'समय' का संपूर्ण प्रकृति पर प्रभाव -
सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुएँ तथा भूकंप आँधी तूफान वर्षा बाढ़ आदि प्राकृतिक घटनाएँ एवं जीवन में घटित होने वाली सुखदुख हानि लाभ जीवन मरण आदि जीवन संबंधी घटनाएँ कभी मुख्य भूमिका निभा रही होती हैं | इनमें से कोई भी घटना किसी दूसरी घटना में मुख्य भूमिका में हो सकती है और किसी घटना में सहयोगिनी हो सकती है |जो कभी सहयोगिनी घटनाओं के रूप में घटित होकर मुख्य घटना के घटित होने की सूचना दे रही होती है |
कई बार जीवों के स्वभाव तथा स्वास्थ्य से संबंधित कुछ घटनाएँ निकट भविष्य में संभावित कुछ प्राकृतिक घटनाओं की सहयोगिनी घटनाओं के रूप में भूमिका अदा कर रही होती हैं जिन्हें देखकर उनसे संबंधित भविष्य में घटित होने वाली मुख्य घटना का पूर्वानुमान पता लग जाता है |
इसी प्रकार से आँधी तूफ़ान सूखा वर्षा बाढ़ जैसी कुछ प्राकृतिक घटनाएँ निकट भविष्य में संभावित होती हैं कुछ स्वास्थ्य और स्वभाव में संभावित परिवर्तनों के संकेत दे रही होती हैं | इसी प्रकार से जीवों के स्वास्थ्य और स्वभाव से संबंधित कुछ परिवर्तन एवं प्रकृति में घटित होने वाली कुछ घटनाएँ निकट भविष्य में संभावित भूकंप जैसी कुछ बड़ी घटनाओं के घटित होने जैसे संकेत दे रही होती हैं | जिन्हें देखकर भविष्य में घटित होने वाली संभावित भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |
कई बार कुछ भूकंप जैसी घटनाएँ निकट भविष्य में घटित होने वाली सूखा वर्षा अतिवर्षा तूफानों आदि के संकेत दे रहे होते हैं | दो राष्ट्रों में एक साथ आने वाले कुछ संयुक्त भूकंप उनके बीच पनपने वाली मित्रता शत्रुता या संभावित युद्ध के संकेत दे रहे होते हैं | केवल एक ही देश के किसी स्थान में आ रहे भूकंप उस क्षेत्र के विषय में सरकारों के द्वारा लिए जाने वाले राजनैतिक फैसलों के विरुद्ध उमड़ने वाले संभावित सामूहिक आक्रोश के संकेत दे रहे होते हैं | इसी प्रकार से कुछ भूकंप आतंकीगतिविधियों ,बमविस्फोटों,जनांदोलनों, सामाजिक उन्माद ,दंगा भड़कने या अन्य प्रकार से नरसंहार या देश की सीमाओं में गुपचुप तरीके से होने वाली घुसपैठ होने के संकेत दे रहे होते हैं |
ऐसे भूकंपों की सबसे बड़ी पहचान यही होती है कि किसी प्रकार के संकेत देने के लिए आने वाले भूकंप जहाँ कहीं भी घटित होते हैं उनसे जन धन की हानि नहीं होती है | जिन भूकंपों में जनधन की हानि होती है वे भूकंप सहायक घटना के रूप में नहीं अपितु मुख्य घटना की भूमिका का निर्वाह कर रहे होते हैं उनके घटित होने के विषय के संकेत प्रकृति में घटित हुई कुछ अन्य घटनाओं के द्वारा पहले से दी जा रही होती हैं जिनके अभिप्राय को न समझ पाने के कारण ही जब भूकंप जैसी वे घटनाएँ घटित होती हैं तो अचानक घटित हुई सी लगती हैं |
ऐसे मुख्य भूकंपों के निर्माण संबंधी सूचना प्रकृति विभिन्न घटनाओं लक्षणों संकेतों के द्वारा भूकंप घटित होने से लगभग छै महीने पहले से प्रकट करने लगती है ऋतुओं के प्रभाव में या तो बहुत कमी या बहुत अति देखी जाने लगती है जिसे वैदिक विज्ञान की भाषा में 'ऋतुध्वंस' कहा जाता है यही क्रम भूकंप घटित होने के छै महीने बाद तक चला करता है जो धीरे धीरे क्रमशः समाप्त होते जाता है |
ऐसे भूकंपों के कारण एक वर्ष तक उस क्षेत्र की संपूर्ण प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाता है जिसका प्रभाव उस क्षेत्र की वायु पर पड़ता है जल पर पड़ता है वृक्षों बनस्पतियों पर पड़ता है फसलों पर पड़ता है उससे उनकी पैदावार प्रभावित होती है !उन फूलों फलों अनाज आदि की सुगंध स्वाद आदि उनके गुणों की न्यूनाधिकता पर असर पड़ता है |बनस्पतियाँ उन गुणों से विहीन हो जाती हैं जिनके लिए वे पहचानी जाती रही होती हैं |
इनका मनुष्यों समेत सभी जीव जंतुओं के स्वास्थ्य और स्वभाव पर असर पड़ता है | स्वभाव बिगड़ने से उस क्षेत्र का चिंतन बिगड़ता है अच्छे भले शिक्षित और समझदार लोग उन्मादित होकर एक दूसरे को पराजित कर देने की भावना से भावित होने लगते हैं | स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के कारण मनुष्यों समेत अधिकाँश जीव जंतुओं में बेचैनी बढ़ने लग जाती है जिससे उनके स्वभाव आचार व्यवहार आदि में अंतर पड़ने लगता है |
इस 'ऋतुध्वंस' का असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है जिससे अनेकों प्रकार के रोग पनपने लगते हैं 'ऋतुध्वंस' के कारण कुछ समय के लिए असर विहीन हो चुकीं औषधियाँ ऐसे रोगों से मुक्ति दिलाने में अक्षम होती चली जाती हैं जिससे कई बार रोग महामारी का स्वरूप लेने लग जाते हैं | ऐसे रोगों की अधिकृत प्रभावी औषधियों से लाभ न होने के कारण चिकित्सकों को किसी नए रोग या विषाणु(वायरस) पनपने का भ्रम होने लगता है | इसके बाद ऋतुध्वंस का प्रभाव जैसे जैसे कम होते जाता है वैसे वैसे रोगों से मुक्ति मिलती चली जाती है और सबकुछ सामान्य होता चला जाता है |
ऐसे भूकंपों के निर्माण होने की प्रक्रिया कई बार प्राकृतिक एवं कई बार प्राणी ऊर्जा होती है जिसमें भारी संख्या में मनुष्यों पशु पक्षियों आदि का सामूहिक संहार या उत्पीड़न आदि होता है |
कई बार किसी क्षेत्र विशेष में प्रकृति से लेकर जीवों तक के चिर स्वभाव से अलग हटकर कुछ बदलाव आने लग जाते हैं जैसा होते हमेंशा नहीं देखा जाता है |किसी एक प्रकार के जीव जंतु व्याकुल होने या मरने लगते हैं या उस क्षेत्र में कोई ऐसा रोग फैलने लगता है जिसका निदान एवं चिकित्सा किसी को समझ में ही नहीं आती है या किसी एक प्रकार के पेड़ पौधे बनस्पतियों आदि में विकार आने लग जाते हैं | बार बार आँधी तूफ़ान आदि घटनाएँ घटित होने लग जाती हैं | किसी क्षेत्र विशेष में अचानक नदी नदी कुएँ तालाब आदि सूखने लग जाते हैं बार बार वर्षा बाढ़ आदि की घटनाएँ अति मात्रा में घटित होने लग जाती हैं !ऐसी घटनाएँ प्रकृति में निर्मित हो रही किसी भूकंप जैसी बड़ी घटना का संकेत दे रही होती हैं |
कुलमिलाकर प्रकृति या जीवन से संबंधित ऐसी सभी प्रकार की घटनाओं की अचानक घटित होने की प्रक्रिया देखकर तो ऐसा लगता है कि जैसे ये सभी स्वतंत्र और निरंकुश हैं इसलिए ये कभी भी कहीं भी किसी के भी जीवन में घटित हो सकती हैं जबकि सच्चाई इससे अलग है ये सभी समय नियम स्थान आदि सिद्धांत सूत्र में दृढ़ता पूर्वक पिरोई हुई हैं जिसे समझने के लिए इसके विज्ञान का खोजा जाना अभी तक अवशेष है |
प्रकृतिसंदेश या जलवायुपरिवर्तन
संसार में कोई भी स्त्री पुरुष पशु पक्षी जीव जंतु पेड़ पौधे समेत प्रकृति में स्थित कोई छोटा से छोटा कण बेकार नहीं है सबकी इस सृष्टि संचालन में कोई न कोई भूमिका अवश्य होती है | जिसके गुण दोष हानि लाभ या उपयोग आदि के विषय में हम कुछ जानने लगते हैं उसका प्रचार प्रसार उस रूप में हो जाता है |जिसके विषय में हम नहीं जानते हैं उसे निरर्थक मान लेते हैं |यह ठीक नहीं है |
इसी क्रम में सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुएँ तथा भूकंप आँधी तूफान वर्षा बाढ़ आदि प्राकृतिक घटनाएँ भी इस सृष्टि संचालन में अपनी अपनी भूमिका अदा कर रही हैं जिनके उपयोग को न समझ पाने के कारण ही इन्हें प्राकृतिक आपदाओं की श्रेणी में मान लिया गया है |
जीवन में घटित होने वाली सुखदुख हानि लाभ जीवन मरण आदि परिस्थितियाँ निरर्थक नहीं हैं अपितु मानव जीवन को व्यवस्थित और सुदृढ़ करने में इनकी भी कोई न कोई भूमिका अवश्य होती है जिसकी उपयोगिता बड़े बड़े ज्ञानी गुणवान लोग समझते हैं |
