इन झोलाछाप ज्योतिषियों ने बना डाला ज्योतिषविज्ञान को अंधविश्वास !बिना पढ़े लिखे ज्योतिषी पर भरोसा करना घातक हो सकता है उनके बताए ऊटपटाँग उपाय हानिकारक भी हो सकते हैं !
बंधुओ ! जिन्हें ज्योतिष का ज्ञान ही न हो ,ज्योतिष के डिग्री प्रमाण पत्र न हों, फिर भी समझा रहे हैं ज्योतिष ! ये अंध विश्वास नहीं तो क्या है !इन्हें आखिर क्यों नहीं रोकती है सरकार !
टीवीचैनलों पर ज्योतिष बताने वाले अधिकांश लोग ज्योतिष नहीं जानते ! उनके पास ज्योतिष की कोई डिग्री नहीं होती है इसीलिए उन्होंने अपनी अयोग्यता से उजाड़ी हैं हजारों घर गृहस्थियाँ !पति पत्नियों के बीच में घुसकर उनकी जिंदगी नर्क बना दी है ऐसे लोग और कुछ भी हों न हों किंतु ज्योतिषी नहीं हो सकते !
यदि आप शिक्षित हैं तो समझिए कि आप भी कि अपना ज्योतिष जैसा प्राचीन विज्ञान कैसे बन गया अंधविश्वास !ज्योतिष के नाम पर कैसे कैसे उपद्रव किए जा रहे हैं जिन्हें पता है कि उन्होंने ज्योतिष बिलकुल पढ़ी ही नहीं है और न ही ज्योतिष के विषय में कुछ भी जानते हैं !चूँकि जन्मकुंडली बनाने जैसा कठिन काम कोई बिना पढ़ा लिखा व्यक्ति कैसे कर सकता है इसलिए अज्ञानियों ने कुंडलियों को बनाने के लिए कंप्यूटर रखा किंतु बिना पढ़े लिखे होने के कारण उन्हें इस बात का ज्ञान ही नहीं है कि कंप्यूटर से बनी कुंडली सही नहीं हो सकती और यदि होती भी हो तो उन्हें सही गलत से लेना देना क्या जो कुंडली देख ही नहीं पाते हैं उन्हें जब झूठ ही बोलना है तो कुंडली देखा बुलवा लो या बिना कुंडली देखे ही बोलवा लो !कई तो चड्ढी बनियान जूते जुराबें देखकर भविष्य बकने लगते हैं और तब तक धड़ाधड़ बकते जाते हैं जब तक उन्हें ये याद नहीं आता हैं कि नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज भी तो हमें बेचने हैं अन्यथा बकवास से तो पैसा आना नहीं है इसलिए कुछ बेचना भी पड़ेगा !
बंधुओ ! यहाँ भी ध्यान देना होगा कि हमारे पूर्वजन्मों के ख़राब कर्मों के प्रभाव से इस जन्म में गृह ख़राब होते हैं उनकी शांति के लिए बैदिक मन्त्रों के जप से शांति विधान बताया गया है इसकी 'ग्रहशांति' नामक वेदमंत्रों की पुस्तक भी मार्केट में उपलब्ध है किंतु वेदमंत्र गुरु के मुख से सुनकर ही याद किए जा सकते हैं वैसे याद ही नहीं हो सकते किंतु जिसने किसी से वेद को पढ़ा ही न हो वो कैसे याद करे वेदमंत्र !ऐसे निरक्षर लोग नग नगीने कवच कुण्डल या और भी बहुत कुछ बेचने लगते हैं और उन्हीं से भाग्य बदलने का ठेका ले लेते हैं ।
बंधुओ ! यह समझना भी आवश्यक है कि आयुर्वेेद में विधान मिलता है कि जिस रोग की जो औषधि है वो उस रोग में खाने से पहनने से या उसी का हवन करने से उस रोग से मुक्त होने में सुविधा होती है इसी नियम से सभी नाग नगीनों की भस्में आयुर्वेद की दुकानों पर उपलब्ध हैं जो विभिन्न रोगों में फायदा करती हैं उन्हें खाने एवं हवन करने से तो लाभ होता ही है किंतु पहनने से भी रोग मुक्ति होती है किंतु आजकल लोग नग नगीने पहनाकर भाग्य बदलने रोजगार देने का पाखण्ड करते हैं जो गलत है यदि इसमें थोड़ी भी सच्चाई होती तो ग्रह शांति के लिए वेदमंत्रों का विधान ही क्यों होता !
