मनोरोगियों की शारीरिक बीमारियाँ एक से एक जुड़ती चली जाती हैं इनका इलाज चिकित्सा पद्धति की दृष्टि से अत्यंत कठिन एवं कम प्रभावी होता है ऐसे लोगों को समयविज्ञान की पद्धति से कुछ समय तक यदि लगातार काउंसलिंग दी जाए उसके बाद चिकित्सा करने से घट सकती हैं जीवन से जुडी अनेकों बीमारियाँ !
आजकल मानसिक तनाव बहुत बढ़ता जा रहा है असहिष्णुता इतनी की छोटी छोटी बातों पर तलाक हो रहे हैं किसी को किसी की बात बर्दाश्त ही नहीं है पति पत्नी में आपसी तनाव के कारण एक दूसरे को देखकर ख़ुशी नहीं होती ! जीवन साथी की बुरी बातें, बुरी आदतें,बुरे आचार व्यवहार आदि हमेंशा याद बने रहने के कारण लोग मानसिक नपुंसकता के शिकार होते जा रहे हैं ऐसे में वो अपने जीवन साथी के साथ खुश नहीं हैं ऐसे में उनके शारीरिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं इससे दिमागी तनाव बढ़ता है उससे नींद नहीं आती है नींद न आने से पेट ख़राब रहता है पेट खराब रहने से भूख नहीं लगती है कुछ खाने का मन नहीं होता है जब तीन सप्ताह ऐसा रह जाता है तो गैस बनने लगती है ये गंदी गैस ऊपर को चढ़ कर हृदय में पहुँचती है इससे घबड़ाहट बेचैनी हार्टबीट आदि बढ़ने लगती है ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं ! जब यही गैस और ऊपर जाकर मस्तिष्क में चढ़ती है तो शिर में दर्द होना चक्कर आना ,आँखों में जलन या आँखों के आगे अचानक धुँधला दिखाई पड़ना या अँधेरा छा जाना,शरीर में अचानक झटका सा लग जाना,ऐसा समझ में आना जैसे कोई अपने ऊपर बैठ गया हो या पास से निकल गया हो इससे भूतों का भ्रम होना ,कानों में आवाजें आने लगना ,मसूड़ों में दर्द होना सूजन हो जाना ,मुख के अंदर छाले पड़ना या घाव होने लगना ,जीभ में बलगम लिपटा रहना मुख से दुर्गंध आने लगना,बाल फटना ,सफेद होना ,झड़ना उलटी लगना,त्वचा ढीली पड़ने लगाना,झुर्रियाँ पड़ने लगना,आँखों के आसपास काले घेरे होने लगना आँखों के नीचे गड्ढे पड़ने लगना,गर्दन और कंधों में जकड़न होने लगना,महिलाओं के मुख पर बाल उगने लगना, सीने एवं कंधों पर मांस बढ़ने लगना पेट के ऊपरी भाग में जलन होते होते गले तक पहुँचने लगना ,दबाने से बायीं और दायीं छाती से नीचे पेट के ऊपर ज्वाइंट में दर्द होने लगना या कुछ अड़ा सा प्रतीत होने लगना होने लगना ! 6 महीने तक यदि ऐसा ही चलता रहा तो मांस बढ़ने लगाना पेट लटकने लगना,कमर चौड़ी तथा जाम होने लगना ,जाँघें भारी होने लगना,घुटने जाम होने लगना ,हड्डियों के जोड़ बजने लगना, तलवों सहित पूरे शरीर में जलन होने लगना आदि दिक्कतें होने लगती हैं !ऐसी दिक्कतें बढ़ने पर पीड़ित स्त्री-पुरुष थर्मामीटर से नापते हैं तो बुखार नहीं होता वैसे शरीर जला करता है शरीर में दिन भर टूटन होती है उठकर कहीं चलने का मन नहीं होता किसी से मिलने बोलने का मन नहीं होता है किसी शादी विवाह उत्सव आदि में जाने मन नहीं होता किसी से आँख मिलाने की हिम्मत नहीं पड़ती ! ऐसे स्त्री-पुरुष मेडिकली चेकअप करवाते हैं तो प्रारम्भ में तो कोई खास बीमारी नहीं निकलती है किंतु इन परिस्थितियों पर यदि समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इन्हीं कारणों से बीमारियाँ धीरे धीरे बनने और बढ़ने लगती हैं !ऐसे लोग अपने को असमय में बूढ़ा होने का अनुभव करने लगते हैं किंतु इस अनचाहे बुढ़ापे को रोकने के लिए या इसे न सह पाने के कारण ये बचे खुचे बाल काले करने लगते एवं भारी भरकर मेकअप करने लगते हैं किंतु उससे और कुछ तो होता नहीं वो श्रृंगार और चिढ़ाने सा लगता है क्योंकि उसमें सजीवता नहीं आ पाती है धीरे धीरे अपने को भी झेंप लगने लगती है !
