Prasannata

  माननीय मुख्यमंत्री जी 
                        (मध्य प्रदेश )
     (हैपीनेस मिनिस्ट्री के कार्यक्रमों में समय विज्ञान को भी सम्मिलित करने हेतु !)
             महोदय ,
     मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से "तुलसी साहित्य और ज्योतिष" सब्जेक्ट से Ph.D.की है!मैंने मानसिक तनाव से शांति के विषय में योग आयुर्वेद आधुनिक चिकित्सा पद्धति से लेकर ज्योतिष शास्त्र तक गहन शोध किया है !इन सबके अनुसंधान के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि मनोरोग हों या सामान्य रोग या अन्य प्रकार के सुख दुःख उनके घटने बढ़ने में समयविज्ञान की बहुत बड़ी भूमिका होती है।अपने इस चिकित्सकीय रिसर्च वर्क के आधार पर मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि चिकित्सा की अन्य पद्धतियों के साथ साथ  चिकित्सा के क्षेत्र में समयवैज्ञानिकी रिसर्च को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।  समयविज्ञान के बिना चिकित्सा शास्त्र अपूर्ण है ऐसा महर्षि चरक ,सुश्रुत आदि ने चिकित्सा विज्ञान में अनेकों स्थलों पर स्वीकार किया है  जिसका वर्णन सुश्रुत और चरक संहिता  आदि ग्रंथों में मिलता है ।
समय विज्ञान के द्वारा जीवन के सभी क्षेत्रों की सीमाएँ समझकर उसी दायरे में अपना जीवन व्यवस्थित करके समाप्त की जा सकती है जीवन की अनिश्चितता !
    समय विज्ञान के महत्त्व को इस प्रकार से समझा जा सकता है कि जिस रोगी का समय ही प्रतिकूल अर्थात बुरा हो उसे बड़े से बड़े बैद्य डॉक्टर महँगी से महँगी दवाएँ देकर भी बचा नहीं सकते !समय प्रभावी होता है दवाएँ नहीं !अच्छे अच्छे चिकित्सकों को कहते सुना जाता है कि समय ही ऐसा आ गया था !इसी प्रकार से जिसका समय अनुकूल अर्थात अच्छा हो उन्हें समय स्वयं ठीक कर लेता है समय सबसे बड़ी औषधि है । इसीकारण तो जंगलों में रहने वाले लोग भी बीमार तो होते ही होंगे जंगली पशु आपस में लड़ झगड़ कर एक दूसरे को घायल भी कर देते होंगे किंतु बिना किसी चिकित्सा के ही वे धीरे धीरे समय के साथ स्वतः स्वस्थ होते देखे जाते हैं और जिनका समय साथ न दे वे राजमहलों में भी बचाए नहीं जा पाते !इसलिए समय के महत्त्व को स्वीकार करते हुए समय विज्ञान संबंधी रिसर्च कार्यों को सरकार के द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए !
    समय विज्ञान के आधार पर किसी व्यक्ति के बारे में भविष्य में होने वाली संभावित बीमारियों के विषय में अनुमान लगाया जा सकता है कि कब होंगी कितने समय के लिए होंगी और उनका स्तर क्या होगा और उनसे भय कितना होगा !इसी प्रकार से किसी को कोई बीमारी हो चुकी हो या कोई चोट चभेट लग गई हो तो उसके संभावित परिणामों के विषय में अनुमान लगाया जा सकता है कई बार शुरू में सामान्य सी दिखने वाली बीमारियाँ बड़ा भयानक स्वरूप ले लेती हैं लोगों को यह पता नहीं होता है कि ये बीमारी जिस समय में हुई थी वो समयविंदु ही विषैला था इसलिए इसमें तो बीमारियों को तिल का ताड़ बनने में देर नहीं लगती है इसलिए ऐसे समयविंदुओं का अध्ययन करके पहले से ही सतर्कता बरतते हुए सभावित दुर्घटनाओं को एक सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है । 
       समय विज्ञान के द्वारा मानसिक समस्याओं पर नियंत्रण किया जा सकता है !
