मनोरोग, मानसिक तनाव ,स्ट्रेस आदि को कंट्रोल करने में सक्षम है ज्योतिष ! जानिए कैसे ?

   भविष्य के भय को चिंता कहते हैं और गंभीर एवं लगातार रहने वाली चिंताएँ ही मनोरोगी बना देती हैं जिनके कारण सुगर, B. P. , हार्टअटैक, अनिद्रा ,पेटखराबी  जैसी तमाम अन्य बड़ी बीमारियों को पैदा कर देता है मानसिक तनाव !उन बीमारियों पर यथासंभव नियंत्रण करने की योग्यता तो डॉक्टरों के पास है किंतु जिस मानसिक तनाव से वो बीमारियाँ होती हैं उस तनाव को कैसे घटाया जाए ! इसके लिए चिकित्सा पद्धति में कोई उपाय नहीं है । वस्तुतः ये विषय ही ज्योतिषविज्ञान का है  ।
    मन के प्रायः समस्त रोग भविष्य के भय सोच सोच कर होते हैं "कल क्या होगा !"जो हम पाना चाहते हैं वो हमें मिलेगा कि नहीं ?जो हमें मिला आई उसे सुरक्षित रख पाएँगे कि नहीं !कल कोई बीमारी तो नहीं हो जाएगी !व्यापार में घाटा तो नहीं हो जाएगा !कुल मिलाकर भविष्य में कुछ बुरा न हो जाए चिंता तो इसी बात की है कि सब कुछ वैसा होगा क्या जैसा हम भविष्य में चाहते हैं आदि बातों के ही तो हमें मानसिक तनाव होते हैं !भविष्य में क्या होगा क्या नहीं आदि भविष्यसंबंधी बातों का जवाब कोई डॉक्टर या मनोचिकित्सक कैसे दे सकता है !ये तो काम  ही ज्योतिष का है इसलिए इसका उत्तर भी ज्योतिष वैज्ञानिक ही दे सकते हैं ।     
 डॉक्टरों का कार्यक्षेत्र हमारे शरीर का हार्डवेयर तो है किंतु साफ्टवेयर पर उनका कोई अधिकार नहीं है!डॉक्टर या विश्ववैज्ञानिक अभी तक आत्मा मन बुद्धि प्राण इंद्रियों आदि को लेकर इनके आस्तित्व को केवल इसलिए नहीं स्वीकार करते हैं क्योंकि इन्हें वो देख नहीं सकते छू नहीं सकते इनका अनुभव नहीं कर सकते !यदि सच्चाई इतनी ही है तो इन्हें मनोचिकित्सक क्यों मान लिया जाए !ये मन को देख नहीं सकते छू नहीं सकते मन की जाँच नहीं कर सकते मन को दवा नहीं दे सकते किसी के मन की उदासी निराशा आत्मग्लानि आदि को कम करने की इनके पास कोई दवा नहीं है फिर भी मनो चिकित्सक आखिर किस बात के !मन की चिकित्सा में इन चिकित्सकों की भूमिका आखिर क्या है !
      मोबाईल का मैकेनिक मोबाईल के पुर्जे पुर्जे खोल सकता है बाँध सकता है नए बदल सकता है किंतु उसमें मैसेज आएगा कि नहीं कॉलड्रॉप होगा कि नहीं ये मोबाइल मैकेनिक नहीं बता सकता !घर में लगे बिजली के उपकरण ठीक कर लेने वाला मैकेनिक बिजली आने न आने की गारंटी नहीं दे सकता और बिजली के बिना उन्हें चला कर नहीं दिखा सकता !जैसे मोबाईल और बिजली उपकरणों के मैकेनिक का उसके साफ्टवेयर पर कोई अधिकार नहीं होता है ठीक उसी प्रकार से शरीरों के मैकेनिक डॉक्टरों का  शरीरों के साफ्टवेयर पर कोई अधिकार नहीं होता !
     आत्मा मन बुद्धि प्राण इंद्रियों आदि का क्या पता उनको !डॉक्टर लोग पूरा शरीर खोलकर देख लेते हैं किंतु उन्हें आत्मा मन बुद्धि प्राण इंद्रियाँ आदि कहीं नहीं मिलते !आधुनिक वैज्ञानिकों की आदत है कि वो जिस चीज को देख नहीं सकते छू नहीं सकते आदि उसे वो विज्ञान मानने को तैयार ही नहीं होते !जिसमें भारत के प्राचीन ज्ञान विज्ञान की तो बात सुनते ही वो भड़क उठते हैं । मोबाईल और टेलीवीजन में जितने सन्देश या चित्र आदि दिखाई पड़ते हैं यदि मोबाईल एवं  टेलीवीजन का पुर्जा पुर्जा खोल दिया जाए तो एक भी सन्देश या चित्र आदि उसके अंदर खोजने पर भी कहीं नहीं मिलेगा किंतु वैज्ञानिकों को उसमें आपत्ति इसलिए नहीं है क्योंकि इनमें जो सन्देश या चित्र आदि दिखाई पड़ते हैं वो जहाँ से भेजे जातें हैं उन कंपनियों के विषय में इन्हें पता है ये उस सारे सिस्टम को समझते हैं इसलिए इन्हें उसमें कोई आश्चर्य नहीं लगता किंतु शरीर के साफ्टवेयर विज्ञान के विषय में इन्हें चूँकि जानकारी नहीं है इसलिए ये उन बातों को गलत मानते हैं यदि इन वैज्ञानिकों को जानकारी नहीं है इसलिए इनके कह देने  पर  शरीर के साफ्टवेयर विज्ञान को गलत कैसे मान लिया जाए !

