Dohe

                       शुभ प्रभात माँ दुर्गा के चरणों में कोटिशः नमन -
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptshati) (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
  दुर्गा सप्तशती  ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह)
    जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गासप्तशती पढ़ना चाहते हैंया अपने see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


माँ दुर्गा की असीम अनुकंपा से आपका दिन मंगलमय हो !
नव दुर्गास्तुति Nav Durga Stuti , (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
  नव दुर्गास्तुति ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह) जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गा पाठ पढ़ना चाहतेsee more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_67.html


जनहित में जारी -
आयुर्वेद की तरह ही ज्योतिष भी परम्परायों से प्राप्त पूर्वजों का दिव्य विज्ञान है किंतु फर्जी लोगों के ज्योतिषी कहे जाने के कारण ही आयुर्वेद की तरह ही ज्योतिष में भी सरकार के द्वारा डिग्रियों का प्रावधान किया गया है जिसे मानना और पालन करना हम सभी लोगों का कर्तव्य है !


मैं जब भी अपनी पुराने  स्कूल के पास से गुजरता हूँ
सोचता हूँ मुझे बनाने में खुद टूट सी गयी है.ये बिल्डिंग ....
...और जब भी में मेरे बेटे की प्रायवेट स्कूल के पास से गुजरता हूँ
मुझे हमेशा लगता है मुझे तोड़ कर खुद बन गयी ~ये बिल्डिंग ..                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                           
आयू द्रोण सुते श्रीयो दशरथे शत्रुक्षयं राघवे।🌷🌷🌷
ऐश्वर्यं नहुषे गतिश्च पवने मानञ्च दुर्‍योधने।💐💐💐💐💐
दानं सूर्यसुते बलं हलधरे सत्यञ्च कुन्तीसुते।🌺🌺🌺🌺🌺
विज्ञानं विदुरे भवन्तु भवतां कीर्तिश्च नारायणे॥


श्रीराम के संग रामायण औ हनुमान के संग गई सेवकाई ।
रावन के संग वैर गया शबरी के गए ते गई पहुनाई।।
पारथ के संग बान गया गई कृष्ण सुदामा के संग मिताई ।
व्यास गए तो कथा भी गई तुलसी के गए ते गई कविताई ।।
-महाकवि चन्द्रशेखर मिश्र जी

 महाकवि श्री चंद्र शेखर जी को नमन -
छंद 'पुरंदर' ऐसा लिखा है जिसे देख के लेखनी भूली लिखाई । 
कौंध गया वो अतीत अनूपम जे घड़ियाँ उन संग बिताई ॥
उनकी कविताएँ सुनी उनसे अपनी कविता उनहूँ को सुनाई ।
गुरुदेव रहे 'शशिशेखर' जू है बधाई तुम्हें जिन याद दिलाई ॥ 
                                 -डॉ. शेष नारायण वाजपेयी

Emergency-    
आपातकाल हो या वर्तमानकाल अधिकार तो तब भी जनता के पास नहीं थे अब भी नहीं हैं ! फिर काहे का लोकतंत्र ?
काश !हमारे देश में भी लोकतंत्र होता !जिसमें जनता जो चाहती वो होता या फिर जनता की बात भी सुनी जाती !यह तो नेतातंत्र है इसमें नेता जो see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/06/blog-post_85.html
   
  दो.  जो सधुअई में फेल हो राजनीति में फेल । ऐसे बाबा समझते पी एम बनना खेल ॥
      अपनों करतब भूलिके औरन्ह को उपदेश । अस बाबा जब तक रहें शांति न होइहै देश ॥


फर्जी डिग्री वाले बिना पढ़े लिखे ज्योतिषियों का प्रोडक्ट है अंधविश्वास !
     ऐसे लोगों का प्रचार करने वाले टीवी चैनलों पर हो कठोर कार्यवाही इसके बिना अंध  विश्वास बंद कर पाना संभव ही नहीं है ! ऐसे चैनलों को कानूनी रूप से बाध्य किया जाए कि वे सरकारी प्रमाणित विश्व विद्यालयों की ज्योतिष डिग्रियाँ देखकर ही ज्योतिषियों को समय दें ! अन्यथा किसी भी अन्धविश्वास के लिए इन्हें ही जिम्मेदार मन जाए !
   फर्जीडिग्री यदि अपराध है तो ज्योतिषी और तांत्रिकों से भी माँगे जाएँ उनके भी ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र ! 
  उनसे भी पूछा जाए कि ज्योतिष सब्जेक्ट में किस क्लास तक किस सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से पढ़ा है आपने !कहाँ हैं आपके ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र ! ऐसा होते ही टीवी चैनल ज्योतिषियों की निराधार मनगढंत बातों बकवासों से मुक्त हो जाएँगे और समाप्त हो  जाएगा धार्मिक अंध विश्वास का धंधा  !पढ़े लिखे ज्योतिषियों के ज्योतिष वैज्ञानिक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का लाभ होने लगेगा  समाज को see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html

  -: राशिफल (दैनिक) :-सौ प्रतिशत झूठ होता है !
      टीवी चैनलों एवं अखवारों में जो बताया जाता है वो मीडिया और झोलाछाप ज्योतिषियों की साँठ गाँठ से योजना पूर्वक गढ़ा जाता है उसका ज्योतिष शास्त्र से कोई संबंध नहीं होता है । ये मनगढंत राशिफल एवं उनके उपायों के आडंबर ! राशिफल बताने या लिखने के नाम पर जो मुख में आता है सो बका करते हैं ये लोग ! क्या यही ज्योतिष विज्ञान है ?यदि ऐसी राशिफली बातों को आप टेप करके अचानक उन राशिफलियों से मिलें और पूछें कि अमुक राशि का अमुक तारीख को राशिफल क्या था ?तो ऐसे लोग वो या उससे मिलता जुलता राशिफल दुबारा नहीं बता सकते और यदि बताएँगे तो उसका उस दिन वाले उनके राशिफल से कोई मेल नहीं खाएगा !जबकि यदि सही होता तो मेल तो खाना चाहिए क्योंकि किसी एक विंदु के लिए शास्त्रीय सच अलग अलग नहीं हो सकता!दूसरी बात ऐसे राशिफलों के ज्योतिष शास्त्र में कहीं प्रमाण नहीं मिलते !फिर भी यदि किसी को लगता है कि उसके पास इस राशिफल के समर्थन में शास्त्रीय प्रमाण हैं तो यहीं कमेंट में लिखें वो प्रमाण!बंधुओ !अब आप स्वयं समझिए कि ये राशिफल सही हो क्यों नहीं सकता seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html


