गृहविज्ञान

जिस घर में आप रहते हैं! जो भोजन आप खाते हैं! जो वस्त्र आप पहनते हैं, जिस परिवार की आप देखभाल करते हैं ! जिन संसाधनों का आप इस्तेमाल करते हैं, जो वातावरण आपके आस-पास तैयार होता रहता है!आप की कार्य कुशलता !इन सब चीजों का अच्छा से अच्छा उपयोग करता हुआ भी हम अपने घर से अपने भोजन से अपने वस्त्रों से अपने परिवार से अपने संसाधनों से अपने घर के वातावरण से अपनी कार्य कुशलता से हम खुश नहीं हो पाते हैं सारे प्रयास करने के बाद भी हम संतुष्ट नहीं रह पाते हैं आखिर क्यों ? गरीब लोग तो ये मान लेते हैं कि हम धन के अभाव में वैसा कर ही नहीं पा रहे हैं जिससे खुश हुआ जा सके !किंतु बड़े बड़े रईस लोगों को अपने सुख संतुष्टि के लिए अपनी पारिवारिक व्यवस्था पर बहुत सारा धन खर्च करते देखा जाता है इसके बाद भी काफी लोगों को ख़ुशी नहीं मिल पाती है । ऐसे घरों में लोग साज सज्जा पर अक्सर कुछ न कुछ परिवर्तन करने के लिए बड़े बदलाव किया करते हैं किंतु उन्हें उतना सब करके भी वो प्रसन्नता और संतुष्टि नहीं मिल पाती है जिसके लिए उन्होंने इतना धन खर्च किया । इसी प्रकार से ऐसे लोग भारी भरकम रसोई बनाकर उसमें अच्छे से अच्छे तेल मसाले घी मक्खन पनीर आदि का उपयोग करने के बाद भी उन्हें अपने घर के भोजन में वो स्वाद क्यों नहीं आ पाता है जो बाजार या होटल में मिल जाता है आखिर क्यों ?
ऐसे घरों के स्त्री- पुरुष सुंदर दिखने के लिए कितने महँगे महँगे आभूषण वस्त्र आदि खरीदते पहनते हैं सुंदरता बढ़ाने के लिए महँगे महँगे क्रीम आदि का प्रयोग करते हैं सुंदर बनने के लिए ही तो ब्यूटीपार्लरों की सेवाएँ लेते हैं फैशन के नाम पर अर्धनग्न दिखने वाले कपड़े पहनते हैं इसके बाद भी वो अपनी सुंदरता से अपने जीवन साथी को खुश या संतुष्ट नहीं कर पाते हैं इसी कुंठा के कारण विवाहेतर संबंधों में संलिप्त हो जाते हैं आखिर क्यों ?
घर अच्छा है भोजन भी अच्छा है पति पत्नी भी सुन्दर हैं धन दौलत भी ठीक है बाहन आदि सारा वैभव उत्तम से उत्तम है इसके बाद भी प्रसन्नता और संतुष्टि न होने के कारणों पर समयविज्ञान एवं भूमिविज्ञान के द्वारा रिसर्च करके खोजे जा सकते हैं वे कारण जो ऐसे घरों की प्रसन्नता में रुकावट डाल रहे होते हैं ।
ऐसे जो लोग रईस नहीं होते हैं उनके घरों में हमेंशा कोई न कोई बड़ी समस्या या बीमारी घर के किसी न किसी सदस्य के साथ लगी ही रहती है ,धन या तो होता नहीं है और यदि होता है तो उसका सदुपयोग नहीं हो पाता है कोई नई चीज घर में आने पर उसको लेकर आपस में कलह होने लगता है या वो चीज ही गिर जाती है टूट जाती है या ख़राब निकल जाती है ,इसी प्रकार से कोई नया कपड़ा आने पर या तो कहीं फँस कर फट जाता है या जल जाता है या कोई दाग लग जाता है जो छूटता नहीं है घर में कितनी भी अच्छी लाइट लगाने पर उतना प्रकाश नहीं हो पाता है जितना सामान्य सबके घरों में होता है इसी प्रकार से कितनी भी सफाई करने पर ऐसे घरों का अधिक गंदा बना रहना,कोई अच्छी से अच्छी पेंट करने के बाद भी औरों की अपेक्षा अपने घर की चमक जल्द चली जाना, पेंट उखड़ने लगना, अकारण दीवारों पर जल्दी दाग धब्बे आने लगना ,कितनी भी खुशी के संसाधन घर में आ जाने पर घर में हँसी ख़ुशी का वातावरण नहीं बन पाता है । ऐसे सूने घर में किसी के न होने पर भी ध्यान से सुनने पर कोई आवाज सुनाई देती है या किसी के चलने हँसने रोने आदि के शब्द सुनाई पड़ते हैं यदि ये सारे या इनमें से कुछ लक्षण बार बार दिखाई सुनाई पड़ते हैं तो संभव है दोष घर के अंदर या आसपास ही हो वो जादू टोने के असर से लेकर किसी वृक्ष के साइड इफेक्ट आदि और भी बहुत कुछ हो सकता है जिसका अनुसन्धान कारण के लिए समयविज्ञान एवं भूमिविज्ञान के द्वारा ऐसे घरों का परीक्षण करने पर कारन स्पष्ट हो पाते हैं ।



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