ज्योतिषशास्त्र के साथ विश्वासघात कर रहे हैं पाखंडी लोग !

    ज्योतिष का काम करने वाले लोग हों या ज्योतिष का काम करवाने वाले लोग दोनों अब एक दूसरे को केवल धोखा दे रहे हैं इन दोनों के बीच से ज्योतिष गायब हो गई है अब तो छीना झपटी इस बात के लिए मची है कि कौन किसको कितना अधिक से अधिक नोच ले !
   कंजूस लोग कम से कम पैसे देकर लेना चाहते हैं ज्योतिष सेवाएँ दूसरी ओर लोगों को डरा धमका कर पैसे ऐंठ रहे हैं पाखंडी !वो तरह तरह के हथकंडों से चूस रहे हैं समाज को किन्तु इन दोनों की छीना झपटी में ज्योतिष शास्त्र तिल तिल मर रहा है उस को बचाने के लिए भी तो समाज का कुछ दायित्व है !
   पढ़े लिखे विद्वान ज्योतिषियों से चर्चा करने पर पता लगता है कि समाज के अप्रिय व्यवहार से आहत वो लोग अपने बच्चों को ज्योतिष पढ़ाना नहीं चाहते और खुद को ज्योतिषी कहे जाने पर भी घुट रहा है उनका दम !इसलिए उन ईमानदार लोगों ने ज्योतिष शास्त्र को अच्छे ढंग से पढ़ लिखकर भी ज्योतिष का क्षेत्र छोड़ना शुरू कर दिया है क्योंकि वो आधुनिक ज्योतिषीय  भुर्जियों के द्वारा की जा रही ज्योतिष की छीछालेदर सह नहीं पा रहे हैं !
      दूसरी ओर ऐसे ईमानदार लोग यदि समाज के साथ ईमानदारी का व्यवहार करना चाहते हैं तो समाज की आदतें ज्योतिषीय भुर्जियों ने नग नगीने जंत्र तंत्र ताबीज आदि बेचकर और इसी प्रकार से मंदिरों के पुजारियों ने जूठन खा खा कर हालत इतनी बिगाड़ दी है कि समाज भी अब उसी का आदी हो चुका है ऐसे में सीधे साधे  ज्योतिष विद्वान लोग कैसे घुसें ऐसे कंजरों के बीच !
    इस लिए समाज से निवेदन है कि जिसे ज्योतिष के प्रति विश्वास  न हो उसे ज्योतिषियों  के पास जाना ही नहीं चाहिए ईश्वर के भरोसे जिए क्या दिक्कत है और यदि विश्वास है तो आधे अधूरे मन से या दरिद्रता कंजूसी आदि हरकतें छोड़कर ज्योतिष के अच्छे विद्वानों को खोजकर उनसे मिलना चाहिए और उनकी निर्धारित फीस उन्हें देनी चाहिए क्योंकि उसी पर उनकी घर गृहस्थी आदि सम्पूर्ण जीवन टिका होता है वैसे भी उन्होंने ज्योतिष पढ़कर कोई अपराध तो किया नहीं है कि वो और उनका परिवार किसी और का भाग्य सँभालने के लिए अपनी फीस छोड़कर अपने जीवन को किसी के दिए हुए उपहारों पर काटेगा !उसकी भी सौ तरीके की आवश्यकताएँ होती हैं जो आपके दिए हुए मिठाइयों कपड़ों बर्तनों से कैसे पूरी हो सकती हैं उसके जीवन के खर्चे लोगों की ऐसी हरकतों से चल जाएंगे क्या ?और जो बिना पढ़े लिखे पंडित पुजारी टाइप के लोग हैं ऐसे लोगों को अपनी जूठन खिला खिला कर उन्हें विद्वान सिद्ध करने वाले लोग वास्तव में ज्योतिष शास्त्र के शत्रु हैं । 
    कुछ नशेड़ी गंजेड़ी भंगेड़ी अपना नशा खर्च निकालने के लिए अपने को ज्योतिषी बताने लगते हैं और किसी ज्वेलर से टाइयप कर लेते हैं वो उनके नग नगीने बेचवाते हैं तो वो उनका नशा खर्च बहन करते हैं दोनों दम भर झूठ बोलते हैं किंतु ऐसी सभी हरकतों से नुक्सान ज्योतिष शास्त्र का हो रहा है ।पढ़े लिखे ज्योतिषी  ऐसा नहीं कर पाते हैं इसलिए वो ऐसी चीजों से दूर होते जा रहे हैं ।       
    ज्योतिष संबंधी फ्री ज्योतिष सेवा तो वस्तुतः बहाना है मुख्य काम तो नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीज बेचने के लिए अपने चंगुल में फँसाना होता है !
  ज्योतिष संबंधी फ्री सेवाओं के शौकीन लोगों को पाखंडियों के बुने षड्यंत्र में फँसने के लिए तैयार रहना चाहिए !
