भूकंप (5-2-2016 को 22 .00बजे) नेपाल भारत नेपाल के रिश्तों को मधुर बनाएगा !

भूकंप आने से जनधन की हानि तो होती ही है मकान पेड़ पौधे आदि भी गिरते हैं इसके अलावा भूकंप आने का शकुन अपशकुन भी होता है कि भूकंप आज आया है तो उसका भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा !जानिए कैसे -
      हमारे 'राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान' के  द्वारा किए जा रहे भारत के प्राचीन विज्ञान के भूकम्पीय अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि ये भूकंप भारत और नेपाल के आपसी संबंधों को अत्यंत मधुर बनाएगा !प्रसन्नता का वातावरण दोनों और बनेगा !एक और प्रसन्नता की बात यह है कि इस भूकंप के आफ्टर शॉक्स नहीं होंगे !ये बता देना इसलिए भी आवश्यक है कि पिछले वर्ष आए भूकम्प के आफ्टर शॉक्स 45 दिनों से भी अधिक लम्बे समय तक चले थे उसमें  भारी जनधन की हानि हुई थी ! प्राचीन विज्ञान के हिसाब से वो भूकंप दूसरी श्रेणी का था और ये भूकंप दूसरी श्रेणी का है इस भूकंप से एक सतर्कता जरूर बरती जानी चाहिए कि जल जनित बीमारियाँ उन लोगों को हो सकती हैं जो भारत और नेपाल से सम्बंधित तालाबों नदियों एवं समुद्र के किनारे रहने वाले होने के साथ साथ इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र के रहने वाले हैं।मद्रास की तरह अतिवर्षा का शिकार भी होना पड़ सकता है दोनों देशों को पीड़ा पहुँचाने वाली कोई नदी अत्यंत वर्षा के कारण प्रचंडबाढ़ से भयानक रूप धारण कर सकती है ! कुलमिलाकर जलजनित ब्याधियों के अलावा ये भूकंप भारत तथा नेपाल दोनों ही क्षेत्रों के लिए सुखप्रद रहेगा !विशेष बात ये है कि इस भूकंप के द्वारा घटित होने वाले अच्छा  और बुरा  दोनों ही तरह का प्रभाव 60 दिनों तक होने की विशेष संभावना रहती है ! 
इसी प्रकार से हमारा पुराना प्रकाशित लेख भी देख  सकते हैं जो भारत पाक के आपसी संबंधों के विषय में था !see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/10/blog-post_26.html
भारतपाक के आपसी संबंधों का हिंदुकुश में आए भूकंपों से भी है क्या कोई संबंध !
      दिल्ली और पंजाब के आसमान में क्यों छाई है धूल ?इस अपशकुन का फल ही तो नहीं हैं अभी हाल में हुए आतंकी हमले !मद्रास में क्यों हुई भीषण वर्षा ? जानिए भारत के प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से -
     ऐसे शकुनों अपशकुनों का अध्ययन यदि भारत के प्राचीन भविष्य विज्ञान की दृष्टि से किया जाए तो इस समय भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने की दिशा में मिल सकती है महत्त्वपूर्ण सफलता !पाकिस्तान को चाहिए कि आतंकवादियों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही करके जीते भारत का विश्वास  और प्रयास पूर्वक जारी रखे भारत के साथ शांति की कोशिशें ! 
    बंधुओ !इस समय प्रकृति में दो चीजें खूब दिखाई पड़ रही हैं पहली बात हिंदूकुश से दिल्ली तक आने वाले भूकंप और दूसरी बात दिल्ली से पंजाब तक आसमान में छाई धूल !आप भी जानिए कि भारत के प्राचीन विज्ञान के हिसाब से क्या है इसके अच्छे बुरा  फल ! 
    बंधुओ ! आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस समय भारत और पाकिस्तान को आपस में मिलाने में ये भूकंप भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं !पहली बार 26 अक्टूबर 2015 को गीता भारत आई तो उसी दिन भूकंप आया दूसरी बार 25 दिसंबर 2015 को मोदी जी पाकिस्तान गए तो उसी रात में भूकम्प आया !तीसरी बार 2 जनवरी 2016 पाकिस्तान से आतंकवादी  आए तो भूकंप आया !