    समय विज्ञान के द्वारा की गई रिसर्च में ये भी पता लगा है कि मनोरोग,तनाव या मानसिक अशांति का कारण भी समय ही होता है हमारा समय जब अनुकूल अर्थात अच्छा होता है तो हमारे लिए हितकर सुखकर स्वार्थ साधक आदि जैसा वातावरण हम चाहते हैं वैसा ही बनता चला जाता है सब लोग हमारी बात मानने लगते हैं उससे हमें सुख और शांति प्रसन्नता आनंद आदि सबकुछ मिलता है ,किंतु हमारा समय जब प्रतिकूल अर्थात ख़राब हो तो सारी बातें उलटी होते चली जाती हैं हमारी कही हुई बात सबको बुरी लगने लगती है उससे हमारा तनाव बढ़ चला जाता है और तनाव के कारण नींद नहीं आती है उससे बीमारियाँ होने लगती हैं ।पेट ख़राब रहने लगता है  गैस बनने लगती है उससे घबड़ाहट बेचैनी हार्टबीट आदि बढ़ने लग जाती है ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं !अतएव समय वैज्ञानिकी चिकित्सा के द्वारा पारिवारिक सामाजिक वैवाहिक आदि तनाव का स्तर घटाया जा सकता है और तनाव से होने वाली बीमारियों पर भी काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है ।
       समय विज्ञान का असर संबंधों के क्षेत्र में -
    समय विज्ञान का महत्त्व इससे भी पता लगता है कि जिस स्त्री पुरुष आदि को देखकर एक समय हमें ख़ुशी मिलती है उसी स्त्री पुरुष आदि को देखकर दूसरे समय घृणा होने लगती है । यहाँ ध्यान देने लायक बात तो ये है कि स्त्री - पुरुष आदि तो वही हैं केवल समय बदला होता है किंतु  लोगों  का ध्यान अच्छाई बुराई के कारण भूत समय की ओर नहीं जाता है वो संबंधित स्त्री पुरुषों  से घृणा करने लगते हैं उन्हें अच्छा बुरा मानकर उनसे सम्बन्ध बनाते बिगाड़ते रहते हैं वो यदि समय के महत्त्व को समझने लगें तो आपसी बैर विरोध गृह कलह तलाक जैसे मामलों में काफी कमी लाई जा सकती है समाज में  बढ़ते असंतोष को काफी घटाया जा सकता है !
         वैवाहिक आदि विषयों में भी जिन्हें विवाह का सुख जन्म समय विंदु के आधार पर जितना  निश्चित होता है वो यदि उससे अधिक विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो जीवन साथी हमेंशा असंतुष्ट रहता है या विवाहेतर संबंधों से अपना स्तर बराबर करता है और यदि अपने से कम विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो उसी समस्या का सामना स्वयं को करना पड़ता है !
         जा सकती है आदि कोई   हमें ठीक लगता है वही कल बुरा लगने लगता है इसका कारण उस व्यक्ति की उतनी अच्छाई बुराई नहीं है जितनी उसके और अपने समय  की होती है कई बार ऐसा विपरीत समय मात्र कुछ महीनों या एक आध वर्ष का ही होता है जिसमें अपने को कहीं शांति नहीं मिलने लगती है उसका दोषारोपण हम किसी और पर न केवल करने लगते हैं अपितु उससे किनारा करने लगते हैं तलाक ले लेते हैं और उस पथ पर इतना आगे बढ़ चुके होते हैं कि बुरा समय निकलने के बाद भी एक दूसरे के साथ फिर से जुड़ने लायक नहीं रह जाते हैं तब तक इतनी दूरियाँ आ चुकी होती हैं कई बार छोटे छोटे बच्चे होते हैं वो भटकते घूमने लगते हैं । ऐसे लोगों को यदि पता होता कि ये सब बुरे समय के कारण हो रहा है तो वो उतने दिन सहकर निकाल लेते और सब कुछ सुरक्षित बचाकर रखा जा सकता था !
      वैवाहिक आदि विषयों में भी जिन्हें विवाह का सुख जन्म समय विंदु के आधार पर निश्चित होता है वो यदि उससे अधिक विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो जीवन साथी हमेंशा असंतुष्ट रहता है या विवाहेतर संबंधों से अपना स्तर बराबर करता है और यदि अपने से कम विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो उसी समस्या का सामना स्वयं को करना पड़ता है ! 
     कुछ समय विंदु ऐसे होते हैं जिनमें जन्म लेने वाले लोग बिना तनाव के रह ही नहीं सकते !ऐसे लोग अच्छी से अच्छी एवं अनुकूल से अनुकूल बातों व्यवहारों से भी अपने लिए मानसिक तनाव खोज ही लेते हैंऐसे मनोरोगी धीरे धीरे गंभीर शारीरिक बीमारियों से ग्रसित होते चले जाते हैं । इन्हें