टेलीवेजनी बाबाओं,ज्योतिषियों ,तांत्रिकों की अशास्त्रीय बकवास का टीवी चैनलों पर महिमा मंडन बंद करे मीडिया see more...!http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_14.html

ग्रहों के उपायों और आडंबरों में अंतर क्या है? और कहाँ हैं ऐसे मनगढंत उपायों के प्रमाण ?
see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_15.html

राशिफल बकने वाले झुट्ठों ने किसी को बताया था क्या कि आएगा इतना बड़ा भूकंप ?नहीं तो क्यों ?
      इसीलिए तो कहते हैं सौ प्रतिशत झूठ होता है !
बंधुओ ! जो दैनिक राशिफल  नाम से टीवी चैनलों एवं अखवारों में रोज बताया समझाया जाता है वो सौ प्रतिशत झूठ होता है !यह  मीडिया और झोलाछाप ज्योतिषियों की साँठ गाँठ से योजना पूर्वक तैयार किया जाता है ऐसे  मनगढंत राशिफल एवं उनके उपायों के आडंबरों पर भरोसा करने का मतलब है कि आप अंधविश्वासी हैं ! राशिफल बताने या लिखने के नाम पर जो मुख में आता है सो बका करते हैं ये लोग ! क्या यही ज्योतिष विज्ञान है ?यदि ऐसी राशिफली बातों को आप टेप करके अचानक उन राशिफलियों से मिलें और पूछें कि अमुक राशि का अमुक तारीख को राशिफल क्या था ?तो ऐसे लोग वो या उससे मिलता जुलता राशिफल दुबारा नहीं बता सकते और यदि बताएँगे तो उसका उस दिन वाले उनके राशिफल से कोई मेल नहीं खाएगा !जबकि यदि सही होता तो मेल तो खाना चाहिए क्योंकि किसी एक विंदु के लिए शास्त्रीय सच अलग अलग नहीं हो सकता!दूसरी बात ऐसे राशिफलों के ज्योतिष शास्त्र में कहीं प्रमाण नहीं मिलते !फिर भी यदि किसी को लगता है कि उसके पास इस राशिफल के समर्थन में शास्त्रीय प्रमाण हैं तो यहीं कमेंट में लिखें वो प्रमाण!बंधुओ !अब आप स्वयं समझिए कि ये राशिफल सही हो क्यों नहीं सकता seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html



एक से अधिक पत्नियाँ दिल के लिए खतरनाक क्यों हैं ?
दिल के लिए खतरनाक है एक से ज्यादा पत्नी! -आज तक
    किंतु जो एक से ही इतना अधिक चिपका रहे कि एक से अधिक का कोटा एक से ही पूरा कर लेता हो उसके विषय में क्या विचार हैं आपके !वैसे भी एक से ज्यादा क्यों एक पत्नी भी हो और सबकुछ भूलकर यदि उसी के भावों विचारों में डूबा रहे कुछ और न सोच पा रहा हो तो वो भी हानि कारक है यही बात स्त्रियों को पुरुषों के विषय में भी सोचनी चाहिए !पत्नी से भी अधिक घातक प्रेमिका(प्रेमी)  होती है जो चिपके तो उसी के विषय में खो जाओ और न चिपके तो उसी के विषय में सोचते रहो और किसी और से चिपके तो मरने मार डालने को तैयार हो जाओ और किसी और से वो न चिपके ये रोकने के लिए आपके पास कोई घोषित अधिकार नहीं होता और बुरा तो लगता ही है तब पनपती हैं अपराध भावनाएँ !इसलिए स्त्रियाँ ,बूढ़ेलोग,सरकार या सरकारी लोगों से संबंध और गुरु लोग इनसे यदि दूर रहोगे तो इनके गुणों का लाभ नहीं होगा और यदि इनके बहुत अधिक संपर्क में रहोगे तो जीना बहुत कठिन हो जाएगा इसलिए जितना जरूरी हो उतना ही जुड़ो बाकी दूर से ही हाथ जोड़ते रहो आगे बढ़ते रहो । 

         
जनसंख्या बल से कमजोर सवर्णो को दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगाकर सताया जा रहा है और रची जा रही है सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश ! दलितों के शोषण का सवर्णों पर झूठा आरोप मढ़ना बंद किया जाए ! साथ ही सवर्णों की जनसंख्या इतनी घटी कैसे इसकी जाँच कराई जाए ! दलितों का शोषण कभी किसी ने किया ही नहीं है इसीलिए शोषण के नहीं मिलते हैं प्रमाण !फिर आरक्षण क्यों ?see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html



लोग रोजगार मांग रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान योग पर है: राहुल गांधी - See more at: http://www.jansatta.com/rajya/kolkata/pm-narendra-modi-mind-on-yoga-people-asking-for-employment-says-rahul-gandhi/28598/#sthash.s3hbpKE3.Wrbswg3F.dpuf





 

दो.जग में सबकुछ मिलि सकै चहौ जो पाउब आप।    इस शरीर सों मिलहिं नहिं  दूसर माई बाप ॥
दो. जग में सब कुछ मिलि सकै चहौ तौ बारंबार ।
     इस शरीर सों नहिं मिलिहि दूसरि माँ संसार ॥