आजकल मानसिक तनाव बहुत बढ़ता जा रहा है असहिष्णुता इतनी की छोटी छोटी बातों पर तलाक हो रहे हैं किसी को किसी की बात बर्दाश्त ही नहीं है पति पत्नी में आपसी तनाव के कारण एक दूसरे को देखकर ख़ुशी नहीं होती ! जीवन साथी की बुरी बातें, बुरी आदतें,बुरे आचार व्यवहार आदि हमेंशा याद बने रहने के कारण लोग मानसिक नपुंसकता के शिकार होते जा रहे हैं ऐसे में वो अपने जीवन साथी के साथ खुश नहीं हैं ऐसे में उनके शारीरिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं इससे दिमागी तनाव बढ़ता है उससे नींद नहीं आती है नींद न आने से पेट ख़राब रहता है पेट खराब रहने से भूख नहीं लगती है कुछ खाने का मन नहीं होता है जब तीन सप्ताह ऐसा रह जाता है तो गैस बनने लगती है ये गंदी गैस ऊपर को चढ़ कर हृदय में पहुँचती है इससे घबड़ाहट बेचैनी हार्टबीट आदि बढ़ने लगती है ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं ! जब यही गैस और ऊपर जाकर मस्तिष्क में चढ़ती है तो शिर में दर्द होना चक्कर आना ,आँखों में जलन या आँखों के आगे अचानक धुँधला दिखाई पड़ना या अँधेरा छा जाना,शरीर में अचानक झटका सा लग जाना,ऐसा समझ में आना जैसे कोई अपने ऊपर बैठ गया हो या पास से निकल गया हो इससे भूतों का भ्रम होना ,कानों में आवाजें आने लगना ,मसूड़ों में दर्द होना सूजन हो जाना ,मुख के अंदर छाले पड़ना या घाव होने लगना ,जीभ में बलगम लिपटा रहना मुख से दुर्गंध आने लगना,बाल फटना ,सफेद होना ,झड़ना उलटी लगना,त्वचा ढीली पड़ने लगाना,झुर्रियाँ पड़ने लगना,आँखों के आसपास काले घेरे होने लगना आँखों के नीचे गड्ढे पड़ने लगना,गर्दन और कंधों में जकड़न होने लगना,महिलाओं के मुख पर बाल उगने लगना, सीने एवं कंधों पर मांस बढ़ने लगना पेट के ऊपरी भाग में जलन होते होते गले तक पहुँचने लगना ,दबाने से बायीं और दायीं छाती से नीचे पेट के ऊपर ज्वाइंट में दर्द होने लगना या कुछ अड़ा सा प्रतीत होने लगना होने लगना ! 6 महीने तक यदि ऐसा ही चलता रहा तो मांस बढ़ने लगाना पेट लटकने लगना,कमर चौड़ी तथा जाम होने लगना ,जाँघें भारी होने लगना,घुटने जाम होने लगना ,हड्डियों के जोड़ बजने लगना, तलवों सहित पूरे शरीर में जलन होने लगना आदि दिक्कतें होने लगती हैं !ऐसी दिक्कतें बढ़ने पर पीड़ित स्त्री-पुरुष थर्मामीटर से नापते हैं तो बुखार नहीं होता वैसे शरीर जला करता है शरीर में दिन भर टूटन होती है उठकर कहीं चलने का मन नहीं होता किसी से मिलने बोलने का मन नहीं होता है किसी शादी विवाह उत्सव आदि में जाने मन नहीं होता किसी से आँख मिलाने की हिम्मत नहीं पड़ती ! ऐसे स्त्री-पुरुष मेडिकली चेकअप करवाते हैं तो प्रारम्भ में तो कोई खास बीमारी नहीं निकलती है किंतु इन परिस्थितियों पर यदि समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो इन्हीं कारणों से बीमारियाँ धीरे धीरे बनने और बढ़ने लगती हैं !ऐसे लोग अपने को असमय में बूढ़ा होने का अनुभव करने लगते हैं किंतु इस अनचाहे बुढ़ापे को रोकने के लिए या इसे न सह पाने के कारण ये बचे खुचे बाल काले करने लगते एवं भारी भरकर मेकअप करने लगते हैं किंतु उससे और कुछ तो होता नहीं वो श्रृंगार और चिढ़ाने सा लगता है क्योंकि उसमें सजीवता नहीं आ पाती है धीरे धीरे अपने को भी झेंप लगने लगती है !