      यही स्थिति संपत्ति व्यवसाय आदि क्षेत्रों में भी है किसी भी प्रकार का अभाव जब तक रहेगा  तब तक उसे कोई दूसरा व्यक्ति प्रसन्न नहीं कर सकता है वो स्वयं चाहे तो संतोष पूर्वक विपरीत परिस्थितियाँ सहकर अपने को प्रसन्न  रख सकता है। वस्तुओं साधनों और सम्पत्तियों के अभाव में भी  जो व्यक्ति समय अनुकूल होने के कारण केवल संतोष करके प्रसन्न रह लेता है वो कितना भी गरीब क्यों न हो !उसी व्यक्ति के पास विरुद्ध समय में कितनी भी वस्तुएँ साधन और सम्पत्तियाँ आदि क्यों न संचित हों किंतु संतोष न होने के कारण उसे वो वस्तुएँ सुख नहीं दे पाती हैं।इसी असंतोष के कारण ही तो बड़े बड़े सम्पत्तिवान लोग भी संपत्ति प्राप्ति के लिए तमाम पाप पूर्ण ब्यवहार करते हैं किंतु संतुष्टि फिर भी नहीं होती है । इसी असंतोष के कारण तो चौदह हजार स्त्रियाँ होने के बाद भी रावण की बासना शांत नहीं हुई जबकि समय की अनुकूलता में ऐसा संतोष होता है कि सबकुछ होते हुए भी लोग विरक्त होते देखे जाते हैं । इसलिए सुख दुःख का कारण असंतोष और असंतोष का कारण अपना बुरा समय होता है । 


        
        

 वहाँ चिकित्सा की व्यवस्थाएँ  समय साथ न दे 
         
         महोदय ! समय का अध्ययन जन्म और कर्म दो प्रकार से किया जाता है जिस समय जन्म होता है अथवा जिस समय कोई काम प्रारम्भ किया जाता है इन दोनों समय विन्दुओं का अनुसंधान करके पता लगाया जा सकता है कि इस समय पैदा हुए स्त्री पुरुषों को जीवन के किस वर्ष में किस प्रकार के कितने समय के लिए सुख दुःख आदि सहने पड़ेंगे !इसी प्रकार से जिस क्षण में कोई काम प्रारम्भ किया जाता है उस क्षण का अनुसन्धान करके ये पता लगाया जा सकता है कि ये कार्य बनेगा या बिगड़ेगा और किस स्तर पर या कितना समय बीतने पर समय का अच्छा बुरा प्रभाव पड़ेगा !इसका भी पता लगाया जा सकता है ।


