भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
ज्योतिष और भ्रम आखिर क्या सच है क्या झूठ ?
द्वारा कुछ तीर तुक्के लगाए जाते हैं जो कभी-कभी सच लगने लगते हैं, किन्तु ग्रहों का स्वरूप, स्वभाव, दृष्टि, दशा आदि का वृहद् विवेचन तो ज्योतिष शास्त्र से ही किया जा सकता है । इसके अलावा भविष्य जानने की सारी विद्याएँ अधूरी, अज्ञानजन्य, तीर-तुक्के या बकवास हैं । बाकी फिर भी देखी सुनी जा सकती हैं।
आदि की विधाएँ भी कुछ ऐसी ही हैं। संकेत साफ ही है निर्णय आप स्वयं लें ज्योतिर्विद होने के नाते मैं इतना अवश्य कह सकता हूँ कि ये सब विधाएँ न तो ज्योतिष हैं और न ही ज्योतिष से संबंधित।
बिल्ली के रास्ता काट देने से अशुभ नहीं होता अपितु अशुभ होना होता है तब बिल्ली रास्ता काटती है। इस प्रकार हर शकुन अपशकुन को केवल सूचक अर्थात् अच्छे बुरे की सूचना देने वाला मानना चाहिए। इसी प्रकार शरीर के विभिन्न अंगों के फड़कने का फल, स्वप्न का फल, पशु-पक्षियों की बोली एवं चेष्टा (आचरण) आदि का फल जानना चाहिए।
योग्य और अयोग्य लोगों के द्वारा बनाए गए पंचांग जब दो प्रकार के हो सकते हैं तो त्योहार दो दिन क्यों नहीं होंगे? ज्योतिष विद्वान और ज्योतिष कलाकर दोनों की जानकारी में अंतर होने के कारण तिथि-त्योहारों में भी अंतर आना स्वाभाविक है। दो दिन होली, दो दिन दिवाली आदि सब त्योहार दो दो दिन होने लगे।
ज्योतिष के द्वारा वर्षा, शर्दी, गर्मी, पाला, कोहरा आदि का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। केवल ग्रहयोगों से आने वाले भूकंपों के बारे में भविष्यवाणी करने का ज्योतिषशास्त्र को अधिकार मात्र 25 प्रतिशत ही है। देवताओं के कोप से,वायु के टकराने से,जमीन के अंदर की हलचल से भी भूकंप आते हैं। जिनकी भविष्यवाणी ज्योतिष से नहीं की जा सकती।
इसी प्रकार खेलों के विषय में भी भविष्यवाणी करना असंभव होता है। जो ज्योतिष कलाकार करते रहते हैं उसे मनोरंजन मानकर सुनना चाहिए।
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