कुल मिलाकर ऐसी सभी परेशानियाँ दिनोंदिन बढ़ती चली जाती हैं इसमें
चिकित्सकीय इलाज से काम चलाऊ सहयोग तो मिलता है किंतु वो स्थाई नहीं होता
है थोड़े दिन बाद फिर वैसा ही हो जाता है दूसरी बात छोटी छोटी बीमारियाँ
इतनी अधिक हो जाती हैं कि दवा किस किस की लें साथ ही बहुत सी बीमारियों का
भ्रम बहुत अधिक बढ़ जाता है बड़ी से बड़ी बीमारी किसी के मुख से या न्यूज में
सुनने पर ऐसे लोग उस बड़ी से बड़ी बीमारी के लक्षण अपने अंदर खोजने लगते हैं
मानसिक दृष्टि से ये इतने अधिक कमजोर हो जाते हैं कई बार बात बात में या
बिना बात के सकारण या अकारण रोने लग जाते हैं ऐसे स्त्री पुरुष !
ऐसे लोगों पर कोई भी इलाज बहुत अधिक कारगर नहीं होते हैं इलाज की
प्रक्रिया तो ऐसी है कि आप गैस बताएँगे तो वो गैस की गोली दे देंगे ,दाँत
दर्द बताएँगे तो दाँत दर्द की गोली दे देंगे किंतु ये पर्याप्त इलाज नहीं
है धीरे धीरे वो भी यही बताने लगेंगे कि सलाद खाओ,पानी अधिक पियो ,सैर
करो,कहीं घूमने फिरने जाया करो मौज मस्ती करो आदि आदि ! इससे आंशिक लाभ
तो होता है किंतु वो स्थाई नहीं होता और बहुत अधिक कारगर नहीं रहता है थोड़े
दिन बाद फिर वैसे ही हो जाते हैं क्योंकि ये सब उपाय बहुत अधिक कारगर नहीं
रहते !
चिकित्सा करते समय ऐसे लोगों का मानसिक तनाव सर्व प्रथम कम करना चाहिए जब मानसिक तनाव घटकर चिंतन सामान्य हो जाए!ऐसे लोगों की चिकित्सा में धीरे धीरे कुछ महीना या अधिक दिक्कत हुई तो वर्ष भी लग सकते हैं ठीक ढंग से सविधि चिकित्सा करने में समय तो लगता है किंतु धीरे धीरे सब कुछ नार्मल होता चला जाता है !कंडीशन पर डिपेंड करता है ! सबसे पहले तो हमें ऐसे लोगों के विषय में गंभीर रिसर्च इस बात के लिए करनी होती है कि ये परिस्थिति पैदा क्यों हुई !दिमागी तनाव बढ़ा क्यों और कब से बढ़ा तथा रहेगा कब तक और उसे ठीक करने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं !
दूसरी स्टेज वो आती है जब पता करना होता है कि इतने दिनों तक तनाव बना रहने से सम्बंधित व्यक्ति के शरीर में किस प्रकार से कितना नुक्सान हुआ और उसे रिकवर कैसे किया जाए !ये खान पान औषधि टॉनिक आदि चीजों के साथ साथ उचित आहार व्यवहार से उचित समय से उचित मात्रा में देना होता है । इन सबके साथ साथ अपने विरुद्ध सोचने की आदत ऐसे लोगों की इतनी जल्दी नहीं छूटती है ये दर हमेंशा बना रहता है कि ये कहीं पुरानी स्थिति में फिर न लौट जाएँ इसलिए ऐसे लोगों समय समय पर आवश्यक्तानुशार उचित काउंसेलिंग करनी होती है ।
एक विशेष बात और ध्यान रखनी चाहिए कि किसी को कभी अकारण तनाव तो होता नहीं है जो इतनी जल्दी सामने वाले को तनाव मुक्त किया जा सकता है । आधुनिक चिकित्सा पद्धति में जो काउंसेलिंग की पद्धति है वो उतनी प्रभावी नहीं है क्योंकि उसमें तनाव पीड़ित व्यक्ति को केवल समझाना होता है "तनाव न करो" "तनाव करने से क्या होगा" "शरीर ख़राब हुआ जा रहा है शरीर ठीक करो फिर धीरे धीरे सबकुछ ठीक हो जाएगा" आदि आदि वही बातें बोलनी होती हैं जो पहले भी उसके घर गाँव वाले नाते रिश्तेदार आदि सभी लोग समझा चुके होते हैं यहाँ तक कि पीड़ित स्त्री पुरुष स्वयं भी कई बार पहले दूसरों को यही सबकुछ समझा चुका होता है किंतु आज उसे खुद लोग समझा रहे हैं किंतु समझ में नहीं आता है ।इसलिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति में उपलब्ध काउंसेलिंग परिस्थितियाँ सामान्य कर पाने में बिलकुल सक्षम नहीं है ।
भारतवर्ष की प्राचीन मनो चिकित्सा पद्धति इस विषय में सबसे अधिक प्रभावी है क्योंकि उसमें रोगी के बिना बताए भी तनाव का कारण अपनी शास्त्रीय पद्धति से खोजा जा सकता है साथ ही ये भी पता लगाया जा सकता है कि तनाव हुआ क्यों और तनाव है कबसे और रहेगा कब तक !ठीक कैसे होगा या कम कैसे होगा या फिर तबतक का समय सकुशल पार कैसे होगा संभव इसका पार कैसे करना होगा !