किसी के किसी के साथ किसी भी प्रकार के संबंध बनने या बिगड़ने की जीवन में कोई न कोई भूमिका अवश्य होती है कई बार वह भूमिका दिखाई पड़ रही होती है और कई बार प्रत्यक्ष नहीं भी दिखाई पड़ती है किंतु होती अवश्य है |
इसलिए कभी किसी व्यक्ति वस्तु या घटना को निरर्थक नहीं माना जाना चाहिए हर किसी के होने या घटित होने का कुछ न कुछ प्रयोजन अवश्य होता है | उसे प्रयोजन को खोजने का प्रयत्न किया जाना चाहिए |
जिस प्रकार से कोई सरकार या संस्था जब कोई आवश्यक सूचना समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाना चाहती है तो वो जिस किसी भी विज्ञापन माध्यम को अपनाकर अपनी बात प्रसारित करती है | उस विज्ञापन में जो मुख्यविषय होता है उसे अलग अलग रंगों आकृतियों कथनशैली आदि के द्वारा अधिक उभारा जाता है ताकि वो देखने में बाकी विषय से कुछ अलग हटकर आकर्षक लगे जिससे सभी का ध्यान आसानी से उधर चला जाए और लोगों तक वह सूचना पहुँच जाए |
इसीप्रकार से प्रकृति भी जब जिस क्षेत्र के लोगों को कोई सूचना देना चाहती है वहाँ भी मुख्यविषय को उभारने के लिए प्रकृति में कुछ घटनाएँ ऐसी घटित होनी प्रारंभ हो जाती हैं जो लीक से अलग हटकर होती हैं अर्थात जैसा हमेंशा नहीं होता है कभी कभी जब वैसा होते दिखाई पड़ने लगता है तो लोगों का ध्यान उधर आसानी से चला जाता है |प्रकृति के संकेतों का महत्त्व न समझ पाने वाले लोगों के लिए तो ये एक घटना मात्र होती है घटित हुई और समाप्त हो गई जबकि इन घटनाओं का सामायिक महत्त्व समझने वालों के लिए ये घटनाएँ प्रकृति के द्वारा भेजा गया एक विशेष प्रकार का संदेश होता है जिसके माध्यम से भविष्य की किसी न किसी घटना के विषय में सूचना दी जा रही होती है |
जिस प्रकार से बसंतऋतु में आम का वृक्ष फूलता और फलता है किंतु किसी वर्ष यदि उसी आम के पेड़ में बसंतऋतु के अतिरिक्त किसी अन्य ऋतु में फूल फल लगने लगे तो ये विशेष घटना है इसलिए इधर लोगों का ध्यान आसानी से चला जाता है और इस विशेष घटना के माध्यम से प्रकृति कोई सूचना दे रही होती है उसके विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए समय मिल जाता है |
आकाश वायु अग्नि जल और पृथ्वी इन्हीं पाँचों तत्वों से ब्रह्माण्ड की रचना हुई है इनका आपसी अनुपात उचित मात्रा में बने रहने से सारी गतिविधियाँ ठीक ढंग से संचालित होती रहती हैं | जिस क्षेत्र में इनके आपसी अनुपात की मर्यादा छूटने लगती है अर्थात इनमें से किसी का प्रभाव कुछ कम या किसी का प्रभाव कुछ अधिक पड़ने लग जाता है | वहाँ की प्रकृति में समाज में शरीरों में स्वभावों में कोई नई समस्या पैदा होना शुरू हो जाती है |ये पंचतत्वों का संतुलन जितना अधिक बिगड़ रहा होता है | समस्या उतनी अधिक बड़ी तैयार हो रही होती है |
जिस प्रकार से पानी पर तैर रही नौका तभी तक ठीक से तैर पाती है जब तक वह संतुलित रहती है अर्थात उसका भार सभी ओर बराबर होता है किंतु जैसे ही उसमें स्थापित भार किसी ओर कम और किसी ओर अधिक हो जाता है तो वह नौका आपत्तिग्रस्त होकर डूब जाती है | उसी प्रकार से प्रकृति में पञ्चतत्वों का संतुलन बिगड़ते ही कुछ अलग सी प्राकृतिक घटनाएँ घटित होने लगती हैं जो आमतौर पर घटित होते नहीं देखी जाती हैं शरीर में पञ्चतत्वों का संतुलन बिगड़ते ही शरीर रोगी और मन परेशान होने लग जाता है |
इसीलिए किसी क्षेत्र में जब कोई एक प्रकार का रोग बहुत लोगों को होने लगे या किसी एक प्रकार का रोग बहुत पशुओं पक्षियों पेड़ पौधों फसलों आदि में होने लगे तो इसका अर्थ होता है कि उस क्षेत्र में पञ्चतत्वों का संतुलन किसी न किसी रूप में बिगड़ने लगा है जिसके कारण निकट भविष्य में कोई बड़ी प्राकृतिक घटना घटित होने वाली है |भूकंप जैसी घटनाओं के संकेत भी ऐसी घटनाओं के माध्यम से मिलते देखे जाते हैं |
ऐसी घटनाओं के घटित होने में समय का सबसे अधिक महत्त्व होता है | ऐसी परिस्थितियों का अनुसंधान करने के लिए समय संबंधी अध्ययनों की बहुत आवश्यकता होती है जिसके आधार पर इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है किस तत्व से संबंधित किस प्रकार की घटना घटित हो सकती है उसका वेग कितना तक तीव्र हो सकता है |
समयविज्ञान के आधार पर अनुसंधान पूर्वक उस प्राकृतिक घटना के अभिप्राय का अनुमान लगाया जा सकता है | इसी प्रकार से अन्य वृक्षों लताओं नदियों पहाड़ों जीव जंतुओं आदि में आने वाले विशिष्ट परिवर्तनों के आधार पर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |
प्रकृति में ऐसा जब कभी भी होने लगे तब उसका कुछ न कुछ प्रयोजन अवश्य होता है जो शुभ या अशुभ कुछ भी हो सकता है | उससमय अच्छा या बुरा जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसी सूचनाएँ देने वाली घटनाएँ घटित होने लगती हैं | ऐसी घटनाएँ जिस समय घटित होती हैं उस 'समय'के आधार पर इस बात का अनुसंधान करना होता है कि इस घटना के माध्यम से प्रकृति बताना क्या चाहती है उसके अनुशार अपने को व्यवस्थित करना होता है |
संसार या समाज में कोई विशिष्ट घटना घटित होने जा रही होती है जिसकी पूर्व सूचना देने के लिए प्रकृति ऐसी अन्य प्राकृतिक घटनाओं का सहारा लेती है |इतिहास में जब जब कोई बड़ी घटना घटित हुई है तब तब उसकी पूर्व सूचना किसी न किसी अन्य घटना के द्वारा प्रकृति प्रायः देती है |वो घटना ऐसी होती है ताकि लोगों का ध्यान आसानी से उधर चला जाए और लोग उसके विषय में समझने का प्रयास करें !
वेदवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं के घटित होने के 'समय' को आधार बनाकर विश्लेषण करते रहते हैं यदि इनसे भविष्य संबंधी कोई शुभ सूचना मिल रही होती है तो वेद विज्ञान की भाषा में उसे शकुन कह दिया जाता है और यदि कोई अशुभ सूचना मिलने की संभावना होती है तो उसे अपशकुन बता दिया जाता है |वेदविज्ञान की दृष्टि से भविष्य संबंधी प्राकृतिक सामाजिक या स्वास्थ्यजनित घटनाओं का ऐसे ही पूर्वानुमान लगाया जाता रहा है |
-भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में मिलने वाले संदेश-
प्राकृतिक आपदाओं के नाम से घटित होने वाली घटनाओं का दूसरा कारण उस स्थल में रहने वालों को कोई संदेशा देना भी होता है !ऐसे संदेश निकट भविष्य में होने वाली बाढ़ के हो सकते हैं आँधी तूफान के हो सकते हैं इसके अतिरिक्त किसी अन्य प्रकार की प्राकृतिक सामाजिक शारीरिक मानसिक आदि घटनाएँ भी संभव हो सकती हैं |
प्रकृति प्रदत्त ऐसे संकेतों पर यदि शोध किया जाए तो प्रकृति में घटित होने वाली कई घटनाएँ अपने से पहले घटित हो चुकी कुछ घटनाओं से संबंधित होती हैं जो इस समय घट रही घटनाओं को घटित होने की अग्रिम सूचना देने के लिए ही घटित हुई होती हैं इसी प्रकार से इस समय घटित हो रही या हुई घटनाएँ निकट भविष्य के कुछ महीनों में घटित होने वाली कुछ घटनाओं की सूचनाएँ दे रही होती हैं !ये सूचनाएँ चिकित्सा और रोगों से जुड़ी हो सकती हैं निकट भविष्य में होने वाले सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों की सूचना दे रही होती हैं निकट भविष्य के अच्छे बुरे सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों की ओर इशारा कर रही होती हैं यदि ऐसी घटनाएँ किन्हीं दो देशों में संयुक्त रूप घटित हो रही होती हैं तो उनसे दोनों देशों को प्रभावित करती हैं कई बार तो निकट भविष्य में उन दोनों देशों में उनका फल देखने को मिलता है साथ ही उन दोनों देशों के बीच निकट भविष्य में बनने बिगड़ने वाले आपसी संबंधों की ओर भी इशारा कर रही होती हैं कि उन दोनों देशों को आपसी संबंधों में किस प्रकार से कितनी सावधानी बरती जानी चाहिए अन्यथा दोनों देशों को किस किस प्रकार से हानि लाभ उठानी पड़ सकती है !