बिजलीउपकरणों के विषय में तो पता मैकेनिक का उसके साफ्टवेयर


    हम अपने शरीर की हर समस्या का समाधान डाक्टरों से चाहते हैं किंतु उनकी भी सीमाएँ  हमें समझनी होंगी !
के पास भागते हैं किंतु हमें यह भी सोचना चाहिए कि डाक्टर हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत कुछ हैं किंतु सब  कुछ नहीं हैं 
मन है क्या ? मनोरोग क्या हैं इनकी जाँच कैसे हो दवा कैसे हो !मनोचिकित्सा या औषधि देने से मानसिकतनाव, निराशा, उदासी, हीनभावना आदि रुकजाती है क्या ?यदि नहीं तो मनोचिकित्सा का मतलब क्या है !मन को देखा नहीं जा सकता छुआ नहीं जा सकता जाँचा नहीं जा सकता !मन में दवा नहीं दी जा सकती फिर मनोचिकित्सा कैसी !
     उदासी, निराशा, हीनभावना

मन    
   जुकाम बुखार जैसी छोटी छोटी बीमारियों में बिना जाँच कराए एक कदम भी आगे न बढ़ने वाले चिकित्सक मन की जाँच किस मशीन से करते होंगे ?मनोरोगी को कौन सी दवा देते हैं और उस दवा से मानसिक तनाव घट जाता है क्या ? सुगर, B. P. , हार्टअटैक, अनिद्रा ,पेटखराबी  जैसी तमाम अन्य बड़ी बीमारियों को पैदा करने वाले मानसिक तनाव को घटाने के लिए क्या है आधुनिक चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के पास उपाय क्या है ?
     बेरोजगारी, किसी प्रियजन की मृत्यु, कर्जदार होने जैसी आर्थिक समस्याएं, अकेलेपन बांझपन या नपुंसकता, वैवाहिक झगड़ा, हिंसा और मानसिक अघात ऐसी समस्याएं हैं जो बहुत ज्यादा तनाव पैदा करती है | 



कुछ लोग ऐसी स्थिति में ही मनोरोगी होकर सुगर B. P. जैसी तमाम अन्य बड़ी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं ।मन को न मानने वाली चिकित्सा पद्धति में मन को  जाँचने वाली न कोई मशीन है और न ही मनोरोग की कोई दवा ही होती है !चिकित्सा पद्धति में लोगों का स्वभाव समझने के लिए कोई विज्ञान नहीं है अच्छे बुरे समय के अनुसार लोगों का स्वभाव बदलता रहता है इसलिए किसी भी व्यक्ति के समय को समझे बिना उसके स्वभाव को समझ पाना अत्यंत कठिन है और स्वभाव को समझे बिना मनोरोगियों को दी जाने वाली काउंसलिंग  खानापूर्ति मात्र होती  है जबकि ऐसे स्थलों पर ज्योतिष विज्ञान संपूर्ण रूप से सटीक बैठता है ।इसके  द्वारा काफी हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं मनोरोग !
     रोग और मनोरोग जैसी परिस्थिति पैदा ही न हो इसके लिए  समय का पूर्वानुमान लगाकर उसके अनुरूप ही कार्य योजना बनाकर चलने से ऐसी परेशानियों के  पैदा होने से बचा जा सकता है । पुराने समय में जब राजा प्रजा लोग ज्योतिषीय पद्धति से  समय का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे उसी के अनुसार जीवन और शासन सत्ता को ढाल लिया करते थे !इसीलिए तब रोगी मनोरोगी हत्यारे आत्महत्यारे बलात्कारी और लुटेरे आदि इतने नहीं होते थे । ज्योतिषीय पूर्वानुमान के कारण ही लोग अच्छी बुरी परिस्थितियों को सहने की क्षमता  रखते थे यही कारण है कि  तब जो समाज विश्व बन्धुत्व की भावना से जुड़ा होता था कितने बड़े बड़े संयुक्त परिवार हुआ करते थे किंतु ज्योतिष की उपेक्षा होते ही समाज बिखर रहा है परिवार टूट रहे हैं 'वसुधैवकुटुम्बकं' तो दूर अब तो पति -पत्नी ,बाप-बेटा ,भाई - भाई के संबंध भी बोझ बनते जा रहे हैं एक साथ कब तक रह पाएँगे कहना कठिन  है ।

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