प्यार (sex) पीड़ा से परेशान लोगों को चाहिए ज्योतिषीय मदद किंतु ज्योतिषी वास्तव में विद्वान हो जो कर सकता हो ऐसी समस्या का समाधान !

मित्रता पवित्र वहीँ तक है जहाँ तक मित्रता मित्र भावना से की जाए किन्तु मूत्रता  के लिए की गई मित्रता प्यार कैसे हो सकती है !
   पहले प्यार शब्द का प्रयोग पवित्र अर्थ में होता था किंतु आजकल सेक्सालुओं की बासना का माध्यम बन चुका है प्यार ! पवित्र प्यार तो माता पिता भाई बहन आदि सबका सबसे होना चाहिए किंतु जो प्यार अन्य सारे स्वजन संबंधों से कटकर केवल किसी लड़के या लड़की तक ही समिट कर रह जाए वो मित्रता कैसी जो केवल मूत्रता को ही प्यार समझती हो ?वस्तुतः वो तो प्यार नहीं अपितु ब्याभिचार होता है इसीलिए जब प्यार वास्तव में प्यार था तब नहीं होती थीं इतनी दुर्घटनाएँ किंतु प्यार जबसे ब्याभिचार की ओर मुड़ा वो हिंसक होने लगा और उससे बचने के लिए बहुत जरूरी है योग्य ज्योतिष वैज्ञानिक की उचित सलाह !
     इसे प्यार कहें या पागलपन या दो सेक्सपीड़ितों के आपसी समझौतों का सच !जानिए ज्योतिष से -
  •  पहले समझिए प्यार है क्या और होता क्यों है तथा  इससे बचा कैसे जा सकता है और यदि फँस चुके हैं तो निकलने के लिए उपाय आखिर क्या है ?जानिए ज्योतिष से - 
  •    अगर किसी  ने प्यार के खेल में पड़कर विवाह भी कर लिया है तो ऐसी शापित कुंडलियों के लोग ऐसे विवाहों का निर्वाह बहुत कम कर पाते हैं और यदि कुछ दिन हो भी गया और बच्चे भी हो गए, यदि तब वो लोग अलग होते हैं तो उन बच्चों के भरण पोषण में बड़ी दिक्कत आती है इसलिए ऐसे संबंधों को बचा एवं बना कर कैसे रखा जाए !जानिए ज्योतिष से -
  •      कई बार बिना पढ़े लिखे झोला छाप ज्योतिषियों के द्वारा बिचार करके कराए गए विवाह संबंधों के टूटने का संकट खड़ा हो जाए तो ऐसे संबंधों को बना कर और बचाकर रखने के उपाय क्या किए जाने चाहिए ! जानिए ज्योतिष से -
  •     अपने माता पिता से लुक छिपकर सेक्स समझौते करने वाले जब अपनों के प्यार का सम्मान नहीं कर सके तो औरों से कैसे कर लेंगे प्यार!और कर भी लेंगे तो निर्वाह भी कर सकेंगे क्या?जानिए ज्योतिष से -
  • प्रेमऔर प्रेम विवाह किसी किसी के लिए कितना खतरनाक हो सकता है इस एक दुर्गुण से कितनी जिंदगियाँ बरबाद होती हैं कितने संबंधों में जहर घुलता है इसके लिए कितना झूठ बोलना पड़ता है और करने पड़ते हैं कितने पाप!आखिर क्यों?जानिए ज्योतिष से - 