कुल मिलाकर ऐसी घटनाएँ अक्सर हमें कुछ सूचनाएँ देने के लिए ही घटती हैं जो उस समय हमारे लिए बहुत आवश्यक होती हैं !विशेषकर भूकंप जैसी बड़ी घटनाओं के घटित होने का उद्देश्य हमें कुछ विशेष सूचनाएँ देना होता है जिन्हें समझने के लिए हमें प्रकृति की भाषा भाव और संकेतों को समझने का प्रयास करना होता है !
ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के घटने से एक दो महीने पहले उस क्षेत्र की प्रकृति में बदलाव होने लगते हैं अपने आकारों प्रकारों आदि में तरह तरह के परिवर्तनों के द्वारा ये हमें अनेकों प्रकार की दुर्लभ सूचनाएँ समय समय पर आगे से आगे उपलब्ध कराया करते हैं |यदि इनके सूक्ष्म परिवर्तनों पर निरंतर दृष्टि रखी जाए तो इन्हें समझने का उत्तम अभ्यास हो जाता है |विभन्न विषयों पर हम इनके द्वारा दिए जाने वाले संकेतों को ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे ये हमसे बातें कर रहे हों |
प्रायः प्राकृतिक घटनाएँ घटने से कुछ पहले से ही ऐसे परिवर्तन केवल प्रकृति में ही नहीं दिखाई पड़ते हैं अपितु ऐसे क्षेत्रों के सभी जीव जंतुओं को भी अनुभव होने लगते हैं इन्हीं कारणों से उनके स्वभावों में बदलाव आने लगते हैं जिनका अनुभव प्राचीन भारत के मनीषी तो करते ही रहे हैं आधुनिक विचारक भी इधर ध्यान देने लगे हैं अब तो बहुत विद्वान लोग स्वीकार करने लगे हैं कि भूकंप आने से कुछ दिन पहले कुछ जीव जंतुओं के स्वभाव बदलने लग जाते हैं विभिन्न लोगों के द्वारा समय समय पर ऐसा होते देखा भी गया है और तो और उस क्षेत्र के स्त्री पुरुषों के स्वभाव बदलने लग जाते हैं स्वास्थ्य बिगड़ने लग जाते हैं किसी एक प्रकार के रोग के शिकार होने लगते हैं उस क्षेत्र के बहुसंख्य लोग !समाज में अकारण उन्माद फैलने लग जाता है पागलपन इस हद तक बढ़ जाता है कि अच्छे भले स्त्री पुरुष एक दूसरे को मार डालने पर उतारू हो जाते हैं कई बार तो दो देशों में परस्पर ऐसी भावनाएँ पनपने लगती हैं सामूहिक रूप से मरने मारने के लिए संघर्ष शुरू हो जाते हैं|कई बार इनके लक्षण शुभ भी होते हैं दो देशों की शत्रुता समाप्त करने के संकेत देते हैं किसी क्षेत्र में भाई चारे की भावना को पनपाने में सहयोग करते हैं कई बार तो यही भूकंप कई बड़ी दुर्घटनाओं को टालते देखे जाते हैं भूकंपों के द्वारा दी गई सूचनाओं पर यदि तुरंत ध्यान दिया जाए और उनके अनुशार सतर्कता बरती जाए तो उस क्षेत्र में विषय में कुछ ऐसी सूचनाएँ हाथ लग जाती हैं जो देश और समाज के लिए तुरंत ध्यान देने योग्य और बहुत महत्त्व पूर्ण होती हैं |
भूकंपों से प्राप्त होने वाली सूचनाओं का प्रभाव -
भूकंपों की प्रेरक शक्ति अपनी भूकंपीय सूचनाओं में इतनी अधिक सतर्कता बरतते देखी जाती है कि यदि कोई विशेष सूचना देने के लिए अभी कोई भूकंप आया होता है और भूकंप की घोषणाओं के अनुशार घटनाएँ घटने लग जाती हैं वैसी घटनाओं को रोकने के लिए भूकंपीय शक्तियों की यदि कोई नई योजना अचानक सामने आती है तो पहले भूकंप के विरोधी स्वभाव वाला कोई दूसरा भूकंप उसी क्षेत्र में पहले वाले भूकंप के प्रभाव की अवधि के अंदर ही आ जाता है पहले वाले भूकंप के प्रभाव को निष्फलता घोषणा कर देता है इस प्रकार से पहले वाले भूकंप के प्रभाव से प्रकृति या समाज में घटित हो रही घटनाएँ प्रभाव से तत्काल रोक दी जाती हैं | कई बार किसी भूकंप का प्रभाव यदि 60 दिन चलने की घोषणा की गई है बीच में यदि कोई दूसरा भूकंप नहीं आता है तो प्रकृति वो समाज में अगले साठ दिनों तक वैसी ही घटनाएँ घटती चली जाती हैं !उसके बाद वो घटनाएँ उसी प्रकार से लगातार आगे बढ़ानी हैं या वहीँ रोक देनी हैं या उसके विपरीत दिशा में चलानी है आदि अग्रिम आदेश प्रदान करने के लिए 55 से 65 दिनों के बीच ही उसी क्षेत्र में दूसरा भूकंप आकर पुनः उस क्षेत्र के अगले भविष्य की घोषणा करता है | भूकंप प्रेरक शक्तियों के द्वारा कई बार तो ये सतर्कता इतनी अधिक बरती जाती है कि यदि पहले भूकंप का प्रभाव 60 दिन लिखा गया है तो 61 वें दिन ही आ जाता है दूसरा भूकंप और भूकंप प्रेरक शक्तियों के अगले आदेश की घोषणा कर देता है | भूकंपों की तीव्रता यदि 5 डिग्री या उससे अधिक होती है या जैसे जैसे बढ़ती जाती है वैसे वैसे उपर्युक्त प्रभावों को अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है तीव्रता जैसे जैसे कम होती जाती है उसका फल भी वैसे वैसे घटता चला है | कुछ भूकंप बहुत हल्के होते हैं इनकी तीव्रता यदि 3 डिग्री या उससे कम होती है तो विशेष अनुभव करने से ही उसके फल का अनुभव हो पाता है !जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 के आसपास या उससे कुछ कम होती है ऐसे भूकंप जिस क्षेत्र में आते हैं वहाँ कोई प्राकृतिक सामाजिक या स्वास्थ्य संबंधी घटना घटित होने वाली होती है | आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ सूखा आदि की परिस्थिति बनने पर इस दृष्टि से अनुसंधान किया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएँ निकट भविष्य में घटित होने वाले या तो किसी भूकंप आदि के विषय में सूचना दे रही होती हैं या फिर इनके विषय में सूचना देने के लिए कोई भूकंप अवश्य आएगा !इसी में कुछ भूकंपों की तीव्रता बहुत कम होती है इसलिए उनसे प्राप्त होने वाली सूचनाएँ भी अत्यंत छोटी अर्थात कम प्रभाववाली घटनाओं की ओर संकेत कर रही होती हैं |
कुछ स्थान ऐसे भी होते हैं जहाँ पृथ्वी की आतंरिक या बाह्य अर्थात वायुमंडल की परिस्थितियों के कारण बार बार भूकंप आते रहते हैं ऐसे भूकंपों को सूचना जैसी प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जा सकता है क्योंकि उनके द्वारा प्रदत्त सूचनाएँ अक्सर परस्पर विरोधी होती हैं |
कई बार किसी क्षेत्र में कोई भूकंप बहुत कम तीव्रता का आता है तो उसके द्वारा सूचित की जाने वाली घटनाओं का वेग भी अत्यंत कमजोर होता है | कई बार किसी क्षेत्र में पहले से जिस प्रकार की कोई गतिविधि प्रकृति में या समाज में चल रही होती है उसी गतिविधि को और अधिक आगे बढ़ाने वाला यदि कोई भूकंप आ जाता है तो उसकी तीव्रता कम होने पर भी उसका असर अधिक दिखाई पड़ता है |
भूकंप जैसी घटनाओं का स्वास्थ्य पर प्रभाव !
