" एस्ट्रोलूटरों " और " एस्ट्रोशूटरों " से मुक्त करा लो ज्योतिषशास्त्र !अन्यथा आने वाली पीढ़ियों को क्या सौंपोगे !

"राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" की सलाह!
    बंधुओं !अपने पूर्वजों की त्याग तपस्या से खोजी गई ज्योतिष जैसी दिव्य विद्या का अपमान आखिर कब तक सहते रहेंगे आप ! ये तुम्हारे पूर्वजों की दिव्य पूँजी है तम्हारे बाद तुम्हारे बच्चों को भी चाहिए आपकी पीढ़ियों को भी जरूरत पड़ेगी इसकी किंतु आपको क्या लगता है कि ये लोग तब तक बना रहने देंगे इस शास्त्र और इसके प्रति बने विश्वास  को !स्थिति यदि यही रही तो समाज बहुत जल्दी ऐसी दिव्य विद्याओं से घृणा करने लगेगा तब क्या करोगे तुम्हारे पूर्वजों ने जिस विद्या को तुम्हें जैसा  सुरक्षित सौंपा है 
     ज्योतिषप्रेमी बंधुओ ! वर्तमान समय " एस्ट्रोलूटरों " और  " एस्ट्रोशूटरों " का ज्योतिषशास्त्र पर सम्पूर्ण कब्ज़ा हो चुका है !ये लोग ही ज्योतिष संबंधी फैसला लेने के सारे करता धर्ता हैं टीवी से लेकर समाज तक हर जगह ये लोग ही मंडरा रहे हैं मजे की बात भारत सरकार ने जितने शिक्षण संस्थानों में ज्योतिष शिक्षा के लिए जो प्रावधान किए हैं उनसे इनका दूर दूर तक कहीं कोई लेना देना नहीं होता है ये पूरी तरह से  'स्वयंभू' होते हैं ।     समाज की समस्याओं को समाज से पूछकर उन्हीं  समस्याओं को बहुत अधिक बढ़ाचढ़ाकर फिर परोस देते हैं हैं समाज के सामने ,मुशीबत के मरे लोग इनकी कलाकारी जज करने में चूक जाते हैं उधर जिन भयों से समाज भयभीत होता है उन्ही के भयानक नाम ले लेकर डराते धमकाते नोचते हैं!मन गढंत उपाय बता बताकर ज्यादा से ज्यादा जो ले पाते हैं सो तो ले लिया और यदि नहीं ले पाए तो कोई न कोई बड़ा बहम डालकर मरने के लिए छोड़ देते हैं । ऐसे शूट कर देते हैं उसे ,वो हैरान परेशान प्राणी उन्हीं बहमों में घुला करता है दिन रात !क्या पूर्वजों ने इसलिए की थी ऐसे संजीवनी शास्त्रों की रचना !
      ये एस्ट्रोलूटर भविष्य बताते समय ऋषियों मुनियों के नाम ले लेकर झूठ बोला करते हैं । कुंडली बनाने के नाम पर रावण संहिता ,कुंभकरणसंहिता ,विभीषण संहिता,  महिषासुरसंहिता से लेकर निर्मलबाबा संहिता,तमाशाराम संहिता जैसे नाम रख रखकर बेचा करते हैं कम्प्यूटर से निकाल निकाल कर प्रिंटआउटों की रद्दी ! उसमें जो कुछ लिखा होता है वो तो जब होगा तब देखा जाएगा किंतु लूट पाट  तो आज करनी है वो कर लेते हैं । ये लोग जो राशिफल रोज बताते हैं उसका ज्योतिष से कोई सम्बन्ध नहीं होता है वही स्थिति कालसर्पयोग की भी है लोगों को डराने धमकाने के लिए ऐसे शब्द प्रयोग करते हैं ये लोग !मजे की बात तो ये है कि पाखंडियों ने इन्हीं नामों से मणियाँ कवच ताबीज यंत्र भी  बनाने  बेचने शुरू कर दिए !मेरी चुनौती है यदि ये लोग इन बातों को शास्त्रों से कहीं प्रमाणित कर दें ! ऐसे लोग किस राशि वालों को किस दिशा में बैठकर छींकना थूकना है वो तक सिखाने का नाटक करते हैं !टेलीवीजन चैनलों पर दिनरात राशि फल बकनेवालों का बश चले तो माँ के गर्भ में घुसकर बच्चे के कान में बता आवें राशिफल और वहीँ पहना  दें नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज !ताकि बच्चा पहने ओढ़े ही पैदा हो !
