कफज (मू) भूकंप और उसका फल !
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में भूकंप के झटके, यह इलाका भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। भूकंप के झटकों से पड़ोसी देश नेपाल भी हिल गया। वहीं, बताया गया है कि उत्तराखंड के बागेश्वर, चामोली समेत कुमाऊं और गढ़वाल में भी तेज झटके महसूस किए गए।भूकंप के झटके सबसे ज्यादा उत्तराखंड के श्रीनगर, चमोली, चंपावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर में महसूस किए गए।
अब जानिए इस भूकंप का फल-
इस भूकम्प से प्रभावित क्षेत्र में वर्षा बाढ़ का प्रकोप विशेष बढ़ सकता है नदियों तालाबों एवं समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों के लिए विशेष हानिकारक हो सकता है इसमें कफज एवं जलजनित बीमारियाँ अधिक बढ़ सकती हैं !संभव हैं अथवा अतिवृष्टि और बाढ़ से परेशानियाँ बढ़ें !किंतु माध्यम तीव्रता का भूकंप होने के कारण इसका प्रभाव भी मध्यम ही रहेगा इसलिए विशेष चिंता की बात नहीं है !फिर भी सावधानी और सतर्कता तो रखी ही जानी चाहिए !
इस भूकंप के प्रभाव से भारत और नेपाल के बीच आपसी संबंधों में मधुरता आएगी दोनों देश आपसी शिकायत शिकवे भुलाकर एक दूसरे के साथ मिलजुल कर शांति पूर्ण ढंग से काम करना पसंद करेंगे !इस क्षेत्र की आम जनता में भी हिंसा मुक्त वातावरण बनेगा !लोगों की मानसिकता एक दूसरे के प्रति संवेदन शील बनी रहेगी रहेगी !इस भूकंप का असर वैसे तो 1-5-2017 किंतु 15-1 -2017 इसका प्रभाव विशेष देखने को मिलेगा !
भारत और नेपाल सरकारों को चाहिए कि इस बीच आपसी विवादित मुद्दों को निपटाकर एक दूसरे के सहयोग से दोनों देशों के विकास के लिए मजबूत महत्वपूर्ण रास्ते खोजे जा सकते हैं !आगे के 180दिनों का सदुपयोग भारत और नेपाल दोनों ही देशों की सरकारों को करना चाहिए !
भारत के लिए विशेष अवसर प्रदान कर रहा है यह भूकंप :
28-11-2016 प्रातः 5.5 बजे 5.6 ,तीव्रता का नेपाल में 'पित्तज' भूकंप आया था ! जिसकी वजह से चीन और नेपाल के बीच आपसी सम्बन्ध बिगड़ते चले जाएँगे जिसका लाभ उठा सकता है भारत !इस विषय में पढ़ा जा सकता है 28-11-2016 को आए भूकंप के फल के विषय में इसी ब्लॉग पर लिखे गए हमारे इस लेख को -"यहीं
से शुरू होकर नेपाल और चीन के मध्य आपसी
सम्बन्ध दिनोंदिन तनाव पूर्ण होते चले जाएँगे निकट भविष्य में नेपाल और चीन
के बीच आपसी सम्बन्धों में कटुता बढ़ती चली जाएगी !नेपाल के लिए उचित होगा
कि चीन पर
कम से कम 13-1-2017 तक विश्वास करना बिलकुल बंद कर दे पड़ोसी के द्वारा
कभी भी कैसा भी कोई भी विश्वास घात संभव है !"इस विषय में और अधिक जानने के लिए पढ़ें हमारा यह संपूर्ण लेख जिसके लिए खोलें यह लिंक -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2016/11/28-11-2016-55-56.html
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