दरिद्र लोग बड़े बड़े ज्योतिष विद्वानों को झूठ बोलना सिखा लेते हैं फिर उनसे अपने साथ सच्चे व्यवहार की अपेक्षा रखते हैं क्या ये संभव है ? 
   ऐसे लोग अपने दुर्गुणों की ओर न देखकर केवल ज्योतिष विद्वानों से ईमानदारी के अपेक्षा रखते हैं अन्यथा ज्योतिष और ज्योतिष  विद्वानों की निंदा करने लगते हैं |
    मोची से हार्टसर्जरी करवाकर असफल होने पर  जैसे हार्टसर्जरी की पद्धति को ये दोषी मान लेते हैं उसी प्रकार से झोलाछाप ज्योतिषियों के षड्यंत्रों में फँसने वाले लोग ज्योतिष को दोष देने लगते हैं! क्योंकि इतना दिमाग तो उन्हें स्वयं भी लगाना ही चाहिए कि बबूल का पेड़ लगाकर उससे आम खाने की आशा नहीं की जा सकती !
     जैसे योग्य डाक्टरों की सेवाएँ  फ्री में या श्रद्धानुशार शुल्क चुकाकर नहीं मिल सकतीं फिर ज्योतिष विद्वानों से ऐसी अपेक्षा क्यों ?

    इसलिए योग्य ज्योतिषियों से ईमानदार सेवाएँ लेने के लिए ज्योतिषियों की ज्योतिष क्वलीफिकेश अवश्य चेक करनी चाहिए एवं उनके द्वारा निर्धारित किया गया उनका पारिश्रमिक अवश्य देना चाहिए ताकि अपने सबके पूर्वजों की विद्या ज्योतिष शास्त्र जैसे महान विज्ञान को सुरक्षित रखने सम्बन्धी अपनी भूमिका का वे सफलता पूर्वक निर्वहन कर सकें !
 इसी विषय में पढ़ें हमारा अत्यंत जरूरी यह लेख भी और समझें ज्योतिष एवं ज्योतिषियों की वास्तविकता -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_699.html
  

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