कई बार कुछ कारण ऐसे होते हैं जिसका निवारण आधुनिक मनोविज्ञान के हिसाब से कितना कुछ हो सकता है कितना नहीं हमारे लिए कहना बहुत कठिन है किंतु प्राचीन मनो विज्ञान के हिसाब से मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ इसका निदान काफी सटीक रूप से निकाला जा सकता है ! इस विषय में हमारे बहुत सारे अनुभवों में से एक है " किसी व्यक्ति का एक प्रकरण था जब उनकी पत्नी अपने दो बच्चों को साथ लेकर अपने मायके यह बोलकर चली गई थी छोड़कर चली गई थी कि मैं अब तुम्हारे साथ कभी नहीं रहूँगी मुझे तलाक चाहिए !पति तनाव में था ही वो तनाव और अधिक बढ़ गया ! वो लोग दिल्ली के पंत हॉस्पिटल लेकर गए दिखाने तो वहाँ के काफी सीनियर डॉक्टर साहब जो आज रिटायर्ड हैं उन्होंने जो आवश्यक दवा समझी वो दवा लिखी सामान्यतौर पर दवा तो नींद लाने की ही थी ! अंत में उसे समझाते हुए कहने लगे क्यों इतना परेशान है गई जाने दे तुम दूसरी शादी कर लेना किंतु वो घबड़ा गया क्योंकि वो अपने उन्हीं बच्चों और उसी पत्नी के साथ खुश था !किंतु वो दुबारा आएगी या नहीं इसका डॉक्टर साहब के पास कोई जवाब नहीं था !उसकी स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही थी अंत में कुछ दिनों बाद किसी के कहने पार उसे मेरे पास लाया गया मैंने उसी प्राचीन विज्ञान के हिसाब से उस व्यक्ति के जीवन के विषय में मुझे तनाव का कारण पानी वियोग बताया गया था किंतु इसके अलावा उससे बिना कुछ पूछे हमने उसके जीवन के विषय में गंभीर अध्ययन करके एक कागज में लिखा कि पिछले एक वर्ष सात महीने से इनका पति पत्नी का झगड़ा चल रहा था और अभी एक वर्ष तीन महीने ये दोनों आगे भी साथ नहीं रह पाएँगे इसके बाद ये उसी परिवार में शांति पूर्वक रहने लगेंगे ! ये पर्ची मैंने उसी लड़के के हाथ में दी तो उसने पर्ची पढ़ी और पूछा क्या ये सच है तो मैंने कहा कि यदि इस पर्ची में लिखा हुआ 'पास्ट' सच है तो 'फ्यूचर' भी सच होगा क्योंकि मैं आपके परिवार को जानता तो हूँ नहीं हमें कैसे पता कि आपके घर में तनाव कब से चल रहा है किंतु जिस प्राचीन विज्ञान के आधार पर मैंने बताया है उसके आधार पर यदि सही होगा तो बीता और आगामी दोनों सही होगा और गलत होगा तो दोनों गलत होगा !इस बात से उसकी आधी बीमारी वहीँ समाप्त हो गई !इसके बाद वो परिवार हमारे संपर्क में कम से कम उतने दिन तो रहा ही जितने दिन तक वो परिवार फिर से एक साथ बस नहीं गया !यहाँ एक विशेेष बात ये भी है कि ये बात केवल हमें पता थी कि ये दोनों पक्ष अभी आपस में कितनी भी बातें करें अभी इनको एक दूसरे की बात पसंद नहीं आएगी किन्तु जैसे ही इनका एक वर्ष तीन महीने का समय बीत जाएगा वैसे ही प्राचीन विज्ञान के हिसाब से इनके मिलने का समय तो प्रारम्भ हो जाएगा किंतु ये बात इनको बताने एवं इस पर विश्वास करवाने की जिम्मेदारी तो किसी को लेनी होगी क्योंकि जब दोनों अलग अलग हुए होंगे तब एक दूसरे पर न जाने कितने आरोप लगे होंगे इन लोगों ने वो संकोच मिटने की भूमिका किसी को सौंपनी होगी जैसे ही थोड़ी पहल की गई वैसे ही सब कुछ नार्मल हो जाएगा और पति पत्नी तथा सारा परिवार साथ रहने लगा !