कवचमणियों वाले ज्योतिषी - इनका ज्योतिष से कोई लेना देना नहीं होता है किंतु ये किसी की व्यक्तिगत परिस्थिति और समाज की स्थिति के अनुशार नाम रख रख कर कवच और मणियाँ आदि के नाम से कुछ भी बनाया बेचा करते हैं । जैसे -'स्वाइन फ्लू' बढ़ता देखकर 'स्वाइन फ्लूमुक्ति कवच या मणि' बनाकर बेचने लगे 'ऐसे ही पति पत्नी कलह निवारक यंत्र संतान बाधा निवारक कवच ,तलाक हरण यंत्र ,काल सर्प दोष मुक्ति कवच मंगली दोष मुक्ति कवच वास्तु दोष हरण कवच चुनावी विजय यंत्र आदि आदि और भी बहुत कुछ !बना और बेच रहे हैं ये लोग ! बंधुओ !क्या इसे ही ज्योतिष मान लिया जाए ! सच्चाई ये है कि टीवी चैनलों पर ज्योतिष बताने वाले 99 प्रतिशत लोग बिना पढ़े लिखे हैं वही करते हैं ये सारे आडम्बर और मिटाने में लगे हैं ज्योतिष की वैज्ञानिकता!
अपना ज्योतिष विज्ञान है इसे विज्ञान की तरह ही लीजिए ! ज्योतिषियों की योग्यता का एक मात्र आधार सरकारी विश्वविद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में ली गई उनकी डिग्रियों ली है इसे धर्म से मत जोड़िए इसे श्रद्धा से मत जोड़िए ज्योतिषियों से आशीर्वाद नहीं अपितु काम लीजिए उसके बदले में उन्हें सामान नहीं अपितु उनका घोषित पारिश्रमिक दीजिए ! आखिर क्यों भ्रमित किया जा रहा समाज!
ज्योतिष न तो पाखंड है और न ही अंध विश्वास ये तो विशुद्ध विज्ञान है किंतु इसे समझने और समझाने के लिए कीजिए आप भी हमारा सहयोग ! फर्जी ज्योतिषियों के पाखंडों में फँसने से समाज को बचाने तथा पारदर्शी एवं ईमानदार ज्योतिष सेवाएँ प्रदान करने के लिए आप भी कीजिए समाज का इतना तो सहयोग !
बंधुओ ! जिन्हें ज्योतिष का ज्ञान ही न हो ,ज्योतिष के डिग्री प्रमाण पत्र न हों, फिर भी समझा रहे हैं ज्योतिष ! ये अंध विश्वास नहीं तो क्या है !इन्हें आखिर क्यों नहीं रोकती है सरकार !
टीवीचैनलों पर ज्योतिष बताने वाले अधिकांश लोग ज्योतिष नहीं जानते ! उनके पास ज्योतिष की कोई डिग्री नहीं होती है इसीलिए उन्होंने अपनी अयोग्यता से उजाड़ी हैं हजारों घर गृहस्थियाँ !पति पत्नियों के बीच में घुसकर उनकी जिंदगी नर्क बना दी है ऐसे लोग और कुछ भी हों न हों किंतु ज्योतिषी नहीं हो सकते !
यदि आप शिक्षित हैं तो समझिए कि आप भी कि अपना ज्योतिष जैसा प्राचीन विज्ञान कैसे बन गया अंधविश्वास !ज्योतिष के नाम पर कैसे कैसे उपद्रव किए जा रहे हैं जिन्हें पता है कि उन्होंने ज्योतिष बिलकुल पढ़ी ही नहीं है और न ही ज्योतिष के विषय में कुछ भी जानते हैं !चूँकि जन्मकुंडली बनाने जैसा कठिन काम कोई बिना पढ़ा लिखा व्यक्ति कैसे कर सकता है इसलिए अज्ञानियों ने कुंडलियों को बनाने के लिए कंप्यूटर रखा किंतु बिना पढ़े लिखे होने के कारण उन्हें इस बात का ज्ञान ही नहीं है कि कंप्यूटर से बनी कुंडली सही नहीं हो सकती और यदि होती भी हो तो उन्हें सही गलत से लेना देना क्या जो कुंडली देख ही नहीं पाते हैं उन्हें जब झूठ ही बोलना है तो कुंडली देखा बुलवा लो या बिना कुंडली देखे ही बोलवा लो !कई तो चड्ढी बनियान जूते जुराबें देखकर भविष्य बकने लगते हैं और तब तक धड़ाधड़ बकते जाते हैं जब तक उन्हें ये याद नहीं आता हैं कि नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज भी तो हमें बेचने हैं अन्यथा बकवास से तो पैसा आना नहीं है इसलिए कुछ बेचना भी पड़ेगा !