        
       समय का अध्ययन करके के लिए शकुन सामुद्रिक आदि विधाएँ भी हैं किंतु ज्योतिष शास्त्र इन सब में प्रमुख है। पिछले कुछ समय से ज्योतिष शास्त्र के विषय में हो हल्ला मचाने वाले पंडितों पुजारियों में टीवी चैनलों पर बैठकर ज्योतिष के बारे में निराधार लोगों ने ज्योतिष शास्त्र के साथ बहुत धोखा किया है इसलिए ज्योतिष के वैज्ञानिक पक्ष के माध्यम से चिकित्सा को सरल बनने के प्रयास किए जाने चाहिए इसके लिए उचित है कि सरकारी विश्व विद्यालयों से ज्योतिष सब्जेक्ट में एम.ए. पीएच.डी.आदि किए हुए योग्य लोगों की आवष्यकता होगी । 

समयविज्ञान मानसिक तनावों के कारण विषम परिस्थितियों से जूझ रहे समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों पर  इसका न केवल परीक्षण किया है अपितु काफी बड़ा वर्ग हमारे इस शोध से लाभान्वित भी हुआ है समय विज्ञान की मदद से यह खोजपूर्ण रिसर्च संभव हो सकी है । इसके द्वारा मानव जीवन से जुड़े कई जटिल पहलू सरल होते देखे जा सकते हैं इस अनुसंधान से एक बड़ी बात सामने आई है कि तनाव हो या प्रसन्नता  ये केवल वस्तुओं साधनों और सम्पत्तियों से ही संबंधित नहीं होती अपितु इसमें समय की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है।
             

      ऐसे समय विन्दुओं का अध्ययन करके ये पता किया जा सकता है कि यह तनावी मानसिकता किसमें कितने समय के लिए है जिसके जीवन में कुछ वर्षों के लिए है वो किस उम्र या किस  वर्ष में होगी  साथ ही इससे बचने के लिए क्या कुछ सावधानी बरती जानी चाहिए आदि पर व्यापक रिसर्च की आवश्यकता है । इन्हें कोई नमस्ते करे तो तनाव न करे तो तनाव ।किसी के नमस्ते करने से इस बात का तनाव कि कोई स्वार्थ होगा तभी ऐसा कर रहा है और नमस्ते न करने से इन्हें लगता है वो घमंडी  हो गया है। आफिस में या घर में इनकी आज्ञा लेकर कोई काम करे तो इन्हें चमचा गिरी लगती है और इनसे बिना पूछे करे तो इन्हें लापरवाह घमंडी आदि वो सब कुछ लगता है जिससे अपना तनाव बढ़ाया जा सके !
      ऐसे लोग अपने इतने बड़े शत्रु स्वयं होते हैं कि ये अपनों पर तो शक करते ही रहते  हैं साथ ही इन्हें अपनी कार्यक्षमता पर भी हमेंशा शक बना रहता है किंतु ऐसी बातें ये मन खोलकर कभी किसी के सामने रखते नहीं हैं केवल अंदर ही अंदर सहते रहते हैं ऐसे लोग अपने  गलत चिंतन से तैयार हुआ दिमागी कूड़ा कचरा खुद ढोया करते हैं । ऐसे मनोरोगी धीरे धीरे गंभीर शारीरिक बीमारियों से ग्रसित होते चले जाते हैं । 
       ऐसे लोग सुखों एवं अपनेपन  के अभाव में आजीवन तड़पते रहते हैं ऐसे सभी तनाव ग्रस्त लोगों की मदद के लिए समय विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है बशर्ते सरकार की ओर से इससे संबंधित शोध कार्य को प्रोत्साहन मिले !तो ऐसे तनाव ग्रस्त लोगों को भी सामान्य जीवन की सुख सुविधाओं का एहसास करवाया  जा सकता है । 
     अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि तनाव मुक्ति के ऐसे किसी भी प्रयास में समय विज्ञान की सेवाओं का भी सदुपयोग  किया जाना चाहिए !
                                                                     :प्रार्थी  भवदीय :
   आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान
         एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी,एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी, पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसीsee more … http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_7811.html
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