ऐसी ही जीवन से जुड़ी और भी हजारों घटनाएँ हैं जहाँ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कोई भूमिका ही नहीं है किंतु यदि समस्या है तो उसका समाधान तो खोजा जाना चाहिए वो जहाँ मिले वहाँ से लेने में क्या बुराई है !
इसी से जुड़ी हुई एक और बात है देश के एक बहुत बड़े डॉक्टर साहब हैं जिनकी केंद्र सरकार में अच्छी पैठ रही है उनके भतीजे एक केंद्रीय मंत्री के पीए रहे हैं वो हमारे मित्र थे पूरा घर हमको उन्हीं के नाते जानता था डॉक्टर साहब आर्य समाजी होने के नाते भविष्य विज्ञान पर भरोसा नहीं करते थे जबकि उनकी पत्नी ये सब बातें मानती थीं !हमारे मित्र एक दिन वो हमें अपने घर ले गए बहुत सारी सामाजिक राजनैतिक आदि बातें होती रहीं अंत में उनकी बड़ी बेटी पास बैठी थी डॉक्टर साहब ने उसके शिर पर हाथ सहलाते हुए हमसे कहा कि इसे कभी गुस्सा आएगा !वास्तव में वो बहुत सीधी थी तो मैंने कहा कि 6 महीने के अंदर ये आपका जीना मुश्किल कर देगी एक वर्ष आपके यहाँ का बहुत भयंकर बीतेगा !वो बहुत जोर हँसे और कहने लगे कि हमारी छोटी बिटिया के विषय में कहते तो मैं शायद मान भी लेता किन्तु इसको कभी गुस्सा नहीं आया !इसके बिषय में नहीं माना जा सकता !खैर बात समाप्त हुई मुझे आना था ही मैं चला आया हमारे मित्र हमें दरवाजे तक छोड़ने आए उनसे मैंने बोला ये लड़की किसी लड़के से जुड़ गई है पूरे घर का जीना मुश्किल कर देगी किंतु उन्होंने कहा ऐसा संभव है नहीं हमारी चाची बहुत शक्त हैं खैर मैं चला आया दो तीन महीने बाद इसी विषय को लेकर घर में भयंकर कलह रहने लगा धीरे धीरे आपस में मारपीट होने लगी किंतु ये सब बातें घर के बाहर किसी को नहीं बताई गईं लड़की सिख लड़के को चाहती थी ये कटियार थे !धीरे धीरे समय बीता आश्विन नवरात्रि के 6 वें दिन उसने प्वॉइजन ले लिया सातवें दिन उसके बचने की सम्भावना न के बराबर बता दी गई अब डॉक्टर साहब का इस घटना के विषय में मेरे पास फोन आया कि वो तो लगभग ख़त्म है मेरा क्या होगा वो बहुत घबड़ाए हुए थे तो मैंने कहा मैं परसों घर आऊंगा वो मुझे चाय बनाकर पिलाएगी !डॉक्टर साहब को लगा कि शायद मैं सुन नहीं पाया हूँ तो उन्होंने रिपीट किया मैंने फिर वही कहा अंततः वो ठीक हुई और मैं तीसर दिन उस घर गया उसने बनाकर मुझे चाय पिलाई !खैर इस प्रकरण में अब मेरी इंट्री हो गई !अब उस कलह में मुझे बुलाया जाने लगा ! एक दिन मैं डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी के सामने ये कलह ख़त्म करने के लिए एक शर्त रखी कि आप विवाह के लिए हाँ कर दो साथ ही ये भी कह दो कि विवाह इस वर्ष नहीं करेंगे अगले वर्ष होगा !किंतु मुझ पर भरोसा रखो वहां विवाह होगा नहीं जहाँ ये चाहती है उनकी नजर में हमारी ये असंभव सी बात किंतु मेरी थी इसलिए उन्होंने स्वीकार कर ली !उधर मैंने लड़की से कहा बेटा घर का कलह ख़त्म करने के लिए मैंने तुम्हारे मम्मी पापा को मना लिया है और विवाह उसी से करने को वो मन गए हैं अब एक बात तुम्हें माननी होगी वो बोली क्या तो मैंने कहा कि शादी अगले बर्ष की जाएगी तो ये शर्त उसने मान ली समय समय पर माँ बेटी एक दूसरे पर शक करते रहे किंतु मैंने दोनों को समझा समझाकर किसी प्रकार से 10 महीने बिताए !जून के अंतिम सप्ताह में एक दिन शाम को उस लड़की का मेरे पास फोन आया कि भैया मेरा रिजल्ट निकल गया मैं पास हो गई हमने कहा बधाई हो इसी पर उसने कहा कि भैया !वो साला फेल हो गया हमने कहा कौन तो उसने नाम लिया और कहा कि बहुत बन थान कर आता था आज लड़कियों ने खूब खिंचाई की वो आँखें झुकाकर चला गया मैंने कहा जो कुछ हो सो हो अब विवाह तो होना ही है तो उसने कहा अब उससे विवाह नहीं करना है और हम सब लोग करने को कहते रहे किंतु उसने नहीं ही किया !