  दो. शोषण करती प्रेमिका तोषण पत्नी देत ।
       पोषण माँ से ही मिलै कबहुँ नाहिं कछु लेत ॥
    भावार्थ - प्रेमिका सबसे अधिक शोषण करती है ,पत्नी सबसे अधिक तोषण अर्थात खुश करने का प्रयास करती है किंतु इन सबसे ऊपर उठकर माँ हमारे विषय में कठोर से कठोर फैसले लेकर हमारा सभी प्रकार से पोषण करती है हमें मजबूत बनाती है जिसमें उसका अपना कोई स्वार्थ ही नहीं होता है ।

  दो. जिनके शिर अजहूँ रखे माँ बाबू जी हाथ ।
भाग्यवंत ते जगत में तिन्हहिं नवाऊँ माथ ॥

दो.सखा सकल सुख तबहिं तक जब तक माई बाप ।
     बिनु उनके भटकत फिरहुँ दुनियाँ दे संताप ॥

दो. कीन्ह पाप कवनेहु जनम दगा दीन्ह तकदीर ।
    मात पिता बिनु जगत महुँ ढोवत फिरहुँ शरीर ॥

दो. जे सेवत  माता पिता  मानत उनकी बात ।
    तिन्हकहुँ मोर प्रणाम जे उनहिं खवावत खात ॥
 


दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार ।
    सूर्य  कृपा  सब  पे  रहै  परिहरि रोग विकार ॥ 

दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं  सोमवार शिववार ।
     भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार । 
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
     सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥
 
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
          स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥

दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
     शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥ 
   हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों  से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते  रहें ।
 श्री हनुमान जयंती पर आप सबको बहुत बहुत बधाई !
 दो. हनुमत प्रभु की कृपा से रहहु सखा खुशहाल । 
       साईं छाँड़ि सेवहु इन्हहिं महाकाल के काल ॥
   दो. साईं तौ लौ पुजि रहे मंदिर मंदिर जाइ । 
          मारुति नंदन की गदा उठत न जौ लौ  भाइ॥


       दो. हनुमत हाथ गदा गहि नशिहैं साईं ढोंग । 
           कान पकरि कर ठसकिहैं खूब लगइहैं  भोग ॥


दो. साईं झुट्ठे ठगी करि भए खूब धनवान ।
     पापी   खुद पुजिबो चहैं कुछ कीजै हनुमान ॥


दो. साईं करि घुसपैठ खुद बनि बैठे भगवान । 
     मंदिर सूने हो रहे हनुमत कृपा निधान ॥ 


दो. आरति पूजा भोग धन  साईं माला माल ।
      सुर मंदिर सूने हुए हे अंजनी के लाल ॥

दो. जो जवान रहिबो चहै सो पूजै हनुमान । 
     तन निरोग मन खुश सदा ज्ञानवान धनवान ॥ 
दो. को देखेसि साइहिं हँसत कबहूँ  होत जवान  । 
      दिहैं बुढ़ापा आपनो मुख मलीन हैरान ॥
  
दो.साईंराम पुजिबो चहैं सोई काँशीराम ।
    पुजवावन की लत अस भोगत आशाराम ॥
    
      


दो. मंदिर अपने धर्म के पुजिहैं साईं बैठि । 
हनुमत इन्हैं खदेड़िए कान पकरि कै ऐंठि ॥ 

साईं भूत बाधा निवारक मंत्र -
यदि साईं नाम का कोई बुड्ढा आपको स्वप्न में दिखाई पड़े तो आप हनुमान जी का नाम लेने  लगें वे स्वयं निपट लेंगे -
भूत पिशाच निकट नहिं  आवे । महाबीर जब नाम सुनावे ॥ 

साईं भूमाफिया संकट हरण मन्त्र - यदि आपके मकान दुकान चौराहा पीपल या मंदिर आदि के आस पास की जगह पर कब्ज़ा करने के लिए साईं भू माफिया आपको कुछ लालच या  साईंभय देकर साईं पत्थर रखकर पुजाना चाहे तो -
    'संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बल बीरा ॥' जपते हुए हटा दें !
दुर्गा पूजा -
दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात। 
       जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.      तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब ।     चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.  चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
      कूष्मांडा माँ की कृपा सरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html   

दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
     सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो.  कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।
     छठवाँ दिन नवरात्र का जननि  आसरा तोर ॥
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दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
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दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
     सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. नवरात्रों के नवम दिन  सिद्धिदात्री अंब ।
    कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर ।
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥
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दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि ।
    तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥
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 दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव ।
       जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ  को पहुँचाव ॥
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दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
    ऐसे पापिन्ह को जननि  सबक सिखाओ ख़ास ॥
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दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
     कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥
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दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि ।
     कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥
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 दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड ।
       भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  बलात्कारियों को जननि दीजै  ऐसा रोग ।
      किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html 

दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात । बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।     दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
     जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html 


दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
         धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


  दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
       दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

     
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि  पूजा क्या पाखंड ।
    साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.   देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
      पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब । 
    साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
     पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक  सिखावहु ख़ास
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दो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
    जगदंबे तुम्हरे  रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
     जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर  हो गए कहैं साईं के  शेर ।
       बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे  ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो. देवी देव दिखावटी बने  सजावट माल ।
साईं अब करिहैं कृपा  जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
     मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html 

दो.  जे खुद को योगी कहैं करैं सकल व्यापार ।
अस कलियुगी पतंजली बाबन्ह को धिक्कार ॥

दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार ।
    सूर्य  कृपा  सब  पे  रहै  परिहरि रोग विकार ॥

दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं  सोमवार शिववार ।
     भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार । 
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
     सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥
 
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
          स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥

दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
     शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥ 
   हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों  से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते  रहें ।  
दो.जगज्जननि  जगदम्बिके सरस्वती सुखदानि ।
         कृपाकरहु   हे कृपामयि सादर वीणापानि ॥  
साधुओं में वेष  के साथ साथ आचरण की प्रधानता होती है !
     केवल वेष  पर भरोसा करने के कारण सीता हरण हुआ  और  पाखंडी वेष के कारण  ही हनुमान जी ने कालनेमि को मारा  था । साधुत्व में आचरण प्रधान होता है जामवंत और हनुमान जी तो बिना वेष के संत थे क्योंकि आचार व्यवहार शास्त्रीय संतों का सा था -
        किएहु कुवेष  साधू सनमानू । जिमि जग जामवंत हनुमानू ॥
   अपना व्यापार चलाने या राजनीति  चलने के लिए कोई साधुओं जैसा वेष  बनाले तो इसे और सब कुछ कहा जा सकता है किंतु संत नहीं !