बंधुओ ! यहाँ भी ध्यान देना होगा कि हमारे पूर्वजन्मों के ख़राब कर्मों के प्रभाव से इस जन्म में गृह ख़राब होते हैं उनकी शांति के लिए बैदिक मन्त्रों के जप से शांति विधान बताया गया है इसकी 'ग्रहशांति' नामक वेदमंत्रों की पुस्तक भी मार्केट में उपलब्ध है किंतु वेदमंत्र गुरु के मुख से सुनकर ही याद किए जा सकते हैं वैसे याद ही नहीं हो सकते किंतु जिसने किसी से वेद को पढ़ा ही न हो वो कैसे याद करे वेदमंत्र !ऐसे निरक्षर लोग नग नगीने कवच कुण्डल या और भी बहुत कुछ बेचने लगते हैं और उन्हीं से भाग्य बदलने का ठेका ले लेते हैं ।
बंधुओ ! यह समझना भी आवश्यक है कि आयुर्वेेद में विधान मिलता है कि जिस रोग की जो औषधि है वो उस रोग में खाने से पहनने से या उसी का हवन करने से उस रोग से मुक्त होने में सुविधा होती है इसी नियम से सभी नाग नगीनों की भस्में आयुर्वेद की दुकानों पर उपलब्ध हैं जो विभिन्न रोगों में फायदा करती हैं उन्हें खाने एवं हवन करने से तो लाभ होता ही है किंतु पहनने से भी रोग मुक्ति होती है किंतु आजकल लोग नग नगीने पहनाकर भाग्य बदलने रोजगार देने का पाखण्ड करते हैं जो गलत है यदि इसमें थोड़ी भी सच्चाई होती तो ग्रह शांति के लिए वेदमंत्रों का विधान ही क्यों होता !
कवचमणियों वाले ज्योतिषी - इनका ज्योतिष से कोई लेना देना नहीं होता है किंतु ये किसी की व्यक्तिगत परिस्थिति और समाज की स्थिति के अनुशार नाम रख रख कर कवच और मणियाँ आदि के नाम से कुछ भी बनाया बेचा करते हैं । जैसे -'स्वाइन फ्लू' बढ़ता देखकर 'स्वाइन फ्लूमुक्ति कवच या मणि' बनाकर बेचने लगे 'ऐसे ही पति पत्नी कलह निवारक यंत्र संतान बाधा निवारक कवच ,तलाक हरण यंत्र ,काल सर्प दोष मुक्ति कवच मंगली दोष मुक्ति कवच वास्तु दोष हरण कवच चुनावी विजय यंत्र आदि आदि और भी बहुत कुछ !बना और बेच रहे हैं ये लोग ! बंधुओ !क्या इसे ही ज्योतिष मान लिया जाए ! सच्चाई ये है कि टीवी चैनलों पर ज्योतिष बताने वाले 99 प्रतिशत लोग बिना पढ़े लिखे हैं वही करते हैं ये सारे आडम्बर और मिटाने में लगे हैं ज्योतिष की वैज्ञानिकता!
अपना ज्योतिष विज्ञान है इसे विज्ञान की तरह ही लीजिए ! ज्योतिषियों की योग्यता का एक मात्र आधार सरकारी विश्वविद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में ली गई उनकी डिग्रियों ली है इसे धर्म से मत जोड़िए इसे श्रद्धा से मत जोड़िए ज्योतिषियों से आशीर्वाद नहीं अपितु काम लीजिए उसके बदले में उन्हें सामान नहीं अपितु उनका घोषित पारिश्रमिक दीजिए ! आखिर क्यों भ्रमित किया जा रहा समाज!
ज्योतिष न तो पाखंड है और न ही अंध विश्वास ये तो विशुद्ध विज्ञान है किंतु इसे समझने और समझाने के लिए कीजिए आप भी हमारा सहयोग ! फर्जी ज्योतिषियों के पाखंडों में फँसने से समाज को बचाने तथा पारदर्शी एवं ईमानदार ज्योतिष सेवाएँ प्रदान करने के लिए आप भी कीजिए समाज का इतना तो सहयोग !