भविष्य वैज्ञानिक होने के नाते मैं स्वीकार करता हूँ कि जब मैंने ये सब शर्तें रखी थीं तब हमें ये तो पता था कि जुलाई के बाद ये लड़की इस लड़के में रूचि लेना बंद कर देगी किंतु ये नहीं पता था कि उसका कारण क्या बनेगा ! कुलमिलाकर मेरे कहने का मतलब ये है कि एक परिवार का यदि इतना बड़ा कलह टाला जा सका तो यदि प्राचीन भविष्य विज्ञान पर भरोसा न किया जाए तो ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आधुनिक विज्ञान में क्या है ?
एक विशेष बात और ध्यान रखनी चाहिए कि किसी को कभी अकारण तनाव तो होता नहीं है जो इतनी जल्दी सामने वाले को तनाव मुक्त किया जा सकता है । आधुनिक चिकित्सा पद्धति में जो काउंसेलिंग की पद्धति है वो उतनी प्रभावी नहीं है क्योंकि उसमें तनाव पीड़ित व्यक्ति को केवल समझाना होता है "तनाव न करो" "तनाव करने से क्या होगा" "शरीर ख़राब हुआ जा रहा है शरीर ठीक करो फिर धीरे धीरे सबकुछ ठीक हो जाएगा" आदि आदि वही बातें बोलनी होती हैं जो पहले भी उसके घर गाँव वाले नाते रिश्तेदार आदि सभी लोग समझा चुके होते हैं यहाँ तक कि पीड़ित स्त्री पुरुष स्वयं भी कई बार पहले दूसरों को यही सबकुछ समझा चुका होता है किंतु आज उसे खुद लोग समझा रहे हैं किंतु समझ में नहीं आता है ।इसलिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति में उपलब्ध काउंसेलिंग परिस्थितियाँ सामान्य कर पाने में बिलकुल सक्षम नहीं है ।
भारतवर्ष की प्राचीन मनो चिकित्सा पद्धति इस विषय में सबसे अधिक प्रभावी है क्योंकि उसमें रोगी के बिना बताए भी तनाव का कारण अपनी शास्त्रीय पद्धति से खोजा जा सकता है साथ ही ये भी पता लगाया जा सकता है कि तनाव हुआ क्यों और तनाव है कबसे और रहेगा कब तक !ठीक कैसे होगा या कम कैसे होगा या फिर तबतक का समय सकुशल पार कैसे होगा संभव इसका पार कैसे करना होगा !
