ज्योतिषविज्ञान को बदनाम करने वाले केवल दो लोग ! जानिए कौन ?

    ज्योतिष डिग्री बिना लिए ही ज्योतिष के नाम पर झूठ बोलकर औरों का भाग्य बदल देने के सपने दिखाकर पाखंड फैलाने वाले अनपढ़ भ्रष्ट ज्योतिषी लोग एवं दूसरे वे चालाक क्लाइंट लोग जो ज्योतिष विद्वानों को उनका पारिश्रमिक (दक्षिणा) न देने या कम पैसे देकर  ही रो धोकर काम चला लेने वाले लोभी लोग हैं जो अपनी  चतुराई के कारण पाखंडी बाबाओं तांत्रिकों आदि के यहाँ छू मंतर से बच्चे पैदा करा लेना चाहते हैं भाग्य बदल लेना चाहते हैं एवं सारी  मनोकामनाएँ पूरी कर लेना  चाहते हैं ऐसे दरिद्र लोग जुड़ते तो पाखंडियों से हैं किंतु बाद में बदनाम ज्योतिष को करते हैं !ऐसे दोनों प्रकार के लोगों से ज्योतिषविज्ञान  को बचाया जाना चाहिए !  जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही न हो ऐसे बिना डिग्री या फर्जीडिग्री वाले ज्योतिष के नाम पर अवैज्ञानिक पाखंड फैलाकर समाज को लूटने वाले लोग क्या बता पाएंगे ज्योतिष के बारे में !
    इसी प्रकार से ज्योतिष शास्त्र के प्रति आधी  अधूरी श्रद्धा रखने वाले दरिद्र कंजूस चालाक कमजोर स्वार्थी लोग होते हैं !जिन्हें ये होश ही नहीं होता है कि पंडितों पुजारियों  को पेठा खिलाने से अपने घर पुत्र कैसे हो जाएगा किंतु फिर भी खिलाए जा रहे हैं पुजारियों को पेठा और लुटाए जा रहे हैं पाखंडियों पर पैसा !वो इतने भी सेंस में नहीं होते हैं कि वे जिसे कुंडली दिखा रहे हैं उसने  ज्योतिष पढ़ी भी है या नहीं पढ़ी है तो किस सं में किस विश्व विद्यालय से कौन सी ज्योतिष डिग्री ली है ऐसा कुछ भी जाने पहचाने बिना फोकट में आशीर्वाद बाँटते रहने वाले भिखारियों  ,पुजारियों या पाखंडियों से भविष्य पूछकर वो समझ लेते हैं कि उन्होंने ज्योतिष शास्त्र को समझ लिया है जबकि इन तीनों का ही ज्योतिष शास्त्र से कोई लेना देना ही नहीं है फिर भी इनकी कही हुई भविष्य संबंधी बात गलत होने पर दरिद्र कंजूस और आलसी लोग ये कहने लगते हैं कि ज्योतिष गलत है किन्तु अपनी कर्मकुंडली नहीं देखते ऐसे ज्योतिष शत्रुओं से ज्योतिष को बचाकर रखने की जरूरत है । ये ज्योतिष का उपयोग तो करते नहीं हैं केवल ज्योतिष को बदनाम करने के लिए ही ज्योतिष से जुड़े होने का नाटक करते हैं ।