पहला सहयोग -
आप चाहते हैं कि आपका कोई परिचित या प्रेमी या परिवार का व्यक्ति किसी फर्जी ज्योतिषी के षड्यंत्र में न फँसे तो आप समाज का केवल इतना सहयोग कर दीजिए कि आप अपने उस परिचित से पूछिए कि आप ज्योतिष को विज्ञान मानते हैं या नहीं ? यदि हाँ तो कोई विज्ञान बिना पढ़े तो आएगा नहीं और जो पढ़ा होगा वो सरकार द्वारा प्रमाणित किसी विश्व विद्यालय से ही पढ़ा होगा !यदि हाँ तो वहाँ से उसे ज्योतिष सब्जेक्ट के पाठ्यक्रम को पढ़ने से कोई डिग्रियाँ प्रमाण पत्र भी मिले होंगे !यदि हाँ तो उन्हीं डिग्री प्रमाण पत्रों के आधार पर आप पहचान सकते हैं कि आपका ज्योतिषी फर्जी है झोला छाप है या क्वालीफाइड है उसके आधार पर आगे का निर्णय लें !
आप चाहते हैं कि आपका कोई परिचित या प्रेमी या परिवार का व्यक्ति किसी फर्जी ज्योतिषी के षड्यंत्र में न फँसे तो आप समाज का केवल इतना सहयोग कर दीजिए कि आप अपने उस परिचित से पूछिए कि आप ज्योतिष को विज्ञान मानते हैं या नहीं ? यदि हाँ तो कोई विज्ञान बिना पढ़े तो आएगा नहीं और जो पढ़ा होगा वो सरकार द्वारा प्रमाणित किसी विश्व विद्यालय से ही पढ़ा होगा !यदि हाँ तो वहाँ से उसे ज्योतिष सब्जेक्ट के पाठ्यक्रम को पढ़ने से कोई डिग्रियाँ प्रमाण पत्र भी मिले होंगे !यदि हाँ तो उन्हीं डिग्री प्रमाण पत्रों के आधार पर आप पहचान सकते हैं कि आपका ज्योतिषी फर्जी है झोला छाप है या क्वालीफाइड है उसके आधार पर आगे का निर्णय लें !
दूसरा सहयोग -
जब कंप्यूटर नहीं थे तब जन्म पत्रियाँ हाथ से बनाई जाती थीं उसमें कई
कई दिन लग जाते थे उस बच्चे के शरीर के चिन्ह परिवार की स्थितियाँ आदि
चीजें और बीते समय की घटनाएँ मिलाकर बड़े परिश्रम से जन्मपत्रियाँ बनाई
जाती थीं तब आपने सुना होगा कि ज्योतिषी जो कह देते थे उसमें सत्तर प्रतिशत
तक सच होने की संभावना तो होती ही थी कहीं कहीं तो सौ प्रतिशत भी देखी
जाती थी किंतु आज मिनटों में लोग कम्प्यूटर से देखकर बताने लगते हैं भविष्य
!जिसका सच्चाई से कोई लेना देना ही नहीं होता है क्योंकि पंचांग की
पत्रियों और कंप्यूटर की जन्मपत्रियों में पर्याप्त अंतर होता है अब प्रश्न
उठता है कि पंचांग से मेल न खाने के कारण कंप्यूटर की पत्रियों से काम तो
चलाया जा सकता है किन्तु फलादेश संबंधी कोई जरूरी बात मजबूती से नहीं कही
जा सकती है !इसलिए पंचांग पद्धति से बनाई गई सही कुंडली ही सही फलादेश करने
में सहायक हो सकती है !
