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भगवान बचावे मलमल बाबाओं की कल्पित एवं शौकीन शक्तियों के आडंबर से -
ऐसे मलमल बाबाओं की कल्पित शक्तियाँ न
केवल बड़ी चटोरी हैं अपितु शौक़ीन एवं फैशनेबल भी हैं वो गोल गप्पे तो माँगती
ही हैं साथ ही पर्स दुपट्टा क्रीम भी मँगवाती हैं!मलमल बाबाओं एवं अशास्त्रीय ज्योतिषियों की निराधार बकवास देश के धार्मिक एवं शास्त्रीय ताने बाने को रौंदती चली जा रही है !
बंधुओ!जिन्होंने ज्योतिष नहीं पढ़ी वे कंप्यूटर लिए बैठे हैं और जिन्होंने ग्रहों की शांति के लिए शास्त्रीय वैदिक उपाय करने के लिए 'ग्रहशांति' जैसे मंत्रग्रंथों को नहीं पढ़ा वे उपायों के नाम पर कौवे कुत्ते तीतर बटेर चीटी चमगादड़ों के उपाय बताते घूम रहे हैं जिन्होंने फलित ग्रन्थ नहीं पढ़े वे कल्पित राशिफलों को दिन में कई कई बार कई कई प्रकार से अलग अलग लोग जो मुख में आया सो बेधड़क फ़ेंकते जा रहे हैं ,कोई गाली देने का आदती कुशल शराबी दम भर शराब पीकर जितनी जल्दी गालियाँ नहीं दे सकता उससे जल्दी टीवीज्योतिषकर्मी सैकड़ों जन्मों का हाल एक साँस में विधउपाय बक जाते हैं केवल अँगूठी बेचने के लिए एक मजबूत जगह टाँग फँसाकर बैठ जाते हैं जो बहम मछली के काँटे से अधिक फँसावदार होता है जो बिना मांस(धन)नोचे निकलता नहीं है ।
ऐसे बाबाओं ज्योतिषकर्मियों की मन गढंत कहानियों उपायों पाखंडों एवं बकवासों ने शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान देवी देवताओं पूजा पाठ एवं हिंदू धर्म निष्ठा को बुरी तरह रौंदा है जो मुख में आता है सो बेझिझक बक देते हैं ये लोग और उसी को धर्म बता देते हैं आखिर आम समाज इतना नासमझ क्यों है कि उन बातों को धर्म मान लेते हैं लोग !
अरे!हिंदुओ आपका धर्म मन गढंत नहीं है वेदों शास्त्रों पुराणों उपनिषदों रामायणों की असीम पूँजी आपके पूर्वजों की आपके पास है आपकी क्या मजबूरी है कि आप ऐसे लोगों के पास रोने धोने गिड़गिड़ाने पहुँचते हैं जो न तो आपके धर्म एवं धर्म शास्त्रों को जानते हैं और न ही किसी पूजा पाठ में रूचि रखते हैं !ऐसे लोग हिन्दू धर्म के लिए समर्पित भी नहीं होते हैं वो किसी को कुछ पूजने के लिए बताते हैं किसी को कुछ !
बंधुओ !देश में धर्म एवं धर्म शास्त्रों की उपेक्षा करने की कितनी तेजी से पृथा सी चल पड़ी है जिसे समय रहते यदि रोका नहीं गया तो बहुत जल्दी धर्म ,धर्म शास्त्र एवं शास्त्र प्रमाणित पूजा पाठ एवं चरित्रवान शास्त्रीय पद्धति का पालन करने वाले साधू संत विद्वान पंडित समुदाय अप्रासंगिक हो जाएँगे !तब शाश्वत सत्य धर्म,अध्यात्म एवं सभी प्रकार के शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान से भारतीय संस्कृति को कौन सींचेगा कैसे बचेंगे भारतीयों में वे पवित्र संस्कार जिनके बल पर भारत को विश्व गुरु होने का गौरव प्राप्त था!
मलमल बाबाओं के गोलगप्पी उपायों ने देश को कुसंस्कारों और बलात्कारों की ओर मोड़ा है अभी क्या अभी तो सब चुप हैं किन्तु जब जिस पर कानून का शिकंजा कसता है तब सब कबूलते हैं कि किसका कितना कब से कैसा शोषण चल रहा था अभी तो एक दूसरे की सुन सुन कर चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करने का स्लोगन सभी रटते जा रहे हैं ।
ऐसे तथाकथित बाजारू बाबाओं की बकवास सुन सुन कर लोग इतने निष्ठुर होते जा रहे हैं कि आम समाज से लेकर टेलीवीजनों तक पर ज्योतिष और धर्म के नाम पर अब केवल और केवल बकवास ही सुनाई पड़ने लगी है ऐसे लोग जो कुछ बोल रहे होते हैं उन बेचारों को खुद नहीं पता होता है कि वो ऐसा क्यों बोल रहे हैं।जो वो समाज को समझा रहे हैं ये उन्होंने समझा कहाँ से है किसी शास्त्र पुराणों में उन्हें लिखा मिला है क्या ?किसी कोर्स में उन्होंने पढ़ा है क्या ?जो वो कह रहे हैं उसके पीछे तर्क क्या हैं ये उन्हें स्वयं भी नहीं पता है !बंधुओ!सच्चाई ये है कि ज्योतिष और धर्म के नाम पर ऐसे लोग एक बार जो कुछ बक चुके होते हैं दुबारा यदि आप उसी विषय में पूछ दो तो उन्हें याद ही नहीं होता है कि वो पहले क्या और क्यों बोले थे दुबारा नए तरह से बोल जाएँगे कई बार पहले वाली अपनी बात के विरुद्ध बोल जाएँगे क्योंकि उन्हें होश ही नहीं होता है कि पहले बोले क्या थे !