          दो.मंगलमय होली रहे घर घर मंगलचार ।  
             बहनों के सँग बंद हो अब तो अत्याचार ॥
         दो.    बूढ़ों की सेवाबढ़े श्रेष्ठों का सम्मान ।
         स्नेह भाव सबके प्रति करहु छाँड़ि अभिमान ॥
दो. भाई बहनों प्राणप्रिय पावहु हर्ष अपार ।
     प्रभु प्रसाद से सुखद हो होली को त्यौहार ॥
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
       नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥
    दो.    बूढ़ों की सेवाकरो  श्रेष्ठों का सम्मान ।
         स्नेह भाव सबके प्रति रखहु छाँड़ि अभिमान||



              स्वदेशी का नारा तभी सार्थक है जब तक 'स्व' को बचा कर रखा जाए ! 
   सामानों की मिलावट रोकने  लिए साधुत्व में मिलावट ठीक है क्या ?आज साधुओं में व्यापारी घुसे जा रहे हैं।धर्म को धंधा बनाना ठीक नहीं है व्यापार चमकाने के लिए साधू बनना ठीक नहीं है अन्यथा जिसे ब्यापार करना होगा वो बाबा बन जाएगा !क्योंकि व्यापार में विश्वास की जरूरत होती है और साधू संतों के प्रति देशवासियों के मन में असीम आस्था है किसी भी कीमत पर शास्त्रीय साधू संतों की मर्यादा बचाकर रखनी होगी ! साधुत्व के पवित्र आचार व्यवहार में मिलावट करके कोई भी स्वदेशी कैसे स्वीकार करने योग्य हो सकती है । धर्म का काम धंधा करना नहीं अपितु चरित्र निर्माण करना है !हमें देखना चाहिए कि क्या हम अपने दायित्व का निर्वाह कर पा रहे हैं वैसे भी व्यापार करने के लिए बहुत लोग हैं उनसे ही काम चलाना चाहिए  यदि वो भटके हैं तो उन्हें ही सन्मार्ग पर लाया जाएगाअन्यथा कोई बाबा क्या क्या उपलब्ध करा देगा समाज को !जरूरतें तो असीम हैं । 
                                  फर्जी  बाबाओं एवं फर्जी गुरुओं के चेलों ने बिगाड़ा है धार्मिक माहौल !
    धर्म शास्त्र के क्षेत्र में किसकी कितनी गति है यह बिना जाने ऐसे लोग किसी की पूछ पकड़ का चलने लगते हैं फिर उसे कोई कुछ कहता है तो बुरा लगता है किंतु ऐसे लोगों के मुख लगकर अच्छे लोग अपना समय  निरर्थक क्यों  बर्बाद करें ! ऐसे वैसे लोग सच्चाई जानते नहीं हैं किन्तु अपने अपने बाबा के साथ खड़े दिखना चाहते ही हैं तो इसमें आपत्ति भी क्या है किन्तु सच्चाई तो सामने लानी ही होगी बाबाओं एवं उनके चेलों के भरोसे बैठने से कैसे बनेगा काम !धर्म की बातें केवल धार्मिक लोग ही समझ सकते हैं सबसे हम अपेक्षा भी नहीं करते हैं कि व्यापारी लोग धर्म शास्त्रों को भी ठेंगा दिखावें !ये सब बातें समझना सबके बश में नहीं है जिसको जैसा ठीक लगे वो करे किंतु धर्म का पक्ष रखना हमारा कर्तव्य !
 लालू जी विपक्ष का मतलब केवल  बुराई करना ही नहीं होता है !अच्छे कामों की तो प्रशंसा कीजिए !
    'लालू ने उड़ाया प्रधानमंत्री के जन धन योजना का मजाक -एक खबर'
        किंतु लालू जी ! मजाक के आलावा और विकल्प ही आपके पास क्या है चूँकि इतने लम्बे समय तक सत्ता में मजाक मजाक में आप बने रहे और करते रहे गरीबों के साथ मजाक आज गरीबों की भलाई के लिए ले गई जन धन योजना जैसे अच्छे काम की भी आप मजाक उड़ा रहे हैं !
-: भाजपा के भय से लालू और नितीश किए गए साथ साथ :-
समधी की बात का मानकर बीजेपी की दहशत से हुआ गठबंधन ! लड़की वाले जो ठहरे !माननी ही पड़ती है भाई !!
'भाजपा का भय दिखाकर लालू और नितीश किए गए साथ साथ किन्तु कब तक के लिए ?'
" लालू बोले, हमारी प्राथमिकता बीजेपी की दहशत को रोकना है-एक खबर "
किंतु लालू जी !बीजेपी की दहशत से ही तो आप लोग इकट्ठे हुए हैं वो भी खीरे की तरह -
लालू जी -
दो. ऐसी प्रीति न कीजिए जस खीरा ने कीन्ह ।
ऊपर से तो दिल मिले अंदर फांका तीन ॥
महीनों लग गए इस गठबंधन में अंततः भाजपा के भय के कारण भारी मन से चलना पड़ा दो धुर विरोधियों को साथ साथ किंतु कब कौन किसकी खिंचाई करने लगे फिल हाल अगली न्यूज आने तक गठबंधन ही मानना पड़ेगा !