हाथ से बनी भी हर कुंडली जरूरी नहीं कि सही ही हो क्योंकि उसके लिए भी
कुशल ज्योतिष वैज्ञानिक ही प्रमाणित पंचांग से परिश्रम पूर्वक बना सकता है
सही कुंडली ,बाक़ी कुंडली को मजाक समझकर या खाना पूर्ति के लिए बनाते तो
बहुत लोग हैं किंतु कुंडली बनाना हँसी खेल तो नहीं होता है इसलिए ऐसी
कुंडलियों का फलादेश विश्वसनीय नहीं होता !कई पंडित पुजारियों को देखा जा
सकता है कि किसी की कुंडली बनाने के लिए तो शताब्दी अर्थात सौ वर्ष के
पंचांग का प्रयोग करते हैं किन्तु यदि वो शताब्दी पंचांग सही ही होता है तो
प्रत्येक वर्ष का पंचांग अलग से क्यों लेते हैं ?इसलिए ये तो वो भी जानते
हैं कि शताब्दी पंचांग की गणित प्रमाणित नहीं होती है कि उस पर भरोसा किया
जा सके फिर भी वो कुंडली बनाने का नाटक उसी से करते हैं !जो गलत है किन्तु ध्यान ये भी रखा जाना चाहिए कि वही कौन पढ़े लिखे होते हैं जो कुंडली बना पाते होंगे ।
अब आप उपायों के विषय में कीजिए समाज का तीसरा सहयोग -
ग्रह अपने आप से हमें सुख या दुःख कुछ भी नहीं देते हैं वो हमारे पिछले
जन्म के कर्मों के अनुशार हमारी कुंडली में अच्छे बुरे स्थानों में बैठ
जाते हैं जैसे किसी ने पिछले जन्म में कोई लोहे की गाड़ी चुराई है तो इस
जन्म में उसका शनि इसलिए ख़राब होगा क्योंकि गाड़ी लोहे की है । अब इस जन्म
में शनि सूत ब्याज समेत उस
गाड़ी के बराबर का नुक्सान कराने की पोजीशन में चोर की कुंडली में बैठेगा
और नुक्सान करवाता रहेगा इसका उचित उपाय तो यही है कि जिसकी गाड़ी चुराई गई
थी उसे गाड़ी दी जाए किंतु यदि देना भी चाहे इस जन्म में उसे खोजा कहाँ जाए
जिसकी गाड़ी थी ऐसे समय शास्त्रीय मान्यता है कि किसी तपस्वी सदाचारी
व्यक्ति को गाड़ी या उसके समान दान किया जाए बदले में उसके पुण्यों से उतना
हिस्सा उसे मिल जाएगा जिसकी पिछले जन्म में गाड़ी चोरी हुई थी उस पुण्य से
उसकी उतनी तरक्की उस काम में हो जाएगी जो उसकी आय का स्रोत है तीसरा उपाय
ये है कि जिस ग्रह से जुड़ा अपराध हो उस ग्रह से सम्बंधित वैदिक मन्त्र का
जप करना चाहिए मन्त्र जप का मतलब होता है उस ग्रह से माफी माँगना अर्थात
ग्रहदेवता चोर को माफ कर दे और जिसकी चोरी हुई थी उसपर
कृपा करके उसकी उतनी तरक्की कर दे !ये मुख्य उपाय हैं इसके अलावा नग नगीनों
का भी असर मंत्र जप के साथ ही होता है अकेले तो निष्प्रभावी ही रहते हैं
इसलिए जब मुख्य मन्त्र जप ही है तो मन्त्र जप ही क्यों न करें !
उपायों के नाम पर जो जादू टोने किए जाते हैं वो केवल समय पास करने के लिए ही होते हैं जिसका प्रभाव यदि होता भी होगा तो इतना कम होता है कि पता ही नहीं लग पाता है।
कुल मिलाकर जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं उन्होंने कुंडली बनाने के लिए
कंप्यूटर रख लिया ,उपायों के लिए ग्रहशांति के वेदमंत्र नहीं पढ़े होते हैं
इसलिए नग नगीने बेचते हैं इनमें मुनाफा भी दस गुना और वेद मंत्र भी नहीं
पढ़ने पड़े !
इस प्रकार से बंधुओ !ज्योतिष
बहुत बड़ा विज्ञान होने के बाद भी इसमें योग्य एवं ईमानदार सेवाओं तथा
पारदर्शिता का अभाव है !झोला छाप ज्योतिषकर्मी झूठ बोल बोलकर नष्ट कर रहे
हैं ज्योतिष का महत्त्व !
चिकित्सा के क्षेत्र में और ज्योतिष में सबसे बड़ा अंतर यह है कि
डॉक्टरों पर विश्वास करने से पहले लोग उनके क़्वालिफिकेशन एवं जिस यूनिवर्सिटी से
उनकी शिक्षा हुई उसकी प्रामाणिकता के आधार पर विश्वास करते हैं
ज्योतिषियों के विषय में समाज ऐसा नहीं करता है आखिर क्यों ?BHU जैसी
सरकारी यूनिवर्सिटी
चिकित्सा की तरह ही ज्योतिष को भी एक सब्जेक्ट के रूप में पढ़वाते हैं तब
डिग्रियाँ देते हैं ऐसी परिस्थिति में समाज को भी चाहिए कि वो डॉक्टरों की तरह ही ज्योतिषियों पर भी विश्वास करने से पहले उनका क़्वालिफिकेशन एवं जिस यूनिवर्सिटी से उनकी शिक्षा हुई उसकी प्रामाणिकता के जाँच परख कर ही विश्वास करें !
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