किसी क्षेत्र में वर्षा या वर्फबारी पहले से होती चली आ रही होती है और इसी बीच उसी क्षेत्र में चंद्र निर्मित भूकंप भी आ जाए तो उस क्षेत्र में वर्षा के प्रभाव को और अधिक बढ़ा देता है |यदि इस भूकंप की तीव्रता अधिक होती है तो वर्षा और बाढ़ से संबंधित घटनाओं का वेग बहुत अधिक बढ़ जाता है |
यदि ऐसा संयोग विशेषकर सर्दी की ऋतु में बन जाए तो न केवल तापमान बहुत अधिक गिर जाता है अपितु सर्दी से संबंधित रोग बहुत अधिक बढ़ जाते हैं यदि जनवरी फरवरी आदि में ऋतु भी सर्दी की हो और भूकंप भी चंद्रज हो और उसकी तीव्रता भी अधिक हो तो सर्दी के स्तर को तो अधिक बढ़ा देगा | इससे अधिकवर्षा सर्दी या बर्फवारी का असर काफी अधिक बढ़ जाता है |इसके साथ साथ ही सर्दी से संबंधित बहुत सारे रोगों को देगा जो अधिक सर्दी के प्रभाव से होते हैं | ऐसे रोगों की कहीं कोई दवा नहीं होती है | यही स्थिति यदि गर्मी की ऋतु में बने तो सर्दी या वर्षा का प्रभाव उतना अधिक नहीं प्रतीत होता है फिर भी ऐसे भूकंप भी गर्मी की मात्रा को तो कम कर ही देते हैं |इसलिए सर्दी गर्मी आदि से होने वाले रोग पनपने लग जाते हैं |
ऐसे रोगों के लक्षण उपलब्ध चिकित्सा पद्धति की किसी भी प्रक्रिया से मेल नहीं खाते हैं इसलिए लक्षणों को देख देखकर ही इनके विषय में दवाएँ दी जाती हैं उससे बहुत अधिक लाभ तो नहीं होता है कुछ हो जाता है धीरे धीरे ऐसे रोग पैंतालीस से साठ दिन तक लेते देखे जाते हैं | ऐसे समय फैलने वाली महारियाँ काफी जन धन की हानि करने वाली होती हैं | भूकंप कृत रोग होने से लेकर समाप्त होने तक न किसी के पास इनकी कोई पहचान होती है और न ही दवा ये जिस प्रकार से आते हैं उसी प्रकार अपने मन की मर्जी से ही जाते हैं !ऐसी परिस्थिति में रोगियों के स्वस्थ होने में चिकित्सा की कोई बड़ी भूमिका नहीं होती है |
इसीप्रकार से सूर्यज भूकंप आने से गर्मी बढ़ जाती है यदि ऐसा भूकंप गर्मी की ऋतु में आ जाए तो गर्मी की मात्रा अधिक बढ़ जाती है उसमें भी यदि भूकंप की तीव्रता अधिक हो तब तो न केवल बहुत अधिक गर्मी पड़ने लग जाती है अपितु जगह जगह आग लगने की घटनाएँ घटित होने लगती हैं इसके साथ ही अधिक गर्मी से होने वाली तरह तरह की सामूहिक बीमारियाँ महामारी आदि पनपने लग जाती है | यही सूर्यज भूकंप यदि सर्दी में आ जाता है तो गर्मी का ताप तो बहुत अधिक नहीं बढ़ता है किंतु सर्दी के असर को बहुत अधिक कमजोर कर देता है |
ऐसे ही मंगल बुद्ध बृहस्पति शुक्र शनैश्चर जैसे ग्रहों के प्रभाव से भी भूकंप निर्मित होते हैं उनका भी स्वास्थ्य आदि पर ऐसा ही प्रभाव पड़ता है |
भूकंप जैसी घटनाओं का मौसम पर प्रभाव !
सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुएँ प्रत्येक वर्ष में आती जाती है रहती हैं इनके आने जाने का क्रम भी सुनिश्चित है कौन ऋतु कितने समय तक रहेगी यह भी लगभग सुनिश्चित है किस ऋतु का किस क्षेत्र में कितना प्रभाव पड़ता है यह भी लगभग सुनिश्चित है ! इतना सब होने के बाद भी प्रत्येक वर्ष में प्रत्येक ऋतु का प्रभाव एक जैसा रहे ,एक निश्चित समय तक रहे, ऐसा होते नहीं देखा जाता है |
किसी वर्ष सर्दी की ऋतु में वर्षा बर्फबारी ओले कोहरा पाला आदि गिरने की घटनाएँ बार बार घटित होते देखी जाती हैं जिससे तापमान अधिक गिरकर सर्दी बहुत अधिक बढ़ जाती है तो किसी वर्ष ऐसा होते नहीं देखा जाता है |इसका कारण यदि जनवरी फरवरी आदि में ऋतु भी सर्दी की होती है और भूकंप भी चंद्रज आ जाए तथा उसकी तीव्रता भी अधिक हो तो सर्दी के स्तर को और अधिक बढ़ा देगा | इससे अधिकवर्षा सर्दी या बर्फवारी का असर काफी अधिक बढ़ जाता है |
इसी प्रकार से किसी वर्ष गर्मी की ऋतु में ऐसा ही होते देखा जाता है किसी किसी वर्ष तापमान सामान्य रहता है तो किसी वर्ष तापमान बढ़ जाता है किसी किसी वर्ष तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है जैसा अक्सर होते नहीं देखा जाता है जिससे नदी तालाब कुऍं आदि सूखने लग जाते हैं | आग लगने की घटनाएँ बहुत अधिक घटित होने लग जाती हैं |आँधी तूफ़ान किसी वर्ष कम आते हैं किसी वर्ष बहुत अधिक आते हैं और उनमें जनधन की हानि अधिक होते देखी जाती है |
वर्षा में भी यही होते देखा जाता है कि वर्षा ऋतु होने पर किसी क्षेत्र में सामान्य वर्षा होती है किसी क्षेत्र में अधिक या बहुत अधिक वर्षा बाढ़ आदि होते देखी जाती है कुछ क्षेत्रों में सूखा जैसी घटनाएँ भी घटित होते देखी जाती हैं |
कई बार गर्मी सर्दी वर्षा आदि ऋतुओं का समय आ जाने के बाद भी गर्मी का प्रभाव देर से प्रारंभ होता है कई बार जल्दी प्रारंभ होते देखा जाता है इसी प्रकार कई बार देर से समाप्त होता है और कई बार जल्दी समाप्त होते देखा जाता है |कुलमिलाकर एक जैसा कभी नहीं रहता है थोड़ा बहुत अंतर प्रत्येक बार होते देखा जाता है !ऐसे समय में ही जानकारी के अभाव में कुछ लोगों को जलवायुपरिवर्तन जैसा भ्रम होने लगता है |कुछ लोगों ने मानसून आने जाने की तारीखों के विषय में कुछ काल्पनिक तारीखें घोषित कर रखी हैं उन तारीखों में वर्षा शुरू होने या बंद न होने से उन्हें बेचैनी होने लगती है जो ठीक नहीं है क्योंकि उनकी ऐसी कल्पना करने के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है |
किसी दशक में वायुप्रदूषण कम बढ़ता है तो किसी दशक में अधिक बढ़ता है | किसी वर्ष में वायुप्रदूषण कम बढ़ता है तो किसी वर्ष में अधिक बढ़ता है !वर्ष के कुछ महीनों में वायुप्रदूषण कम बढ़ता है तो कुछ महीनों में अधिक बढ़ता है | ऐसे ही महीने के कुछ दिनों में वायुप्रदूषण बढ़ता है तो कुछ में नहीं बढ़ता है |कुछ स्थानों पर बढ़ता है और कुछ में नहीं बढ़ता है | ये सब उन उन ऋतुओं में घटित होने वाली भूकंप जैसी विभिन्न प्रकार की आकस्मिक प्राकृतिक घटनाएँ घटित होने के कारण होता है |
किसी क्षेत्र में वर्षा या वर्फबारी पहले से होती चली आ रही होती है और इसी बीच उसी क्षेत्र में चंद्र निर्मित भूकंप भी आ जाए तो उस क्षेत्र में वर्षा के प्रभाव को और अधिक बढ़ा देता है |यदि इस भूकंप की तीव्रता अधिक होती है तो भीषण वर्षा और बाढ़ एवं बादल फटने जैसी घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं ऐसी घटनाओं का वेग बहुत अधिक बढ़ जाता है | ऐसी परिस्थिति में यदि अचानक सूर्यज भूकंप आ जाता है तो उस क्षेत्र में पहले से चली आ रही वर्षा बर्फवारी बाढ़ आदि की घटनाऍं अचानक कम या बंद हो जाती हैं |
इसी प्रकार से चंद्रज भूकंप यदि गर्मी की ऋतु में आ जाता है तो गर्मी का प्रभाव उतना अधिक नहीं प्रतीत होता है फिर भी ऐसे भूकंप गर्मी की मात्रा को तो कम कर ही देते हैं |इसलिए सर्दी गर्मी आदि से होने वाले रोग पनपने लग जाते हैं |
-भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं का समाज पर प्रभाव !