     बंधुओ !योग्य ज्योतिषी को अपने लाभ हानि में सम्मिलित करके ज्योतिषी को अपना शुभ चिंतक बनाकर रखे मुशीबत में बहुत काम आता है !वो आगे आगे दिशानिर्देश करता जाता है ।
  अच्छे ज्योतिषियों से ईमानदारी पूर्वक सहयोग की ईच्छा रखने वाले को उनके साथ भी ईमानदार वर्ताव ही  करना चाहिए !किसी ने  धन कमाया तो दूसरे ने ज्योतिष विद्या पढ़ी यदि कोई कंजूस अपना धन देने में संकोच करता है तो अपने प्राणों से अधिक प्यारी विद्या का उपयोग कोई ज्योतिषी उसके लिए क्यों करे !           ज्योतिष का लाभ लेने की इच्छा रखने वाले को चाहिए कि ज्योतिषी की योग्यता और अपने काम के अनुशार ज्योतिषी को पारिश्रमिक देना ही चाहिए !अन्यथा कुछ चालाकी काम करवाने वाला करता है तो कुछ काम करने वाला परिणाम स्वरूप रिजल्ट जीरो आता है काम अपना बिगड़ता है निंदा शास्त्र की होती है !इसलिए आधी अधूरी श्रद्धा लेकर ज्योतिषवैज्ञानिकों के पास न जाए !
     कंजूस लोग अच्छे ज्योतिषियों तक पहली बात तो पहुँच ही नहीं पाते हैं पहुँच गए तो अधिक दिन तक टिक नहीं पाते हैं और यदि किसी तरह टिक भी गए तो उनकी विद्या का लाभ तो बिलकुल ही नहीं ले पाते हैं !और अंत में ज्योतिष एवं ज्योतिषियों  को बदनाम करते घूमने लगते हैं !इसलिए अच्छे ज्योतिषी ऐसे खतरनाक लोगों से दूर रहना ही पसंद करते हैं !
 वास्तु एक्सपर्टों की सच्चाई और पाखंड !
    कुछ लोग जगह जमीन खरीदने और बेचने वाले दलालों को तो अधिक धन देते हैं किन्तु ज्योतिष (वास्तु) विद्वानों को उससे बहुत कम क्या नाम मात्र भर देते हैं ऐसे लोगों को विद्वानों से भी न्याय की आशा नहीं रखनी चाहिए !क्योंकि उनके भवन सुख की खोज के लिए विद्वान कुछ नहीं कर पाते हैं करें भी आखिर कैसे उनका दिया हुआ धन इतना कम होता है कि उसमें उतना परिश्रम कर पाना संभव भी नहीं होता है जितने की वहाँ जरूरत होती है ।वास्तु के लिए ये देखना जरूरी है कि आपके भाग्य में घर का सुख है भी या नहीं और है भी तो किस उम्र में अन्यथा आप घर खरीद भी लेंगे तो भी नहीं मिलेगा घर का सुख !इसके बाद देखना होता है इस जमीन के 4 फिट अंदर तक कहीं कोई इस दोष तो नहीं है जो इस घर में किसी को बसने ही न दे इन सब बातों का ज्योतिष से पता लगाना होता है जो केवल ज्योतिष विद्वान् ही कर सकते हैं इसके आलावा बाजारू वास्तु एक्सपर्ट या वास्तु वाले वे पाखंडी जो अपना घर बनाने के लिए दूसरों के घरों में तोड़ फोड़  हैं या वास्तु दोष दूर करने के नाम पर घर के सामान इधर उधर रखवाते हैं या पेंडुलम वास्तु यंत्र आदि इधर उधर लगवाते बंधवाते हैं घर के सामानों की दिशाएं बताया करते हैं ऐसे मूर्खों को समझना चाहिए कि जिसका जितने दिन समय ठीक रहेगा वो उतने दिन शमशान में भी रहेगा तो भी उसका बाल भी बाँका नहीं होगा और जब समय ही ख़राब होगा तो भगवान् को भी बनवास भोगना पड़ा था इसलिए सबसे पहले अपने समय को जानो !दूसरा वास्तु को क्योंकि जिसका समय ठीक होगा वो तो कैसी भी जगह रह सकता है किन्तु परिवार के सभी सदस्यों का तो समय एक साथ ठीक नहीं हो सकता है ऐसे लोगों के लिए वास्तु देखना बहुत जरूरी है किंतु ज्योतिष विद्वानों से न कि वास्तु व्यापारी ड्रामेबाजों से !रही बात वास्तु शान्ति की तो वास्तु दोष केवल मन्त्र शान्ति से ही ठीक होगा जो विद्वानों के द्वारा करवाई जाती है चीजों सामानों को गाड़ने उखाड़ने लटकाने रखने से कुछ नहीं होगा !ज्योतिष के विषय में शॉर्टकट का रास्ता खोजने के कारण बिगड़ रहे हैं सारे  काम और बदनाम हो रहा है ज्योतिष शास्त्र !
