हमारे शास्त्र सम्मत एवं कानून सम्मत शंकराचार्य जगद्गुरु श्री स्वरूपानंद जी महाराज को नमन !
जगद्गुरु स्वरूपानंद जी के शास्त्र एवं धर्म सम्मत बयानों को भी विवादित बता देता है मीडिया आखिर क्यों ? उनकी ये उम्र अब विवादित बयान देने की है क्या ? सनातन धर्म की आवाज भी सुनने की आदत डाले मीडिया !
हमारे शीर्ष धर्माचार्यों की गंभीर बातों को भी विवादित बता देना या उनका उपहास उड़ाना आदि सनातन धर्म का गौरव घटाने संबंधी किसी भी साजिश को और अधिक सहना संभव नहीं है ।इस उम्र में भी अपनी धर्म सम्मत बातें कहने के लिए मीडिया से जूझना पड़ रहा है उन्हें !आश्चर्य !!
जगद्गुरु स्वरूपानंद जी महाराज सनातन धर्म के शीर्ष धर्माचार्य हैं वो समय समय पर सनातन धर्मियों को उनकी धार्मिक एवं शास्त्रीय विरासत के बारे में बताया करते हैं जो जगद्गुरु होने के नाते उनका कर्तव्य है वैसे भी वे शास्त्रज्ञ होने के साथ साथ अनुभव आयु आदि सभी प्रकार से वृद्ध हैं उनकी बातें सुनना और मानना सनातन धर्मी होने के नाते हमारा कर्तव्य है हाँ उस दिशा में हम आगे बढ़ कितना पाते हैं ये और बात है ।बंधुओ !शास्त्रीय सनातन धर्मियों में कितने लोग ऐसे हैं जो धर्म के लिए निकल कर आगे आते हैं और जो आते हैं उनका साथ देना समाज का कर्तव्य है ।वैसे भी धर्म पर बड़े बड़े हमले होते रहते हैं किंतु यहाँ से कभी कोई आवाज सुनाई नहीं पड़ती है क्या अन्य धर्मों में भी ऐसा ही होता है !वर्तमान समय में सभी प्रकार से धर्म की चूलें चरमरा रही हैं आज अधिकांश धार्मिक लोग अपने अपने विकारों व्यवहारों स्वभावों स्वार्थों के अनुशार धर्म की परिभाषा गढ़ने में लगे हैं शास्त्रनिष्ठ धर्म के लिए समर्पित भावना से कितने लोग आगे बढ़ रहे हैं ।
ऐसे विषम समय में यह जानते हुए भी कि मीडिया से जुड़े कुछ शास्त्रद्रोही लोग
अपने अपने स्वार्थों के कारण उनके लिए अपशब्दों का प्रयोग करेंगे फिर भी
ऐसे मीडिया वाले हों या साईं वाले उनकी वाणी को दबा नहीं सके हैं और उन्हें बानवे वर्ष की बुढ़ौती भी शास्त्रीय कर्तव्य पालन के लिए उन्हें बाध्य कर रही है क्या उनके इस शास्त्र समर्पित संकल्प की सराहना नहीं होनी चाहिए !उनकी धर्म निष्ठा को हमारा नमन !वो शास्त्र सम्मत एवं तर्क संगत
बात बोलते हैं मीडिया को धर्म शास्त्र पढ़ने का अभ्यास नहीं है और न ही उधर कोई रूचि है हमारे धर्म को विवादित बताकर या अंधविश्वास कहकर काम चला लेना चाहता है मीडिया !अरे मीडियायी महापुरुषो ! आप में यदि क्षमता है तो उनकी बातों को शास्त्रीय तर्कों के आधार पर झुठलाकर दिखाए ! अन्यथा बार
बार उनके बयानों को विवादित कहने की आदत मीडिया को छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ेगा साथ ही हमारे धर्माचार्यों के नाम को सम्मान सहित लेने की आदत डाले मीडिया।हमारे धर्म के शीर्ष आचार्यों के सम्मान के साथ समझौता नहीं किया जा सकता !वो सनातन धर्म की ध्वजा के सक्षम संवाहक हैं ईश्वर उन्हें उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायुष्य प्रदान करे ।
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