  •     पिछले जन्म में किन्हीं पापों के प्रभाव से सेक्स सुख से असंतुष्ट रह गए जो लोग इसी कुंठा में आत्महत्या कर लेते हैं अथवा अपने पति या पत्नी के अलावा किसी और से सेक्स सुख पाने के प्रयास में मार दिए जाते हैं उनकी ये अधूरी सेक्स इच्छा  उन्हें जन्म जन्मान्तरों तक पीड़ा देती रहती है जिसके लिए अगले जन्म में भी वे बचपन से ही सेक्स पीड़ा से इतना अधिक परेशान रहते हैं कि विवाह होने तक की प्रतीक्षा ही नहीं कर पाते हैं ऐसे लोग सेक्स चाहत में दिन रात बेचैन रहने लगते हैं इस बेचैनी का आलम यह होता है कि ऐसे भाग्य पीड़ित लोग अपना सब काम काज छोड़कर यहाँ तक कि पढ़ाई लिखाई की भावनाएँ छोड़कर दिनरात भटकने लगते हैं  यहाँ तक कि ये अपने माता पिता भाई बहन आदि स्वजनों से लुक छिपकर अपने सेक्स साधन जुटाते देखे जाते हैं इसके लिए पागल हो उठते हैं मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं ऊपर से कहते तो  हैं कि मैंने तो प्यार किया है किंतु होता ब्याभिचार है ,इससे बचने का रास्ता है ज्योतिष में -

   किसी भी प्रकार के प्रेम प्रकरण या  प्रेम विवाह के सन्दर्भ में ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि जिस किसी को जीवन में जो सुख नहीं मिलने होते हैं उनके प्रति बचपन से ही उसके मन में उस विषय से सम्बंधित असुरक्षा की भावना बनी रहती है।इसीलिए उस व्यक्ति का ध्यान उधर ही अधिक बना रहता है और वो उस दिशा  में बचपन से ही प्रयासरत रहा करता है।

       जो लोग पिछले जन्म में सेक्स सुख को अनुचित ढंग से पाने की इच्छा रखने के कारण असमय में मर जाते या आत्म ह्त्या कर लेते हैं या औरों के द्वारा मार दिए जाते हैं ऐसे लोग अगले जन्म में पढ़ने लिखने खेलने खाने जैसी छोटी उम्र में सेक्स सुख की तलाश में भटकने लगते हैं जिसके लिए तमाम  ऊटपटांग तरीके अख्तियार कर लेते हैं ऐसे लोग सेक्स सुख की इच्छा पूर्ति के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को हमेंशा तैयार रहा करते हैं ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कानून का भी कोई असर होना संभव ही नहीं लगता  है इन लोगों के लिए फाँसी जैसी कठोर सजा भी मामूली बात होती है क्योंकि ये लोग अपनी सेक्स इच्छा पूर्ति के लिए जैसा चाहते हैं यदि वैसा न हो सका या उससे सम्बन्ध बना पाने में असफल रहे तो आत्म हत्या जैसी बात इनके लिए बहुत आसान होती है मौत का वरण तो ये स्वयं ही कर लेते हैं अतएव ऐसे लोगों के लिए फाँसी जैसी कठोर सजा भी इनके लिए क्या मायने रखती है !

   इसके लिए प्रत्येक बच्चे की कुंडली बचपन में ही सामान्य पण्डे पुजारियों एवं ज्योतिषीय जालसाजों से ऊपर उठकर विद्वान ज्योतिषियों से दिखा लेनी चाहिए या किसी प्रमाणित विश्वविद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में एम.ए. पी. एच.डी.आदि किए हुए अधिकृत ज्योतिष विद्वानों  से दिखाकर  रोकथाम के प्रयास प्रारम्भ से ही करने चाहिए जिससे आगे जाकर परिस्थितियों को और अधिक बिगड़ने से बचाया जा सकता है ।
     सामान्य रूप से ऐसा माना जाता  है कि जीवन में आपको जिस चीज की आवश्यकता हो वह इच्छा होते ही जैसा चाहते हो वैसा या उससे भी अच्छी  मिल जाए। इसका मतलब होता है कि यह सुख आपके भाग्य में बहुत अधिक  है अर्थात यह उस विषय का उत्तम सुख योग है, किंतु जिस चीज की इच्छा होने पर किसी से कहना या मॉंगना पड़े तब मिले  ये मध्यम सुख योग है, और यदि तब भी न मिले तो ये उस बिषय का अधम या निम्न सुख योग मानना चाहिए।और यदि वह सुख पाने के लिए पागलों की तरह गली गली भटकना पड़े  लोगों के गाली गलौच या मारपीट या और प्रकार के अपमान या तनाव का सामना करना पड़े तब मिले या तब भी न मिले तो इसे  संबंधित विषय का सबसे निकृष्ट  सुख योग  समझना चाहिए।      


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