      दो . जे पापी पाखंड प्रिय भ्रष्टाचारी लोग ।
             गीता तिन्हैं सोहात नहिं जिन्हैं भोगनो भोग ॥

दो. गीता जैसे ग्रन्थ का जो कर रहे  विरोध ।
     उनके भ्रष्टाचार पर होना चाहिए शोध ॥  
दो. जे पापी मानत  नहीं करत पाप पर पाप ।
     तिन्हैं गीता से डर लगे राजनीति के साँप ॥
दो. तिन्हैं मरन को भय कहा जे जग जोगी लोग ।
      खुद लै फिरहिं सिक्योरिटी औरन्ह सिखवत योग ॥
   दो.अजर अमर है आत्मा  नश्वर मिला शरीर ।
       गीता का सन्देश यह हरहु जगत की पीर ॥

  दो. धन तेरस सबके लिए दे  आनंद  अपार ।                              
                                   माँ लक्ष्मी की कृपा से सुख पावै संसार ॥


दो. मंगलमय बीते दिवस सुदिन सुमंगल आज।
     कृष्णकृपा भाजन बनो कृपा करहिं  ब्रजराज ॥ 
दो.गई जरावन भक्त को जरी होलिका आप ।
     पुण्य विजय का पर्व यह हुआ पराजित पाप ॥
दो. राख ढेर सों प्रकट भै पुनः भक्त प्रह्लाद ।
    देखि सखा हर्षित भए सबकर मिटा विषाद ॥
  दो.  खेलन लागे राख सों लगे उलीचन  धूल  ।
      भक्त विजय सुनि सुर गगन बरसन लागे फूल ॥
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
       नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥

                             हे श्री राम भक्तो !मंदिर अब नहीं तो कब ?
      ‘राम मंदिर बीजेपी राज में नहीं, तो क्या कांग्रेस, मुलायम, मायावती के राज में बनेगा’- साक्षी जी महाराज -एकखबर 

हे साक्षी जी महाराज !ये बात तो आप समझिए कि आप श्री राम जी के काम के लिए साधू बने थे या राजनीति के लिए और यदि राम जी के लिए बने थे तो प्रभु श्री राम जी के प्रति समर्पण पर तुल जाइए अपनी पार्टी को समझाइए और मोदी जी को मनाइए सोते हिंदू संगठनों को फिर से जगाइए और सबको अयोध्या ले जाइए अयोध्या में ही धूनी रमाइए लीटी चोखा खाइए जब तक मंदिर न बने कहीं मत जाइए !अपनी पार्टी के शिखर पुरुषों को वहीँ से हिलाइए कि यदि श्री राम मंदिर नहीं तो कुछ नहीं वास्तव में श्री राम प्रभु ही विकास के प्रतीक हैं उन्हीं की ईमानदार एवं विकसित शासन व्यवस्था ही रामराज्य है ये सब पार्टी के अंदर बताइए बाहर बताने से क्या लाभ ! मोदी जी से कहिए कि ढाकेश्वरी मंदिर गए थे सो तो अच्छा किया था अब अयोध्या भी हो आइए ! मुस्लिम बंधुओं से मिले थे अच्छा किया था अब उन्हें भी श्री राम मंदिर निर्माण के लिए मनाइए और कीजिए भव्य श्री राम मंदिर निर्माण !see more … http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_4.html



हे श्री राम भक्तो !मंदिर अब नहीं तो कब ?
‘राम मंदिर बीजेपी राज में नहीं, तो क्या कांग्रेस, मुलायम, मायावती के राज में बनेगा’- साक्षी जी महाराज -एकखबर
हे साक्षी जी महाराज !ये बात तो आप समझिए कि आप श्री राम जी के काम के लिए साधू बने थे या राजनीति के लिए और यदि राम जी के लिए बने थे तो प्रभु श्री राम जी के प्रति समर्पण पर तुल जाइए अपनी पार्टी को समझाइए और मोदी जी को मनाइए सोते हिंदू संगठनों को फिर से जगाइए और सबको अयोध्या ले जाइए अयोध्या में ही धूनी रमाइए लीटी चोखा खाइए जब तक मंदिर न बने कहीं मत जाइए !अपनी पार्टी के शिखर पुरुषों को वहीँ से हिलाइए कि यदि श्री राम मंदिर नहीं तो कुछ नहीं वास्तव में श्री राम प्रभु ही विकास के प्रतीक हैं उन्हीं की ईमानदार एवं विकसित शासन व्यवस्था ही रामराज्य है ये सब पार्टी के अंदर बताइए बाहर बताने से क्या लाभ ! मोदी जी से कहिए कि ढाकेश्वरी मंदिर गए थे सो तो अच्छा किया था अब अयोध्या भी हो आइए ! मुस्लिम बंधुओं से मिले थे अच्छा किया था अब उन्हें भी श्री राम मंदिर निर्माण के लिए मनाइए और कीजिए भव्य श्री राम मंदिर निर्माण !see more … http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_4.html

 
 


               प्रभु श्री राम के पिता दशरथ और माता कौशल्या के मंदिर नहीं बने तो साईं के क्यों ?
    भगवान के मंदिरों में केवल भगवान ही पुजेंगे कोई और नहीं !यदि ऐसे ही ऐरे गैरे पुज सकते  होते  तो महाराज दशरथ और माता कौशल्या आदि की मूर्तियाँ क्यों नहीं लगाई गईं क्योंकि मंदिरों की मर्यादा शास्त्र के आधार पर ही निर्धारित हो सकती है कुछ धर्म से जुड़े अयोग्य लोग सतहे  तर्कों के आधार पर साईं पूजा का समर्थन करते हैं किंतु उन्हें सनातन  धर्मशस्त्रों का बिलकुल ज्ञान नहीं हैं ऐसे बिलकुल कोरे लोग लोग धर्म को दूषित करने ले लिए ऐसी हरकतें किया करते हैं इससे सनातन धर्मियों को बचना चाहिए !
     बंधुओ ! इसलिए  साईं का सनातन धर्म से कोई लेना देना नहीं हैं सनातन धर्म के मंदिरों में भगवान के अलावा किसी और की पूजा नहीं हो सकती भगवान के मंदिरों में भगवान ही पूजेंगे बस इसमें 'जब जागे तब सबेरा' और ऐसे पापकर्मों में प्रभु  श्री राम को सम्मिलित करना अपनी कायरता है !

