मानसिकतनाव विज्ञान ! copy

 ऐसे लोगों को समय विज्ञान की दृष्टि से यदि काउंसलिंग (परामर्श) दिया जाए एक सीमा तक बचाव हो सकता है अन्यथा ऐसे मनोरोगी धीरे धीरे गंभीर शारीरिक बीमारियों से ग्रसित होते चले जाते हैं । 
      कुछ समय विंदु ऐसे होते हैं जिनमें जन्म लेने वाले लोग बिना तनाव के रह ही नहीं सकते !ऐसे लोग अच्छी से अच्छी एवं अनुकूल से अनुकूल बातों व्यवहारों से भी अपने लिए मानसिक तनाव खोज लेते हैं ऐसे लोग धीरे धीरे मानसिक तनाव में रहने के आदी हो जाते हैं ।कुछ समय विंदुओं में ऐसी परिस्थितियाँ सारे जीवन के लिए होती हैं तो कुछ में दो चार दस पाँच वर्ष के लिए होती हैं । ऐसे समय विन्दुओं का अध्ययन करके ये पता किया जा सकता है कि यह तनावी मानसिकता किसमें कितने समय के लिए है जिसके जीवन में कुछ वर्षों के लिए है वो किस उम्र या किस  वर्ष में होगी  साथ ही इससे बचने के लिए क्या कुछ सावधानी बरती जानी चाहिए आदि पर व्यापक रिसर्च की आवश्यकता है । इन्हें कोई नमस्ते करे तो तनाव न करे तो तनाव ।किसी के नमस्ते करने से इस बात का तनाव कि कोई स्वार्थ होगा तभी ऐसा कर रहा है और नमस्ते न करने से इन्हें लगता है वो घमंडी  हो गया है। आफिस में या घर में इनकी आज्ञा लेकर कोई काम करे तो इन्हें चमचा गिरी लगती है और इनसे बिना पूछे करे तो इन्हें लापरवाह घमंडी आदि वो सब कुछ लगता है जिससे अपना तनाव बढ़ाया जा सके !
      ऐसे लोग अपने इतने बड़े शत्रु स्वयं होते हैं कि ये अपनों पर तो शक करते ही रहते  हैं साथ ही इन्हें अपनी कार्यक्षमता पर भी हमेंशा शक बना रहता है किंतु ऐसी बातें ये मन खोलकर कभी किसी के सामने रखते नहीं हैं केवल अंदर ही अंदर सहते रहते हैं ऐसे लोग अपने  गलत चिंतन से तैयार हुआ दिमागी कूड़ा कचरा खुद ढोया करते हैं इन्हें अपने को अकारण व्यस्त और सम्मानित मानने की लत होती है बहुत काबिल समझते हैं अपने को इसीलिए इन्हें एक एक करके धीरे धीरे अपने लोग छोड़ते चले जाते हैं। यहाँ तक कि पति पत्नी और बच्चों के संबंध भी इतने अधिक बोझिल हो जाते हैं कि कुछ को ये छोड़ देते और कुछ इन्हें छोड़ देते हैं यदि सामाजिक सम्मान प्रतिष्ठा धन दौलत मान मर्यादा आदि बहुत अच्छी हुई तो परिवार के लोग दिखावटी रूप से तो जुड़े रहते हैं किंतु मन से औरों के प्रति समर्पित हो जाते हैं उसका भी  इन्हें तनाव होता है ऐसे तनाव प्रिय लोग अपनी सोच के कारण अपने घर को एक घोसला बना लेते हैं जहाँ रात्रि में केवल सोने के लिए इकट्ठे होते हैं बाकी उनकी सारी  सुख सुविधाएँ दूसरों पर आश्रित एवं घर से बाहर होती हैं । 
       ऐसे लोग सुखों एवं अपनेपन  के अभाव में आजीवन तड़पते रहते हैं इनकी मदद के लिए समय विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और इन्हें भी सामान्य जीवन की सुख सुविधाओं का एहसास करवा सकता है ।

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