जिस क्षेत्र में भूकंप आते हैं उस क्षेत्र के विषय में सामाजिक वातावरण की दृष्टि से कोई संदेश दे रहे होते हैं !जो भूकंप चंद्र के प्रभाव से निर्मित होते हैं ऐसे भूकंप जिन क्षेत्रों में आते हैं वहाँ सुख शांति समृद्धि का वातावरण बनता है लोग पुराने बैर विरोध छोड़कर आपस में प्रेम व्यवहार से रहने का प्रयास करने लगते हैं |
किसी क्षेत्र में कुछ लोगों का लक्ष्य ही समाज को पीड़ित या परेशान करना होता है ऐसे लोग किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर मिशन के तहत समाज में भय पैदा करने लिए जाने जाते हैं |जिस क्षेत्र में ये लोग रह रहे होते हैं वहाँ यदि चंद्रज भूकंप आ जाता है तो वहाँ का वातावरण शांति पूर्ण हो जाता है और वे उपद्रवी लोग या तो सुधर जाते हैं या फिर वह क्षेत्र छोड़कर भाग जाते हैं |
ऐसे क्षेत्रों में यदि पहले से कोई झगड़ा विवाद धरना प्रदर्शन आंदोलन हड़ताल आदि चला आ रहा होता है तो इस भूकंप के प्रभाव से वह शांत हो जाता है |
इसी प्रकार से किसी क्षेत्र में यदि सूर्यज भूकंप आ जाता है तो उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को क्रोध बहुत आने लगता है लोग छोटी छोटी बातों में लगने झगड़ने लग जाते हैं !उस क्षेत्र में अचानक तनाव का वातावरण बनने लग जाता है लोग झगड़ा करने और करवाने पर उतारू हो जाते हैं | समाज में असहनशीलता बढ़ने लग जाती है |
ऐसे क्षेत्रों में यदि पहले से कोई झगड़ा विवाद धरना प्रदर्शन आंदोलन हड़ताल आदि चला आ रहा होता है ऐसे समय में वहाँ यदि सूर्यज भूकंप आ जाता है तो इस भूकंप के प्रभाव से वह उपद्रव और अधिक बढ़ जाता है |
इसी प्रकार से शनिकृत भूकंप जिस क्षेत्र में आता है वहाँ अच्छे भले शिक्षित समझदार लोग भी पागलों जैसी दलीलें देकर समाज में उन्माद की भावना पैदा करते देखे जाते हैं |
ऐसे ही मंगल आदि ग्रहों के प्रभाव से जो भूकंप जन्म लेते हैं वे उस क्षेत्र में अपने अपने स्वभाव के अनुशार समाज के मन पर असर डालते हैं |
हिंसक आतंकी घटनाओं की सूचना देते हैं भूकंप |
कुछ देश प्रदेश आदि आतंकवाद उग्रवाद आदि हिंसक घटनाओं से बहुत अधिक पीड़ित हैं कई बार यह आतंकवाद आदि देश के अंदर पनप रही किसी बगावती बिचारधारा के कारण होता है कई बार किसी पड़ोसी देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद होता है |
आतंकी लोग स्वदेश के हों या विदेश के इनका उद्देश्य जनसंहार करना होता है उसके लिए ये तरह तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं | अक्सर देखा जाता है कि ऐसे लोग भारी भरकम विस्फोटक आदि लेकर किसी क्षेत्र में
विस्फोट कर देते हैं |
ऐसे प्रकरणों में सूर्यज चंद्रज भौमज या शनिज भूकंपों की बड़ी भूमिका होती है जिस क्षेत्र में सूर्यज भूकंप आते हैं वहाँ कुछ उत्तेजक लोग किसी समाज में छिपकर किसी वर्ग विशेष में आक्रोश पैदा करके समाज को झगड़ा आंदोलन हड़ताल आदि के लिए प्रेरित करके सरकार के लिए चुनौती खड़ी कर रहे होते हैं | यदि ऐसे भूकंप किन्हीं दो देशों में एक साथ आते हैं और उन दोनों देशों के आपसी संबंध भी अच्छे नहीं होते हैं ऐसे देशों में आतंकी एक देश से दूसरे देश में भेजे जा रहे होते हैं !जिस देश में भूकंप का प्रभाव कम होता है उस देश से ऐसे देश में भेजे जा रहे होते हैं जिस देश में भूकंप का प्रभाव अधिक होता है !
मंगल से उत्पन्न भूकंप यदि किसी क्षेत्र में आता है तो ऐसे क्षेत्र में किसी बड़े विस्फोट की सूचना भूकंप के द्वारा दी जा रही होती है जिसमें जन संहार की संभावना होती है | ऐसे देशों में आतंकी लोग विस्फोटक सामग्री के साथ एक देश से दूसरे देश में भेजे जा रहे होते हैं !जिस देश में भूकंप का प्रभाव कम होता है उस देश से ऐसे देश में भेजे जा रहे होते हैं जिस देश में भूकंप का प्रभाव अधिक होता है !ऐसे भूकंप सशस्त्र आत्मघाती आतंकियों की घुस पैठ के विषय में सूचना दे रहे होते हैं |
शनिकृत भूकंप ऐसे आतंकियों की सूचना दे रहे होते हैं जो किसी क्षेत्र में बहुत बड़े वर्ग को प्रभावित करके सरकार या समाज के विरुद्ध ऐसा उन्माद खड़ा कर देते हैं जिससे लोग बड़े पैमाने पर किसी देश जाति पंथ मत मजहब आदि के नाम पर उत्तेजित होकर पागलों की तरह एक दूसरे से लड़ते देखे जाते हैं !पत्थरबाजी जैसी घटनाओं की सूचना भी ऐसे भूकंप दे रहे होते हैं !ऐसे भूकंप यदि किन्हीं दो देशों के बीच आते हैं तो उन दोनों के आपसी संबंध बहुत अधिक खराब कर देते हैं कई बार तो ऐसे दो देशों के प्रति युद्ध जैसा वातावरण पैदा करने में सफल हो जाते हैं |
चंद्रकृत भूकंप जिन क्षेत्रों में आते हैं वहाँ आपस में भाई चारे की भावना पनपते देखी जाती है दो देशों के बीच यदि तनाव पूर्ण संबंध पहले से चले आ रहे हों तो वे समाप्त होकर आपसी संबंधों की मधुरता बढ़ने लग जाती है | ऐसे देश में एक देश से दूसरे देश में घुसपैठ करते समय वही उत्तेजक लोग ऐसा वेष बदल लेते हैं कि उनकी पहचान कर पाना ही अत्यंत कठिन होता है | देश के अंदर ही यदि ऐसे भूकंप आते हैं तो ये उस क्षेत्र में मधुर वातावरण बनने की सूचना दे रहे होते हैं | ऐसे भूकंप जहाँ आते हैं वहाँ के विषय में ऐसी सूचना दे रहे होते हैं कि यहाँ विस्फोटकों के साथ अभी तक जो आतंकवादी आदि छिपे हुए थे उन्होंने अब यह स्थान छोड़ दिया है और अपने विस्फोटकों के साथ कहीं दूसरे स्थान पर चले गए हैं |
सरकारों के बनने बिगड़ने की सूचना देते हैं भूकंप !
किसी क्षेत्र में चलती हुई सरकारें कई बार लड़खड़ाने लग जाती हैं !कभी कभी कुछ भूकंपों के बाद अचानक ऐसी परिस्थिति बनने लगती है कि ऐसे शासक से उसकी अपनी पार्टी के कार्यकर्ता उससे से दूरी बनाकर उसकी सरकार को गिराने के कार्य में लग जाते हैं | उसके विरुद्ध दुष्प्रचार करने लगते हैं सामाजिक रूप से अपमानित होना पड़ता है |सत्तापक्ष पर विपक्ष भारी पड़ने लग जाता है |
ऐसी परिस्थिति पैदा होने पर सरकार के विरुद्ध समीकरण बनने लगते हैं और धीरे धीरे कुछ महीनों में स्थापित सरकारें गिर जाया करती हैं |
विशेष बात -
कभी कभी देखा जाता है कि किसी लोकप्रिय प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री आदि की कहीं रैली होने जा रही होती है और उसी क्षेत्र में उसी समय भूकंप आ जाता है ऐसा भूकंप ऐसे लोकप्रिय नेता की रैली के संबंध में या उस नेता की सुरक्षा के विषय में कोई अच्छी या बुरी सूचना दे रहा होता है |
इसी प्रकार से किसी क्षेत्र में चुनाव होने जा रहे हों और उसी समय अचानक कोई भूकंप आ जाता है तो चुनाव से संबंधित संभावित अच्छे या बुरे वातावरण के विषय में कोई सूचना दे रहा होता है |
किसी क्षेत्र में सूखा वर्षा बाढ़ तथा आँधी तूफानों आदि की घटनाएँ अधिक मात्रा में घटित हो रही होती हैं और उसी समय कोई भूकंप आ जाता है तो उसी प्राकृतिक घटना के विषय में कोई सूचना दे रहा होता है |
किसी यदि कोई बीमारी या महामारी फैली हुई है जिसकी पहचान होना मुश्किल होता है उस पर किसी दवा का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा होता है !ऐसी परिस्थिति में उसी बीच कोई भूकंप जाता है तो वो भूकंप उस बीमारी के घटने बढ़ने या बहुत अधिक हिंसक होने की सूचना दे रहा होता है भकंप !