दो. चैत्र शुक्ल की दूज शुभ बासंती नवरात्र । 
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html



दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।
     छठवाँ दिन नवरात्र का जननि  आसरा तोर ॥
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दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
- see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
     सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.शुभ कामना प्रसाद मैं सादर धारउँ शीश । 
जुग जुग चलै सनेह यह कृपा करहिं जगदीश ॥

  

दो. नवरात्रों के नवम दिन  सिद्धिदात्री अंब ।
    कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर । 
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
   दो.विजय दशहरा की मेरी  सबको सखा बधाइ ।
        मुक्ति मिली दसशीश को विजय पाइ रघुराइ ॥
    दो.द्वारपाल प्रिय प्रभु का शंभु भगत दसगात ।
        थोड़ी करनी बिगड़ गई अजहूँ कोसो जात ॥
            


  


दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥ 

दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात। 
       जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि । 
    तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव । 
       जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ  को पहुँचाव ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
    ऐसे पापिन्ह को जननि  सबक सिखाओ ख़ास ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो.जे ज्योतिष जानत नहीं वास्तु पढ़ी नहिं रंच । 
     ते भविष्य भाषत फिरहिं झुट्ठौ करत प्रपंच ॥
दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी सँग अठिलाँय।
 झूठ बतावहिं राशिफल झूठे बकहिं उपाय ॥

दो. व्यास कहाँ शुकदेव कहँ कहाँ भागवत 'शेष' । 
कथा कहत किन्नर फिरहिं धरि बहुरुपिया वेष ॥ 
  दो. नाम  भागवत  को रटैं करैं  "भोगवत " 'शेष '।
        हँसि हँसि हेरहिं औरतैं धरि भड़ुअन को वेष ॥ 
दो.लीन्हें घूमैं  भागवत जे भागवतिहा लोग ।
     करि सोलह श्रृंगार ये मँजनू माँगें भोग ॥ 

 दो. साधू चहैं सिक्योरिटी निर्भय फिरहिं गृहस्थ । 
      पाप पाई जे  छुवत नहिं ते बिना योग के स्वस्थ ॥ 
दो हाथ पैर भाँजत फिरहिं नई योग की रीति । 
        सबै दिखावैं साधुता मरिबे ते भयभीत ॥ 
दो.योग योग सब कोइ कहै किन्तु न जानत योग । 
        चित्तवृत्ति फैली फिरहिं हँसैं हहाहा लोग ॥ 
   दो.  जो खुद को योगी कहै करै सकल व्यापार ।
         भाषण में हो वीरता कर्मन्ह में सलवार ॥ 
दो.   धर्म कर्म में रूचि रहै चित  ध्यावै ब्रजराज
     बुरा न बोलो काहु को तौ का करिहैं यमराज ।

 दो.  निर्भय फिरत  किसान सब करत खेत खलिहान ।  
       बोझ बने बाबा फिरहिं लहे सिक्योरिटी शान ॥ 

     दो.बाबा बोलत  वीर रस रहे लगावत आग ।
         भयवश नारीवेष में प्रकटे अस वैराग ॥
        दो.  झूठ साँच बोलत रहे कालेधन का जोक ।
          मिलत  सिक्योरिटी शांत भे बाबा अस डरपोक ॥

दो.राजनीति ने देश में किया बहुत उत्पात । 
करना धरनाकुछ नहीं ब्यर्थ बनावत बात ॥ 

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥ 

दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
     कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि । 
     कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥ 
 दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड । 
       भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  बलात्कारियों को जननि दीजै  ऐसा रोग ।
      किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.नेताओं की नियत पर है भारी संदेह । 
जनसेवा की बात कर भरते अपने गेह ॥ 

दो.साईं ठग्गू लाल का दिन कैसे गुरूवार ।  
      विष्णु दिवस महिमा अमित जानत सब संसार ॥
दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात । 
बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पत्थर साईं नाम के पूजत अनपढ़ लोग । 
     प्राण गए यमराज घर तबहुँ लगावत भोग ॥ 

दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।
     दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
     जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

   
दो. साईं प्राणन्ह  खैंच कै  भागि गए यमदूत ।
      यहाँ शरीरहिं गाड़ि कै पुजत  साईं को भूत ॥ 

दो.प्राण गए यमराज घर देही दई सड़ाय । 
    अब साईं को का बचो जो शिरडी देखन जाय ॥ 


    तहाँ न साईं को कछू तहाँ न पूजा पाठ । 

दो.शिव दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥
दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html   


दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
         धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. शिक्षक जे न पढ़ावहिं बेतन लें हर बार ।
पढ़ें न तिनहूँ के शिशु जौं पढ़ें तो हों बेकार ॥ 

  दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
       दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥

 दो.      तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब ।
     चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.  चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
      कूष्मांडा माँ की कृपा सरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
     सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
    
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि  पूजा क्या पाखंड ।
    साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.   देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
      पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब । 
    साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
     पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो.राम कृष्ण शिव के विमुख रचें साजिशें ढेर ।
      अपने को हिंदू कहैं देखौ तौ अंधेर ॥
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दो. खरदूषण रावण बध्यो हे रघुनंदन राम ।
     अबकी दशहरा साईं पर बीतै 'जय श्री राम' ॥
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दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक  सिखावहु ख़ास
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दो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
    जगदंबे तुम्हरे  रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. साईं वालों को जननि दो तलवार प्रसाद ।
      अकल ठिकाने आइहै जब ह्वैहैं बर्बाद ॥
 दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
     जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर  हो गए कहैं साईं के  शेर ।
       बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे  ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो. देवी देव दिखावटी बने  सजावट माल ।
साईं अब करिहैं कृपा  जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
     मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. पाप पुण्य कुछ भी करे साईं  मंदिर जाय  ।
कृपा  वहाँ पर बिक रही पैसे  दे लै जाय ॥
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दो. पापकर्म खुब बढ़ गए रोज हो रहे  रेप ।
हत्या  भ्रष्टाचार सब साईं कृपा की खेप ॥
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ज्योतिषियों के पाखंड -