ऐसे लोगों की पोल तब खुल जाती है जब इनसे पूछो कि ये जो कुछ तुम बता रहे हो ये तुमने कहीं किसी स्कूल कालेज में पढ़ा भी है क्या ?कहीं लिखा भी है और यदि हाँ तो क्या कोई प्रमाणित पुस्तक है क्या ?इतने सुनते ही चेहरे उतर जाते हैं और कोई जवाब देने की जगह हकलाने लगते हैं ये लोग !
ज्योतिषशास्त्र के नाम पर ऐसी बकवास ?
लालकिताब जैसी ज्योतिष की जिन किताबों का ज्योतिष के विश्व
विद्यालयीय स्लेबस में या प्राचीन ज्योतिष में या भारतीय ज्योतिष की किसी
भी विधा में कहीं कोई उल्लेख ही नहीं है| किसी पढ़े लिखे व्यक्ति के मुख से
कभी ऐसी किसी किताब के बारे में कोई चर्चा ही नहीं सुनी गई है।वैसे भी
लालकिताब के नाम पर की गई भविष्य वाणियाँ और बताए गए उपाय तर्क संगत न होने
के कारण विश्वसनीय नहीं हैं।जहाँ एक ओर तो मनुष्य जाति इस सृष्टि की रत्न
मानी गई है नर से नारायण की ओर बढ़ने का द्वार नर अर्थात मनुष्य शरीर ही
बताया गया है वहीं किसी मनुष्य को सामने नारायण की ओर देखने के
बजाए उपायों के नाम पर कौवे कुत्ते बिल्ली पूजना सिखाया जाए टिंडा जौं
चावल धनियाँ मेथी मिर्च हल्दी गुड़ गोबर कोयले आदि के उपाय बताए जाएँ !यह
कैसा मजाक है ! इसी प्रकार एक मलमल बाबा दरवार लगाता है उसकी शक्तियाँ न
केवल बड़ी चटोरी हैं अपितु शौक़ीन एवं फैशनेबल भी हैं वो गोल गप्पे तो माँगती
ही हैं पर्स दुपट्टा क्रीम भी मँगवाती हैं!इसप्रकार परेशान लोगों के साथ
भाग्य बदलने के नाम पर इतनी धोखा धड़ी चल रही है!
पहली बात तो इनकी बातों के कोई प्रमाण नहीं होते,दूसरी बात इनका कोई तर्क
नहीं है, तीसरी बात जन्म जन्मान्तर के कर्मों के संचय से बना मनुष्य का
भाग्य जो बड़ी बड़ी तपस्या से मुश्किल से वो भी आंशिक रूप से ठीक हो पाता है
उसे गुड़ गोबर कोयले कौवे कुत्ते बिल्लियों का पूजन भजन करके कैसे ठीक
किया जा सकता है?किन्तु लाल किताब एवं लालकिताबी भविष्य भौंकने वालों की ही
माया है कि भगवान को पूजने वाले मनुष्य से कौवे कुत्ते पुजवाए जा रहे
हैं!आश्चर्य इस बात का है कि ये सब ड्रामा हमें फँसाने के लिए किया जा रहा
है यह जानते हुए भी ऐसी बकवास लोग सुन रहे हैं!लोग सुनें भी क्यों न
!भारी भरकम विज्ञापन न होता तो क्यों सुनते लोग?गलत धन का संचय है जो
विज्ञापनों में फूँका जा रहा है और भाड़े के प्रशंसा कर्मियों को पकड़ पकड़ कर
उनसे कराई जा रही है अपनी बेवकूफत की तारीफ, इसके बदले उन्हें पैसे दिए
जाते हैं।अपनी उम्र से दो गुनी अधिक उम्र के लोगों को बेटा बेटा कहकर
बुलाते हैं ये लोग! न सुनने वाले को शर्म न कहने वाले को! किन्तु प्रशंसा
और पैसे पाने का लोभ किसी भी व्यक्ति को पागल बना देता है वही पागलपन ऐसे
दरवारों में दिखता है। दूसरी ओर पढ़े लिखे ज्योतिषियों के पास ईमानदारी के
कारण ब्लैकमनी नहीं होता इसलिए वो न तो टी.वी.वालों को पैसे दे पाते हैं
और न ही खरीद पाते हैं भाड़े के प्रशंसाकर्मी ही !बिना पैसे के झूठी
प्रशंसा करने वाली वो सुन्दर सी लड़की भी नहीं मिलती! जो अक्सर मटक
मटक कर भविष्य भौंकताओं की झूठी तारीफों के पुल बाँध रही होती है। उसी
झुट्ठी के बिना शास्त्रीय ज्योतिषी बेचारे पिटते चले जा रहे हैं !क्योंकि उसे देखने के चक्कर में बड़े बड़े लोग
फँसने के बाद होश में आते हैं तब ज्योतिषशास्त्र को गाली देते हैं उन्हें यह होश ही नहीं होता है कि वो जिस के चक्कर में पड़े थे वो वह ज्योतिष नहीं थी जिसे वे गाली दे रहे हैं।जिस चक्कर में विश्वामित्र पराशर आदि बड़े बड़े ऋषि फँस गए वहाँ हम जैसे लोग क्या हैं ?वैसे भी ज्योतिषी के पास उस तरह की लड़की का काम ही क्या है?
इसलिए मेरा निवेदन है कि इन लाल
किताबी मलमल दरवारों के चक्कर में जो पड़े सो पड़े किन्तु इससे ज्योतिष का
कहीं कोई लेना देना नहीं है ।
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