      बाबा रामदेव जैसे लोग समाज को मूर्ख बनाकर धन उगाहने के लिए बड़े बड़े भयंकर रोगों की लिस्टें टीवी चैनलों पर बैठकर पढ़ते हैं और उन्हें ठीक करने का दावा करते हैं जिसे सुनकर लोग उनकी बातों के झाँसे में आ जाते हैं और उस झूठ पर विश्वास कर बैठते हैं फिर रोगों को ठीक करने के लिए भोले भाले  लोगों को ये पहले योग बेचते हैं फिर भी नहीं ठीक होते तो उन्हें दवाएँ बेचते हैं फिर भी नहीं ठीक होते तो उन्हें मिलावट रहित खाने की सलाह देकर उन्हें खाने पीने की चीजें बेचते हैं तब भी नहीं ठीक होते तो पहनने के लिए कपड़े भी बेचने वाले हैं ऐसे लोगों की जहाँ तक अकल काम करेगी वहाँ तक पैंतरे बदल बदलकर समाज को लूटते रहेंगे उसके बाद छोड़ देंगे मरने के लिए !यही उनकी चैरिटी है इसीलिए कि खरबोंपति होते जा  रहे हैं !अन्यथा ईमानदारी में इतना धन कहाँ हैं !यदि रामदेव जी को मिलावटी सामान से इतनी ही घृणा है तो प्रधानमन्त्री जी से क्यों नहीं कहते  हैं कि मिलावट खोरी बंद करवाइए !इन्होंने ही कहा था ज्योतिष पाखंड और ज्योतिषी पाखंडी हैं मैंने इन्हें चुनौती दी है और फिर देता हूँ कि वो सिद्ध करके दिखाएँ कि उनकी दुकानदारी में इतनी दम है कि वे रोग ठीक भी कर सकते हैं !खुली बहस करें वो हमसे और हम उन्हें समझाएँगे कि बीमारियाँ होती कब हैं और ठीक कब होती हैं बुरे समय रोग होते हैं और जब तक समय बुरा रहता है तभी तक बीमारियाँ रहती हैं !इतना जरूर है कि औषधियों से पीड़ा कुछ कम हो जाती है और कुछ मामलों में बीमारी बढ़ने से एक सीमा तक रुक सकती है उससे अधिक नहीं कुछ नहीं हो सकता !कुछ मामलों में तो समय ज्यादा ख़राब होता है तो सारे इलाज के बाद भी रोगी मर ही जाता है सारे योग औषधि और मिलावट रहित खाने धरे के धरे रह जाते हैं जब समय ख़राब होता है तब हवा भी जहर का काम करती है अमृत भी बिष जैसा फल देता है और समय को समझने के लिए है ही केवल ज्योतिष !किंतु ऐसी बातें पाखंडियों की मोटी  खोपड़ी में घुसती कहाँ हैं !
    जो लोग किसी ज्योतिष वैज्ञानिक को अपनी डेट आफ बर्थ बताकर और उस पर एहसान जैसा करते हुए उससे अपने भाग्य या विकास के विषय में कुछ पूछना चाहते हैं तो कोई ज्योतिष वैज्ञानिक क्यों बनाएगा उस भाग्यहीन की कुंडली जो मनहूस आदमी केवल अपना ही भला चाहता हो !जो अपनी रोजी रोटी का पता लगाने के लिए दूसरे की रोजी चौपट कर रहा है ऐसे कुंद बुद्धि लोगों को कुछ तो सोचना चाहिए कि ऐसे कोई ज्योतिषी किसी की कुंडली बनाएगा क्यों और भविष्य बताएगा क्यों ?आखिर उसका सब कुछ अच्छा हो जाने से ज्योतिषी का क्या लाभ?उसका अपना लालच क्या है क्यों वो बनावे कुंडली और देखे भी क्यों ?
     एक ईंट भट्ठे के मालिक ने किसी ज्योतिषी को भट्ठा लगाने का मुहूर्त पूछा और 500 रुपए दे दिए उसने भट्ठा लगाया जब ईंटें पकने का समय आया तो पानी बरस  गया सारी ईंटें पिघल गईं अब वह रोते धोते ज्योतिषी के पास पहुँचा और कहने लगा कि आपने कैसा मुहूर्त बताया था हमने तो तीन करोड़ रुपए कर्जा लेकर लगाया था वह सब नष्ट हो गया !तो ज्योतिषी ने उसको पूछा कि यदि नष्ट न हुआ होता तो प्रॉफिट कितना होता तो उसने कहा लगभग पाँच करोड़ मिल जाता सब चला गया आपने मुहूर्त ठीक नहीं बताया !तो ज्योतिषी ने कहा कि मैं बेवकूफ हूँ क्या कि पाँच सौ रूपए में तुम्हें पाँच करोड़ कमवा दूँगा ये पकड़ो अपने पाँच सौ रूपए देकर वापस भेज दिया !
        हमारे कहने का मतलब जब इतना रिस्क था तो प्रॉपर ढंग से चलना चाहिए था संभव है कि वह नुक्सान न होने पाता ! सीधी सही बात यह है कि किसी को बड़ा आदमी बनाने के लिए कोई अपना बलिदान क्यों करे ?आखिर उसे क्या लाभ होगा  !
     जो लोग इस तरह फ्री में बताने का  ड्रामा भी करते हैं वो वास्तव में नग नगीने या जंत्र तंत्र के व्यापारी होते हैं वो बिना ज्योतिष के ही कुछ ऊटपटांग बोलकर नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीज आदि खरीदने की सलाह दे देते हैं उसमें उनका मोटा कमीशन  लाभ सम्मिलित होता है !
      इसी प्रकार से टी.वी. चैनलों पर बैठकर ज्योतिष नाम का बकवास करने वाले,या ज्योतिष पढ़ाने  समझाने का नाटक करने वाले लोग या ज्योतिष विद्यालय  चलाने वाले लोग ये वो वर्ग है जो ज्योतिष के नाम पर सौ प्रतिशत अशिक्षित  वर्ग है और 101 प्रतिशत झूठ केवल इस लालच में बोलता है या ये सारे नाटक वो समाज को यह समझाने के लिए करता  है ताकि  लोग उसे भी पढ़ा लिखा समझें और ज्योतिष के ड्रामे का उसे भी लाभ हो !



   

No comments:

Post a Comment