कई बार कुछ कारण ऐसे होते हैं जिसका निवारण आधुनिक मनोविज्ञान के हिसाब से कितना कुछ हो सकता है कितना नहीं हमारे लिए कहना बहुत कठिन है किंतु प्राचीन मनो विज्ञान के हिसाब से मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ इसका निदान काफी सटीक रूप से निकाला जा सकता है ! इस विषय में हमारे बहुत सारे अनुभवों में से एक है " किसी व्यक्ति का एक प्रकरण था जब उनकी पत्नी अपने दो बच्चों को साथ लेकर अपने मायके यह बोलकर चली गई थी छोड़कर चली गई थी कि मैं अब तुम्हारे साथ कभी नहीं रहूँगी मुझे तलाक चाहिए !पति तनाव में था ही वो तनाव और अधिक बढ़ गया ! वो लोग दिल्ली के पंत हॉस्पिटल लेकर गए दिखाने तो वहाँ के काफी सीनियर डॉक्टर साहब जो आज रिटायर्ड हैं उन्होंने जो आवश्यक दवा समझी वो दवा लिखी सामान्यतौर पर दवा तो नींद लाने की ही थी ! अंत में उसे समझाते हुए कहने लगे क्यों इतना परेशान है गई जाने दे तुम दूसरी शादी कर लेना किंतु वो घबड़ा गया क्योंकि वो अपने उन्हीं बच्चों और उसी पत्नी के साथ खुश था !किंतु वो दुबारा आएगी या नहीं इसका डॉक्टर साहब के पास कोई जवाब नहीं था !उसकी स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही थी अंत में कुछ दिनों बाद किसी के कहने पार उसे मेरे पास लाया गया मैंने उसी प्राचीन विज्ञान के हिसाब से उस व्यक्ति के जीवन के विषय में मुझे तनाव का कारण पानी वियोग बताया गया था किंतु इसके अलावा उससे बिना कुछ पूछे हमने उसके जीवन के विषय में गंभीर अध्ययन करके एक कागज में लिखा कि पिछले एक वर्ष सात महीने से इनका पति पत्नी का झगड़ा चल रहा था और अभी एक वर्ष तीन महीने ये दोनों आगे भी साथ नहीं रह पाएँगे इसके बाद ये उसी परिवार में शांति पूर्वक रहने लगेंगे ! ये पर्ची मैंने उसी लड़के के हाथ में दी तो उसने पर्ची पढ़ी और पूछा क्या ये सच है तो मैंने कहा कि यदि इस पर्ची में लिखा हुआ 'पास्ट' सच है तो 'फ्यूचर' भी सच होगा क्योंकि मैं आपके परिवार को जानता तो हूँ नहीं हमें कैसे पता कि आपके घर में तनाव कब से चल रहा है किंतु जिस प्राचीन विज्ञान के आधार पर मैंने बताया है उसके आधार पर यदि सही होगा तो बीता और आगामी दोनों सही होगा और गलत होगा तो दोनों गलत होगा !इस बात से उसकी आधी बीमारी वहीँ समाप्त हो गई !इसके बाद वो परिवार हमारे संपर्क में कम से कम उतने दिन तो रहा ही जितने दिन तक वो परिवार फिर से एक साथ बस नहीं गया !यहाँ एक विशेेष बात ये भी है कि ये बात केवल हमें पता थी कि ये दोनों पक्ष अभी आपस में कितनी भी बातें करें अभी इनको एक दूसरे की बात पसंद नहीं आएगी किन्तु जैसे ही इनका एक वर्ष तीन महीने का समय बीत जाएगा वैसे ही प्राचीन विज्ञान के हिसाब से इनके मिलने का समय तो प्रारम्भ हो जाएगा किंतु ये बात इनको बताने एवं इस पर विश्वास करवाने की जिम्मेदारी तो किसी को लेनी होगी क्योंकि जब दोनों अलग अलग हुए होंगे तब एक दूसरे पर न जाने कितने आरोप लगे होंगे इन लोगों ने वो संकोच मिटने की भूमिका किसी को सौंपनी होगी जैसे ही थोड़ी पहल की गई वैसे ही सब कुछ नार्मल हो जाएगा और पति पत्नी तथा सारा परिवार साथ रहने लगा !
ऐसी ही जीवन से जुड़ी और भी हजारों घटनाएँ हैं जहाँ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कोई भूमिका ही नहीं है किंतु यदि समस्या है तो उसका समाधान तो खोजा जाना चाहिए वो जहाँ मिले वहाँ से लेने में क्या बुराई है !