      ऐसे पाखंडियों को फलने फूलने के लिए जिम्मेदार मुख्यरूप से वे दलिद्र या कंजूस लोग हैं कह सकते हैं जो पैसे न देने पड़ें इस लालच में जीवन में कभी किसी पढ़े लिखे डिग्री होल्डर ज्योतिषी के पास पहुँच ही नहीं पाते हैं गली के कुत्ते की तरह जैसे वो अपनी गली को ही सारी  दुनियाँ  समझ लेता है ऐसे ही दरिद्र लोग अपने ही परिचित लोगों की कहानियाँ बना बनाकर सुनाया करते हैं कि वो बड़े विद्वान हैं किंतु एक बार उनकी क्वालीफिकेशन चेक करें तो अपनी औकात पता चल जाएगी कि हम अपनी चतुराई के कारण अभी तक गोबर खाते जा रहे थे ! ऐसी अंग्रेजों की चालाक औलादें  भारत की प्राचीन विद्याओं  से इतनी घृणा करती हैं कि ऐसे लोग डॉकटरों वकीलों दलालों प्रॉपर्टी डीलरों मैरिज ब्यूरो या अन्य प्रकार के सलाहकारों तक को तो उनकी पीस देना चाहते हैं किंतु ज्योतिष विद्वानों को नहीं जबकि ऐसे लोग काम लेना चाहते हैं इसलिए पढ़े लिखे ज्योतिषविद्वान लोग तो ऐसे दरिद्र लोगों को मुख ही नहीं लगाते तो ये चालाक लोग ज्योतिष के नाम पर पाखण्ड फैलाने वाले "एस्ट्रोलूटरों" से फँसते हैं । 
       ये ज्योतिष बिलकुल न जानने वाला वर्ग केवल ज्योतिषियों जैसी बातें करना सीख गया है ये निहायत चालाक लोग सामने वाले को मिनटों में ताड़ जाते हैं इनका मानना होता है कि कुछ लोग फीस न देनी पड़े उसके लिए कुछ भी कर सकते हैं इसलिए उनका उसी तरह से उपभोग करो !इसलिए वो भाभी भाभी करके घरों में घुस जाते हैं वहाँ से साम दाम दंड भेद कर के सब तरह से निकाल लेते हैं सूत ब्याज सहित अपनी फीस ! कई बार तो भाभी ही नहीं बच्चों पर  भी बन आती है ।जबकि ऐसी परिस्थितियाँ  होने पर भी दरिद्रलोग दोषी सामने वाले को ही मानते रहेंगे गलती अपनी कभी नहीं मानेंगे !
       "एस्ट्रोलूटर " तो मजे मजाए  खिलाड़ी होते हैं !ये कोई ज्योतिष विद्वान थोड़े हैं जो बक्स देंगे !एस्ट्रोलूटरों में ज्ञान विज्ञान शिक्षा संस्कार संयम त्याग वैराग्य आदि तो  होते नहीं हैं ऐसे लोग किसी चरित्र और सिद्धांत से नहीं बँधे होते हैं ऐसे लोग अधिक धन संग्रह के लिए ,अच्छा खाने,अच्छा पहनने,बिलासी रहन सहन एवं  सभी प्रकार के भोग भोगने के लिए स्वतंत्र होते हैं ! ज्योतिष विद्वान  लोग तो ऐसे सभी ब्यसनों से दूर रहते हैं त्याग तपस्या पूर्ण जीवन जीते हैं जबकि "एस्ट्रोलूटरों" से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती वे ज्योतिष बिना पढ़े लिखे लोग अपनी ऐय्याशी की  सारी शौकें पूरी करने के लिए तो ये धंधा अपनाया  होता है धर्म कर्म चरित्र शिक्षा सदाचार आदि बातों से उनका क्या लेना देना !ये तो पैसे मिलने लगें तो नंगे होने में भी देर नहीं करेंगे ये पैसे के लिए पूरी तरह बेशर्म हो चुके होते हैं !
       ज्योतिष वास्तु मंत्र या किसी के भविष्य के विषय में इनके द्वारा बताई गई बातें सौ प्रतिशत ऐसी झूठ होती हैं कि  उनका शास्त्रों ग्रंथों या आपके भविष्य ,जरूरतों ,समस्याओं समाधानों से कोई लेना देना नहीं होता है पूछने वाले के विषय में घर गृहस्थी से जुडी सारी समस्याएँ बता जाते हैं कोई न कोई तो होंगी ही और उनके समाधान और भाग्य ठीक करने के लिए कौवे कुत्ते तीतर बटेर जौ बाजरा मक्का नीबूमिर्च कोयला हल्दी आदि खिलाने पहनने ओढने बिछाने फेंकने उठाने के बाली बातें बताकर पीछे से कोई कुछ नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज मणि रत्न कवच टाइप के वे मन गढंत अपने प्रोडक्ट घुसा देते हैं जिसकी भारी भरकम धनराशि वसूलते हैं जिसके लिए उन्होंने दीन ईमान छोड़ा होता है ! क्लाइंट ये सोचकर फँस जाता है कि कौवे कुत्ते तीतर बटेर जौ बाजरा मक्का नीबूमिर्च कोयला हल्दी आदि खिलाने पहनने ओढने बिछाने फेंकने उठाने में उस बेचारे को क्या मिल रहा है रही बात नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज मणि रत्न कवच जैसी चीजों के तो उसके पैसे तो देने ही चाहिए आखिर वो फ्री तो आते नहीं हैं । इस भावना से लुटपिट कर ऐसे दरिद्रों को जब होश आता है तब सारी तोहमत ज्योतिषशास्त्र और ज्योतिष विद्वानों के मत्थे मढ़ देते हैं कुलमिलाकर गाली खाने के लिए ज्योतिषशास्त्र और ज्योतिष विद्वान और पैसा देने के लिए "एस्ट्रोलूटर" !
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