   बंधुओ !ज्योतिष बहुत कठिन विद्या है बहुत परिश्रम एवं वर्षों तक त्याग बलिदान पूर्वक गुरुओं की सेवा सुश्रूषा करके ज्योतिष को पढ़कर किसी प्रमाणित सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से जो व्यक्ति डिग्री लेगा वो फ्री में ज्योतिष सेवाएँ देगा तो खाएगा क्या ?अपने बच्चे कैसे पालेगा घर गृहस्थी की जिम्मेदारियों का निर्वाह कैसे करेगा ?आदि आदि !
     कोई भी व्यक्ति नहीं चाहेगा  कि स्वयं वो या उसके बच्चे   इतना पढ़ लिख कर भी अपने एवं अपने घर परिवार को भूलकर समाज सेवा में ही लगे रहें साथ ही ये भी कोई नहीं चाहेगा कि उसके काम की कीमत समाज अपनी  श्रद्धा के अनुशार दे !वस्तुतः किसी ज्योतिषी से ऐसी अपेक्षा क्यों कि वो फ्री सेवा देगा !कोई डॉक्टर इंजीनियर वकील आदि जब अपनी निर्धारित फीस लेते हैं तभी तो वो काम ठीक से कर पाते हैं फिर  कोई ज्योतिष वैज्ञानिक यदि वास्तव में डिग्री होल्डर ज्योतिषी होगा तो फ्री सेवा कैसे देगा ?इसलिए फ्री सेवा देने का दंभ भरने वाले ज्योतिषियों की सर्व प्रथम ज्योतिषी क्वालिफिकेशन देखनी चाहिए कि ज्योतिष सब्जेक्ट से किस विश्व विद्यालय से क्या किया है ?क्योंकि ऐसे लोगों के पढ़े लिखे ज्योतिषी होने की संभावनाएँ बिलकुल न के बराबर होती हैं !
     दूसरी बात ऐसे लोग फ्री सेवा देने के नाम पर कुछ लें न लें नग नगीने आदि बेचकर उससे मोटा कमीशन ले लेते हैं तो बात तो वहीँ पहुँच जाती है !ऐसे लोग तरह तरह के ड्रामे करते हैं जैसे शर्दी का सीजन आया तो 'शर्दी मोचन कवच' बेचने लगे और गर्मी आई तो गर्मी 'निरोधक मणि' बेचने लगे और वर्षात में 'वर्षामुक्ति महा यंत्र' स्वाइन फ्लू फैला तो स्वाइन फ्लू मुक्ति महा शांति बेचने लगे और डेंगू फैला तो डेंगू पीड़ानिवारण धूप बेचने लगे !और सब में कमीशन सब में पैसे और सब झूठ का ही खेल होता है ।    
     बंधुओ !स्वार्थ से भरे इस संसार में लोग जन्म देने वाले माता पिता तक की सेवा फ्री में कितने लोग कर पाते हैं आजकल तो 'स्वार्थ नहीं तो सेवा नहीं' ऐसी परिस्थिति में कोई किसी और को अपनी ज्योतिष एवं वास्तु सेवाएँ फ्री क्यों देगा और  देगा तो भ्रष्टाचार करेगा या आपको नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज पहनने को बोलेगा जिसमें आधा उसका कमीशन होता है तो ये फ्री कैसे हुआ !ये तो आपको अपने बने षड्यंत्र में फँसा कर फ्री सेवा देने का झाँसा  दिया गया माना जाएगा !
इसलिए यदि कोई ज्योतिष के क्षेत्र में एजुकेटेड है और अपने काम के प्रति ईमानदार है और वास्तव में आपके ज्योतिषीय जरूरतों के लिए परिश्रम करना चाहता है तो अपनी आजीविका (रोजी रोटी)के साथ समझौता वो कैसे कर सकता है !जिसने दस बारह वर्ष स्कूलों में ज्योतिष पढ़ने के लिए परिश्रम किया होगा विद्वान गुरुओं से सेवा करके विद्या ली होगी ऐसे सुशिक्षित महत्वाकाँक्षी ईमानदार लोगों से फ्री सेवा लेने के लिए या कुछ धन ,वस्त्र ,फल, मीठा आदि देकर,रो धोकर अपनी मजबूरियाँ बता कर आप उन्हें बेवकूफ नहीं बना सकते! क्योंकि अधिकांश ज्योतिष वैज्ञानिकों का ये अनुभव है कि ऐसे पीड़ित बन कर पेश होने वाले लोग बुरा समय निकल जाने पर ज्योतिषियों के साथ सम्मान जनक व्यवहार नहीं करने लगते हैं !इसलिए मुसीबत के समय भी अपना काम अच्छे ढंग से कराने के लिए जैसे आप वकीलों,डॉक्टरों आदि को उनकी निर्धारित शुल्क(फीस)देते हैं तो ज्योतिषी से फ्री सेवा की आशा क्यों ? 
    

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