दो. रामायण के सीरियल में बन का गए राम । 
       अरुण गोबिल हो गए हैं तब से   बेकाम ॥
    दो.   खुद न रहे कछु काम के तौ पकरो 'कुमार ' ।
      'मंतर' 'मंतर' करि रहे संस्कृत ते लाचार ॥
    दो.    मंत्र कहे पावत नहीं सप्तशती लै हाथ । 
      पढ़ना निज बश को नहीं ठोंकि रहे हैं माथ ॥
     दो.  जेल तमाशाराम गए तब बाबा घबड़ान ।
         पढ़नो तौ बश को नहीं पकड़े फिरैं पुरान ॥

 दो. ज्योतिष वालों के जननि इतने घटिया कर्म ॥ 
          बेटा बेटा कह रहे बापन्ह को बेशर्म ॥ 
    दो. ज्योतिष के बकवासियों को मेरा  challenge । 
      बेहूदे बोलत फिरैं yes I can change ॥

   दो. जे ज्योतिष के नाम पर दिन भर बोलत झूँठ ।
         ऐसे पापिन्ह के जननि जरत छुवाओ  ठूँठ ॥

दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी लीन्हें साथ ।
    कहैं मोर गुण गावहु पैसे पकड़ो   हाथ ॥
 - see  more … http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/07/blog-post_17.html
   दो.   गुरू गुरू  झूट्ठी करै करै गढ़ि गढ़ि तानै तीर ।
     भाग्य भ्रष्ट जगदम्ब वे रचत फिरत तकदीर ॥
 - see  more … http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/07/blog-post_17.html

 दो. झुट्ठी बोलै गुरू जी नाक नक्स की नीक ।
     भोंदू बक्सन्ह सों कहै तुम्हहिं  ज्योतिषी ठीक ॥
    दो. संस्कृत पढ़ी न ज्योतिष नहिं मन्त्रन्ह को ज्ञान ।
        तिन्ह कहँ व झुट्ठी कहै तुम सम को विद्वान !

   दो.   झूठ राशिफल नाम का कपट करहिं  सब भाँति ।
व्यस्त  कहहिं खुद को बहुत  खून पिअहिं दिनराति ॥
दो. ज्योतिष को ऐसो नशा तरह तरह  ढोंग ।
    बेटा बोलैं  बड़ेन्ह को ये पाखंडी   लोग  ॥
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      दो. जिद न जीत की ठीक है हार न हेरि हिराहिं ।
           मौत याद हर क्षण रहै तौ मन फिसलत नाहिं ॥ 


दो. हाथ पैर टोरत फिरै ब्यर्थ स्वास या हास ।
काम न अपनो करि सकें हर छिन रहत हताश ॥
दो.परिवारों में प्रेम हो तजो स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधे परिवारी सम्बन्ध ॥


 दो . आज कृष्ण  जन्माष्टमी का पावन त्यौहार । 
       कृष्ण कृपा भाजन बनो ध्यावत नंदकुमार ॥ 
दो. शंख चक्र कर गदा लै पद्म सुशोभित हाथ । 
     देवकि माँ सों प्रकट ह्वै राजहिंगे यदुनाथ ॥ 

         





 दो. हुई प्रतीक्षा वर्ष भर तब आया शुभ वार ।
         मंगलमय सबके लिए दीवाली त्यौहार ॥ 

दो. सुखी होय सारा जगत सब दुःख दर्द बिसार ।
      नित नूतन बढ़ता रहे सब लोगों में प्यार ॥



 दो. सदा सुखी हो बंधुओ युग युग का त्यौहार ।
      नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन का प्यार ॥

दो.  क्षण भंगुर यह जिंदगी अस्थिर जग व्यवहार।
       घटने कभी न दीजिए परिवारों में प्यार ॥

दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय । 
कहा पता अगले वरष मिलनो होय न होय ॥   

दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय । 
पता नहीं अगली सुबह मिलनो होय न होय ॥  

 दो. बच्चे तरसैं बात को घरै दिखावैं तैस । 
  औरन्ह संग हा हा हँसैं बाहर हो खुब  ऐस ॥ 

दो. आज जवानी आप  यदि रखि नहिं सके सँवारि ।
      कल वृद्धापन आइहै हँसिहैं सब दै तारि ॥


दो. सबसे मिलिए प्रेम से करो मधुर व्यवहार ।
     पता नहीं किससे कब मिलन आखिरी बार ॥


दो.अपनेपन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधे अपनो के सम्बन्ध ॥ 

       
दो.  परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास। 
     स्वार्थ घमंडी भाव से घर भर फिरैं उदास ॥ 


दो. मीठी बोली के बिना बिखर रहे परिवार ।
       मीठा के डिब्बे लहे बाँटत फिरैं लबार ॥ 


दो.भाई बहन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधा भाई बहन सम्बन्ध ॥ 


दो.  परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास। 
      पत्नीभक्ति प्रभाव से घर भर फिरैं उदास ॥ 
 दो.  महिलाओं का दोष नहिं दोषी पुरुष समाज । 
        मन पर संयम ही नहीं मथत फिरैं रतिराज ॥
दो. कामदेव को खुश करै रामदेव को योग ।
      औषधि बेचें काम की योग बहाने भोग ॥   
दो. कालगर्ल का दोष क्या कालर ब्यॉय उतान।
        सेक्सरैकटी छीनते महिलाओं का मान ॥
दो. पार्क पार्किंगों में मिलैं लिपटे चिपटे दोउ ।
      कुत्ते बिल्ली की तरह किन्तु न रोके कोउ ॥
दो. अपने मन के सेक्स को पापी बोलैं प्यार ।
      रावण को फूँकत फिरैं ऐसेन्ह को धिक्कार॥  


दो. पति पत्नी के बीच में बढ़ती रहती खाइ । 
    प्यार भरे छलकत फिरैं ताकत फिरैं लोगाइ ॥ 
दो. बच्चे दर दर भटकते जे जन करहिं तलाक । 
      ढूँढत  प्रेमी प्रेमिका ये प्यार करेंगे खाक ॥ 

