भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ी घटनाओं की तिथियाँ (तारीखें) बता पाना बिलकुल असंभव ! युगों की अवधारणा को समाप्त करके किसी की कोई रिसर्च स्वीकार
ही नहीं की जा सकती ! किसी भी मंच पर चर्चा के लिए तैयार !प्रमाण प्रस्तुत करे इंडिया न्यूज ! महर्षि बाल्मीकि या अन्य पुराणों का नाम उद्धृत करके कई प्रकार की कपोल कल्पित बातों का परोसा जाना ठीक नहीं रामायण के विषय में फैलाए जा रहे ऐसे किसी भी भ्रम को सहन करना असंभव ! seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_7811.html इंडिया न्यूज जैसे जिम्मेदार न्यूज चैनल को रामायण जैसे गंभीर विषय पर ऐसी किसी सतही या छिछली बातों को अपने कार्यक्रमों में सम्मिलित करने से पूर्व उसकी प्रामाणिकता की जाँच अपने स्तर पर जरूर कर लेनी चाहिए थी !रही बात दावों की तो पता नहीं लोग कौन कौन से दावे करते हैं उन सबको प्रमाणित कैसे किया जा सकता है !इण्डिया न्यूज से ऐसी अपेक्षा अभी भी है कि रामायण में घटित घटनाओं की तारीखों की गई घोषणाओं के समर्थन में प्रमाण प्रस्तुत करे !
लाखों वर्ष पहले हुए श्री राम प्रभु के अवतार को कुछ हजार वर्ष पहले का सिद्ध करने का प्रयास करना ठीक नहीं है सनातन धर्म अत्यंत प्राचीन है इसे प्राचीन ही रहने दिया जाए इसी में हम सबकी भलाई है !इस सच्चाई के विरुद्ध किसी की कोई रिसर्च स्वीकार ही नहीं की जा सकती !
भगवान
श्री राम कितने वर्ष पहले हुए थे रामायण की कौन सी घटना किस तारीख़ को घटी
ये बताने का कुछ उन लोगों से दावा पहले भी जी न्यूज में करवाया गया था जो उन्हीं के टेलीवीजन पर
बैठकर बाल्मीकि रामायण की दुहाई तो बार बार दे रहे थे किंतु संस्कृत श्लोक
पढ़ने या संस्कृत शब्द बोलने में हकलाते रहे और रामायण की घटनाओं की तारीख़
बताने का दावा ठोंक रहे थे , रामायण या ज्योतिष का ऐसा कौन सा प्रमाणित और
प्राचीन ग्रन्थ है जो संस्कृत भाषा में नहीं है अर्थात सब संस्कृत भाषा
में ही हैं फिर बिना संस्कृत जाने समझे इतना बड़ा दावा कैसे किया जा सकता है
!
जिन विद्वान साधकों ने सारे जीवन में रामायण और ज्योतिष पर ही बड़ा बड़ा
काम किया हो बिना
किसी यंत्र की सहायता से केवल गणित के आधार पर आकाश में घटित होने वाले
सूर्य चन्द्रमा के ग्रहणों के एक्यूरेट टाइम का पता जो लोग गणित के बल पर
लगा लिया करते हों उन्होंने तो कभी ऐसा कोई दावा ठोंका ही नहीं,फिर आज वो
लोग रामायण के विषय में इतनी प्रमाणिकता
से कैसे कह सकते हैं जो रामायण पढ़ने में ही हिचकोले खा रहे हों !विद्वान लोग
अप्रमाणित बात कभी करते ही नहीं हैं हजारों लोगों ने इस पर काम करके बीच
में ही छोड़ दिया क्योंकि तिथियों और तारीखों के आधार पर रामायण को
व्यवस्थित करने के लिए जो आवश्यक सामग्री चाहिए वो प्राचीन ग्रंथों में मिल
ही नहीं पा रही है बिना आधार के कोई रिसर्च हो ही नहीं सकती यहाँ कोई आधार
ही नहीं है रामायण की घटनाओं की तारीखें बताने का दावा करना तो बिना दही के ही मक्खन निकालने की कोशिश की जा
रही है जो गलत है !
इंडिया न्यूज ने ऐसा कैसे सोच लिया कि जिन लोगों की रामायण और ज्योतिष की पृष्ठ भूमि ही नहीं है वो लोग रामायण पर इतनी बड़ी रिसर्च कर सकते हैं और जिन लोगों ने इन्हीं विषयों में अपनी जिंदगी खपा दी है क्या उनके बश का कुछ नहीं है! आखिर उनके विषय में ऐसा क्यों सोचा जा रहा है !
जिन्होंने ज्योतिष का किसी विश्व विद्यालय से कोई
कोर्स नहीं किया होता है उन्हें पंचांग तक ठीक से देखने नहीं आता वे
ज्योतिष पर रिसर्च कर रहे हैं ऐसा सबको बताते घूमते हैं । जो गृह पिंड तक
नहीं बना पाते वो वास्तु पर रिसर्च करता हुआ अपने को बताते हैं । केवल इतना ही अपितु धार्मिक एवं धर्मशास्त्रीय मामलों में शरारती मीडिया उनकी ऐसी तथा कथित रिसर्च को धन बल से प्रमोट भी करता है इसी से फैलता है अंध विश्वास !और भी ऐसे
बहुत बाबा जी लोग हैं जो अभी हाल तक अपने को आत्मज्ञानी बता रहे थे वे आज
जेल में पड़े पड़े जेल विज्ञान पर रिसर्च कर रहे हैं !कुछ लोग गोल गप्पे
खिलाकर भाग्य विज्ञान पर रिसर्च कर रहे हैं !ऐसे निर्मल बाबाओं की हरकतों
पर न जाने ईश्वर कब कृपा करेगा किन्तु इतना तय ही कि ईश्वर के घर देर है
अंधेर नहीं है ।
इसी विषय में देखें हमारा यह महत्वपूर्ण लेख -
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