इसी से जुड़ी हुई एक और बात है देश के एक बहुत बड़े डॉक्टर साहब हैं जिनकी केंद्र सरकार में अच्छी पैठ रही है उनके भतीजे एक केंद्रीय मंत्री के पीए रहे हैं वो हमारे मित्र थे पूरा घर हमको उन्हीं के नाते जानता था डॉक्टर साहब आर्य समाजी होने के नाते भविष्य विज्ञान पर भरोसा नहीं करते थे जबकि उनकी पत्नी ये सब बातें मानती थीं !हमारे मित्र एक दिन वो हमें अपने घर ले गए बहुत सारी सामाजिक राजनैतिक आदि बातें होती रहीं अंत में उनकी बड़ी बेटी पास बैठी थी डॉक्टर साहब ने उसके शिर पर हाथ सहलाते हुए हमसे कहा कि इसे कभी गुस्सा आएगा !वास्तव में वो बहुत सीधी थी तो मैंने कहा कि 6 महीने के अंदर ये आपका जीना मुश्किल कर देगी एक वर्ष आपके यहाँ का बहुत भयंकर बीतेगा !वो बहुत जोर हँसे और कहने लगे कि हमारी छोटी बिटिया के विषय में कहते तो मैं शायद मान भी लेता किन्तु इसको कभी गुस्सा नहीं आया !इसके बिषय में नहीं माना जा सकता !खैर बात समाप्त हुई मुझे आना था ही मैं चला आया हमारे मित्र हमें दरवाजे तक छोड़ने आए उनसे मैंने बोला ये लड़की किसी लड़के से जुड़ गई है पूरे घर का जीना मुश्किल कर देगी किंतु उन्होंने कहा ऐसा संभव है नहीं हमारी चाची बहुत शक्त हैं खैर मैं चला आया दो तीन महीने बाद इसी विषय को लेकर घर में भयंकर कलह रहने लगा धीरे धीरे आपस में मारपीट होने लगी किंतु ये सब बातें घर के बाहर किसी को नहीं बताई गईं लड़की सिख लड़के को चाहती थी ये कटियार थे !धीरे धीरे समय बीता आश्विन नवरात्रि के 6 वें दिन उसने प्वॉइजन ले लिया सातवें दिन उसके बचने की सम्भावना न के बराबर बता दी गई अब डॉक्टर साहब का इस घटना के विषय में मेरे पास फोन आया कि वो तो लगभग ख़त्म है मेरा क्या होगा वो बहुत घबड़ाए हुए थे तो मैंने कहा मैं परसों घर आऊंगा वो मुझे चाय बनाकर पिलाएगी !डॉक्टर साहब को लगा कि शायद मैं सुन नहीं पाया हूँ तो उन्होंने रिपीट किया मैंने फिर वही कहा अंततः वो ठीक हुई और मैं तीसर दिन उस घर गया उसने बनाकर मुझे चाय पिलाई !खैर इस प्रकरण में अब मेरी इंट्री हो गई !अब उस कलह में मुझे बुलाया जाने लगा ! एक दिन मैं डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी के सामने ये कलह ख़त्म करने के लिए एक शर्त रखी कि आप विवाह के लिए हाँ कर दो साथ ही ये भी कह दो कि विवाह इस वर्ष नहीं करेंगे अगले वर्ष होगा !किंतु मुझ पर भरोसा रखो वहां विवाह होगा नहीं जहाँ ये चाहती है उनकी नजर में हमारी ये असंभव सी बात किंतु मेरी थी इसलिए उन्होंने स्वीकार कर ली !उधर मैंने लड़की से कहा बेटा घर का कलह ख़त्म करने के लिए मैंने तुम्हारे मम्मी पापा को मना लिया है और विवाह उसी से करने को वो मन गए हैं अब एक बात तुम्हें माननी होगी वो बोली क्या तो मैंने कहा कि शादी अगले बर्ष की जाएगी तो ये शर्त उसने मान ली समय समय पर माँ बेटी एक दूसरे पर शक करते रहे किंतु मैंने दोनों को समझा समझाकर किसी प्रकार से 10 महीने बिताए !जून के अंतिम सप्ताह में एक दिन शाम को उस लड़की का मेरे पास फोन आया कि भैया मेरा रिजल्ट निकल गया मैं पास हो गई हमने कहा बधाई हो इसी पर उसने कहा कि भैया !वो साला फेल हो गया हमने कहा कौन तो उसने नाम लिया और कहा कि बहुत बन थान कर आता था आज लड़कियों ने खूब खिंचाई की वो आँखें झुकाकर चला गया मैंने कहा जो कुछ हो सो हो अब विवाह तो होना ही है तो उसने कहा अब उससे विवाह नहीं करना है और हम सब लोग करने को कहते रहे किंतु उसने नहीं ही किया !
भविष्य वैज्ञानिक होने के नाते मैं स्वीकार करता हूँ कि जब मैंने ये सब शर्तें रखी थीं तब हमें ये तो पता था कि जुलाई के बाद ये लड़की इस लड़के में रूचि लेना बंद कर देगी किंतु ये नहीं पता था कि उसका कारण क्या बनेगा ! कुलमिलाकर मेरे कहने का मतलब ये है कि एक परिवार का यदि इतना बड़ा कलह टाला जा सका तो यदि प्राचीन भविष्य विज्ञान पर भरोसा न किया जाए तो ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आधुनिक विज्ञान में क्या है ?
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