वैदिक विज्ञान
प्राकृतिक घटनाओं से सम्बंधित पूर्वानुमान लगाने के लिए वो वास्तविक
प्रमाणित विज्ञान विधा है जिसने सबसे पहले सूर्य चंद्र ग्रहण जैसी आकाशीय
घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया था तब तो आधुनिक विज्ञान का जन्म भी नहीं हुआ
था !
वैसे भी वर्षा बाढ़ आँधी तूफान जैसे विषयों में दीर्घकालिक पूर्वानुमान लगाने के लिए यही प्राचीन वैदिक विज्ञान ही सबसे अधिक प्रमाणित एवं उपयुक्त है!आधुनिक विधा से की गई दीर्घकालिक भविष्यवाणियाँ इसीलिए तो सच नहीं हो पाती हैं !मध्यकालिक कुछ सच हो भी जाती हैं !यद्यपि अल्पावधि के पूर्वानुमान सच होने का अनुपात कुछ अधिक है किंतु यह अवधि इतनी कम होती है कि यह न कृषि के लिए उपयोगी रह जाती है और न ही किसानों के किसी उपयोग में आ पाती है !
इसके साथ ही किसी किसी वर्ष घटित होने वाली कुछ विशेष प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का का पूर्वानुमान लगाना तो दूर उसके घटित होने का उचित कारण भी पता नहीं लग पता है !-
सं 2016 में घटित हुई आग लगने की हजारों घटनाएँ एवं उस वर्ष हुए भयंकर जल संकट का न तो पूर्वानुमान खोजा जा सका और न ही उस वर्ष ऐसा होने का उचित प्रामाणिक एवं पारदर्शी कारण !
इसी प्रकार से सं 2018 में घटित हुई आँधी की विशेष भयानक घटनाओं का
भी न तो पूर्वानुमान बताया जा सका था और न ही इसी वर्ष ऐसा होने का उचित
प्रामाणिक एवं पारदर्शी कारण !
ऐसे ही अनुत्तरित प्रश्नों के उचित प्रामाणिक एवं पारदर्शी कारण खोजने के लिए मैं पिछले लगभग 20 वर्षों से उसी प्राचीन वैदिक विधा के द्वारा अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ जिसमें प्राकृतिक आपदाओं संबंधी पूर्वानुमान लगाने के विषय में कई बड़ी सफलताएँ मिली हैं जो किसी भी कसौटी पर कसे जाने योग्य हैं !
भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान छोड़कर बाकी बहुत कुछ उसी प्राचीन वैदिक विधा के द्वारा जाना जा चुका है जो पूर्वानुमानों के घटित होने की प्रतीक्षा में है उसे उचित समय आने पर साक्ष्यों सहित प्रस्तुत कर दिया जाएगा ! मेरा मानना है कि जिस गणित के द्वारा सुदूर आकाश में स्थित
सूर्य और चंद्र के ग्रहणों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है उस ग्रह गणित
के द्वारा भूकंप आँधी और वर्षा बाढ़ जैसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लेना
इसमें आश्चर्य की बात क्या है !
यह सच है कि भारत की मौसम पूर्वानुमान संबंधी प्राचीन विधा सरकार और समाज
की उपेक्षा की शिकार निरंतर होती रही है !इस युग में ऐसी विधा के द्वारा
संसाधनों के अभाव में शोध करना कितना कठिन होता है इसके बाद भी पिछले लगभग
20 वर्षों से मेरी यह अनुसंधान यात्रा निरंतर जारी है !तमाम कठिनाइयों के
बाद भी मुझे पूर्ण विश्वास है कि वर्षा भूकंप आदि
प्राकृतिक घटनाओं के रहस्य को उद्घाटित करने में विश्व की किसी अन्यविधा की
अपेक्षा वैदिक विज्ञान की यह विधा पहले सफल होगी !इसी आशा में -
भवदीय -
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
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