भूकंप भारत और पाकिस्तान में - 1-10-2016 \ दोपहर 1:34 मिनट पर तीव्रता 5.5 थी।

    भूकंप के झटके पेशावर, गिलगिट, इस्लामाबाद और खैबर -पख्तूनख्वा प्रांत के कुछ हिस्सो में महसूस किए गए।इस भूकंप के झटके कश्मीर घाटी में भी महसूस किए गए ! 
    इस भूकंप का फल -
   भूकंप से प्रभावित क्षेत्र के आकाश में धुआँ धुँआ सा दिखाई पड़ने लगेगा तेज हवाएँ चलेंगी संभव है आँधी तूफान का प्रकोप भी बढ़े ! सूर्य की किरणें भी धूमिल दिखेंगी अनाज, जल और औषधियों का नाश होगा !
   शरीरों में सूजन ,दमा एवं खाँसी से उत्पन्न पीड़ा बढ़ने  लगेगी  ।ज्वर रोग तथा  पागलपन की परेशानियाँ बढ़ेंगी इस क्षेत्र के अच्छे खासे शिक्षित और समझदार लोग भी न केवल पागलों जैसी दलीलें देते दिखेंगे अपितु उपद्रवी गतिविधियों में सम्मिलित होने में गर्व महसूस  करेंगे । 
     डॉक्टरों ,सैनिकों, महिलाओं नाचने गाने वालों ,फिल्मी कलाकारों एवं कारीगरों और व्यापार करने वाले लोगों पर विशेष भारी है ये भूकंप !
    इस भूकंप के आने के बाद अक्टूबर 2016 की 3,4,7,15,30तारीखों को एवं नवंबर की 14 तारीख को भूकंप आने की प्रबल सम्भावना बनी रहती है किंतु यदि ऐसा  हुआ तो ऐसे भूकंप से प्रभावित देशों के शासकों के लिए बड़ा संकट पैदा करता है यह भूकम्प !
      ऐसे भूकंप से प्रभावित क्षेत्र के लोगों को दिमागी चक्कर आने की बीमारियाँ बढ़ती हैं अचानक ऐसा गुस्सा आता है कि मरने मारने को उतारू हो जाते हैं इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों के लोग !
     साँस फूलने संबंधी बीमारियाँ भयंकर रूप लेती जाती हैं ऐसे भूकंपों का प्रभाव तो 180 दिनों का होता है किंतु जैसे जैसे समय बीतता है वैसे वैसे घटता जाता है तब भी 45 दिन विशेष भारी होते हैं । 
   यदि बीच में कोई दूसरे भूकंप आए या प्रकृति में इससे जुड़ी कोई और घटना घटी तो प्रभाव मिश्रित अर्थात मिला जुला दिखने लगता है !
    चूँकि इस भूकंप का केंद्र पाकिस्तान में था और इसका प्रभाव कश्मीर तक में था इसलिए इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र के लोग मरने मारने के लिए उतावले हो  सकतें हैं जिनके पागलपन को पचाने की सामर्थ्य भारत को पैदा करने होगी !
      इसमें ध्यान देने लायक विशेष बात यह है कि इस भूकंप के झटके इस्लामाबाद में तो लगे हैं किंतु दिल्ली में नहीं लगे हैं !इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी होने के कारण पाकिस्तान की सत्ता का केंद्र इस्लामाबाद होना स्वाभाविक है देश से संबंधित सारे निर्णय वहीं लिया जाना भी स्वाभाविक है !
     इसलिए हमें यह निश्चित मानना चाहिए कि इस पागलपन में पकिस्तान की सरकार तो सम्मिलित होगी किंतु भारत की सरकार परिपक्वता का परिचय देगी तथापि भारत सरकार को 14 नवम्बर तक अपना सुरक्षा तंत्र विशेष मजबूत रखना चाहिए।भूकंप से प्रभावित पाकिस्तानियों और भूकंपीकश्मीरियों का ये पागलपन भारत को कोई बड़ी चोट न दे जाए ! क्योंकि पाकिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादी बड़ी वारदातों को भी अंजाम दे सकते हैं इससे इनकार नहीं किया जा सकता है ।
 

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