      देखने में भले ये महज एक संयोग लगे किंतु  इन भूकंपों के विषय में प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से अध्ययन करने पर ये पता लगता है कि इन भूकंपों के आने के एक सप्ताह पहले से 6 मास बाद  तक इनके अच्छे बुरे फल होते रहते हैं यद्यपि जैसे जैसे समय बीतता जाता है वैसे वैसे भूकंपों का प्रभाव भी घटता जाता है इसीलिए एक जैसे भूकंप एक ही स्थान पर अगर बार बार रिपीट होते जा रहे हैं तो इनका कोई महत्वपूर्ण संकेत है । 
      दो जनवरी को आने वाला  भूकंप मात्र इस बात का संकेत था कि पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने भारत को जो भयंकर चोट दी है सैनिकों के बहुमूल्य जीवन खोने पड़े हैं इस असह्य आपदा से घबड़ाकर भारत शांति के प्रयासों से अपने कदम कहीं पीछे न खींच ले !इसलिए उस दिन आए भूकंप के प्रभाव से पाकिस्तान को इतनी सद्बुद्धि आएगी कि वो भारत की भावनाओं के अनुरूप ब्यवहार करेगा !वैश्विक दृष्टि से भी पाकिस्तान पर ऐसा ही दबाव बनाया जाएगा जिससे पाकिस्तान सरकार भारत का भरोसा जीतने का प्रयास करे ! मैंने इस विषय से सम्बंधित लेख अपने इसी ब्लॉग पर 26-10 -2015 को प्रकाशित किया वो बिना किसी एडिटिंग के वैसा ही वहाँ पड़ा है उसकी सच्चाई की जाँच भी की जा सकती है और पढ़ा भी जा सकता है see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/10/blog-post_26.html
   अब जानिए दिल्ली से पंजाब तक आसमान में क्यों छाई है इतनी धूल ?
    बंधुओ ! ये आम धूल नहीं है अपितु प्राचीन विज्ञान के हिसाब से तो  ये अपशुकन है !इसका फल बहुत अशुभ बताया गया है यह देश की सुरक्षा एवं देश के प्रधानशासक के लिए अत्यंत अशुभ होती है ! संभव है कि निकट भविष्य में हुआ आतंकवादी हमला इसी अपशकुन का परिणाम हो किंतु इतने पर भी यह धूल यदि घटती नहीं है तो भविष्य में भी सतर्कता बरती जानी अत्यंत आवश्यक है क्योंकि अभी इसका दुष्प्रभाव जारी है !
   मैंने इस धूल के अपशकुन के विषय से सम्बंधित लेख अपने इसी ब्लॉग पर 26-10 -2015 को प्रकाशित किया था  वो बिना किसी एडिटिंग के वैसा ही पड़ा है उसकी सच्चाई की जाँच भी की जा सकती है और पढ़ा भी जा सकता है see more....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/12/blog-post_84.html 
     बंधुओ !हिंदूकुश में आए तीनों भूकंप हों या आकाशी धूल भारत के प्राचीनविज्ञान के आधार पर इन दोनों चीजों के अलग अलग फल हैं हिंदूकुश में तीन भूकंप आए जिनसे दिल्ली तक हिली और ये भूकंप जिन तीन तारीखों में आए हैं उनका फल प्राचीन विज्ञान में एक जैसा ही लिखा गया है इसका फल होता है कि "ऐसे भूकंपों से प्रभावित देश आपसी बैर विरोध छोड़कर एक दूसरे के साथ मधुर बर्ताव करने लगते हैं दूसरा समुद्रों और नदियों के किनारे अतिवर्षा और बाढ़ से बड़ा नुक्सान होता है वो मद्रास में हुआ !
     बंधुओ!आपको याद होगा कि 26 -10-2015 को भूकंप आने से पहले भारत पाकिस्तान के आपसी संबंधों में भारी खिंचाव था किंतु 26 -10-2015 को आए भूकंप का ऐसा प्रभाव पड़ा कि इसीदिन पाकिस्तान से 14 वर्ष बाद गीता भारत आई !
   इसी प्रकार से 26 -10-2015 से पहले वर्षा के कहीं कोई आसार नहीं थे किंतु ये भूकंप आते ही  समुद्र के किनारे के शहर मद्रास में भीषण बर्षा होने लगी बाढ़ आई जो लम्बे समय तक चली और उसमें बड़ा नुक्सान हुआ ! 