किसी क्षेत्र में विस्फोट करने ,हिंसा फैलाने,उत्तेजना पैदा करने के उद्देश्य से कुछ उपद्रवी लोग लुक छिपकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे होते हैं | यदि उससे कोई बड़ा नुक्सान होने या हिंसा बढ़ने की संभावना होती है तो ऐसे लोग जहाँ ऐसी प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं वहाँ भूकंप आते हैं | बड़े विस्फोटकों के साथ ये जिस जगह ठहरते हैं वहाँ उस प्रकार के भूकंप आते हैं और जिस स्थान को छोड़ते हैं वहाँ उस प्रकार के भूकंप आते हैं |
किसी एक ही क्षेत्र में किसी एक ही प्रजाति का भूकंप बार बार घटित होने लगता है तो ऐसे क्षेत्र में कोई न कोई बड़ी घटना घटित होने जा रही होती है जो लोगों को पता नहीं होती है उसके संकेतों को शीघ्र समझने की आवश्यकता होती है |
जिन क्षेत्रों में बिजली गिरने आँधी तूफ़ान आने एवं वायु प्रदूषण बढ़ने की घटनाएँ बार बार घटित हो रही होती हैं और भूकंप भी उसी प्रकार के आ रहे होते हैं ऐसे स्थानों पर किसी बड़ी दुर्घटना की सूचना दे रहे होते हैं ये भूकंप |
समय के अनुशार घटित होती हैं प्राकृतिक घटनाएँ
समय के दो प्रकार होते हैं एक अच्छा और दूसरा बुरा |अच्छा समय जब प्रारंभ होता है तब जीवन से लेकर प्रकृति तक सब कुछ अच्छा अच्छा होता है और जब बुरे समय का संचार प्रारंभ होता है तब चारों ओर सब कुछ बुरा बुरा ही होते दिखाई पड़ता है |
अच्छे समय के संचार में प्रकृति स्वस्थ रहती है प्रकृति के स्वस्थ रहने से अभिप्राय प्रकृति में सबकुछ अच्छा बना रहता है मनुष्यों से लेकर समस्त जीव जंतुओं में भी प्रसन्नता का वातावरण बना रहता है सभी स्वस्थ निरोग एवं प्रसन्न रहते हैं सभी अपने अपने स्वभाव के अनुशार ही वर्ताव कर रहे होते हैं |
सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुएँ अपने अपने समय से आती जाती रहती हैं उचित मात्रा में अपना अपना प्रभाव छोड़ती हैं | सर्दी में सर्दी का प्रभाव अपने समय से प्रारंभ होता और समय से ही समाप्त होता है यह प्रभाव न बहुत कम होता है और न अधिक !ऐसी परिस्थिति में सर्दी से किसी को कोई कठिनाई नहीं होती है इसी प्रकार से गर्मी और वर्षा आदि का भी प्रभाव उचित मात्रा में होने से सभी पेड़ पौधे जीव जंतु आदि के लिए हितकर होता है | इसलिए ये सभी स्वस्थ निरोग एवं प्रसन्न रहते हैं |
ऐसे समय में नदियों तालाबों आदि का जल निर्मल एवं पर्याप्त बना रहता है प्रदूषण रहित स्वच्छ शीतल मंद सुगंधित सुखद वायु बहती है | सूखा बाढ़ आँधी तूफ़ान बज्रपात भूकंप आदि घटनाएँ नहीं घटित होती हैं वायु प्रदूषण नहीं बढ़ता है जल प्रदूषित नहीं होता है | बादलों का गर्जन धीमा अर्थात मधुर होता है | इसलिए सभी प्रकार के जीवजंतु पशु पक्षी आदि बेचैन होते नहीं देखे जाते हैं | समाज में किसी प्रकार की कोई महामारी आदि घटना सुनाई नहीं देती है | सभी लोग आपस में एक दूसरे के साथ मधुर व्यवहार रखते हैं | समाज में अपराध हिंसा आंदोलन पत्थरबाजी आदि से उन्माद फैलाने वाली घटनाएँ घटित होते नहीं देखी जाती हैं | सरकारें सुचारु रूप से अपने कार्यों का संचालन करते हुए अपने सेवाकार्यों से समाज का विश्वास जीतने में सफल बनी रहती हैं | चिंतन सात्विक होने से लोगों में अहंकार की भावना कम होती है लोग एक दूसरे के साथ सम्मानपूर्ण वर्ताव करते हैं एक दूसरे को सुख देने का प्रयास करते हैं | आतंकवादी घटनाएँ घटित नहीं होती हैं दो देशों के बीच तनाव युद्ध आदि की संभावनाएँ नहीं बनती हैं अपितु आपस में मित्रतापूर्ण वर्ताव होते दिखता है |
किसानों के द्वारा बोई जाने वाली फसलें रोगरहित होती हैं इसलिए पैदावार अच्छी होती है उससे किसान तो सुखी होते ही हैं उनके साथ साथ सारा समाज प्रसन्न बना रहता है |
इसके विपरीत जब सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुओं का प्रभाव उचित मात्रा में न होकर न्यूनाधिक हो जाता है ऐसी परिस्थिति में जल और वायु प्रदूषित होने लगते हैं पेड़पौधों समेत किसानों के द्वारा खेतों में बोई जाने वाली सभी फसलें भी रोगी होने लगती हैं पैदावार मारी जाती है लोग परेशान होते हैं सभी जीव जंतु बेचैन होने लगते हैं तरह तरह के रोग महामारी आदि फैलने लगते हैं | कहीं सूखा तो कहीं भीषण बाढ़ आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात भूकंप जैसी की घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं |बादलों का भयंकरगर्जन एवं बज्रपात आदि होते दिखाई देता है ओलावृष्टि बादल फटने जैसी घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं | इसलिए सभी प्रकार के जीवजंतु पशु पक्षी आदि बेचैन होते नहीं देखे जाते हैं | सामूहिक रोग महामारी आदि घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं |कुलमिलाकर आपसी अनुपात विषम होते ही सबकुछ उलटा होने लग जाता है |
मनुष्यों समेत सभी जीव जंतुओं में असंतोष व्याप्त हो जाने के कारण कलह विवाद उन्माद लड़ाई झगड़ा तथा समाज में अपराध हिंसा आंदोलन पत्थरबाजी आदि उन्माद फैलाने वाली घटनाएँ घटित होते नहीं देखी जाती हैं | ऐसे समय में हैरान परेशान असंतुष्ट एवं असहनशील समाज की अपेक्षाएँ अधिक बढ़ जाती हैं जिसे सरकारें उस अनुपात में पूर्ण नहीं कर पाती हैं | जिससे सरकारों शासकों के प्रति आक्रोश पनपता है ऐसे समय में सरकारों को सुचारु रूप से अपने कार्यों का संचालन करने में कठिनाई होती है सेवाकार्यों से समाज का विश्वास जीतने में असफल हो जाती हैं | चिंतन तामसी हो जाने के कारण लोगों में अहंकार की भावना अधिक बढ़ जाती है लोग एक दूसरे को अपमानित और परेशान करने की जुगत खोजने लगते हैं | आतंकवादी घटनाएँ घटित होती हैं दो देशों के बीच तनाव युद्ध आदि की संभावनाएँ नहीं बनते देखी जाती हैं |
ऐसी परिस्थिति में कहा जा सकता है कि प्राकृतिक घटनाएँ समय के अनुसार घटित होती हैं इसलिए अच्छी या बुरी कुछ प्राकृतिक घटनाओं को घटित होता देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस समय समय कैसा चल रहा है उसी के अनुशार भविष्य के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
इसीप्रकार से अच्छे या बुरे समय के अनुसार मनुष्यों समेत समस्त जीव जंतुओं के स्वभाव बदलाव होते रहते हैं उनमें यदि अच्छे बदलाव होते हैं तो निकट भविष्य में अच्छी घटनाएँ घटित होती हैं और यदि बुरे बदलाव दिखाई पड़ें तो उन्हें देखकर निकट भविष्य में संभावित बुरी घटनाओं के घटित होने का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
श्रीकृष्ण भगवान् के जन्म की पूर्वसूचना देने वाली प्राकृतिक घटनाएँ !
सनातनधर्मियों के लिए भगवान के अवतार से अधिक शुभ कुछ भी नहीं हो सकता है और भगवान् के परमधाम से अधिक अशुभ कुछ भी नहीं हो सकता है | इसलिए सर्वप्रथम मैंने यहीं दोनों घटनाओं को अपने अनुसंधान का विषय बनाया है |
प्राकृतिक घटनाएँ केवल बुरी सूचनाएँ ही नहीं देती हैं अपितु अच्छी सूचनाएँ भी देती हैं इनमें अनेकों बातें सम्मिलित होती हैं जिन्हें संक्षेप में इस प्रकार से समझा जा सकता है | अच्छी घटनाओं के घटित होने से पूर्व अत्यंत सुंदर समय का संचार होने लगता है | सुंदर समय के प्रभाव से नदियों तालाबों आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर स्वतः स्वच्छ होने लगता है |वायुमंडल प्रदूषण रहित हो जाता है शीतल मंद एवं सुगंधित हवाएँ बहने लगती हैं आकाश धूल रहित होकर अत्यंत उत्तम दिखाई पड़ने लगता है |बादल समय से समान रूप से जल वर्षा करते देखे जाते हैं उनका गर्जन बहुत मंद एवं मधुर होता है |
भगवान् श्री कृष्ण के प्राकट्य की पूर्व सूचना प्रकृति ने ऐसे ही प्राकृतिक लक्षणों के माध्यम से दी थी |
समय -
भगवान् श्रीकृष्ण के प्राकट्य से पूर्व अत्यंत सुंदर समय आ गया था | उसी के अनुशार अच्छी अच्छी
" अथ सर्व गुणोपेतः कालः परम शोभनः |"
आकाश दिशाएँ - आकाश एवं दिशाएँ प्रदूषण रहित होकर अत्यंत स्वच्छ दिखाई पड़ती थीं |
" दिशः प्रसेदुर्गगनं निर्मलोडुगणोदयं |"
मेघगर्जन -
भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म समय में बादल अत्यंत धीरे धीरे मधुर मधुर गर्जन कर रहे थे ! यथा -
मंदंमंदं जलधराः जगर्जुरनुसागरं !