दो. पति पत्नी के बीच में दिन दिन बढ़त दरार । 
      पर पत्नी के प्रेम में मारे फिरैं लबार ॥

ऐ दिल्लीनरेश ! जागो ये समय आत्मचिंतन का नहीं अपितु आत्ममंथन का है निजी स्वार्थों से ऊपर उठो !
हमारा आम आदमी पार्टी के वर्तमान एवं भूत पूर्व सभी सात्विक लोगों से निवेदन है इस विरक्त विचारधारा को बटने से बचा लीजिए !see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/04/blog-post_45.html
आमआदमीपार्टी से 'अ' अक्षर वाले अंजली ,अरविंद ,आशीष, आशुतोष आदि लोगों को लेनी होगी विदाई !-ज्योतिषseemore...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

                हमारी माँ बहन को भी कोई गाली दे !ऐसा कोई भला आदमी क्यों चाहेगा !
     दूसरे को गाली हमेंशा वो लोग देते हैं  या फेस बुक पर लिखते हैं जिनका मन होता है कि काश ! हमारी माँ बहन को भी कोई गाली देता ! गाली देगा वही जिसके पास गालियाँ होंगी और होंगी नहीं तो देगा कहाँ से ! ऐसे लोगों की माताएँ  भी ऐसी ही होती होंगी !यह भी संभव है कि ऐसी माताओं ने इनको जन्म देने में ही संस्कारों की किस्तें पूरी न की हों या फिर गलत तरीके से की हों ! यह भी संभव है कि ऐसी माताओं के उनके अपने ही संस्कार न ठीक हों उन्हीं का परिचय दे रहे हों ये गाली देने वाले लोग !खैर !बाकी सभी अच्छे संस्कारों वाले माता पिता की संतानों से निवेदन है कि वो ऐसी माताओं को भी गाली न दें जिन्होंने गाली देने वाले इतने गंदे बच्चे पैदा किए हों !जो अपने माता पिता के कुसंस्कारों की भड़ास औरों पर निकालते फिरते हों !

        

यदि एक झूठ बोलना आ गया तो राजनीति में सफल होने से आपको कोई नहीं रोक सकता !

     सवर्णों ने इस देश के दलितों का शोषण शदियों तक किया है  हमें उनके अधिकारों की लड़ाई लड़नी है इस एक झूठ के बल पर आप राजनीति में पा सकते हैं मन मुताबिक स्थान !और आपका धंधा बिना कुछ किए धरे बहुत अच्छा चल निकलेगा !

 

बिहार में पप्पू यादव बनाएंगे नई पार्टी... नाम होगा- जन क्रांति अधि‍कार मोर्चा...- आज तक 
   पप्पू जी ! ऐसे समाज सुधार हेतु किए गए कार्यों के लिए आपको अग्रिम बधाई ! किंतु आप भी अपनी पार्टी के घोषणापत्र  में इस बात को जरूर सम्मिलित कर लेना कि "सवर्णों ने इस देश के दलितों का शोषण शदियों तक किया है अब हमें उनके अधिकार दिलाने हैं " ऐसा बार बार बोलने से सवर्णों का कोई नुक्सान नहीं होगा आपकी पार्टी चल निकलेगी !                


      केजरीवाल सरकार को अब नाचना सीखना भी चाहिए केवल दूसरों पर दोष मढ़ने से काम नहीं बनेगा !अभी तक तो खुद को नाचना आता नहीं है फिर भी आँगन को ही  टेढ़ा बताए जा रही है !आखिर काम कब करेंगे ?
   यदि काम करना नहीं आता है तो दिल्ली की जनता से हाथ जोड़कर साफ साफ कह देने में क्या बुराई है कि अन्ना जी के बहकावे में मैं गलत आ गया मुझे राजनीति  की समझ नहीं थी !बंधुओ !आखिर क्या कारण है कि पार्टी के अंदर से लेकर बाहर तक विवाद ही विवाद हैं आखिर सब तो बुरे नहीं होंगे !
   जब से राजनीति की और रुख किया है तब से शिकायतें ही शिकायतें और बस केवल शिकायतें!अपनी प्रशंसा करना औरों को गरियाना ये कैसा न्याय और कैसी राजनीति !see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_17.html



               भाजपा का गोहत्यारों के लिए शक्त संदेश गो हत्यारे छोड़कर भाग जाएँ देश प्रदेश !
          भाजपा को एवं मुख्तार अब्बास नकवी को बहुत बहुत बधाई !हिंदुओं की बात हिंदुओं ने जितने ढंग से कभी नहीं रखी नकवी साहब ने जिस ढंग से रखी ऐसे देशसियों पर हमें गर्व हैं वो हमारी पीड़ा से भी इतने घायल हैं यह उनके बयान  से लगा ! कल टीवी पर मैं सुन रहा था उनकी ये ओजस्वी ललकार ! उन्होंने यह कहते हुए देश को ललकारा है कि आखिर गायों को खाए बिना हम क्यों नहीं रह सकते !
      श्री राममंदिर पर प्रायः  लीपापोती करने वाली   भारतीय जनता पार्टी के सजीव सिपाही को सैल्यूट ! जिसने दो टूक कहा कि जिससे गोमांस खाना है वो छोड़ दें देश प्रदेश और गो हत्यारे देशों प्रदेशों में चले जाएँ !
     गायों का मांस खानेवालों की बुद्धि भ्रष्ट होती है ऐसे लोग कब क्या अपराध कर बैठें उन्हें होश ही नहीं रहता !बलात्कार लूट हत्याएँ धोखाधड़ी आदि इससे ही राक्षसी आहार व्यवहार के दुष्परिणाम हैं ऐसे राक्षसों को अब और अधिक नहीं सहा जा सकता है रास्ते चलते  बालिकाओं से बलात्कार हो रहे हैं फिर भी गो हत्यारे राक्षस मानने को तैयार नहीं हैं आश्चर्य !आखिर कहाँ ले जाना चाहते हैं देश? see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/03/blog-post_70.html   

    

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