     चूँकि ये वर्षा भूकंप के दुष्प्रभाव स्वरूप थी इसलिए ये कबतक चलेगी इसका ठीक ठीक अनुमान लगा पाने में मौसम विभाग भी सफल नहीं हुआ दो दो तीन तीन दिनों की भविष्यवाणियाँ करते हुए समय घसीटता जा रहा था । 
     प्रकृति में भूकंपों के आने का फल बिनाश के अलावा शुभ की सूचना भी देता है इस दृष्टि से भी भूकम्पों के आने के बाद उनके परिणाम स्वरूप कुछ शुभ और कुछ अशुभ फल भी होता है जैसे 26 अक्टूबर को आए भयानक भूकंप का फल था मद्रास की भीषण वर्षा और बाढ़ !साथ ही भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सामान्य बनाना भी ऐसे भूकम्पों  का फल है और जब जब सम्बन्ध बिगड़ते  चिटकते या और मधुर होने लगते हैं तब तब आ जाता है भूकम्प और मजे की बात हिन्दूकुश में ही आता है और उसी श्रेणी का भूकम्प आता है जो 26 अक्टूबर को आया था इसका मतलब होता है कि उपर्युक्त फल को लगभग छै महीने और मिल जाते हैं 
      बंधुओ ! भारत के प्राचीन विज्ञान के आधार पर सभी प्रकार के भूकम्पों को चार श्रेणियों में बाँटा गया है !हर समय सभी का अध्ययन कर पाना किसी एक व्यक्ति के लिए पूर्ण रूप से संभव नहीं है इसके लिए जितने साधन और व्यवस्था की आवश्यकता होती है वो हम जैसे सामान्य लोगों के लिए निजी तौर पर संभव नहीं है आधुनिक वैज्ञानिक लोग प्राचीन विज्ञान को मानते नहीं हैं सरकारें उन्हीं वैज्ञानिकों के पीछे चलती हैं !ऐसी परिस्थिति में भारत के प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से प्रकृति ,आकाश या वायुमंडल में घटित होने वाली हर घटना का अध्ययन का पाना सरकार के सहयोग के बिना अत्यंत कठिन है इसलिए जितने साधन एवं आर्थिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है वो बिना सरकार के सहयोग के संभव नहीं है सरकार आधुनिक भूकंप विज्ञान पर जितना धन खर्च करती है उसका एक प्रतिशत भी यदि प्राचीन विज्ञान पर भी खर्च होने लगे तो मुझे आशा है कि निकल सकते हैं कई क्षेत्रों में कुछ महत्त्व पूर्ण परिणाम !      
  • Saturday, January 2, 2016  को दोपहर सवा दो बजे "भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.8 मापी गई है दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में झटके लगे इसका केंद्र अफगानिस्तान की हिंदू कुश पहाड़ी क्षेत्र में जमीन के नीचे 170 किलोमीटर की गहराई में स्थित था." Saturday, 2 January 2016  को ही  पठानकोट में आतंकवादी हमला !
  • 25 \26 दिसंबर की रात को भी दिल्ली, जम्मू कश्मीर और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मामूली तीव्रता का भूकंप आया था। उसका भी केंद्र अफगानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र में था। तब भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.5 आंकी गई थी। 25 दिसंबर को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी जी गए थे पाकिस्तान !
  •  26 -10-2015 को आया हिंदू कुश में आया भूकंप! 26 -10-2015 को ही पाकिस्तान से लौटी गीता !      
    बंधुओ !सन  2015 में लगभग 3000 भूकम्प आए जिनके आने के कारण और भविष्यवाणियों पर वैज्ञानिकों ने हाथ खड़े कर रखे हैं ।भूकंप आने से पहले के प्राप्त प्राकृतिक संकेतों के विषय में पता नहीं कि वे मानते हैं या नहीं भूकंप आने के बाद भूकम्प आने का कोई फल भी होता होगा इस  शकुन एवं अपशकुन को वो नहीं मानते !और मानेंगे भी तो यही न कि तवाही बिनाश आदि को छोड़कर और क्या दे सकता है भूकम्प !इससे अधिक कल्पनाएँ की भी नहीं जा सकतीं !
  हर भूकंप के आने के बाद वही धरती के अंदर की प्लेटें खिसकने टकराने की बात वही धरती के अंदर की गैसें वही हिमालय वही तवाही के चित्र क्या बश इतना ही है भूकंप विज्ञान या कुछ और भी !इतनी ही बातें दशकों से सुनी जा रही हैं भूकम्प वैज्ञानिकों के द्वारा !
     बंधुओ ! यदि भारत के प्राचीन विज्ञान को आधार मानकर चला जाए तो सारे भूकंप धरती के अंदर की प्लेटों के या धरती के अंदर भरी गैसों के कारण ही नहीं आते इनके कारण न केवल धरती के ऊपर भी होते हैं अपितु सुदूर आसमान में भी हो सकते हैं !और सभी भूकंप आने से पहले प्रकृति में पेड़ों में पौधों में जल में स्थल में वातावरण में आकाशी ग्रह तारों में आकाश में पशुओं में मनुष्यों में कुछ न कुछ ऐसे परिवर्तन आने लगते हैं जो अचानक आकर आगामी भूकंपों की पूर्व सूचना देते हैं यदि उन संकेतों का अध्ययन किया जाए तो हो सकता है कोई महत्त्व पूर्ण सफलता भी हाथ लग जाए !

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