राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान(रजि.)

माननीय ‘प्रधानमंत्री जी’
                                  सादर प्रणाम !
विषय : योगगुरु बाबारामदेव के ज्योतिषशास्त्र का उपहास उड़ाने एवं ज्योतिषियोंकोपाखंडी कहने केसंदर्भमें !
महोदय ,
       योगदिवस के पूर्व की तैयारियों के संबंध में फरीदाबाद में चल रहे एक कार्यक्रम में योगगुरु बाबारामदेव ने ज्योतिष शास्त्र की निंदा करते हुए राहु  केतु  शनि आदि के ज्योतिषीय प्रभाव का उपहास उड़ाया ज्योतिषियों को पाखंडी एवं पाखंड करके लूटने वाला कहा ,कई बार कहा !वो कहने की जो शैली थी वो बहुत अभद्रता पूर्ण तथा ज्योतिष विद्वानों को अपमानित करने एवं ललकारने वाली थी !
    श्रीमानजी !भारत सरकार की शिक्षा संबंधी विधि व्यवस्था के तहत संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय' वाराणसी, 'बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी' एवं दिल्ली के 'लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ' जैसे अनेकों बड़े विश्व विद्यालयों में अन्य विषयों की तरह ही ज्योतिष संबंधी शिक्षा के भी विभाग हैं जहाँ अन्य विषयों की तरह ही ज्योतिष की कक्षाएँ चलती हैं परीक्षा होती है 'ज्योतिषाचार्य' जैसी डिग्री हासिल करने में दस वर्ष लग जाते हैं जो M. A. के समकक्ष होती है इसके बाद Ph. D.आदि करने की पद्धति भी अन्य विषयों की तरह ही है !इन विभागों में पढ़ने पढ़ाने वाले हजारों विद्वानों और  छात्रों का अपराध क्या है आखिर सरकारी मंच से उन्हें पाखंडी और लुटेरा जैसे शब्दों से संबोधित क्यों किया गया ! पाखंडी और लुटेरा बनाने के लिए तो संस्कृत विश्वविद्यालय नहीं चला रही है सरकार !
   प्रधानमंत्री जी !सरकार यदि हमें भी अवसर दे तो हम भी ज्योतिष के बहुमूल्य वैज्ञानिक पक्ष को प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत कर सकते हैं जो कई मामलों में चिकित्सा व्यवस्था के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है मनोरोग को एक सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है । वर्षा और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सम्बंधित ढुलमुल पूर्वानुमानों की वर्तमान पद्धति को गति दे सकते हैं हम !सरकार हमें भी वैज्ञानिकों की तरह अवसर तो दे कर देखे ! हम पर भी भरोसा तो करे हमें भी अपनापन दे हम भी भारतमाता के मस्तक के मुकुट में ज्योतिष विज्ञान का एक रत्न लगाकर मातृभूमि का गौरवबढ़ा सकते हैं !
      श्रीमान जी !दुःख इस बात का है कि रामदेव जी के द्वारा ये बातें जिस मंच से कही गईं वो भारत सरकार के योग पर्व की पूर्व तैयारियों का मंच था मेरी जानकारी के अनुसार वो कार्यक्रम हरियाणा सरकार की देख रेख में चलाया जा रहा था !कुलमिलाकर यह मंच सरकारी था उस समय रामदेव जी को ऐसा नहीं बोलना चाहिए था इससे कुछ लोग या संगठन मचल भी सकते थे जिससे योगदिवस पर वैश्विक छवि बिगड़ सकती थी !
   महोदय ! जहाँ तक बात रामदेव जी के ज्योतिषशास्त्र संबंधी निंदा करने की है तो वो मंच तो योगपर्व का अंग था !वो समय भी सबकुछ भूलकर सरकार के साथ खड़े होने का था । अब मैं सरकार से निवेदन करता हूँ कि ‘ज्योतिष शास्त्र को पाखंड’  सिद्ध करने के लिए रामदेव जी को स्वतंत्र अवसर दिया जाए कि ज्योतिषियों को पाखंडी और लुटेरा क्यों कहा ? उसी मंच पर यह सौभाग्य मुझे भी दिया जाए कि मैं सिद्ध कर सकूँ कि ज्योतिष शास्त्र पाखंड नहीं अपितु विज्ञान है यह भी सिद्ध करूँगा कि ज्योतिष के बिना चिकित्सा पद्धति कैसे अपूर्ण है यह भी सिद्ध करूँगा कि ज्योतिषशास्त्र का उपयोग आयुर्वेद केबड़ेबड़े ग्रंथों में क्यों किया गया है !
       हे प्रधानमंत्री जी !पहले भी राजा महाराजा ऐसे आयोजन करते रहे हैं मेरी इच्छा है कि आप एक बार इस बात का निर्णय करवा ही दें कि "ज्योतिष पाखण्ड है या विज्ञान" आपकी बहुत बड़ी अनुकंपा होगी !
                                                                             प्रार्थीभवदीय -  
                                                                     आचार्यडॉ.शेषनारायण वाजपेयी
                                                      संस्थापक : राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)
                                      एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
           एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी
        पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
        K -71 ,छाछी बिल्डिंग, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051
            Tele: +91-11-22002689, +91-11-22096548
            Mobile : +919811226973,

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