नदियाँ आदि -
नदियों में स्वच्छ जल बहने लगा था - "नद्यः प्रसन्नसलिला |"
तालाब -
तालाबों का जल तो स्वच्छ था ही रात्रि में कमल भी खिलने लगे थे- " ह्रदा जलरुहश्रियः |"
वायु -
शीतल मंद एवं सुगंधित हवाएँ बहने लगी थीं - "ववौ वायुः सुखस्पर्शः पुण्यगंधवहः शुचि |"
इसी प्रकार से कुछ शुभ पशु पक्षियों का शुभ शुभ बोलना व्यवहार करना आदि से भी समय की शुभता का अनुमान लगा लिया जाता है |
ऐसी सभी बातों के आधार पर इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया गया था कि कोई अत्यंत उत्तम मंगलकारी सुंदर एवं सुखद घटना घटित होने वाली है |
भगवान् श्री राम के जन्म के समय यही हुआ था श्री राम का प्राकट्य होने से पूर्व ही समय को शुभ जानकर देवताओं ने उस समय की शुभता को समझ कर उसकी पूजा की और अपने अपने धाम को चले गए इसके बाद भगवान् श्री राम का अवतार हुआ था-
दो. सुर समूह बिनती करि पहुँचे निज निज धाम |
जगनिवास प्रभु प्रकटे अखिल लोक विश्राम ||
ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के आधार पर वर्तमान समय में भी शुभ और अशुभ का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है प्रकृति स्वयं ही विभिन्न घटनाओं के माध्यम से भविष्य में घटित होने वाली सामाजिक प्राकृतिक आदि घटनाओं की सूचना दिया करती है |
भगवान् श्रीकृष्ण के परमधाम गमन की पूर्व सूचना देने वाली प्राकृतिक घटनाएँ
भगवान् श्रीकृष्ण के परमधाम जाने से पूर्व उसकी सूचना देने के लिए अनेकों प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित हो रही थीं | उनमें भूकंप भी घटित होते देखे जा रहे थे -
बार बार भूकंप आने लगे थे यथा - "कंपतेभूः सहाद्रिभिः" जिन्हें देखकर युधिष्ठिर अत्यंत चिंतित हो गए थे और आशंका व्यक्त करने लगे थे कि लगता है श्रीकृष्ण के धराधाम छोड़कर जाने का समय आ चुका है |
इसी प्रकार से असुरों के जन्म समय में अक्सर भूकंप जैसी घटनाएँ घटित होने का वर्णन मिलता है भगवान् श्रीराम के बन जाने से पूर्व भूकंप आदि घटनाएँ घटित होने लगी थीं जिन्हें देखकर महाराज दशरथ जी को भय होने लगा था कि अयोध्या में कुछ अमंगल होने वाला है इसीलिए तो भारत और शत्रुघ्न के घर न होने पर भी हड़बड़ाहट में श्री रामराज्याभिषेक का मुहूर्त निश्चित कर दिया गया था किंतु वह हो नहीं पाया था |
जब जब अशुभ घटनाएँ घटित होनी होती हैं तब तब भूकंप जैसी घटनाएँ घटित होती रही हैं | इसके अतिरिक्त भी केवल भूकंप ही नहीं अपितु सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ कोई न कोई संदेशा दे रही होती हैं |
आँधी तूफ़ान भूकंप आदि की घटनाएँ बार बार घटित होने लगती हैं | ऐसी और भी बहुत सारी प्राकृतिक घटनाएँ या पशु पक्षियों की बोली व्यवहार आदि से संबंधित घटनाएँ घटित होती हैं जो अशुभ सूचनाएँ देने के लिए जानी जाती हैं |
भगवान् श्री कृष्ण के परमधाम जाने के समय की सूचना प्रकृति ने कुछ इसप्रकार से दी थी |
समय -
सबसे पहले समय का संचार बिगड़ा था !जिसे देखकर लोग कहने लगे थे कि यह समय न जाने क्या करेगा !यथा - कालोयं किं विधाष्यति !
उसके कारण ऋतुएँ बिगड़ गई थीं ऋतुओं का असर कहीं कम तो कहीं अधिक दिखाई पड़ने लगा था -
ऋतुध्वंस : जिसे आधुनिक भाषा में 'जलवायुपरिवर्तन' कहने का रिवाज है -
ऋतुएँ अपने स्वभाव के विरुद्ध आचरण करने लगती हैं|जिस समय जो ऋतु होनी चाहिए उस समय वह नहीं होने लगी थी |सर्दी में गर्मी और गर्मी में सर्दी के लक्षण दिखाई पड़ने लगे थे वर्षा ऋतु सूखी निकल जाती थी वर्षा के अतिरिक्त अन्य ऋतुओं में अच्छी जलवर्षा होते देखी जाती थी | यथा -
कालस्य च गतिं रौद्रां विपर्यस्तर्तु धर्मिणः |
भूकंप आदि उत्पात -
पृथ्वी में भूकंप आदि घटित हो रहे थे और शरीरों में लोगों के भारी संख्या में रोग फैलने लगे थे |
यथा - पश्योत्पातान्नर व्याघ्र दिव्यान् भौमान् सदैहिकान् |
दिशाएँ-जिसे आधुनिक भाषा में 'पॉल्यूशन' कहने का रिवाज है |
वायु प्रदूषित होने लगती है आकाश धूल से भर जाता है | सूर्य और चंद्र का प्रकाश धूमिल लगने लगता है
दिशाओं में धुँधलापन छाने लगा था ! यथा - धूम्रःदिशः
मेघ गर्जन -
बादलों का गर्जन अत्यंत तीव्र होने लगा था यथा - निर्घातश्च महांस्तात
बिजली गिरना -
बिजली गिरने की घटनाएँ बार बार घटित हो रही थीं यथा - साकं च स्तनयित्नुभिः
आँधी तूफ़ान -
शरीर को छेदने वाली वायु धूलि वर्षा कर रही थी बार बार आँधी तूफ़ान घटित हो रहे थे|
यथा - वायुर्वाति खरस्पर्शो रजसा विंसृजंस्तमः |
वर्षा - बादल रक्त वर्षा करने लगते थे -'असृग वर्षन्ति जलदा '
ऐसे सभी अपशकुनों को देखकर युधिष्ठिर के मन में ये निश्चय हो गया था कि लग रहा है भगवान् श्रीकृष्ण जी के धराधाम से जाने का समय आ चुका है |
इसी प्रकार से शुभ शकुन देखकर अच्छी घटनाओं के घटित होने का पूर्वानुमान लग जाता है |
भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म के समय प्रकृति में जो जो अच्छी घटनाएँ घटित हो रही थीं प्राकृतिक घटनाओं के आधार पर इस बात का पूर्वानुमान उस युग के प्रकृति वैज्ञानिकों ने लगा लिया था कि इस समय कोई बहुत शुभ घटना घटित होने वाली है |
महाभारत युद्ध प्रारंभ होने के 13 पहले से भूकंप आने लगे थे !
महाभारत युद्ध से पहले युद्ध होने से संबंधित सूचनाएँ देने वाली कुछ और घटनाएँ मैंने देखीं | यथा -
सूर्योदय के समय आकाश में बादल न होने पर भी गंभीर गर्जना के साथ वर्षा होने लगी थी | अचानक प्रचंड आँधी और कंकड़ बरसने लगते थे जिससे सारे आसमान में धूल छा जाती थी | पूर्व दिशा की ओर भारी उल्कापात हुआ जो तेज आवाज के साथ पृथ्वी पर गिरी और पृथ्वी में विलीन हो गई !सूर्य का प्रकाश फीका पड़ चुका था पृथ्वी भयानक शब्द करती हुई बार बार काँपने और फटने लगती थी !बार बार बज्रपात होते देखे जाते थे !उस वर्ष दोनों पक्षों में त्रयोदशी को ही ग्रहण घटित हुए थे जबकि अमावस्या या पूर्णिमा में ऐसा होते हमेंशा से देखा जाता रहा है |हिमालय जैसे पर्वतों में शब्द हो रहे थे उनके शिखर बार बार टूट टूटकर गिरने लगे थे !चारों समुद्र उफनाने लगते थे !सूर्य चंद्र और तारे जलते हुए से दीख रहे थे चंद्रमा में बना हुआ मृगचिन्ह मिट सा गया था !गौवों से गधे, घोड़ी से बछड़े और कुटिया से गीदड़ पैदा होते देखे जाने लगे थे | चारों ओर बड़े जोर जोर की आँधी चलने से आकाश की धूल कभी समाप्त ही नहीं हो पा रही थी |
ऐसी और भी बहुत सारी प्राकृतिक घटनाओं ने उस समय होने वाले महाभारत जैसे युद्ध की पूर्व सूचनाएँ उपलब्ध करवाई थीं जिनके आधार पर महापुरुषों ने महाभारत जैसे भयानक युद्ध का पूर्वानुमान लगा लिया था | प्राकृतिक घटनाएँ भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की सूचनाएँ उपलब्ध करवा सकती थीं तो आज ऐसा होना संभव क्यों नहीं हो सकता है |
महाभारत में वर्णन मिलता है कि महाभारत के युद्ध से तेरह वर्ष पहले से भयंकर भूकंप एवं आँधी तूफ़ान बहुत अधिक संख्या में आने लगे थे एक दिन युधिष्ठिर ने व्यास जी से पूछा कि महाराज !अब तो शिशुपाल मारा जा चुका है अब ये भूकंप किस आपदा की सूचना देने के लिए अक्सर आते रहते हैं ?यह सुनकर व्यास जीने कहा कि आज के तेरह वर्ष बाद भयंकर युद्ध होगा जिसमें भारी संख्या में क्षत्रियों का संहार होगा उसी की सूचना देने आ रहे हैं ये भूकंप |
महाभारत की इस घटना से जहाँ एक ओर यह बात प्रमाणित होती है कि भूकंप भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की सूचना देने आते हैं वहीँ इस बात का भी निश्चय हो जाता है कि भूकंपों के द्वारा भविष्य में काफी आगे घटित होने वाली घटनाओं का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |
मुझे लगा कि यदि 13 वर्ष बाद होने वाले महाभारत जैसे युद्ध की सूचना भूकंप आदि घटनाओं के अनुसंधान के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है तो इस दृष्टि से भूकंप आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के आधार पर उनसे प्राप्त संकेतों को समझने का प्रयास किया जाना चाहिए | ऐसा विचार करके मैंने आज के लगभग 25 वर्ष पहले इस विषय में अनुसंधान प्रारंभ किया था जिसमें मैंने बिना किसी पूर्वाग्रह के वेदपुराण कुरआन बाइबल से लेकर विभिन्न धर्म पंथ क्षेत्र भाषा आदि से संबंधित समाज के अनुभवों प्रमाणों के साथ साथ आधुनिक विज्ञान से संबंधित बिचारों अनुमानों आशंकाओं के संयुक्त अध्ययनों को इस अनुसंधान में सम्मिलित किया गया है |
श्री राम बनवास और दशरथ जी की मृत्यु की सूचना देने वाली प्राकृतिक घटनाएँ !
दशरथ जी ने कहा - अयोध्या में पिछले आठ दिनों से बार बार आँधी तूफ़ान भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाएँ घटित होने लगी हैं | बार बार भयंकर शब्द करते हुए उल्कापात हो रहा है ने लगा था !बार बार बज्रपात होते देखा जा रहा है ! सूर्य मंगल और राहु जैसे ग्रहों का संचार विपरीत हो गया था !
जिस राज्य में ऐसे अपशकुन होने लगते हैं वहाँ के राजा को राज्य छोड़ देना पड़ता है और नया राजा बनता है | वर्तमान राजा भयंकर विपत्ति से ग्रस्त हो जाता है और अंततोगत्वा वर्तमान राजा मृत्यु को प्राप्त हो जाता है !
प्रायेण च निमित्तानामीदृशानां समुद्भवे !
राजा ही मृत्यु माप्नोति घोरां चापदमृच्छति !!
ऐसी परिस्थिति में राजा यदि तुरंत बदल दिया जाता है तो संभव है ऐसे प्राकृतिक लक्षणों का दुष्प्रभाव कुछ कम भी हो जाए !इसलिए मेरा ऐसा मत है कि श्रीराम गुणों में श्रेष्ठ हैं ही और कल पुष्य नक्षत्र भी है कल ही उनका राज्याभिषेक करके अयोध्या में आने वाले संभावित संकट से अयोध्या को बचाया जा सकता है |
इन्हीं उत्पातों के कारण ननिहाल में बैठे भरत जी को भी अपशकुन होने लगे जिनका अनुभव करके श्री भरत जी ने कहा कि मैं श्री राम ,राजादशरथ या लक्ष्मण इनमें से किसी एक की मृत्यु अवश्य होगी | यथा -
अहं रामोथवा राजा लक्ष्मणो वा मरिष्यति !
अंत में महाराज दशरथ जी की मृत्यु भी हुई श्री राम का बनवास हुआ और अयोध्या में उदासीनता बढ़ती चली गई |
पूर्व में घटित हुई प्राकृतिक घटनाएँ इस प्रकार के अमंगल की सूचनाएँ दे रही थीं | जिसमें न दोषी महाराज दशरथ जी थे न कैकई और न ही मंथरा क्योंकि सभी लोग आपस में एक दूसरे के साथ स्नेह पूर्वक रह रहे थे | उनमें आपस में कोई किसी प्रकार का मतभेद नहीं था किंतु समय के प्रभाव से ये घटनाएँ घटित हुईं जिनकी सूचना प्राकृतिक घटनाओं ने पहले से दे दी थी |
भूकंप के विषय में दो शब्द -
भूकंप जब जहाँ कहीं भी आते हैं वहाँ सब कुछ अव्यवस्थित हो जाता है चारों ओर हाहाकार मच जाता है अक्सर जब भूकंप आते हैं तो छोटे से लेकर बड़े तक बहुत नुक्सान होते देखे जाते हैं | ये उस भूकंप का एक पक्ष है दूसरा पक्ष यह भी है कि वह भूकंप निकट भविष्य में घटित होने वाली किसी अन्य घटना की सूचना दे रहा होता है | ज्ञान के अभाव में भूकंप के द्वारा प्रदत्त सूचना के विषय में तो किसी का ध्यान जाता नहीं है और न ही इसकी आवश्यकता ही समझी जाती है केवल भूकंप के वर्तमान स्वरूप की चर्चा एवं उसके प्रभाव से होने वाले नुक्सान की चर्चा की जा रही होती है |
ऐसे भयावह वातावरण में टीवी चैनलों पर भी गिरते हुए मकान फटी धरती टूटे पेड़ आदि के प्रतीकात्मक डरावने दृश्य दिखाए जाने लगते हैं! समाज एक तो भूकंप की दहशत से परेशान होता है तो दूसरे टीवी चैनलों पर एक से एक डरावनी बातें बताई जा रही होती हैं | अभी झटके लगते रहेंगे इसलिए खुली जगह में आ जाओ जैसी सलाहें समाज को दी जा रही होती हैं |डेंजर जोन गिनाए जा रहे होते हैं भूकंप रोधी बिल्डिंगें बनाने की सलाहें दी जा रही होती हैं | इसके साथ ही ये कहना कभी नहीं भूलते हैं कि निकट भविष्य में बहुत बड़ा भूकंप आएगा क्योंकि हिमालय के नीचे गैसों का भारी भंडार संचित हो गया है |गैसों के दबाव से जमीन के अंदर की प्लेटें रगड़ती हैं उसी से भूकंप आता है ! भूकंप का केंद्र कहाँ था,तीव्रता कितनी थी कितनी गहराई पर था कितने बजे आया था आदि बातें बताकर रीति रिवाज निभा लिए जातें हैं डेंजर जोन वाली हर बार जरूर बताते हैं !ये बताना नहीं भूलते कि इस तीव्रता का भूकंप दिल्ली में आएगा तो क्या क्या हो सकता है |
वैज्ञानिक अनुसंधानों के नाम पर ऐसी बातें एक ओर तो अत्यंत विश्वास पूर्वक समझाई जा रही होती हैं तो वहीं दूसरी ओर वही लोग कह रहे होते हैं कि अभी भूकंपों के विषय में कोई अनुसंधान सफल नहीं हो सका है | इसलिए भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक संभव नहीं है |
ऐसी परिस्थिति में सबसे बड़ा संशय इस बात का होता है कि इन दोनों बातों में सच आखिर है क्या ?भूकंपों के विषय में कुछ पता है भी या नहीं या फिर धरती के अंदर की गैसों और प्लेटों वाली बातें भी केवल कल्पनामात्र हैं यदि ऐसा तो भूकंपों के विषय का सच क्या है |ये बात आखिर उन वैज्ञानिकों के अलावा कौन बताएगा कि भूकंप आने का वास्तविक कारण क्या है और ऐसी बातें कहने के पीछे मजबूत आधार आखिर क्या है। जनता की आशा उन्हीं वैज्ञानिकों से होनी स्वाभाविक है |
भूकंपों के विषय में उनके द्वारा दी जा रही गैसों और प्लेटों की थ्यौरी ही भूकंपों के आने का वास्तविक कारण है या कुछ और ये भी वास्तविक तर्कों से सिद्ध किया जाना चाहिए | आधुनिक विज्ञान यदि इन्हीं गैसों और प्लेटों को भूकंपों के घटित होने का वास्तविक कारण मानता है तो इस थ्योरी को भी तर्कों के द्वारा और अधिक विश्वसनीय बनाया जाना चाहिए |
पिछले कुछ दशकों से इस क्षेत्र में निरंतर शोधकार्य करते करते मुझे लगने लगा है कि जब प्रकृति या समाज में अचानक और अकारण बहुत अधिक दुर्घटनाएँ घटने लगें या अधिक आग लगने की घटनाएँ घटित हों या वर्षा बाढ़ रोग या सामाजिक वैमनस्य ,आतंकवादी दुर्घटनाएँ या दो राष्ट्रों के बीच बढ़ता प्रेमालाप या बढ़ता वैर विरोध आदि तब भूकंप प्रेरक शक्तियों के आदेशों की प्रतीक्षा होने लगती है !
सकारण होने वाली घटनाओं का संबंध भूकंपों से नहीं माना जाना चाहिए !अचानक और अकारण घटने वाली घटनाएँ ही भूकंप प्रेरित मानी जानी चाहिए ! वैसे भी ऐसे विषयों पर अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है|
भूकंप जैसी बड़ी घटनाएँ वस्तुतः ये प्राकृतिक उत्पात होते हैं इसका मतलब ये केवल संकेत मात्र होते हैं भविष्य संबंधी घटनाएँ घटने के समय में और इनकी सूचनाओं में इतना अंतर तो होता है कि कई बार हम उन घटनाओं को घटने से टालने के प्रयास भी कर सकते हैं किंतु उसके परिणाम कितने सटीक होंगे इसका अनुभव करने के लिए हमारे पास संसाधन नहीं हैं !
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